एफ़िनिटी टेस्ट को हिंदी में आत्मीयता परिक्षण के नाम से जाना जाता है, जिसके आधार पर यदि कोई व्यक्ति अनुसूचित जनजाति का सदस्य है तो यह उस व्यक्ति के दावों और उस जाति में मिलने वाले लाभों को सुनिश्चित करता है। UPSC की परीक्षा में इस विषय पर भी सवाल पूछे जाते हैं, इस एग्जाम अपडेट के माध्यम से आपको एफ़िनिटी टेस्ट के विषय की संक्षिप्त में जानकारी मिलेगी।
एफ़िनिटी टेस्ट किसे कहते हैं?
एफ़िनिटी टेस्ट में अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के विशिष्ट मानवशास्त्रीय और जातीय लक्षणों, देवताओं, अनुष्ठानों, रीति-रिवाजों, विवाह के तरीके, मृत्यु समारोहों, शवों को दफनाने के तरीकों आदि के आधार पर अधिकारियों द्वारा अध्ययन और एक रिपोर्ट तैयार करना अनिवार्य है।
इस टेस्ट में विशेष जाति या जनजाति और आवेदकों के बारे में संपूर्ण जानकारी उल्लेखित होती है। आसान भाषा में कहा जाए तो यह कुछ इस प्रकार होगा कि एफ़िनिटी टेस्ट का उपयोग इसीलिए किया जाता है कि इस बात की जानकारी ली जा सके कि क्या व्यक्ति समुदाय के पारंपरिक सांस्कृतिक लक्षणों का पालन करता है अथवा नहीं।
एफ़िनिटी टेस्ट के विषय पर सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि जाति के दावे को तय करने के लिए एक आत्मीयता परीक्षण यानि कि एफ़िनिटी टेस्ट, लिटमस टेस्ट नहीं हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने एक आधिकारिक निर्णय के लिए एफ़िनिटी टेस्ट पर आधारित प्रश्न को एक बड़ी बेंच को संदर्भित करने का निर्णय लिया था, जिसमें यह महसूस किया गया कि अदालतों को एफ़िनिटी टेस्ट की प्रभावकारिता के बारे में विभिन्न रायों से गुजरना पड़ा।
एफ़िनिटी टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
एफ़िनिटी टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट के जजों का एक बड़ा फैसला आया है, जिसको ऐतिहासिक माना जा रहा है। तीन जजों की बेंच जाति/जनजाति के दावों को साबित करने के लिए एफ़िनिटी टेस्ट के विषय पर परस्पर विरोधी विचारों का समाधान कर रही थी। विभिन्न राय होने के बाद कोर्ट के नतीजे में कहा गया है कि हर मामले में जाति या जनजाति के दावे की शुद्धता के निर्धारण की प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा एफ़िनिटी टेस्ट नहीं है।
एफ़िनिटी टेस्ट UPSC परीक्षा के मद्देनजर एक महत्वपूर्ण विषय है। इसी प्रकार की अन्य Exam Update के लिए हमारी वेबसाइट के साथ बनें रहे।