UGC NET राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा है, जिसका उद्देश्य विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर की पात्रता तय करना और योग्य छात्रों को जूनियर रिसर्च फेलोशिप (JRF) प्रदान करना है। यह परीक्षा स्नातकोत्तर छात्रों के लिए उच्च शिक्षा और शोध के क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करती है। योग विषय का चयन करने वाले छात्रों के लिए यह परीक्षा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि आज योग न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य, जीवनशैली और मानसिक संतुलन का एक प्रमुख साधन बन चुका है।
ऐसे में योग विषय से यूजीसी नेट उत्तीर्ण करने पर आप प्रोफेसर, शोधकर्ता या योग विशेषज्ञ जैसे प्रतिष्ठित पदों पर कार्य कर सकते हैं। इसके अलावा आप योग चिकित्सा, आयुष मंत्रालय की योजनाओं और अंतरराष्ट्रीय योग संगठनों में भी करियर बना सकते हैं। इस लेख में अभ्यर्थियों के लिए यूजीसी नेट योग सिलेबस और पैटर्न बताया गया है।
| संस्था | राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA |
| परीक्षा का नाम | UGC NET 2025 |
| विषय | योग |
| परीक्षा का लेवल | राष्ट्रीय |
| परीक्षा की अवधि | 3 घंटे (180 मिनट) |
| परीक्षा का मोड | ऑनलाइन (कंप्यूटर आधारित टेस्ट) |
| पेपर की संख्या | 2 |
| कुल अंक | UGC NET पेपर 1: 100UGC NET पेपर 2: 200 |
| कुल प्रश्न | UGC NET पेपर 1: 50UGC NET पेपर 2: 100 |
| मार्किंग स्कीम | +2 प्रत्येक सही उत्तर के लिए गलत उत्तर के लिए कोई नेगेटिव मार्किंग नहीं |
| आधिकारिक वेबसाइट | ugcnet.nta.nic.in और www.nta.ac.in |
This Blog Includes:
- UGC NET योग परीक्षा का फॉर्मेट
- यूजीसी नेट योग सिलेबस 2025
- यूनिट 1: योग के आधारभूत तत्व योग का इतिहास और योग के विविध संप्रदाय
- यूनिट 2: योग के ग्रंथ 1- प्रमुख उपनिषद, भगवद्गीता, योग वैष्ठ
- यूनिट 3: योग के ग्रन्थ II-योग उपनिषद्
- यूनिट 4: पातंजल योग सूत्र
- यूनिट 5: हठयोग के ग्रन्थ
- यूनिट 6: सम्बद्ध विज्ञान :- सामान्य मनोविज्ञान, मानव शरीर रचना एवं क्रिया विज्ञान का परिचय आहार एवं पोशण
- यूनिट 7: योग एवं स्वास्थ्य
- यूनिट 8: चिकित्सीय योग
- यूनिट 9: योग के अनुप्रयोग
- यूनिट 10: क्रियात्मक योग
- UGC NET परीक्षा पैटर्न
- FAQs
UGC NET योग परीक्षा का फॉर्मेट
UGC NET संस्कृत परीक्षा दो भागों में होती है, पेपर 1 और पेपर 2। पेपर 1 में 50 प्रश्न होते हैं, जो टीचिंग एप्टीट्यूड, रिसर्च एप्टीट्यूड, रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन, कम्युनिकेशन, अर्थमैटिक रीजनिंग, लॉजिकल रीजनिंग, डाटा इंटरप्रिटेशन, इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (ICT), लोग और पर्यावरण और हायर एजुकेशन आदि जैसे सामान्य विषयों पर आधारित होते हैं और यह 100 अंकों का होता है। पेपर 2 विशेष रूप से संस्कृत विषय पर केंद्रित होता है, जिसमें 100 प्रश्न होते हैं और कुल 200 अंक निर्धारित होते हैं। दोनों पेपर को मिलाकर परीक्षा की अवधि 3 घंटे यानी 180 मिनट होती है। यह परीक्षा ऑनलाइन (CBT) मोड में आयोजित की जाती है।
यूजीसी नेट योग सिलेबस 2025
यहां योग UGC NET 2025 का अपडेटेड सिलेबस दिया गया है:-
यूनिट 1: योग के आधारभूत तत्व योग का इतिहास और योग के विविध संप्रदाय
- योग का इतिहास और विकास, अर्थ और परिभाशाएँ, भ्रामक धारणाएँ, योग का लक्ष्य एवं उद्देश्य।
- वेदों, उपनिषदों और प्रस्थानत्रयी का परिचय और पुरुषार्थ चतुष्टय की अवधारणा, षडदर्शन की सामान्य अवधारणा-ज्ञानमीमांसा, तत्त्वमीमांसा, आचारमीमांसा और मुक्ति सांख्य, योग और वेदांत दर्शन विशेष सन्दर्भ में।
- महाकाव्य एवं स्मृतियों का परिचय – रामायण (अरण्य कांड) महाभारत (शांतिपर्व) एवं याज्ञवल्क्य स्मृति में योग ।
- महर्शि पतंजलि एवं गुरूगोरक्षनाथ की योग परंपराओं का संक्षिप्त परिचय एवं यौगिक अवदान ।
- नारद भक्तिसूत्र में योग तथा संतसाहित्य में योग-कबीरदास, तुलसीदास एवं सूरदास ।
- आधुनिक काल में योग स्वामी विवेकानन्द, श्रीअरविन्द, महर्शि रमण व महर्शि दयानन्द सरस्वती की योग परम्पराएं।
- समसामयिक काल में योगः श्रीभयामाचरण लाहिड़ी, श्री टी० कृश्णामाचार्य, स्वामी शिवानन्द सरस्वती, स्वामीराम (हिमालय), महर्शि महेश योगी, पं श्रीराम भार्मा आचार्य का संक्षिप्त परिचय और योग के उत्थान और विकास के लिये इनका महत्त्वपूर्ण योगदान।
- ज्ञानयोग, भक्तियोग, कर्मयोग, राजयोग, हठयोग एवं मंत्रयोग का परिचय ।
- जैनमत तथा बौद्धमत योग के तत्त्व।
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यूनिट 2: योग के ग्रंथ 1- प्रमुख उपनिषद, भगवद्गीता, योग वैष्ठ
- प्रमुख दस उपनिशदों का संक्षिप्त परिचय :-
- ईशावास्योपनिषद् कर्मनिष्ठा की अवधारणा, विद्या और अविद्या की अवधारणा, ब्रह्म का ज्ञान, आत्मभाव।
- केन उपनिशद् :- आत्म (स्व) और मन, सत्य की अन्तर्दर्शी अनुभूति, यक्ष के उपाख्याान की शिक्षा।
- कठ उपनिशद :- योग की परिभाशा, आत्मा का स्वरूप, आत्मानुभूति का महत्त्व।
- प्रश्नोपनिषदः प्राण और रयी (सृष्टि) की अवधारणा, पंच प्राण, छहः मुख्य प्रश्न।
- मुंडक उपनिषदः- ब्रह्मविद्या, दोगम पराविद्या और अपराविद्या, ब्रह्मविद्या की महानता, भौतिक उपयुक्त कर्मों की निर्थकता, तप और गुरुभक्ति, सृष्टि की उत्पत्ति, ध्यान का अंतिम लक्ष्य- ब्रह्मानुभूति
- माण्डूक्य उपनिशद चेतना की चार अवस्थाएँ और ऊँकार (अ.ऊ,म) के सृजनित अक्षरों के साथ इनका सम्बन्ध ।
- ऐतरेय उपनिषद आत्मा, ब्रह्माण्ड और ब्रह्म की अवधारणा।
- तैत्तिरीय उपनिशद पंचकोश की अवधारणा, शिक्षा वल्ली, आनन्द वल्ली, भृगुवल्ली का संक्षिप्त विवरण।
- छान्दोग्य उपनिषद ॐ (उद्गीथ) ध्यान, भाण्डिल्यविद्या।
- बृहदारण्यक उपनिशद आत्मा और ज्ञानयोग की अवधारणा, आत्मा और परमात्मा की एकात्मकता।
- भगवद्गीता:- भगवद्गीता का सामान्य परिचय, योग की परिभाषा और उपदेश और क्षेत्र, भगवद्गीता के आवश्यक तत्त्व आत्मस्वरूप, स्थितप्रज्ञ एवं सांख्य योग का अर्थ (अध्याय 2), कर्मयोग (अध्याय 3), संत योग तथा कर्म-स्वरूप (सकाम और निष्काम), संत, ध्यान योग (अध्याय 6), भक्त के प्रकार (अध्याय 7), भक्ति का स्वरूप (अध्याय 12), भक्ति योग के साधन और साध्य, त्रिगुण और प्रकृति का स्वरूप, त्रिविध श्रद्धा, योग साधक का आहार, आहार का बैली (अध्याय 14 व 17), दैवासुर संपद विभाग योग (अध्याय 16), मोक्षसंन्यास योग (अध्याय -18)।
- योग वाशिश्ठ :- योग वाशिश्ठ के प्रमुख बिन्दु, आधि और व्याधि की अवधारणा, मनौदैहिक व्याधियाँ, मुक्ति के चार द्वारपाल, परमानन्द की उच्चतम अवस्था, योग के विघ्नों के निराकरण हेतु अभ्यास, सत्वगुण का विकास, ध्यान के आठ चरण, ज्ञान की सप्तभूमिका।
यूनिट 3: योग के ग्रन्थ II-योग उपनिषद्
- भवेता वत्रोपनिषद् : द्वितीय अध्याय
- ध्यानयोग की विधि और उसका महत्व, ध्यान के लिए उपयुक्त स्थान, प्राणायाम का कम और उसकी महत्ता, योगसिद्धि के पूर्व लक्षण, योगसिद्धि का महत्व, तत्वज्ञ । श्ठोध्याय परमे वर का स्वरूप और उसकी महिमा, भगवत प्राप्ति के उपाय, मोक्ष की प्राप्ति।
- योग कुण्डल्युपनिषद् : प्राणायाम सिद्धि का उपाय, प्राणायाम का भेद, ब्रह्मप्राप्ति का उपाय।
- योगचूडामण्युपनिशद् योग के छः अगों का वर्णन एवं प्रत्येक के फल और उनके कम।
- त्रिखिब्राह्मणोपनिषद् अष्टांगयोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग का वर्णन।
- योग तत्त्वोपनिषद्: मंत्रयोग, लययोग, हठयोग राज एवं योग, आहार एवं परिचय, योग सिद्धि के प्रारंभिक लक्षण एवं सावधानियां।
- ध्यानबिन्दुपनिषद् ध्यानयोग का महत्व, प्रणव का स्वरूप, प्रणव ध्यान की विधि, दिंगयोग, नादानुसंधान आत्मद नि।
- नादबिन्दुपनिषद्: हंस विद्या, उनके विभिन्न अंगोंपांगो का वर्णन, ओमकार की 12 मात्राओं तथा उनके साथ प्राणों के विनियोग का फल, नाद के प्रकार तथा नादानुसंधान साधना का स्वरूप, मनोलय स्थिति।
- योगराजोपनिषद् : मन्त्रयोग, लययोग, हठयोग, राजयोग, नौ चक्र, इन्हें ध्यान की प्रक्रिया एवं फलश्रुति
यूनिट 4: पातंजल योग सूत्र
- समाधि पाद-योग का अर्थ एवं स्वरूप, चित्त की अवधारणा, चित्तभूमियां, चित्त वृत्तियां, अभ्यास और वैराग्य रूपी अभ्यास चित्त वृत्ति निरोध के उपाय, भावप्रत्यय एवं साधनप्रत्यय की अवधारणा, साधन पंचक, चित्त-विक्षेप (योग अंतराय) एकत्व अभ्यास, चित्त प्रसादन, समाधि के प्रकार और स्वरूप, अध्यात्मप्रसाद और ऋतंभरा प्रज्ञा, सम्प्रज्ञात, असमप्रज्ञात, सबीज और निर्बीज समाधि, समापत्ति और समाधि के मध्य अंतर, ईश्वर की अवधारणा और ईश्वर के गुण, ईश्वरप्रणिधान की प्रक्रिया।
- साधन पाद- क्षेपण के क्रियायोग की अवधारणा, क्लेश के सिद्धांत, कर्म और कर्मविपाक की अवधारणा, दुख का स्वरूप, चतुर्व्याह सिद्धांत की, दृश्य निरूपणम्, दृष्टानिरूपणम्, प्रकृति पुरुष संयोग, अष्टांग योग का सिद्धांत परिचय, यम-नियमः वितर्क और महाव्रत की सिद्धांत, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार और उनकी सिद्धियाँ।
- विभूति-पाद :- धारणा, ध्यान, समाधि का परिचय, संयम का स्वरूप, चित्त संस्कार की अवधारणा, परिणामत्रय और विभूतियाँ,
- कैवल्य पादः सिद्धि के पांच साधन, निर्मित चित्त की अवधारणा, समाधिजनित सिद्धि का महत्व, कर्म के चार प्रकार, दर्शन की अवधारणा, धर्ममेघ समाधि और उसका फल, विवेकख्याति निरूपणम्, कैवल्य निर्वचन।
यूनिट 5: हठयोग के ग्रन्थ
- हठयोग और हठयोग के ग्रन्थों का परिचय योगबीज, गोरक्ष संहिता,व संहिता, वािश्ठ संहिता, सिद्धसिद्धांत पद्धति, हठप्रदीपिका, घेरण्डसंहिता और हठरत्नावली । हठयोग का उद्देश्य, हठयोग से सम्बन्धित भ्रामक धारणाएँ।
- हठयोग की पूर्वापेक्षायें (दस यम और दस नियम), हठयोग में साधक और बाधक तत्त्व, घट की अवधारणा, घटभशुद्धि, हठयोग में भाोधन क्रियाओं की अवधारणा और महत्त्व, स्वास्थ्य एवं रोग में भाोधन क्रियाओं का महत्त्व, मठ की अवधारणा, मिताहार, हठयोग के साधकों द्वारा पालन किए जाने वाले नियम एवं विनियम।
- हठयोग के ग्रंथों में आसन योगासन की परिभाषा, पूर्वपेक्षाएँ और प्रमुख विषय, हठप्रदीपिका, हठरत्नावली, व संहिता, वैश्य सहिंता, बसंद संहिता में विभिन्न आसनों के लाभ, सावधानियाँ और प्रतिकूल निर्देश बताए गए है।
- हठयोग ग्रंथों में प्राणायाम प्राण एवं प्राणायाम की अवधारणा, प्राणायाम के चरण और अवस्थाएं, हठयोग साधना में प्राणायाम की पूर्वापेक्षाएं, हठप्रदीपिका, व्याख्याता संहिता, एवं विष्ट संहिता में वर्णित प्राणायाम, प्राणायाम के लाभ, सावधानियां एवं विरोधाभासी निर्देश।
- बंध, मुद्रा और अन्य अभ्यास मुद्रा एवं बंध की अवधारणा और परिभाषा। हठप्रदीपिका, हठरत्नावली और बंदण्ड संहिता, शिव संहिता, वैश्य संहिता में बंध एवं मुद्रा की परिभाषा, लाभ, सावधानियाँ और निषेधात्मक निर्देश बताए गए हैं।
- घेरण्ड संहिता में प्रत्याहार और ध्यान की अवधारणा, परिभाशा, लाभ और विधियाँ, हठप्रदीपिका में नाद और नादानुसंधान की अवधारणा और लाभ। नादानुसंधान की चार अवस्थाएँ (चरण), हठयोग और राजयोग में सम्बन्ध, हठयोग के उद्देश्य, हठयोग की समसामयिक उपादेयता।
यूनिट 6: सम्बद्ध विज्ञान :- सामान्य मनोविज्ञान, मानव शरीर रचना एवं क्रिया विज्ञान का परिचय आहार एवं पोशण
- सामान्य मनोविज्ञान :-
- निद्रा निद्रा की अवस्थाएं, निद्रा विकार।
- व्यवहार के विज्ञान के रूप में मनोविज्ञान, व्यवहार की परिभाशा, व्यवहार का मनोवैज्ञानिक आधार ।
- व्यक्तित्व का स्वरूप एवं प्रकार, व्यक्तित्व के निर्धारक तत्त्व आनुवांशिक एवं वातावरणीय
- व्यक्तित्व विकास के विभिन्न रूप एवं अवस्थाएं ।
- संवेदन, प्रत्यक्षण, अवधान, स्मृति, अधिगम की परिभाशा एवं प्रकार ।
- मानसिक द्वंद्व एवं कुठा के कारण एवं परिणाम, सामान्य मानसिक विकारों का परिचय अनिद्रा, अवसाद, तनाव एवं चिंता।
- मानव शरीर रचना एवं क्रिया विज्ञान का परिचय :-
- कोशिका, ऊतक, अंग एवं अंगतंत्र का परिचय, कोशिका का आधारभूत शरीर क्रिया विज्ञान, कोशिका परिचय, कोशिकांग, कोशिका झिल्ली, कोशिका झिल्ली के द्वारा पदार्थ एवं जल का संचलन, जैवविद्युत क्षमता।
- पेशीकंकाल तंत्र कंकाल समस्त अस्थियों के नाम, संधियां एवं मांसपेशियां उपास्थि, टेण्डन एवं लिगामेन्टस के नाम, अस्थियों एवं संधियों के प्रकार एवं कार्य, मेरूदण्ड, मासपेशिया एवं उसके कार्य, कंकाल पेशियां ककाल पेशी के गुण एवं उसके कार्य मांसपेशीय संकुचन एवं शिथिलिकरण, पेशीस्नायु संधिस्थान, सार्कोट्यूबलर तंत्र, चिकनी पेशी संकुबन की क्रियाविधि
- पाचन एवं उत्सर्जन तंत्र पाचन तंत्र की संरचना, उत्सर्जन तंत्र के अंग एवं उनके कार्य। पाचन
- संस्थान आहार नाल की सामान्य रचना, आमाशयिक स्राव, अग्नाशिक स्त्राव, आमाशयी गतिशीलता सम्बन्धी पेरिसटेलसिस आमाशयिक एवं आंत्रिय हार्मोन्स। वृक्क की क्रियाविधि वृक्क की संरचना, नेफ्रॉन्स (वृक्काणु), जॅक्सटा ग्लोमेरूलर फिलट्रेट,
- पुनःअवशोशण, स्त्रावक्रिया विधि, मूत्र का सान्द्रीकरण एवं तनुकरण क्रियाविधि, डॉयलिसिस । तंत्रिका तंत्र एवं ग्रन्थियाँ-न्यूरॉन्स की संरचना एवं कार्य, तंत्रिका तंत्र के विभिन्न उपांग एवं उनके कार्य। ग्रंथियों के प्रकार अंतःस्रावी एवं बाह्यस्रावी ग्रंथियों। महत्वपूर्ण अंतः स्रावी एवं बाह्य स्रावी ग्रंथियां। हार्मोन्स के प्रकार एवं कार्य।
- संवेदी तंत्रिका तंत्र, प्रेरक तंत्रिका तंत्र, तंत्रिका तंत्र के उच्चतर कार्य, स्नायु संधि, प्रत्यावर्ती क्रिया, सेरिन्नोस्पाइनल द्रव, रक्त-मस्तिश्क एवं रक्त सेरिब्रोस्पाइनलद्रव अवरोध।
- हृदय-रक्त-परिवहन तंत्र एवं भवसनतंत्रः हृदय-रक्त परिवहनतंत्र एवं भवसनतंत्र के विभिन्न अवयव एवं कार्य। रक्त परिवहन तंत्र हृदय की क्रियात्मक संरचना, हृदयपेशी के विशेश गुण, हृदय की क्रियाविधि का प्रवाह तंत्र, हृदय चक्र में विभिन्न दबाव से आने वाले विभिन्न परिवर्तन, रक्त- कोशिकाओं में परिवहन, धमनी एवं शिरा में रक्तदाब।
- भवसनतंत्र भवसन की क्रियाविधि, वायु आदान प्रदान, भवसन क्रिया नियंत्रण, गैसों का परिवहन, हाइपोक्सिया (ऑक्सीजन न्यूनता), कृत्रिम भवसन एवं फेफड़ों के गैर-श्वसनित कार्य। रोग प्रतिरक्षा तंत्र रोग प्रतिरक्षा तंत्र के विभिन्न अंग अवयव एवं कार्य।
- उत्पत्ति तंत्र स्त्री एवं पुरुष व्याख्यान की संरचना।
- आहार एवं पोषण: आहार एवं पोशण की मूलभूत अवधारणाएं एवं घटक, पोशण की समझ, पौशण की आवश्यकता के संबंध में मूलभूत भाब्दावली, मानव की पोशणीय आवश्यकता, आहार की अवधारणा, आहार के स्वीकार्यता, आहार के कार्य, आहार के घटक एवं उनका वर्गीकरण स्थूल पोशक तत्त्व स्रोत, कार्य
- एवं भारीर पर प्रभाव, सूक्ष्म पोशण तत्व स्रोत, कार्य एवं भारीर पर प्रभाव, वसा में घुलनशील पोशक तत्त्व-स्रोत, कार्य एवं भारीर पर प्रभाव, पानी में घुलनशील पोशक तत्व-स्रोत, कार्य एवं भारीर पर प्रभाव, भारीर में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज लवण व पानी का महत्त्व, पोशक तत्वों की अधिकता एवं कमी से होने वाले रोग, एंटीऑक्सीडेन्ट एवं उसकी भूमिका। आहार की यौगिक अवधारणा एवं जीवन भौली के प्रबंधन में इसकी प्रासंगिकता।
- पोशक तत्त्व, आहार के अनुमानित सिद्धांत, संतुलित आहार की अवधारणा, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा स्रोत, पोशक मूल्य, महत्व, खनिज, लवण कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस आदि। विटामिन स्रोत, भूमिका, आवश्यकता।
- खाद्य समूह अनाज एवं तृण धान्य चयन, तैयारी एवं पोशक मूल्य, दाल, भाश्क मेवे एवं तिलहन चयन, तैयारी एवं पोशक मूल्य, दूध एवं दूध उत्पाद चयन, तैयारी एवं पोशक मूल्य, सब्जियों एवं फल चयन, तैयारी एवं पोशक मूल्य, वसा, तेल एवं भाक्कर, गुड़, भाहद एवं अंकुरित अनाज- चयन, तैयारी एवं पोशक मूल्य।
- आहार एवं चयापचय, ऊर्जा, मूलभूत अवधारणा एवं परिभाशा, ऊर्जा आवश्यकता के घटक, ऊर्जा असंतुलन चयापचय, उपचय, अपचय की अवधारणाएँ, कैलोरी आवश्यकता, बी०एम०आर०, एस०डी०ए०, भाारीरिक क्रियाएँ, कार्बोहाइड्रेट, वसा एवं प्रोटीन का चयापचय, उर्जा को प्रभावित करने वाले कारक, आवश्यकत्ता एवं खपत, बी०एम०आर० को प्रभावित करने वाले कारक।
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यूनिट 7: योग एवं स्वास्थ्य
- WHOके अनुसार स्वास्थ्य की परिभाशा एवं महत्त्व, स्वास्थ्य के आयाम: भाारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक ।
- त्रिगुण की अवधारणाऐं, पंच महाभूत, पंचप्राण तथा स्वास्थ्य और चिकित्सा में उनकी भूमिका, पंचकोभा एवं शटचक्र की अवधारणा तथा स्वास्थ्य और चिकित्सा में उनकी भूमिका।
- स्वास्थ्य सुरक्षा में योग की सुरक्षा भूमिका जीवन भूली के रूप में योग, हेयम् दुःखम् अनागतम्, रोग- स्वास्थ्य के अन्तर्निहित कारणः तापत्रय एवं क्लेभा, रोग की भारीरिक एवं शरीर क्रियात्मक अभिव्यक्ति व्याधि, अलस्य, अंगमेजयत्व एवं भावास प्रभाव।
- मानसिक एवं संरचनात्मक रचनाः स्त्यन्, संभाय, प्रमाद, अविरति, भ्रांतिदर्भान, अलब्धभूमिकात्व, अनवस्थित्व, दुःख एवं दुरमानस्य।
- यौगिक आहार आहार का सामान्य परिचय, मिताहार की अवधारणा, पारंपरिक योग ग्रंथों के अनुसार यौगिक आहार का वर्गीकरण, भारीर बनावट (प्रकृति) के अनुसार आहार वात, पित्त, कफ और गुणों के अनसार (सात्विक, राजसिक व तामसिक)।
- घेरण्ड संहिता, हठप्रदीपिका और भगवद्गीता के अनुसार आहार की अवधारणायें, पथ्य और अपथ्य। योग साधना में यौगिक आहार का महत्व तथा स्वस्थ रहने में इसकी भूमिका ।
- स्वस्थ जीवन – शैली के यौगिक सिद्धांत आहार विहार, आचार एवं विचार, स्वस्थ जीवन-शैली हेतु योग के सकारात्मक दृश्टिकोण (मैत्री, करूणा, मुदिता एवं उपेक्षा) की भूमिका, भाव और भावनाओं की अवधारणा तथा उनकी स्वास्थ्य एवं सुखानुभूति प्रासंगिकता।
यूनिट 8: चिकित्सीय योग
- यौगिक अभ्यास (प्रायोगिक योग) उपयुक्त योग अभ्यासों के माध्यम से व्याधियों का प्रबंधन यौगिक आहार, आसन, शटकर्म, प्राणायाम, ध्यान, यम और नियम, जीवन भौली नुस्खे (सुधारात्मक निर्देश) – आहार, विहार, आचार और विचार में संयम।
- निम्नलिखित सामान्य व्याधियों के लिए योग चिकित्सा का संयुक्तात्मक / एकीकृत दृष्टिकोण
- भवसन संबंधी रोग एलर्जीक रेनिटिस और साइनुसाइटिस (भिारानालभाोथ), दीर्घकालीन भवासनली भाोथ (कॉनिक ब्रोन्काइटिस)
- हृदय (कार्डियोवस्कूलर) रोग उच्चरक्तचाप, (एनजाइना पैक्टोरिस)
- अंतःस्त्रावी एवं हाइपरटेंशन थाइरोडिजम (हाइपो और हाइपरटेंशन थाइरोडिजम), मोटापा, एनआईआरआईडी सिंड्रोमः
- ओबस्टेट्रिस एवं गाइनोकोलॉजिकल रोग, मासिक धर्म संबंधी विकार गर्भावस्था एवं प्रसव के लिए योग : Ante-natal Care (प्रसव पूर्व देखभाल) Post natal care (प्रसवोत्तर देखभाल)
- जठरांत्रिय विकार – जठर भाोथ तीक्ष्ण एवं दीर्घकालिक अजीर्ण, पेप्टिक अल्सर, कब्ज, अतिसार, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम, अ
- मांसपेशी कंकालीय विकार-पीठ दर्द, इन्टरवर्टिब्रल डिस्क प्रोलेप्स, लम्बर स्पोंडिलाइसिस सर्वाइकल स्पोंडिलासिस, अर्थराइटिस
- स्नायविक विकार : माइग्रेन, तनाव सिरदर्द, अपस्मार,
- मानसिक विकार स्नायु तन्त्र आधारित मनोविकृति, दुश्चिंता रोग, फोबिया (भय), अवसाद,
यूनिट 9: योग के अनुप्रयोग
- अनुप्र दानि अनुप्र द नि के रूप में योगः आत्म का अर्थ, परिभाषा एवं स्वरूप वेद, उपनिषद, भगवद गीता, योग-सूत्रयुक्त एवं योग-वैष्ठ के सिद्धांत मेंः मानव आत्म का आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक पक्ष। मानव स्वयं के विकास की वैज्ञानिक विधियाँ भक्तियोग, ज्ञानयोग, कर्मयोग, मंत्रयोग, अष्टांगयोग, हठयोग।
- क्षा में योग-योग भिाक्षा की प्रमुख विभिाश्टतायें, योग भिाक्षा के घटक भिाक्षक, विद्यार्थी एवं भिाक्षण, मूल्य आधारित भिाक्षा अर्थ व परिभाशायें, मूल्यों के प्रकार,
- योग में भिाक्षण विधि-क्षण एवं अधिगम अवधारणा, दोनों में सम्बद्धता, भिाक्षण के सिद्धांत, अध्यापन विधियों का अर्थ एवं कार्य क्षेत्र तथा इनको प्रभावित करने वाले तत्त्व।ाक्षण विधियां-वैयक्तिक, सामुहिक एंव अधिसंख्य समूह ।
- उत्तम पाठ योजना के एवं यक तत्त्व- अवधारणाएं, अभ्यास एवं ध्यान।
- पाठयोजना के नमूने पाठयोजना एंव विशय योजना की भूमिका बांधने की अश्ट चरण विधि। – वस्तु की योजना, कैवल्यधाम द्वारा विकसित पाठ
- आद योग कक्षा की मूल्यांकन विधियां व्यक्तिगत आवभयकता के अनुरूप योग कक्षा का
- न्यूनीकरण, उपरोक्त वर्णित अध्यापन विधियों के विभिन्न पहलुओं का प्रभिाक्षण एवं प्रदर्भान का अभ्यास विद्यार्थियों के लिए आवभयक होगा।
- योग कक्षा- आवभयक पहलू, क्षेत्र, योग कक्षा में बैठने का प्रबन्धन व आयोजन। अध्यापक के प्रति विद्यार्थी का दृटिश्कोण- प्रणिपात, परिप्रभन, सेवा
यूनिट 10: क्रियात्मक योग
- वैज्ञानिक अभ्यास- कर्म, आसन, प्राणायाम, मुद्रा, बंध, ध्यान, सूर्यनमस्कार (विधि, विभोष्टाएँ) एवं लाभ)
- षट्कर्म – वामनघौति, वस्त्र धौति, दण्ड धौति, लघु एवं पूर्ण भान्ख प्रक्षालन, नेति (सूत्र एवं जल) कपालभाति (वात्कम, व्युत्कम एवं भभीत्कर्म) अग्निसार, नालि, त्राटक।
- सूर्यनमस्कार-परम्परा आधारित सूर्यनमस्कार,
- आसन -बाजे करने वाले आसन अर्धकटिचक्रासन, पादहस्तासन, अर्धचक्रासन, त्रिकोणासन, परिवृत्त त्रिकोणासन, पभर्वकोणासन, वीरासन।
- देखने के लिए जाने वाले आसन पभिचमोत्तानासन, सुप्तवज्रासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, वक्रासन, बद्धकोणासन, मेरुदण्डासन, आकर्णधनुरासन, गोमुखासन।
- पेट के बल लेटकर जाने वाले आसन- भुजंगासन, भालाभासन, धनुरासन, ऊर्ध्वमुखो आसन, मकरासन ।
- पीठ के बल लेटकर जाने वाले आसन हलासन, चक्रासन, सर्वांगासन, मत्स्यासन, भावासन, सेतुबंधासन।
- बैलेंस कारक आसन-वृक्षासन, गरुड़ासन, नमस्कारासन, टिट्टिभासन, नटासन।
- प्राणायाम-भाव के प्रति जागरूकता, विभिन्न प्रकार की भावासन क्रिया, नाड़ी बाधा, सूर्यभेदन, उज्जयि, भभितली, सीकरी, भस्त्रिका, भ्रामरी, लचक वृत्ति, आभ्यंतर वृत्ति स्तम्भ वृत्ति प्राणायाम।
- ध्यानस्थ होने के अभ्यास-प्रणव एवं सोऽहम् जप, योगनिद्रा अंतर्मन, अजपा जप, भावासन आधारित ध्यानस्थ होने के अभ्यास ओम ध्यान के सिद्धांत, विपभ्याना ध्यान के अभ्यास, प्रेक्षा ध्यान के अभ्यास।
- बन्ध एवं मुद्राएं-मूलबन्ध, उड्डियान बन्ध, जालन्धर बन्ध,, महाबन्ध योग मुद्रा, महामुद्रा, ाण्मुखी मुद्रा, तड़ागी मुद्रा, विपरीतकरणी मुद्रा।
- समकालीन यौगिक अभ्यास यौगिक सूक्ष्म व्यायाम (स्वामी धीरेन्द्र ब्रह्मचारी) चक्रिय ध्यान (S- VYASA), मन ध्वनि अनुकम्पन विधि (S VYASA), भावातीत ध्यान (महर्शि योगी), योग निद्रा (BSY), सविता की ध्यान धारणा (DSVV)
नोट: यूजीसी नेट योग सिलेबस राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) की आधिकारिक वेबसाइट ugcnet.nta.nic.in से लिया गया है।
UGC NET परीक्षा पैटर्न
UGC NET परीक्षा दो चरणों में होती है: पेपर 1 सभी के लिए अनिवार्य होता है, जबकि पेपर 2 विषय-विशेष होता है। दोनों पेपर ऑनलाइन आयोजित किए जाते हैं। नीचे UGC NET योग परीक्षा पैटर्न दिया गया है:
| UGC NET पेपर | कुल प्रश्न | कुल अंक |
| पेपर 1 | 50 | 100 |
| पेपर 2 | 100 | 200 |
| कुल | 150 | 300 |
FAQs
UGC NET योगा की तैयारी के लिए पाठ्यक्रम के अनुसार अध्ययन करें, पिछली परीक्षाओं के प्रश्न हल करें और नियमित रिवीजन के साथ मॉक टेस्ट दें।
आमतौर पर लगभग 2-3 प्रश्न अक्सर स्वामी विवेकानंद, श्री अरविंद, महर्षि महेश योगी, बी.के.एस. अयंगर, रामदेव आदि के योगदान पर आधारित होते हैं।
सिलेबस में योग दर्शन, पतंजलि योगसूत्र, उपनिषद, भगवद्गीता, आधुनिक योग गुरुओं का योगदान, शरीर रचना विज्ञान, शरीर क्रिया विज्ञान, योग चिकित्सा और अनुसंधान पद्धति शामिल हैं।
पतंजलि योगसूत्र, हठयोग प्रदीपिका, घेरण्ड संहिता और भगवद्गीता जैसे पारंपरिक ग्रंथों से प्रश्न पूछे जाते हैं।
इस ब्लॉग में आपको यूजीसी नेट योग सिलेबस की जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही इंडियन एग्जाम से संबंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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aapane bahut achcha samjhaya बहुत-बहुत shukriya
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Apka bhut bhut aabhar
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2 comments
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