सुप्रसिद्ध कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय और साहित्यिक योगदान

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सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय

सुभद्रा कुमारी चौहान हिंदी की सुप्रसिद्ध राष्ट्रवादी कवयित्री और लेखिका थीं। सन 1857 के संग्राम में ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लेने वाली झांसी की रानी ‘लक्ष्मीबाई’ की वीरगाथा को आधार बनाकर उन्होंने एक प्रसिद्ध लंबी कविता लिखी, जिससे उन्हें अत्यधिक लोकप्रियता प्राप्त हुई। इसके अलावा ‘वीरों का कैसा हो वसंत’, ‘यह कदंब का पेड़’, ‘खिलौनेवाला’, ‘झिलमिल तारे’, ‘समर्पण’ और ‘पानी और धूप’ जैसी रचनाएँ उनकी अन्य प्रसिद्ध कविताएँ हैं, जो युगीन सीमाओं को पार कर आज भी अत्यंत लोकप्रिय बनी हुई हैं। भारतीय डाक ने 6 अगस्त, 1976 को उनके सम्मान में 25 पैसे का एक स्मारक डाक टिकट जारी किया था। इस ब्लॉग में कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय और उनकी साहित्यिक रचनाओं की जानकारी दी गई है।

नाम सुभद्रा कुमारी चौहान
जन्म 16 अगस्त, 1904 
जन्म स्थान निहालपुर गांव, इलाहाबाद (अब प्रयागराज)
शिक्षा मिडिल-स्कूल, क्रॉस्थवेट गर्ल्स स्कूल- प्रयागराज
पिता का नाम ठाकुर रामनाथ सिंह 
माता का नाम धिराज कुंवर 
पति का नाम ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान
कार्य क्षेत्र कवयित्री
संतान सुधा चौहान, अशोक चौहान, ममता चौहान, विजय चौहान, अजय चौहान 
आंदोलन भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन 
साहित्य काल छायावाद 
रचनाएँ ‘बिखरे मोती’, ‘उन्मादिनी’ और ‘सीधे-सीधे चित्र’ (कहानी-संग्रह), ‘मुकुल’ और ‘त्रिधारा’ (कविता संग्रह)
भाषा हिंदी 
सम्मान सेकसरिया पारितोषिक  
निधन 15 फरवरी, 1948 सिवनी, मध्य प्रदेश  
जीवनकाल 43 वर्ष 

इलाहाबाद में हुआ था जन्म

सुप्रसिद्ध कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त, 1904 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले के निहालपुर गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम ठाकुर रामनाथ सिंह और माता का नाम धिराज कुंवर था। जमींदार परिवार में जन्मी सुभद्रा कुमारी चौहान अपने माता-पिता की सातवीं संतान थीं। गौरतलब है कि 20 फरवरी, 1919 को उनका विवाह उनके बड़े भाई रामप्रसाद सिंह के सहपाठी ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ हुआ था।

विवाह के बाद उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखने के उद्देश्य से बनारस (वर्तमान वाराणसी) का रुख किया। वहां उन्होंने पहले थियोसोफिकल स्कूल में अध्ययन किया। इसके बाद प्रयागराज के क्रॉस्थवेट गर्ल्स स्कूल से उन्होंने मिडिल स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की।

ब्रिटिश राज में दो बार गईं जेल 

इसके पश्चात, विवाह के दो वर्ष बाद ही सुभद्रा कुमारी चौहान ने सन 1921 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में चल रहे असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। वे इस आंदोलन में भाग लेने वाली प्रथम महिला मानी जाती हैं। सन 1923 में, जब वे केवल 18 वर्ष की थीं, तब ‘राष्ट्रीय झंडा आंदोलन’ के दौरान उन्हें पहली बार जेल जाना पड़ा। इसके पश्चात वर्ष 1941 में, उन्होंने ‘व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन’ में भाग लिया और पुनः जेल गईं।

सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएं

सुभद्रा कुमारी चौहान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की सेनानी थीं और साथ ही राष्ट्रीय चेतना से युक्त एक सुप्रसिद्ध लेखिका भी। वे दलित, पिछड़े और वंचित वर्ग की मुक्ति के लिए निरंतर संघर्षरत रहीं। उनकी रचनाओं में तत्कालीन समाज की परिस्थितियों की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।

उनकी लेखनी ने हिंदी साहित्य को ‘झाँसी की रानी’, ‘वीरों का कैसा हो वसंत’, ‘यह कदंब का पेड़’, ‘प्रतीक्षा’, ‘पानी और धूप’ जैसी कई लोकप्रिय कविताएं प्रदान की हैं। नीचे उनकी समग्र साहित्यिक कृतियों की सूची दी गई है:

कहानी-संग्रह

  • बिखरे मोती – वर्ष 1932 
  • उन्मादिनी – वर्ष 1934 
  • सीधे साधे चित्र – वर्ष 1947  

कविता-संग्रह

  • मुकुल – वर्ष 1930 
  • त्रिधारा  

जीवनी 

  • सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी ‘मिला तेज से तेज’ उनकी पुत्री सुधा चौहान ने लिखी है।

सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा शैली

सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा-शैली सीधी, सरल और स्पष्ट है। उनकी भाषा में राष्ट्रीयता, सामाजिक प्रेम और वात्सल्य जैसे भावों की स्पष्ट झलक मिलती है। उन्होंने अपनी रचनाओं में आम बोलचाल की सहज, सीधे-सादे वाक्य-शैली का प्रभावी प्रयोग किया है।

सुभद्रा जी ने खड़ी बोली को अपने काव्य का माध्यम बनाया और उनकी भाषा में तत्सम, तत्भव, देशज तथा अनुकरणात्मक शब्दों का संतुलित प्रयोग देखने को मिलता है। विशेष रूप से तत्भव शब्दावली की अधिकता उनकी रचनाओं को सहज और जनसुलभ बनाती है। अपनी भाषा को अधिक प्रभावी बनाने के लिए उन्होंने अलंकारों, छंदों के साथ-साथ अभिधा, लक्षणा और व्यंजना जैसे भाषिक शैलियों का भी प्रयोग किया है।

सम्मान 

हिंदी साहित्य में अमूल्य योगदान के लिए सुभद्रा कुमारी चौहान को कई सम्मान प्राप्त हुए, जो इस प्रकार हैं:-

  • वर्ष 1931 में “मुकुल” कविता-संग्रह के लिए “सेकसरिया पारितोषिक” मिला। 
  • वर्ष 1932 में “बिखरे मोती” कहानी-संग्रह के लिए पुनः सुभद्रा कुमारी चौहान को “सेकसरिया पारितोषिक” से सम्मानित किया गया। 
  • भारतीय डाक ने 6 अगस्त, 1976 को सुभद्रा कुमारी चौहान के सम्मान में 25 पैसे का एक स्मारक डाक टिकट जारी किया था। 
Subhadra Kumari Chauhan
Source : Wikipedia

सन 1948 में हुआ निधन 

सुभद्रा कुमारी चौहान का निधन 15 फरवरी, 1948 को एक मोटर दुर्घटना में हुआ था। राष्ट्रवादी भावनाओं से ओत-प्रोत उनकी रचनाओं के कारण उन्हें आज भी आदरपूर्वक याद किया जाता है।

जब Google ने सुभद्रा कुमारी चौहान को किया याद

क्या आप जानते हैं कि Google ने सन् 2021 में डूडल बनाकर सुभद्रा कुमारी चौहान को उनकी 117वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी थी? मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस डूडल को कलाकार प्रभा माल्या ने बनाया था। सुभद्रा कुमारी जी देश की पहली महिला सत्याग्रही थीं। इसके अलावा, उनकी राष्ट्रवादी कविताएँ ‘झांसी की रानी’ और ‘वीरों का कैसा हो वसंत?’ आधुनिक हिंदी साहित्य की सबसे लोकप्रिय और अधिक पढ़ी जाने वाली कविताओं में से एक मानी जाती हैं। 

FAQs

सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म कहां हुआ था?

16 अगस्त, 1904 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले के निहालपुर गांव में सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म हुआ था।

सुभद्रा कुमारी चौहान की लिखी कविता कौन सी है?

झाँसी की रानी, ‘वीरों का कैसा हो वसंत?’ उनकी प्रसिद्ध कविता है।

सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु कैसे हुई थी?

15 फरवरी, 1948 को एक मोटर दुर्घटना में सुभद्रा कुमारी चौहान का आकस्मिक निधन हो गया था।

सुभद्रा का विवाह किसके साथ हुआ?

सुभद्रा कुमारी चौहान का विवाह ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ हुआ था।

आशा है कि आपको, भारत की साहसी कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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3 comments
  1. subhadra kumari chauhan is the best teacher of all indian people
    those are involve in freedom of india and also they are the inspiring lady of indian

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