हिंदी साहित्य में ‘उपेन्द्रनाथ अश्क’ (Upendranath Ashk) आधुनिक काल में ‘शुक्लोत्तर युग’ के प्रमुख कथाकार, उपन्यासकार एकांकीकार और नाट्यकार माने जाते हैं। उन्होंने हिंदी साहित्य में पद्ययात्मक और गद्ययात्मक दोनों ही विधाओं में साहित्य का सृजन किया। अश्क जी की सृजनात्मक साहित्य में नाटक, कहानी, उपन्यास, एकांकी, काव्य, संस्मरण और रेखाचित्र शामिल हैं। वहीं साहित्य में उनके विशेष योगदान के लिए उन्हें ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ और ‘संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया जा चुका हैं।
आपको बता दें कि उपेन्द्रनाथ अश्क की रचनाओं को विद्यालय के अलावा बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी उपेन्द्रनाथ अश्क का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
आइए अब प्रसिद्ध साहित्यकार उपेन्द्रनाथ अश्क का जीवन परिचय (Upendranath Ashk Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | उपेन्द्रनाथ अश्क (Upendranath Ashk) |
उपनाम | ‘अश्क’ |
जन्म | 14 दिसंबर 1910 |
जन्म स्थान | जालंधर, पंजाब |
पिता का नाम | पंडित माधोराम |
माता का नाम | वसंती देवी |
शिक्षा | बी.ए., एलएल.बी |
पेशा | लेखक, कवि |
भाषा | हिंदी |
विधाएँ | नाटक, कहानी, उपन्यास, काव्य, एकांकी, रेखाचित्र आदि। |
साहित्य काल | आधुनिक काल |
उपन्यास | गिरती दीवारें, शहर में घूमता आईना, एक रात का नरक, गर्मराख आदि। |
कहानी संग्रह | छींटे, बैंगन का पौधा, पिंजरा, दो धारा आदि। |
नाटक | जय-पराजय, स्वर्ग की झलक, अलग-अलग रास्ते, बड़े-बड़े खिलाड़ी आदि। |
एकांकी | तौलिये, मुखड़ा बदल गया, पर्दा उठाओं: पर्दा गिराओं, देवताओं की छाया में आदि। |
पुरस्कार व सम्मान | सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार |
निधन | 1 जनवरी, 1996 प्रयागराज |
जीवनकाल | 85 वर्ष |
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उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ का प्रारंभिक जीवन – Upendranath Ashk Ka Jivan Parichay
उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ का जन्म पंजाब प्रांत के जालंधर नामक नगर में 14 दिसंबर 1910 को हुआ था। उनके पिता का नाम ‘पंडित माधोराम’ था जो पेशे से एक स्टेशन मास्टर थे और उनकी माता का नाम ‘वसंती देवी’ था जो एक गृहणी थी। अश्क जी अपने छ: भाइयों में दूसरे थे।
अश्क जी का बचपन पारिवारिक कलहों और दुःखमय वातावरण में बीता। उन्हें जीवन के प्रारंभिक दौर से ही संघर्षो का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और हर चुनौती का सामना करते हुए आगे बढ़े जिसमें उनकी माता का भी पूर्ण सहयोग और मार्गदर्शन उन्हें मिला।
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जज बनाना चाहते थे ‘अश्क’
अश्क जी की आरंभिक शिक्षा अपने घर से ही शुरू हुई, उनके पिता घर पर ही उन्हें संस्कृत के श्लोक पढ़ाते थे। वर्ष 1926 में उन्होंने मेट्रिक की परीक्षा द्वितीय श्रेणी से पास की। बता दें कि उन्हें बचपन से ही अध्ययन के साथ साथ साहित्य में विशेष रूचि थी। इसी कारण अश्क जी ने अपने स्कूल के दिनों से ही काव्य और कहानियां लिखनी शुरू कर दी थी। वहीं 1931 में उन्होंने बी.ए की परीक्षा तृतीय श्रेणी से पास की लेकिन अपनी जीविका सुचारु रूप से चलाने के लिए उन्होंने स्कूल में ही अध्यापक की की।
इसके बाद उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ (Upendranath Ashk) ने वर्ष 1933 में ‘ऊँचाल’ नामक साप्ताहिक पत्रिका का संपादन किया। लेखन कार्य जारी रखते हुए उन्होंने वर्ष 1934 में लॉ कॉलेज में दाखिला लिया जिसमें वह 1936 में प्रथम श्रेणी से पास हुए। उनका सपना जज बनने का था लेकिन इसी बीच उनकी पत्नी का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया जिसके बाद उन्होंने जज बनने की अपनी चाह छोड़ दी और अपना संपूर्ण जीवन साहित्य के सृजन में लगा दिया।
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उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ का वैवाहिक जीवन
उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ (Upendranath Ashk) का वैवाहिक जीवन सामान्य नहीं रहा। उनका प्रथम विवाह वर्ष 1932 में ‘शीलादेवी’ से हुआ ये वो समय था जब वह कॉलेज में अपनी बी.ए की पढ़ाई कर रहे थे। लेकिन कुछ वर्षो के बाद ही उनकी पत्नी का निरंतर स्वास्थ्य खराब होने के कारण उनकी मृत्यु हो गई। इसके कुछ वर्ष बाद उनके बड़े भाई ने उनका दूसरा विवाह करा दिया लेकिन यह विवाह ज्यादा दिनों तक चल सका। फिर उन्होंने तीसरा विवाह 12 सितंबर 1941 को ‘कौशल्या’ जी से किया जो आजीवन एक दूसरे के साथ रहे।
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ऑल इंडिया रेडियो में की नौकरी
परिवार की आर्थिक स्थिति को सुचारु रूप से चलाने हेतु उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ जी ने वर्ष 1941 में आल इंडिया रेडियो में सलाहकार के रूप में नौकरी की। यहाँ उन्होंने कुछ वर्षो तक रेडियो नाटक लिखें जिनमें “तुलसीदास”, “कबीरदास”, “मर्यादा पुरुषोत्तम राम” और “भगवान बुद्ध” नाटक प्रमुख हैं। इसके बाद अश्क जी ने वर्ष 1945 में मुंबई का रुख किया और फिल्मों के लिए लेखन कार्य करने लगे। यहाँ रहते हुए उन्होंने कुछ हिट फ्लिमों के संवाद लिखे जिनमें ‘मजदूर’ और ‘सफर’ जैसी फिल्में शामिल थी। लेकिन उन्हें फ़िल्मी दुनिया ज्यादा समय तक रास नहीं आयी और वह बंबई छोड़कर इलाहबाद आ गए।
संघर्षमय बीता जीवन का सफर
फिल्मी दुनिया को छोड़ने के कुछ समय बाद अश्क जी गंभीर बीमारी से पीड़ित हो गए जिसके कारण उनपर आर्थिक सकंट आ गया। लेकिन अश्क जी ने हार नहीं मानी और बीमारी से लड़ते हुए भी साहित्य की साधना नहीं छोड़ी। इस कठिन परिस्थिति में उनका साथ इनकी पत्नी कौशल्या जी ने भी दिया। बता दें कि उन्होंने कठिन परिश्रम के बाद ‘नीलाभ प्रकाशन’ की स्थापना की जो समय के गुजरने के साथ साथ ऊचाइयों तक पहुँच गया।
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उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ की साहित्यिक रचनाएँ
अश्क जी का बचपन से ही साहित्य के प्रति विशेष लगाव था और उन्होंने स्कूल के दिनों से ही काव्य रचनाएँ लिखनी शुरू कर दी थी। वहीं वर्ष 1926 में प्रकाशित ‘तूफाने अश्क’ उनकी पहली रचना थी। अश्क जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से मध्यवर्गीय परिवार की समस्याओं को बखूबी बयां किया जिसका विषय उनकी हर एक साहित्यिक विधा में देखने को मिलता हैं। आइए अब हम उनकी संपूर्ण रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं:-
उपन्यास
- गिरती दीवारें
- निमिषा
- शहर में घूमता आईना
- एक रात का नरक
- सितारों का खेल
- बड़ी बड़ी आँखें
- गर्मराख
- एक नन्ही कंदील
- छोटे बड़े लोग
- पलटती धारा
- चंद्रा
- नन्ही सी लौ
- पत्थर अल पत्थर
- संघर्ष का सत्य
- बांधों न नांव इस ठाँव
कहानी संग्रह
- छींटे
- जुदाई की शाम का गीत
- वासना के स्वर
- काले साहब
- निशानियाँ
- उबाल और अन्य कहानियां
- दो धारा
- पिंजरा
- रौबदाब
- अश्क की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ
- आकाशचारी
- बैंगन का पौधा
नाटक
- जय पराजय
- अंजो दीदी
- कैद और उड़ान
- स्वर्ग की झलक
- पैंतरे
- छठा बेटा
- बड़े खिलाड़ी
- भँवर
- अलग-अलग रास्ते
एकांकी
- पर्दा उठाओं: पर्दा गिराओं
- मुखड़ा बदल गया
- तौलिये
- चुंबक
- तूफ़ान से पहले
- देवताओं की छाया में
- लक्ष्मी का स्वागत
- कइसा साब: कइसी माया
- चरवाहे
- मस्केबाजों का स्वर्ग
- अंधी गली
- अधिकार का रक्षक
- सूखी डाली
- साहब को जुकाम है
- मैमूना
- बहने
- कस्बे के क्रिकेट क्लब का उद्घाटन
- बतसिया
- पक्का गाना
- चिलमन
- नया-पुराना
- कामदा
काव्य
- दीप जलेगा
- अदृश्य नदी
- चांदनी रात और अजगर
- स्वर्ग एक तलधर है
- सड़को के ढले साए
- बरगद की बेटी
- पीली चोंच वाली चिड़िया के नाम
संस्मरण जीवनी और लेख
- परतों के आर पार ( प्रसिद्ध कथाकार ओ. हेनरी के जीवन पर आधारित)
- ज्यादा अपनी कम परायी
- मंटो मेरा दुश्मन
- रेखाएँ और चित्र
- बेदी: मेरा हमदम, मेरा दोस्त
- चेहरे
- कुछ दूसरों के लिए
- आसमाँ और भी है
संपादन
- उदास फूल की मुस्कान
- संकेत
- तूफानी लहरों में हँसता माँझी
आलोचना
- अन्वेषण की सहयात्रा
- हिंदी कहानियां और फैशन
अनुवाद
- लंबे दिन की यात्रा – नाटक
- अभिशप्त – नाटक
- ये आदमी, ये चूहे – अमेरिकी उपन्यासकार ‘जॉन स्टीनबेक’ के प्रसिद्ध उपन्यास ‘आव माइस एण्ड मैन’ का अनुवाद।
- रंग साज – रूस के विख्यात उपन्यासकार ‘आंतोन चेखव’ का लघु उपन्यास।
- ‘हिज एक्सेलेन्सी’ – रूस के महान साहित्यकार ‘फ़्योदोर दोस्तोयेव्स्की’ के लघु उपन्यास ‘डर्टी स्टोरी’ का हिन्दी अनुवाद।
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पुरस्कार और सम्मान
उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ (Upendranath Ashk) जी को हिंदी साहित्य में अपना विशेष योगदान देने के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया हैं। बता दें कि अश्क जी को वर्ष 1965 में ‘संगीत नाटक अकादमी’ और वर्ष 1972 में ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
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प्रयागराज में हुआ निधन
उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ (Upendranath Ashk) जी में अपना संपूर्ण जीवन साहित्य की साधना में लगा दिया था। उन्होंने अपने साहित्यिक सफर में अनेक विधाओं में साहित्य का सृजन किया इसलिए हिंदी साहित्य में उनकी रचनाएँ आज भी मील का पत्थर मानी जाती हैं। वहीं स्वास्थ्य खराब रहने के कारण भी जीवन में संघर्ष करते रहे लेकिन 19 जनवरी 1996 को 85 वर्ष की आयु में उन्होंने सदा के लिए दुनिया से अलविदा कह दिया।
FAQs
उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ का बचपन का नाम इंद्रनारायण था।
उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ का जन्म 14 दिसंबर 1910 को पंजाब प्रांत के जालंधर में हुआ था।
उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ की माता का नाम वसंती देवी और पिता का नाम पंडित माधोराम था।
उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ ने साहित्य की अनेक विधाओं में साहित्य का सृजन किया जिनमें उपन्यास, कहानी, नाटक, एकांकी, और रेखाचित्र शामिल हैं।
बता दें कि लगातार स्वास्थ्य खराब रहने के कारण 19 जनवरी 1996 को उनका निधन हो गया।
उपेन्द्रनाथ अश्क (Upendranath Ashk) हिंदी साहित्य के आधुनिक काल में ‘शुक्लोत्तर युग’ के प्रतिष्ठित रचनाकार थे।
पर्दा उठाओं: पर्दा गिराओं, मुखड़ा बदल गया, तौलिये, चुंबक और तूफ़ान से पहले उनके प्रमुख एकांकी हैं।
आशा है कि आपको हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार उपेन्द्रनाथ अश्क का जीवन परिचय (Upendranath Ashk Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचयको पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।