हरिवंश राय बच्चन भारतीय कवि थे, जो 20वीं सदी में भारत के सर्वाधिक प्रशिक्षित हिंदी भाषी कवियों में से एक थे । इनकी 1935 में प्रकाशित हुई लंबे लिरिक वाली कविता “मधुशाला” ने उन्हें एक अलग प्रसिद्धि दिलाई। दिल को छू जाने वाली कार्यशैली वर्तमान समय में भी हर उम्र के लोगों पर अपना प्रभाव छोड़ती है। डॉ हरिवंश राय बच्चन जी ने हिंदी साहित्य में अविस्मरणीय योगदान दिया है। प्रसिद्ध साहित्यकार कवि हरिवंश राय बच्चन के जीवन के बारे में विस्तार से जानने के लिए यह ब्लॉग पूरा पढ़ें।
This Blog Includes:
- जीवन परिचय
- आरंभिक जीवन
- हरिवंश राय बच्चन की शिक्षा
- हरिवंश राय बच्चन के करियर की शुरुआत
- हरिवंश राय बच्चन का कार्य क्षेत्र
- हरिवंश राय बच्चन की कृतियां
- हरिवंश राय बच्चन की उपलब्धियाँ
- हरिवंश राय बच्चन की मृत्यु
- हरिवंश राय बच्चन की खास बातें
- कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- बच्चन की बाल कविताएँ
- हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा
- हरिवंश राय बच्चन की पुस्तकें
- मधुशाला की कुछ पंक्तियां
- चल मरदाने ….
- दिन जल्दी-जल्दी ढलता है …
- लो दिन बीता, लो रात गई (Lo Din Beeta Lo Raat Gayi)
- FAQ
जीवन परिचय
बच्चन साहब का जन्म 27 नवंबर 1907 को गांव बाबू पट्टी, ज़िला प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश के एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव एवं उनकी माता का नाम सरस्वती देवी था। बचपन में उनके माता-पिता उन्हें बच्चन नाम से पुकारते थे, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘ बच्चा ‘ होता है। डॉक्टर हरिवंश राय बच्चन का शुरुआती जीवन के ग्राम बाबू पट्टी में ही बीता। हरिवंश राय बच्चन का सरनेम असल में श्रीवास्तव था, पर उनके बचपन से पुकारे जाने वाले नाम की वजह से उनका सरनेम बच्चन हो गया था।
नाम | डॉ हरिवंश राय बच्चन |
जन्म | 27 नवंबर 1907 |
आयु | 95 वर्ष मृत्यु तक |
जन्म स्थान | गांव बाबू पट्टी, जिला प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | प्रताप नारायण श्रीवास्तव |
माता का नाम | सरस्वती देवी |
पत्नी का नाम | श्यामा देवी (पहली पत्नी), तेजी बच्चन ( दूसरी पत्नी) |
पेशा | लेखक, कवि ,साहित्यकार |
शैली | हिंदी छायावाद |
बच्चे | अमिताभ बच्चन अभिताभ बच्चन |
मृत्यु | 18 जनवरी सन 2003 |
मृत्यु स्थान | मुंबई |
अवार्ड | पद्मभूषण ,साहित्य अकादमी, आदि |
आरंभिक जीवन
हरिवंश राय बच्चन ने कायस्थ पाठशाला में पहले उर्दू और फिर हिन्दी की शिक्षा ली जो उस समय कानून की डिग्री के लिए पहला कदम माना जाता था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में MA और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू.बी. यीट्स की कविताओं पर शोध कर PhD पूरी की थी ।
1926 में 19 वर्ष की उम्र में उनका विवाह श्यामा बच्चन से हुआ था, जो उस समय 14 वर्ष की थीं। 1936 में टीबी के कारण श्यामा की मृत्यु हो गई। 5 साल बाद 1941 में बच्चन ने एक पंजाबन तेजी सूरी से विवाह किया जो रंगमंच तथा गायन से जुड़ी हुई थी । इसी समय उन्होंने ‘ नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ जैसी कविताओं की रचना की । तेजी बच्चन से अमिताभ तथा अजीताभ पुत्र हुए। अमिताभ बच्चन का प्रसिद्ध अभिनेता है । तेजी हरिवंश राय बच्चन ने शेक्सपियर के अनूदित कई नाटकों में अभिनय किया है।
1952 में हरिवंश राय बच्चन पढ़ने के लिए इंग्लैंड चले गए, जहां कैंब्रिज विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य/काव्य पर शोध किया ।1955 में कैम्ब्रिज से वापस आने के बाद भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषण के रूप में नियुक्त हो गए। हरिवशं राय बच्चन राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी रहे है। 1976 में हरिवंश राय बच्चन को पद्मभूषण की उपाधि मिली। इससे पहले उनको 2 चट्टाने के लिए 1968 में साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला था।
हरिवंश राय और श्यामा देवी (प्रथम पत्नी)
बच्चन जी की पहली शादी श्यामा देवी से हुई थी। इस विवाह के वक्त वह सिर्फ 19 वर्ष के थे। और उनकी पत्नी 14 वर्ष की थीं। बड़े दुर्भाग्य की बात है कि उनकी शादी लम्बे समय तक नहीं रह सकी। चूँकि श्यामा देवी को 24 वर्ष की आयु में टीबी रोग नें घेर लिया। जिस कारण से वर्ष 1936 में उनकी अकाल मृत्यु हो गयी।
हरिवंश राय और तेजी बच्चन (द्वितीय पत्नी)
पांच साल बाद वर्ष 1941 में बच्चन जी का दूसरा विवाह तेजी बच्चन से हुआ और उन दोनों की दो संतान हुईं। इन दोनों के दो पुत्रों में एक बॉलीवुड सुपर स्टार अमिताभ बच्चन हैं और दूसरे पुत्र अजिताभ एक बिजनेस मैन बने। तेजी बच्चन भारत की पूर्व प्रधान मंत्री श्री इन्दिरा गांधी के बेहद करीबी दोस्त मानी जाती थीं।
हरिवंश राय बच्चन की शिक्षा
इस महान साहित्यकार के शुरुआती शिक्षा अपने जिले के प्राथमिक स्कूल से हुई, उसके बाद कायस्थ पाठशाला से उर्दू की शिक्षा ली जो उनके खानदान की परंपरा भी थी। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में MA की पढ़ाई पूरी की। आगे चलकर अंग्रेजी साहित्य में विख्यात कवि की कविताओं पर शोध करते हुए कैंब्रिज विश्वविद्यालय इंग्लैंड में अपनी PhD की शिक्षा पूरी की।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरी की पढ़ाई
प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद हरिवंश राय बच्चन ने सन् 1929 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से BA किया। इसके तुरंत बाद उन्होंने MA में एडमिशन ले लिया। गांधी जी का असहयोग आन्दोलन शुरू होने के कारण सन् 1930 में उन्होंने MA प्रथम वर्ष पास करने के बाद पढाई छोड़ दी, जिसे उन्होंने सन्1937-38 में पूरा किया। अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू बी यीट्स की कविताओं पर रिसर्च करने के लिए वह कैम्ब्रिज भी गए।
हरिवंश राय बच्चन के करियर की शुरुआत
हरिवंश राय बच्चन ने सन् 1941-1952 तक इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी के प्रवक्ता के रूप में काम किया। इसके साथ-साथ वह आकाशवाणी के इलाहाबाद केंद्र से भी जुड़े रहे। सिर्फ इतना ही नहीं, उन्होंने फिल्मों के लिए भी लिखने का काम किया। अमिताभ के द्वारा अभिनय किया गया एक मशहूर गीत ‘रंग बरसे भीगे चुनर वाली रंग बरसे’ उन्होंने ही लिखा जिसे खुद उनके बेटे अमिताभ बच्चन ने गाया। सन् 1955 में कैम्ब्रिज से लौटने के बाद उनको भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया गया। कहा जाता है कि श्यामा की मौत और तेजी से शादी, यही दो उनकी जिंदगी के दो महत्तवपूर्ण अंश हैं, जिनको उन्होंने अपनी कविताओं में हमेशा जगह दी।
उनकी आत्मकथा ‘क्या भूलूं क्या याद करूं’, ‘नीड़ का निर्माण फिर’, ‘बसेरे से दूर’ और ‘दशद्वार से सोपान’ तक उनके बहुमूल्य लेखन रहे। हरिवंश राय बच्चन को सबसे बड़ी प्रसिद्धि मिली सन् 1935 में जब उनकी कविता मधुशाला छपि। इसके अलावा सन् 1966 में वह राज्य सभा के सदस्य के रूप में भी चुने गए। हरिवंश राय बच्चन को सन् 1976 में पद्म भूषण के सम्मान से नवाजा गया ।
हरिवंश राय बच्चन का कार्य क्षेत्र
1955 में इंग्लैंड से वापस आने के बाद, हरिवंश राय बच्चन ने ऑल इंडिया रेडियो में काम शुरू कर दिया। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी पढ़ाना और हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए काम करते हुए कविता लिखना जारी किया। इसके बाद कुछ 10 साल तक वे विदेश मंत्रालय से जुड़े रहे ।
उनको लिखने का शौक बचपन से ही था। उन्होंने फारसी कवि उम्र शाम की कविताओं का हिंदी में अनुवाद किया था। इसी बात से प्रोत्साहित होकर उन्होंने कई क्रुतियाँ लिखि जिनमें मधुशाला, मधुबाला, मधु कलश आदि शामिल है। उनके इस सरलता वाले काव्य को बहुत पसंद किया जाने लगा। मधुशाला ने हरिवंश राय बच्चन को सबसे ज्यादा प्रसिद्धि दिलाई। हरिवंश राय बच्चन को उमर खय्याम की ही तरह शेक्सपियर, मैकबेथ और आथेलो और भगवत गीता के हिंदू के अनुवाद के लिए हमेशा याद किया जाता है। इन्होंने नवंबर 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या पर आधारित अपने अंतिम कृति लिखी थी।
हरिवंश राय बच्चन की कृतियां
- इस महान कवि ने गीतों के लिए आत्मकथा, निराशा और वेदना को अपने काव्य का विषय बनाया है। उनकी सबसे प्रसिद्ध काव्य कृतियों में से निशा निमंत्रण, मिलन यामिनी, धार के इधर-उधर, मधुशाला प्रमुख है।
- हरिवंश राय बच्चन की गद्य रचनाओं में क्या भूलूं क्या याद करू, टूटी छूटी कड़ियां, नीड़ का निर्माण फिर-फिर आदि श्रेष्ठ है।
- मधुबाला, मधुकलश, सतरंगीनी , एकांत संगीत , निशा निमंत्रण, विकल विश्व, खादी के फूल , सूत की माला, मिलन दो चट्टानें भारती और अंगारे इत्यादि हरिवंश राय बच्चन की मुख्य क्रुतियाँ है।
हरिवंश राय बच्चन की उपलब्धियाँ
- 1968 में अपनी रचना “दो चट्टानें” कविता के लिए भारत सरकार द्वारा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- कुछ समय बाद उन्हें सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार और एफ्रो एसियन सम्मेलन के कमल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
- उनकी सफल जीवन कथा, क्या भूलूं क्या याद रखु , नीड़ का निर्माण फिर, बसेरे से दूर और दशद्वार से सोपान के लिए बिरला फाउंडेशन द्वारा सरस्वती पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- 1976 मैं उनके हिंदी भाषा के विकास में अभूतपूर्व योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
हरिवंश राय बच्चन की मृत्यु
अपनी दिलकश कविताओं से लोगों का मन मोह लेने वाले इस महान कवि ने 95 वर्ष की आयु में 3 जनवरी 2003 में मुंबई में इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। हर व्यक्ति जन्म लेता है और अंत में इस दुनिया को छोड़ जाता है यह सत्य है, लेकिन कुछ लोग अपने गुणों और काम की छाप लोगों के दिलों में पर कुछ इस तरह छोड़ जाते हैं कि उन्हें हमेशा याद किया जाता है।
हरिवंश राय बच्चन की खास बातें
- उन्होंने लोक धुनों पर आधारित भी कई गीत लिखे हैं, संवेदना शीलता उनकी कविता का एक विशेष गुण है।
- विषय और शैली की दृष्टि की स्वाभाविकता बच्चन की कविताओं का उल्लेखनीय गुण हैं। उनकी भाषा बोल चाल की भाषा होते हुए भी प्रभावशाली है।
- बच्चन अपने बड़े बेटे अमिताभ बच्चन के फ़िल्मी जगत में जाने पर ज्यादा खुश नहीं थे, उनकी इच्छा थी कि अमिताभ बच्चन नौकरी करें।
- बच्चन व्यक्तिवादी गीत, कविता के अग्रणी कवि हैं।
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
हरिवंश राय बच्चन की प्रसिद्ध रचनाएँ नीचे दी गई:
- कोई पार नदी के गाता / हरिवंश राय बच्चन
- अग्निपथ / हरिवंश राय बच्चन
- क्या है मेरी बारी में / हरिवंशराय बच्चन
- लो दिन बीता लो रात गयी / हरिवंशराय बच्चन
- क्षण भर को क्यों प्यार किया था? / हरिवंशराय बच्चन
- ऐसे मैं मन बहलाता हूँ / हरिवंशराय बच्चन
- आत्मपरिचय / हरिवंशराय बच्चन
- मैं कल रात नहीं रोया था / हरिवंशराय बच्चन
- नीड का निर्माण फिर-फिर / हरिवंशराय बच्चन
- त्राहि त्राहि कर उठता जीवन / हरिवंशराय बच्चन
- इतने मत उन्मत्त बनो / हरिवंशराय बच्चन
- स्वप्न था मेरा भयंकर / हरिवंशराय बच्चन
- तुम तूफान समझ पाओगे / हरिवंशराय बच्चन
- रात आधी खींच कर मेरी हथेली / हरिवंशराय बच्चन
- मेघदूत के प्रति / हरिवंशराय बच्चन
- साथी, साँझ लगी अब होने / हरिवंशराय बच्चन
- गीत मेरे / हरिवंशराय बच्चन
- लहर सागर का श्रृंगार नहीं / हरिवंशराय बच्चन
- आ रही रवि की सवारी / हरिवंशराय बच्चन
- चिडिया और चुरूंगुन / हरिवंशराय बच्चन
- पतझड़ की शाम / हरिवंशराय बच्चन
- राष्ट्रिय ध्वज / हरिवंशराय बच्चन
- साजन आए, सावन आया / हरिवंशराय बच्चन
- प्रतीक्षा / हरिवंशराय बच्चन
- चल मरदाने / हरिवंशराय बच्चन
- आदर्श प्रेम / हरिवंशराय बच्चन
- आज फिर से / हरिवंशराय बच्चन
- आत्मदीप / हरिवंशराय बच्चन
- आज़ादी का गीत / हरिवंशराय बच्चन
- बहुत दिनों पर / हरिवंशराय बच्चन
- एकांत-संगीत (कविता) / हरिवंशराय बच्चन
- ड्राइंग रूम में मरता हुआ गुलाब / हरिवंशराय बच्चन
- इस पार उस पार / हरिवंशराय बच्चन
- जाओ कल्पित साथी मन के / हरिवंशराय बच्चन
- जो बीत गई सो बात गयी / हरिवंशराय बच्चन
- कवि की वासना / हरिवंशराय बच्चन
- किस कर में यह वीणा धर दूँ / हरिवंशराय बच्चन
- साथी, सब कुछ सहना होगा / हरिवंशराय बच्चन
- जुगनू / हरिवंशराय बच्चन
- कहते हैं तारे गाते हैं / हरिवंशराय बच्चन
- क्या भूलूं क्या याद करूँ मैं / हरिवंशराय बच्चन
- मेरा संबल / हरिवंशराय बच्चन
- मुझसे चांद कहा करता है / हरिवंशराय बच्चन
- पथ की पहचान / हरिवंशराय बच्चन
- साथी साथ ना देगा दुख भी / हरिवंशराय बच्चन
- यात्रा और यात्री / हरिवंशराय बच्चन
- युग की उदासी / हरिवंशराय बच्चन
- आज मुझसे बोल बादल / हरिवंशराय बच्चन
- क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी / हरिवंशराय बच्चन
- साथी सो ना कर कुछ बात / हरिवंशराय बच्चन
- तब रोक ना पाया मैं आंसू / हरिवंशराय बच्चन
- तुम गा दो मेरा गान अमर हो जाये / हरिवंशराय बच्चन
- आज तुम मेरे लिये हो / हरिवंशराय बच्चन
- मनुष्य की मूर्ति / हरिवंशराय बच्चन
- हम ऐसे आज़ाद / हरिवंशराय बच्चन
- उस पार न जाने क्या होगा / हरिवंशराय बच्चन
- रीढ़ की हड्डी / हरिवंशराय बच्चन
- हिंया नहीं कोऊ हमार / हरिवंशराय बच्चन
- एक और जंज़ीर तड़कती है, भारत माँ की जय बोलो / हरिवंशराय बच्चन
- जीवन का दिन बीत चुका था छाई थी जीवन की रात / हरिवंशराय बच्चन
- हो गयी मौन बुलबुले-हिंद / हरिवंशराय बच्चन
- गर्म लोहा / हरिवंशराय बच्चन
- टूटा हुआ इंसान / हरिवंशराय बच्चन
- मौन और शब्द / हरिवंशराय बच्चन
- शहीद की माँ / हरिवंशराय बच्चन
- क़दम बढाने वाले: कलम चलाने वाले / हरिवंशराय बच्चन
- एक नया अनुभव / हरिवंशराय बच्चन
- दो पीढियाँ / हरिवंशराय बच्चन
- क्यों जीता हूँ / हरिवंशराय बच्चन
- कौन मिलनातुर नहीं है ? / हरिवंशराय बच्चन
- है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है? / हरिवंशराय बच्चन
- तीर पर कैसे रुकूँ मैं आज लहरों में निमंत्रण! / हरिवंशराय बच्चन
- क्यों पैदा किया था? / हरिवंशराय बच्चन
बच्चन की बाल कविताएँ
बच्चन की बाल कविताएं नीचे दी गई है:
- चिड़िया का घर / हरिवंशराय बच्चन
- सबसे पहले / हरिवंशराय बच्चन
- काला कौआ / हरिवंशराय बच्चन
हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा
हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा चार खंड़ो में लिखी हुई है। जैसे-
- क्या भूलूं क्या याद करूं,
- नींड़ का निर्माण फिर फिर,
- बसेरे से दूर,
- दशद्वारा से सोपाना तक संस्करण है।
हरिवंश राय बच्चन की पुस्तकें
हरिवंश राय बच्चन की प्रमुख पुस्तकें नीचे दी गई है:
- मधुशाला
- दो चट्टानें
- नीड़ का निर्माण फिर
- बसेरे से दूर
- निशा – निमंत्रण
- सतरंगिनी
- मधुबाला
मधुशाला की कुछ पंक्तियां
मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला,
पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,
सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।१।
प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला,
एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला,
जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका,
आज निछावर कर दूँगा मैं तुझ पर जग की मधुशाला।।२।
प्रियतम, तू मेरी हाला है, मैं तेरा प्यासा प्याला,
अपने को मुझमें भरकर तू बनता है पीनेवाला,
मैं तुझको छक छलका करता, मस्त मुझे पी तू होता,
एक दूसरे की हम दोनों आज परस्पर मधुशाला।।३।
भावुकता अंगूर लता से खींच कल्पना की हाला,
कवि साकी बनकर आया है भरकर कविता का प्याला,
कभी न कण-भर खाली होगा लाख पिएँ, दो लाख पिएँ!
पाठकगण हैं पीनेवाले, पुस्तक मेरी मधुशाला।।४।।
चल मरदाने ….
चल मरदाने, सीना ताने,
हाथ हिलाते, पांव बढाते,
मन मुस्काते, गाते गीत ।
एक हमारा देश, हमारा
वेश, हमारी कौम, हमारी
मंज़िल, हम किससे भयभीत ।
चल मरदाने, सीना ताने,
हाथ हिलाते, पांव बढाते,
मन मुस्काते, गाते गीत ।
हम भारत की अमर जवानी,
सागर की लहरें लासानी,
गंग-जमुन के निर्मल पानी,
हिमगिरि की ऊंची पेशानी
सबके प्रेरक, रक्षक, मीत ।
चल मरदाने, सीना ताने,
हाथ हिलाते, पांव बढाते,
मन मुस्काते, गाते गीत ।
जग के पथ पर जो न रुकेगा,
जो न झुकेगा, जो न मुडेगा,
उसका जीवन, उसकी जीत ।
चल मरदाने, सीना ताने,
हाथ हिलाते, पांव बढाते,
मन मुस्काते, गाते गीत ।
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है …
हो जाय न पथ में रात कहीं,
मंजिल भी तो है दूर नहीं –
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
बच्चे प्रत्याशा में होंगे,
नीड़ों से झाँक रहे होंगे –
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
मुझसे मिलने को कौन विकल?
मैं होऊँ किसके हित चंचल? –
यह प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विह्वलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
लो दिन बीता, लो रात गई (Lo Din Beeta Lo Raat Gayi)
मैं कितना ही भूलूँ, भटकूँ या भरमाऊँ,
है एक कहीं मंज़िल जो मुझे बुलाती है,
कितने ही मेरे पाँव पड़े ऊँचे-नीचे,
प्रतिपल वह मेरे पास चली ही आती है,
मुझ पर विधि का आभार बहुत-सी बातों का।
पर मैं कृतज्ञ उसका इस पर सबसे ज़्यादा –
नभ ओले बरसाए, धरती शोले उगले,
अनवरत समय की चक्की चलती जाती है,
मैं जहाँ खड़ा था कल उस थल पर आज नहीं,
कल इसी जगह पर पाना मुझको मुश्किल है,
ले मापदंड जिसको परिवर्तित कर देतीं
केवल छूकर ही देश-काल की सीमाएँ
जग दे मुझपर फैसला उसे जैसा भाए
लेकिन मैं तो बेरोक सफ़र में जीवन के
इस एक और पहलू से होकर निकल चला।
जीवन की आपाधापी में कब वक़्त मिला
कुछ देर कहीं पर बैठ कभी यह सोच सकूँ
जो किया, कहा, माना उसमें क्या बुरा भला।
लो दिन बीता, लो रात गई,
सूरज ढलकर पच्छिम पहुँचा,
डूबा, संध्या आई, छाई,
सौ संध्या-सी वह संध्या थी,
क्यों उठते-उठते सोचा था,
दिन में होगी कुछ बात नई।
लो दिन बीता, लो रात गई।
धीमे-धीमे तारे निकले,
धीरे-धीरे नभ में फैले,
सौ रजनी-सी वह रजनी थी
क्यों संध्या को यह सोचा था,
निशि में होगी कुछ बात नई।
लो दिन बीता, लो रात गई।
चिड़ियाँ चहकीं, कलियाँ महकी,
पूरब से फिर सूरज निकला,
जैसे होती थी सुबह हुई,
क्यों सोते-सोते सोचा था,
होगी प्रातः कुछ बात नई।
लो दिन बीता, लो रात गई।
FAQ
हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को गांव बाबू पट्टी, ज़िला प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
हरिवंश राय बच्चन की पहली पत्नी का आक्समिक निधन हो गया था। जिसके गम से वो निकल नहीं पाए तभी उनकी मुलाकात तेजी सूरी से हुई जिसके बाद उनकी शादी हुई।
उनके दो बच्चे हैं एक पुत्र अमिताभ बच्चन जो अभिनेता हैं, और दूसरे अजिताभ बच्चन जो की बिजनेस मैन है।
मधुशाला का प्रकाशन 2015 में हुआ। जिसे लोगों ने काफी पसंद किया।
‘रेत समाधि’ हरिवंश राय बच्चन की अंतिम कविता है। नवंबर 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या पर आधारित अपने अंतिम कृति लिखी थी।
हरिवंश राय बच्चन की पहली पत्नी का नाम श्यामा देवी और दूसरी पत्नी का नाम तेजी सूरी था।
उम्मीद है, कि इस ब्लॉग में आपको हरिवंश राय बच्चन के बारे में सभी जानकारी मिल गई होगी। यदि आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं, तो हमारे Leverage Edu एक्सपर्ट्स के साथ 30 मिनट का फ्री सेशन 1800 572 000 पर कॉल कर बुक करें।
-
Waah bahut shaandaar
-
पूजा जी धन्यवाद, ऐसे ही बने रहिए हमारी वेबसाइट पर।
-
-
This is very precise and useful.
-
नेहा जी आपका साभार, ऐसे ही महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर बनें रहिये।
-
6 comments
exilant
Very good
Waah bahut shaandaar
पूजा जी धन्यवाद, ऐसे ही बने रहिए हमारी वेबसाइट पर।
This is very precise and useful.
नेहा जी आपका साभार, ऐसे ही महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर बनें रहिये।