Atishyokti Alankar Ki Paribhasha: अतिशयोक्ति अलंकार की परिभाषा क्या है?

1 minute read
Atishyokti Alankar Ki Paribhasha
Answer
Verified

जहाँ पर प्रस्तुत वस्तु का खूब बढ़ा-चढ़ा कर वर्णन किया जाए, वहां पर अतिशयोक्ति अलंकार
(Atishyokti Alankar) होता है। सरल शब्दों में कहें तो जब किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करने में लोक समाज की सीमा या मर्यादा टूट जाए तो उसे ‘अतिश्योक्ति अलंकार’ कहाँ जाता है। अतिशयोक्ति अलंकार का एक उदहारण – “देख लो साकेत नगरी है यही, स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही है।” अर्थात् साकेत नगरी को स्वर्ग से मिलते हुए दिखाना अतिशयोक्ति है। क्योंकि कोई भी नगर स्वर्ग में कैसे जा सकता है यह असंभव है।

अतिशयोक्ति अलंकार की परिभाषा 

जब किसी वाक्य या काव्य को पढ़ने-लिखने या सुनने में अतिशयोक्ति (बढ़ा-चढ़ाकर बताना) का बोध हो, उसे अतिशयोक्ति अलंकार कहते हैं। 

अतिशयोक्ति अलंकार के उदाहरण 

अतिशयोक्ति अलंकार के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं;-

  • तुम्हारी ये मधुर मुस्कान, मृत में भी फूँक देगी जान।
  • छुअत टूट रघुपति न दोषु, मुनि बिनु काज करिअकत रोषु। 
  • बाँधा था विधु को किसने इन काली ज़ंजीरों में, मणिवाले फणियों का मुख क्यों भरा हुआ है हीरों से।
  • मानहु बिधी तन-अच्छ छबि स्वच्छ राखिबै काज, दृग-पग पोंछन कौं करे भूषन पायंदाज।
  • पानी परात को छुयो नहीं , नैनन के जल सों पग धोए।

यह भी पढ़ें 

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*