Sarveshwar Dayal Saxena: समादृत साहित्यकार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जीवन परिचय 

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Sarveshwar Dayal Saxena Ka Jivan Parichay

Sarveshwar Dayal Saxena Ka Jivan Parichay : सर्वेश्वर दयाल सक्सेना आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित साहित्यकारों में से एक माने जाते हैं। इसके साथ ही वह ‘तीसरे सप्तक’ के बहुचर्चित कवियों में से एक थे। सर्वेश्वर जी ने आधुनिक हिंदी साहित्य में गद्य और पद्य दोनों ही विधाओं में साहित्य का सृजन किया हैं। वे एक ओर सफल कवि थे तो दूसरी ओर उन्होंने उपन्यास, नाटक, बाल साहित्य, लेख और अनुवाद के माध्यम से कई अनुपम रचनाएँ की हैं। सर्वेश्वर जी के प्रसिद्ध नाटकों में बकरी, अब ग़रीबी हटाओ और हवालात प्रमुख हैं, जो आधुनिक हिंदी नाट्य साहित्य में ‘मील का पत्थर’ माने जाते हैं। सर्वेश्वर दयाल सक्सेना को हिंदी साहित्य में अपना विशेष योगदान देने के लिए वर्ष 1983 में (मरणोपरांत) ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका हैं। 

बता दें कि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी के बहुचर्चित नाटक ‘बकरी’ व काव्य रचना ‘बाँस का पुल’, ‘एक सूनी नाव’, ‘गर्म हवाएँ’, ‘कुआनो नदी’ और ‘जंगल का दर्द’ आदि को विद्यालय के साथ ही बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की हैं, इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।

आइए अब हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जीवन परिचय (Sarveshwar Dayal Saxena Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम सर्वेश्वर दयाल सक्सेना (Sarveshwar Dayal Saxena)
जन्म 15 सितंबर 1927
जन्म स्थान बस्ती, उत्तर प्रदेश
पिता का नाम श्री विश्वेश्वर सिंह सक्सेना 
माता का नाम श्रीमती सौभाग्यवती सक्सेना 
शिक्षा एम.ए (हिंदी)
पेशा लेखक, पत्रकार, अनुवादक 
भाषा हिंदी 
साहित्य काल आधुनिक काल 
विधाएँ कविता, उपन्यास, कहानी, नाटक, बाल साहित्य व यात्रा संस्मरण आदि। 
उपन्यास सूने चौखटे
काव्य संग्रह बाँस का पुल, एक सूनी नाव, गर्म हवाएँ, कुआनो नदी, जंगल का दर्द व खूँटियों पर टँगे लोग आदि। 
बाल साहित्य बतूता का जूता, महँगू की टाई व भों-भों खों-खों आदि। 
पत्रिका दिनमान (साप्ताहिक) , पराग (बाल-पत्रिका)
नाटक बकरी, ब ग़रीबी हटाओ व हवालात आदि। 
सम्मान साहित्य अकादमी पुरस्कार (मरणोपरांत), वर्ष 1983
निधन 23 सितंबर 1983, नई दिल्ली 

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का प्रारंभिक जीवन – Sarveshwar Dayal Saxena Ka Jivan Parichay

विख्यात रचनाकार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जन्म 15 सितंबर, 1927 को उत्तर प्रदेश के बस्ती जिला में पिकौरा नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘श्री विश्वेश्वर सिंह सक्सेना’ था, जो स्वयं का व्यवसाय चलाते थे। जबकि उनकी माता का नाम ‘श्रीमती सौभाग्यवती सक्सेना’ था जो एक शासकीय हाईस्कूल में अध्यापिका थीं। सर्वेश्वर जी का आरंभिक बचपन बस्ती में ही बीता था जो कि एक कस्बेनुमा शहर है जिसके चारों ओर दूर-दूर तक फैले खेत खलिहान और ताल-तलैया की अनूठी शोभा थीं। 

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हिंदी साहित्य में किया एम.ए.  

सर्वेश्वर जी (Sarveshwar Dayal Saxena) ने अपनी आरंभिक शिक्षा बस्ती जिले के ‘एंग्लो संस्कृत हाईस्कूल’ से शुरू की। इसके बाद उन्होंने ‘क्वींस कॉलेज’, बनारस में दाखिला लिया और अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी की। फिर वह उच्च शिक्षा के लिए हिंदी के साहित्यिक केंद्र इलाहाबाद (वर्तमान प्रयागराज) आ गए और उन्होंने यहाँ से बी.ए और ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय’ से हिंदी साहित्य में एमए की डिग्री हासिल की। बता दें कि उनके एम.ए के सहपाठी ‘विजयदेवनारायण साही’ व शिक्षक ‘आचार्य रामचंद्र शुक्ल’, ‘डॉ. धीरेंद्र वर्मा’ और ‘राजकुमार वर्मा’ थे, जो हिंदी साहित्य की महान विभूतियाँ मानी जाती हैं। 

संघर्षमय रहा पारिवारिक जीवन 

बताया जाता है कि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के माता-पिता का अल्प आयु में ही देहांत हो जाने के कारण उनका बचपन आर्थिक समस्याओं से गुजरा और यह समस्या उनके जीवन के अंत तक बनी रही। सर्वेश्वर जी का विवाह ‘आनंदी देवी’ के साथ हुआ जिसके कुछ वर्ष बाद उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन अल्प आयु में ही उस पुत्र का निधन हो गया। इसके कुछ समय बाद उनकी दो पुत्रियां हुई जिनके नाम ‘विभा’ और ‘शुभा’ है। किंतु दूसरी पुत्री के जन्म के कुछ वर्षों के भीतर ही उनकी पत्नी का निधन हो गया जिससे उनके जीवन में उदासीनता आ गई। इसके बाद दोनों बच्चो का पालन पोषण उनकी पत्नी की बुआ ने किया। 

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अध्यापन कार्य से की करियर की शुरुआत 

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना (Sarveshwar Dayal Saxena) का कार्यक्षेत्र विस्तृत रहा उन्हें एम.ए के पश्चात ही एक स्थानीय स्कूल में अध्यापक की नौकरी मिल गई। यहाँ कुछ वर्ष तक अध्यापन कार्य करने के बाद उनकी नियुक्ति आकाशवाणी, दिल्ली के समाचार विभाग में हो गई। इसके बाद उन्होंने आकशवाणी, लखनऊ में सहायक प्रोड्यूसर के पद पर भी कुछ समय तक कार्य किया। बता दें कि सर्वेश्वर जी ने ऑडिटर जनरल इलाहाबाद कार्यालय में भी कार्य किया था। लेकिन इसके बाद उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और वर्ष 1963 में ‘दिनमान’ साप्ताहिक पत्रिका के उपसंपादक के रूप में नियुक्त हुए। वहीं कुछ समय तक वह बाल पत्रिका ‘पराग’ से भी जुड़े रहे। 

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तीसरे तार सप्तक के कवि 

बता दें कि सप्तक का मतलब होता है ‘सात’ अर्थात् सात कवियों का समूह। वहीं सर्वेश्वर दयाल सक्सेना तीसरे तार सप्तक के महत्वपूर्ण कवियों में से एक माने जाते हैं। वर्ष 1959 में तीसरे तार सप्तक की शुरुआत मानी जाती है जिनमें सर्वेश्वर जी के साथ साथ ‘प्रयाग नारायण त्रिपाठी’, ‘कीर्ति चौधरी’, ‘कुँवर नारायण’, ‘विजयदेव नारायण साही’ और ‘केदार नाथ सिंह’ जैसे प्रसिद्ध कवि शामिल थे। 

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सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की साहित्यिक रचनाएँ – Sarveshwar Dayal Saxena Ki Sahityik Rachnaye

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना (Sarveshwar Dayal Saxena) ने आधुनिक हिंदी साहित्य की कई विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया हैं। वहीं उनकी बहुत सी रचनाओं का कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका हैं। यहाँ सर्वेश्वर जी की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-

कविता संग्रह

  • काठ की घंटियाँ 
  • बाँस का पुल 
  • एक सूनी नाव
  • गर्म हवाएँ
  • कुआनो नदी 
  • जंगल का दर्द 
  • खूँटियों पर टँगे लोग 
  • क्या कह कर पुकारूँ 
  • कोई मेरे साथ चले

उपन्यास 

  • सूने चौखटे
  • पागल कुत्तों का मसीहा
  • सोया हुआ जल

नाटक

  • बकरी – वर्ष 1974
  • लड़ाई – वर्ष 1979
  • अब ग़रीबी हटाओ – वर्ष 1981

एकांकी 

  • कल भात आएगा
  • हवालात
  • रूपमती बाज बहादुर 
  • होरी धूम मचोरी 

बाल नाटक 

  • भों-भों खों-खों
  • लाख की नाक 
  • अनाप-शनाप 
  • हाथी की पों 
  • लाख की नाक 

बाल कविताएँ 

  • बतूता का जूता
  • महँगू की टाई
  • बिल्ली के बच्चे 
  • नन्हा ध्रुवतारा 

यात्रा संस्मरण

  • कुछ रंग कुछ गंध 

अनुवाद 

  • सोवियत कथा संग्रह 

संपादन 

  • समशेर की कविताएँ
  • नेपाली कविताएँ  

निबंध संग्रह 

  • चरचे और चरखे 

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पुरस्कार एवं सम्मान 

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना (Sarveshwar Dayal Saxena Ka Jivan Parichay) को आधुनिक हिंदी साहित्य में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं :- 

  • सर्वेश्वर जी को ‘जंगल का दर्द’ (काव्य संग्रह) के लिए उत्तर प्रदेश संस्थान द्वारा ‘स्तरीय पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। 
  • जंगल का दर्द’ (काव्य संग्रह) के लिए लिए उन्हें मध्य प्रदेश सरकार द्वारा ‘तुलसी पुरस्कार’ से नवाजा गया था। 
  • ‘खूँटियों पर टँगे लोग’ (काव्य संग्रह) के लिए लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा वर्ष 1983 में (मरणोपरांत) ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से पुरस्कृत किया गया था। 

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नई दिल्ली में हुआ निधन 

जब सर्वेश्वर दयाल सक्सेना बाल-पत्रिका ‘पराग’ का संपादन कार्य कर रहे थे उसी दौरान वह मधुमेय रोग से पीड़ित हो गए थे। किंतु उन्होंने अपना संपादन कार्य जारी रखा लेकिन दिल का दौरा पड़ने से उनका 23 सितंबर, 1983 को 56 वर्ष की आयु में निधन हो गया। इसे एक संयोग ही कहा जा सकता है कि जिस माह उनका जन्म हुआ उसी वर्ष उन्होंने दुनिया को सदा के लिए अलविदा कह दिया। किंतु हिंदी साहित्य में उनकी अनुपम रचनाओं के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। 

FAQs 

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जन्म कहाँ हुआ था?

सर्वेश्वर जी का जन्म 15 सितंबर 1927 को उत्तर प्रदेश के बस्ती जिला में पिकौरा नामक गांव में हुआ था।

बकरी नाटक के रचनाकार कौन थे?

बता दें कि बकरी नाटक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी का बहुचर्चित नाटक हैं। 

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने किन पत्रिकाओं का संपादन कार्य किया था?

सर्वेश्वर जी ने ‘दिनमान’ साप्ताहिक पत्रिका और बाल पत्रिका ‘पराग’ का संपादन कार्य किया था। 

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी की मृत्यु कब हुई?

बता दें कि दिल का दौरा पड़ने से सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का 23 सितंबर 1983 को निधन हो गया था। 

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना को किस रचना के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया था?

सर्वेश्वर जी को उनके काव्य संग्रह ‘खूँटियों पर टँगे लोग’ के लिए वर्ष 1983 में मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।  

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना बच्चों की कौन सी पत्रिका के संपादक थे?

वह बाल-पत्रिका ‘पराग’ के संपादक थे।

सोया हुआ जल उपन्यास किसका है?

सोया हुआ जल, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का लोकप्रिय उपन्यास है।

बकरी नाटक किसका है?

बकरी नाटक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की रचना है जिसका प्रकाशन वर्ष 1974 में हुआ था।

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के माता-पिता का क्या नाम था?

उनकी माता का नाम ‘सौभाग्यवती सक्सेना’ जबकि पिता का नाम ‘विश्वेश्वर सिंह सक्सेना’ था।

आशा है कि आपको समादृत साहित्यकार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जीवन परिचय (Sarveshwar Dayal Saxena Ka jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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