Ta Pratyay se Shabd: भाषा का संसार अनंत है, जिसमें हर शब्द, हर ध्वनि और हर प्रत्यय का अपना एक विशिष्ट स्थान होता है। हिंदी व्याकरण में प्रत्यय का विशेष महत्व है, क्योंकि यह न केवल शब्दों के निर्माण में सहायक होता है, बल्कि उनके अर्थ को भी प्रभावित करता है। जब किसी मूल शब्द के अंत में कोई विशेष प्रत्यय जोड़ा जाता है, तो वह एक नया शब्द बनाता है, जिसका अर्थ और व्याकरणिक स्वरूप बदल जाता है। बता दें कि ता प्रत्यय से शब्द मित्रता, अराजकता, अधिकता, असमानता आदि होते हैं। इस लेख में आपके लिए ता प्रत्यय से शब्द (Ta Pratyay se Shabd) से संबंधित विस्तृत जानाकरी दी गई है, जिसके लिए आपको यह ब्लॉग अंत तक पढ़ना पड़ेगा।
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प्रत्यय किसे कहते है?
‘ता’ प्रत्यय संज्ञा बनाने वाला प्रत्यय है, जो विशेषण या क्रिया से संज्ञा निर्माण करता है। जब किसी विशेषण शब्द में ‘ता’ प्रत्यय जोड़ दिया जाता है, तो वह गुणवाचक विशेषण से संज्ञा में बदल जाता है। उदाहरण के लिए, “सुंदर” में “ता” जोड़ने से “सुंदरता” बनता है, जिसका अर्थ “सुंदर होने की अवस्था” है। इसी प्रकार, “ईमानदार” से “ईमानदारी” और “मूर्ख” से “मूर्खता” शब्द बनते हैं। आसान शब्दों में समझें तो प्रत्यय = प्रति (साथ में पर बाद में) + अय (चलने वाला) शब्द का अर्थ है, पीछे चलना। जो शब्दांश शब्दों के अंत में विशेषता या परिवर्तन ला देते हैं, वे प्रत्यय कहलाते हैं।
ता प्रत्यय से शब्द – Ta Pratyay se Shabd
ता प्रत्यय से शब्द (Ta Pratyay se Shabd) की सूची नीचे दी गई है:
- प्राचीनता
- महानता
- अराजकता
- कठोरता
- घनिष्ठता
- तत्परता
- आवश्यकता
- अधीरता
- कटुता
- अनुकूलता
- एकता
- वीरता
- दरिद्रता
- शत्रुता
- कविता
- कायरता
- योग्यता
- मधुरता
- सुंदरता
- मधुरता
- अनेकता
- अनावश्यकता
- अनिवार्यता
- सक्षमता
- कुटिलता
- अधिकारिता
- मानवता
- महकता
- मौलिकता
- निर्धनता
- चंचलता
- अधिकता
- अक्रामकता
- निष्ठुरता
- जागरूकता
- प्रसन्नता
- प्रचुरता
- पराधीनता
- प्रभुता
- भव्यता
- प्रमुखता
- कुशलता
- विशालता
ता प्रत्यय से बनने वाले शब्दों का वाक्यों में प्रयोग
यहाँ आपके लिए ता प्रत्यय से बनने बाले शब्दों का वाक्यों में प्रयोग किया गया है, जो इस प्रकार है:
- वह अक्रामकता से भरा हुआ है।
- सिंधुघाटी सभ्यता अपनी प्राचीनता के लिए जानी जाती है।
- मनुष्य को अपनी मानवता कभी नहीं खोनी चाहिए।
- ग्राहक को अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता होनी चाहिए।
- हिमानी में बहुत चंचलता है।
- अनेकता में ही एकता है।
- इस बगीचे की सुंदरता मन को मोह लेती है।
- हमें हमेशा सत्यता और ईमानदारी के साथ जीवन जीना चाहिए।
- किसी की मदद करना ही सच्ची मानवता है।
- एक सफल व्यक्ति की पहचान उसकी ईमानदारी से होती है।
- सच्ची मित्रता हर मुश्किल घड़ी में साथ निभाती है।
- हमें अपनी स्वतंत्रता का गलत उपयोग नहीं करना चाहिए।
- किसी भी परिस्थिति में सहनशीलता बनाए रखना बहुत जरूरी है।
- अगर आप अपने काम के प्रति निष्ठा रखते हैं, तो सफलता जरूर मिलेगी।
- न्यायधीश को हमेशा निष्पक्षता से निर्णय लेना चाहिए।
- समाज में सभी के लिए समानता का अधिकार होना चाहिए।
FAQs
उत्तर: ‘ता’ एक संस्कृत मूल का प्रत्यय है, जो संज्ञा बनाने के लिए विशेषणों के अंत में जोड़ा जाता है। जैसे – सुंदर + ता = सुंदरता, सत्य + ता = सत्यता।
‘ता’ प्रत्यय जोड़ने से विशेषण शब्द संज्ञा में बदल जाता है। उदाहरण के लिए, “ईमानदार” विशेषण है, लेकिन “ईमानदारी” संज्ञा बन जाती है।
ता प्रत्यय से बनने वाले कुछ महत्वपूर्ण शब्द सुंदरता, सत्यता, निष्ठा, ईमानदारी, मानवता, स्वतंत्रता, सहनशीलता, निष्पक्षता, समानता, मित्रता आदि हैं।
ता प्रत्यय से बनने वाले शब्द संज्ञा के अंतर्गत आते हैं क्योंकि ये किसी गुण, अवस्था या भावना को दर्शाते हैं।
नहीं, कई अन्य भारतीय भाषाओं में जैसे: संस्कृत, मराठी और गुजराती में भी ‘ता’ प्रत्यय के समान प्रयोग होते हैं।
ये अधिकतर भाववाचक संज्ञा में आते हैं, क्योंकि ये किसी गुण, स्थिति या अमूर्त विचार को व्यक्त करते हैं।
ये शब्द कविता, कहानी और लेखन में भावनाओं को व्यक्त करने के लिए उपयोग किए जाते हैं, जैसे – “सच्चाई और ईमानदारी से जीवन में सफलता प्राप्त होती है।”
किसी विशेषण के अंत में ‘ता’ जोड़ने से नया शब्द बनता है। उदाहरण: तेज + ता = तीव्रता, स्थिर + ता = स्थिरता।
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