हरिवंशराय बच्चन आधुनिक हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध कवि-लेखक और अनुवादक थे। वे हिंदी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख तथा व्यक्तिवादी गीत कविता या हालावादी काव्य के अग्रणी कवियों में से एक थे। उनकी आत्मकथा ‘क्या भूलूँ क्या याद करूँ’ साहित्य जगत में बेमिसाल मानी जाती है। वहीं उमर ख़ैय्याम की रूबाइयों से प्रेरित सन 1935 में प्रकाशित उनकी ‘मधुशाला’ सबसे लोकप्रिय कृति है। श्री बच्चन जी को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 1976 में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया था। वहीं काव्य-संग्रह ‘दो चट्टानें’ के लिए उन्हें वर्ष 1968 में प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। इस लेख में हरिवंशराय बच्चन का जीवन परिचय और उनकी प्रमुख साहित्यिक रचनाओं की जानकारी दी गई है।
| नाम | हरिवंशराय बच्चन |
| उपनाम | ‘बच्चन’ |
| जन्म | 27 नवंबर, 1907 |
| जन्म स्थान | प्रयागराज, उत्तर प्रदेश |
| शिक्षा | इलाहाबाद विश्वविद्यालय, पीएचडी-कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी |
| कार्य क्षेत्र | कवि, लेखक, प्राध्यापक |
| भाषा | अवधी, हिंदी, अंग्रेजी |
| साहित्यकाल | आधुनिक काल (उत्तर छायावाद काल) |
| विधाएँ | कविता, अनुवाद व अन्य लेखन |
| प्रमुख रचनाएँ | ‘क्या भूलूँ क्या याद करूँ’ (आत्मकथा) मधुशाला (काव्य संग्रह) |
| पिता का नाम | प्रताप नारायण श्रीवास्तव (Pratap Narayan Shrivastav) |
| माता का नाम | सरस्वती देवी (Saraswati Devi) |
| पत्नी का नाम | श्यामा देवी (पहली पत्नी), तेजी बच्चन ( दूसरी पत्नी) |
| संतान | अमिताभ बच्चन, अजिताभ बच्चन |
| पुरस्कार एवं सम्मान | ‘पद्म भूषण’ (1976), साहित्य अकादमी पुरस्कार (1968) व सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार |
| निधन | 18 जनवरी, 2003 मुंबई |
| जीवनकाल | 95 वर्ष |
This Blog Includes:
इलाहाबाद में हुआ था जन्म
हरिवंशराय बच्चन का जन्म 27 नवंबर, 1907 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के नजदीक प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गांव ‘पट्टी’ में एक साधारण मध्यवर्गीय कायस्थ परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम ‘प्रताप नारायण श्रीवास्तव’ एवं उनकी माता का नाम ‘सरस्वती देवी’ था। बचपन में उनके माता-पिता उन्हें प्यार से ‘बच्चन’ कहकर पुकारते थे। हालांकि हरिवंशराय बच्चन का सरनेम असल में ‘श्रीवास्तव’ था, पर उनके बचपन से पुकारे जाने वाले नाम की वजह से उनका सरनेम ‘बच्चन’ हो गया। आगे चल कर यही उपनाम दुनियाभर में प्रसिद्ध हुआ।
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की उपाधि ली
हरिवंशराय बच्चन की आरंभिक शिक्षा-दीक्षा गांव की पाठशाला में हुई। फिर उच्च शिक्षा के लिए वे इलाहाबाद गए और वर्ष 1925 में हाई स्कूल पास किया तथा साल 1929 में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में बी.ए. की डिग्री हासिल की। इस दौरान कई तरह की नौकरियाँ करने के बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 1941 से 1952 के बीच अंग्रेजी के प्राध्यापक के रूप में कार्य किया। इसके बाद वे रिसर्च के लिए कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी गए, जहां उन्होंने अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू बी यीट्स (W.B. Yeats) की कविताओं पर शोध किया और डॉक्टरेट की उपाधि ली।
हरिवंश राय बच्चन का कार्य क्षेत्र
हरिवंशराय बच्चन वर्ष 1955 में कैम्ब्रिज से वापस आने के बाद एक साल तक प्रोड्यूसर के पद पर रहे। इसके बाद भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में विशेष अधिकारी (हिंदी) के रूप में नियुक्त हुए। उन्होंने 10 साल तक इस पद पर कार्य किया था। वह हमेशा सरल भाषा में लिखने पर बड़ा जोर देते थे क्योंकि जितनी सरल भाषा होगी, उतनी ही लोगों को समझ आएगी। उन्होंने बोलचाल की भाषा का प्रयोग अपनी काव्य-कृतियों में भी किया।
यह भी पढ़ें – छायावाद के प्रमुख कवि जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय, रचनाएँ एवं भाषा शैली
हरिवंश राय बच्चन का व्यक्तिगत जीवन
वर्ष 1926 में हरिवंश राय बच्चन जी का विवाह ‘श्यामा’ से हुआ। किंतु टीबी की लंबी बीमारी के बाद साल 1936 में श्यामा का देहांत हो गया। फिर पांच वर्ष बाद 1941 में हरिवंश राय बच्चन ने ‘तेजी सूरी’ से विवाह किया, जो रंगमंच तथा गायन से जुड़ी हुई थीं। वहीं, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त दिग्गज फ़िल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन और उद्योगपति अजिताभ बच्चन उनके पुत्र हैं।तेजी बच्चन भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की काफी करीबी दोस्त थीं।
हरिवंश राय बच्चन की रचनाएं
हरिवंश राय बच्चन ने आधुनिक हिंदी साहित्य की कई विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया हैं। वे व्यक्तिवादी गीत कविता या हालावादी काव्य के अग्रणी कवि थे। उन्हें हिंदी का उमर ख़य्याम और जन कवि भी कहा गया है। उन्होंने लगभग एक लाख चिट्ठीयां अपने चहेते प्रशंसकों को लिखीं थीं, जो कालांतर में विशिष्ठ साहित्यिक धरोहर बन गई। ‘क्या भूलूँ क्या याद करूँ’ (आत्मकथा) व मधुशाला (काव्य-संग्रह) हिंदी साहित्य जगत की अमूल्य निधि मानी जाती है। नीचे उनकी प्रमुख साहित्यिक कृतियों की सूची दी गई है:-
काव्य-संग्रह
| काव्य-संग्रह | प्रकाशन |
| तेरा हार | 1929 |
| मधुशाला | 1935 |
| मधुबाला | 1936 |
| मधुकलश | 1937 |
| आत्म-परिचय | 1937 |
| निशा निमंत्रण | 1938 |
| एकांत संगीत | 1939 |
| आकुल अंतर | 1943 |
| सतरंगिनी | 1945 |
| हलाहल | 1946 |
| बंगाल का काल | 1946 |
| खादी के फूल | 1948 |
| सूत की माला | 1948 |
| मिलन यामिनी | 1950 |
| प्रणय पत्रिका | 1955 |
| धार के इधर-उधर | 1957 |
| आरती और अंगारे | 1958 |
| बुद्ध और नाचघर | 1958 |
| त्रिभंगिमा | 1961 |
| चार खेमे चौंसठ खूंटे | 1962 |
| दो चट्टानें – साहित्य अकादमी से पुरस्कृत- 1968 | 1965 |
| बहुत दिन बीते | 1967 |
| कटती प्रतिमाओं की आवाज़ | 1968 |
| उभरते प्रतिमानों के रूप | 1969 |
| जाल समेटा | 1973 |
| नई से नई-पुरानी से पुरानी | 1985 |
हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा
हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा चार खंडों में प्रकाशित हुई हैं:-
| क्या भूलूँ क्या याद करूँ | 1969 |
| नीड़ का निर्माण फिर | 1970 |
| बसेरे से दूर | 1977 |
| दशद्वार से सोपान तक | 1985 |
निबंध-संग्रह
| निबंध-संग्रह | प्रकाशन |
| कवियों में सौम्य संत | 1960 |
| नए-पुराने झरोखे | 1962 |
| टूटी-छूटी कड़ियाँ | 1973 |
अनुवाद
| अनुवाद | प्रकाशन |
| खैयाम की मधुशाला | 1938 |
| मैकबेथ | 1957 |
| जनगीता | 1958 |
| उमर खैयाम की रूबाइयाँ | 1959 |
| ओथेलो | 1959 |
| नेहरू: राजनैतिक जीवन चरित | 1961 |
| चौंसठ रूसी कविताएँ | 1964 |
| मरकत द्वीप का स्वर (येट्स की कविताएँ) | 1965 |
| नागर गीत | 1966 |
| हैमलेट | 1969 |
| भाषा अपनी भाव पराए | 1970 |
| किंग लियर | 1972 |
पुरस्कार एवं सम्मान
हरिवंश राय बच्चन को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सरकारी और ग़ैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों और सम्मानों से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- वर्ष 1966 में हरिवंश राय बच्चन को हिंदी साहित्य जगत में अपने अविस्मरणीय योगदान देने के लिए राज्यसभा में मनोनीत किया गया।
- भारत सरकार द्वारा उन्हें वर्ष 1976 में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 1965 में प्रकाशित काव्य-संग्रह ‘दो चट्टानें’ के लिए उन्हें सन 1968 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
- के. के बिरला फाउंडेशन का प्रथम सरस्वती सम्मान
- सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार
- एफ्रोएशियन राइटर्स कॉन्फ्रेंस का लोटस पुरस्कार
- हिंदी साहित्य सम्मलेन का वाचस्वति सम्मान भी मिला।
यह भी पढ़ें: जनकवि नागार्जुन का जीवन परिचय और साहित्यिक योगदान
मुंबई में ली आखिरी सांस
हरिवंश राय बच्चन का 95 वर्ष की आयु में 18 जनवरी, 2003 को मुंबई में निधन हुआ। लेकिन साहित्य जगत में वे आज भी अपनी लोकप्रिय कृतियों के लिए विद्यमान् हैं।
FAQs
उनका जन्म 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद के पास प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था।
हरिवंश राय बच्चन ने 1984 में अपनी आखिरी कविता लिखी ‘एक नवंबर 1984’ जो इंदिरा गाँधी हत्या पर आधारित थी।
मधुशाला हरिवंश राय बच्चन का बहुचर्चित काव्य-संग्रह है।
आशा है कि आपको हालावादी काव्यधारा के प्रमुख कवि हरिवंशराय बच्चन का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
-
Waah bahut shaandaar
-
पूजा जी धन्यवाद, ऐसे ही बने रहिए हमारी वेबसाइट पर।
-
-
This is very precise and useful.
-
नेहा जी आपका साभार, ऐसे ही महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर बनें रहिये।
-
One app for all your study abroad needs






60,000+ students trusted us with their dreams. Take the first step today!

6 comments
exilant
Very good
Waah bahut shaandaar
पूजा जी धन्यवाद, ऐसे ही बने रहिए हमारी वेबसाइट पर।
This is very precise and useful.
नेहा जी आपका साभार, ऐसे ही महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर बनें रहिये।