भारत में हर सदी में कोई न कोई ऐसी महान और पुण्य आत्मा ने जन्म लिया है, जिनके जन्म से मानव जीवन का उत्थान हुआ है। इन्हीं में से एक शकुंतला देवी भी थी, जिन्हें दुनिया का मानव कंप्यूटर यानि कि ह्यूमन कंप्यूटर के नाम से भी जाना जाता है। बचपन से ही गणित की प्रतिभा रखने वाली शकुंतला देवी की जीवनयात्रा से प्रेरणा लेकर लाखों युवा अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। इस पोस्ट के माध्यम से आप जान पाएंगे कि शकुंतला देवी की खोज ने कैसे गणित की दुनिया में नए कीर्तिमान स्थापित किये, जिसके लिए आपको पोस्ट को अंत तक पढ़ना पड़ेगा।
शकुंतला देवी की खोज से संबंधित संपूर्ण जानकारी
शकुंतला देवी की खोज ने समाज के सामने गणित की लोकप्रियता को बढ़ाने का काम किया है, उनकी खोज के बारे में आप निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से जान सकते हैं;
- शकुंतला देवी ने तीन साल की उम्र से ही अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए, बड़ी संख्याओं को जोड़ना और घटाना शुरू कर दिया था। चार साल की उम्र में शकुंतला देवी जी ने 20 अंकों की संख्याओं का गुणनफल निकाला था।
- 18 जून 1980 में, शकुंतला देवी ने 13 अंकों की दो संख्याओं को मात्र 28 सेकंड में गुणा की थी। यह गणना बेहद कम समय में हुई थी, जो कि एक सटीक गणना थी।
- शकुंतला देवी ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए अंकगणित, बीजगणित, ज्यामिति, कैलकुलस, ज्योतिष आदि गणितीय विषयों में अपना अविस्मरणीय योगदान देकर गणित की लोकप्रियता को बढ़ाने का काम किया।
- शकुंतला देवी ने विश्व की कई बड़ी प्रतियोगिताओं में भाग लेकर, अपनी जीत हासिल की। इसी क्रम में वर्ष 1977 में अमेरिका में एक प्रतियोगिता में कंप्यूटर को हराया था।
- शकुंतला देवी ने गणित और ज्योतिष जैसे विषयों में कई किताबें लिखीं, जिनके बारे में पढ़कर गणित और ज्योतिष के बारे में लोगों के ज्ञान में वृद्धि हुई।
FAQs
आधुनिक भारत की प्रथम भारतीय महिला गणितज्ञ शकुंतला देवी हैं।
शकुंतला देवी का जन्म 4 नवंबर 1929 को हुआ था।
शकुंतला देवी गणित की गणना में बेहद प्रतिभाशाली थी, यही उनकी विशेषता था।
आशा है कि आपको ‘शकुंतला देवी की खोज’ पर आधारित यह ब्लाॅग जानकारी से भरपूर लगा होगा। इसी तरह के अन्य जनरल नॉलेज के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।