राजस्थान की मिट्टियाँ और उनकी विशेषताएं 

1 minute read
राजस्थान की मिट्टियाँ

राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है। राजस्थान विविधताओं से भरा हुआ प्रांत है। राजस्थान में एक तरफ जहाँ थार का मरुस्थल है तो वहीं अरावली की पहाड़ियां भी देखने को मिल जाती हैं। इतनी विविधताएं होने के कारण ही राजस्थान की मिट्टी में भी विविधताएं पाई जाती हैं। राजस्थान सामान्य ज्ञान से जुड़े प्रश्न अक्सर प्रदेश और देश स्तर की विभिन्न नौकरी प्रतियोगिताओं में पूछे जाते हैं। राजस्थान की मिट्टियाँ भी राजस्थान सामान्य ज्ञान का एक महत्वपूर्ण भाग है। यहाँ राजस्थान के मिट्टियाँ और उनके प्रकारों के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है।  

यह भी पढ़ें : पूर्वी राजस्थान के जिले : जानिए पूर्वी राजस्थान के जिलों और उनके क्षेत्रफल, जनसँख्या और मुख्यालय के बारे में 

राजस्थान की मिट्टियाँ

राजस्थान में मृदा के निम्नलिखित प्रकार पाए जाते हैं : 

  • रेतीली मिट्टी 
  • दोमट मिट्टी 
  • लाल काली मिट्टी 
  • पीली लाल मिट्टी 
  • काली मिट्टी 
  • लेटेराइट मिट्टी 
  • जलोढ़ मिट्टी 

यह भी पढ़ें : पश्चिमी राजस्थान के जिले : जानिए पश्चिमी राजस्थान में कौन कौन से जिले आते हैं

राजस्थान की मिट्टियों की विशेषताएं 

यहाँ राजस्थान की मिट्टियों की विशेषताएं बताई जा रही हैं : 

रेतीली मिट्टी 

  • इस प्रकार की मिट्टी मरुस्थलीय क्षेत्र में पाई जाती है। 
  • राजस्थान में इस मिट्टी का विस्तार राजस्थान में 38% तक पाया जाता है। 
  •  इस मिट्टी को एरिडिसोल्स भी कहा जाता है

दोमट मिट्टी 

  • यह मिट्टी उदयपुर जिले के मध्यवर्ती व दक्षिणी भागों में और सम्पूर्ण डूंगरपुर जिले पायी जाती है। 
  • इस मिट्टी में लौह कण प्रचुर मात्रा में होते हैं इस कारण से यह लाल रंग की दिखाई देती है।  
  • इस मिट्टी  में पोटाश व चूने की  मात्रा काफी होती है। 
  • इस ममिट्टी पर मक्का,चावल की खेती की जाती है।

लाल काली मिट्टी 

  • यह मिट्टी उदयपुर के पूर्वी भाग में चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा और भीलवाड़ा जिले के पूर्वी भाग में पायी जाती है। 
  • इस मिट्टी में क्षार के अंश मिले होते हैं।  
  • इस मिट्टी का प्रयोग मुख्य रूप से मक्का और कपास की खेती के लिए किया जाता है। 

पीली लाल मिट्टी 

  • इस प्रकार की मिट्टी उदयपुर व भीलवाड़ा जिलों के पश्चिमी भाग तथा सवाई माधोपुर, अजमेर व सिरोही जिलों में पायी जाती है।
  • इसमें लोहे के कण मिले होते हैं, जिस कारण से यह पीले रंग की दिखाई देती है।  
  • कहीं कहीं यह मिट्टी हलके भूरे रंग की भी देखने को मिलती है।  

काली मिट्टी 

  • यह मिट्टी उदयपुर संभाग के कुछ भागों डूंगरपुर , बाँसवाड़ा कुशलगढ़ , प्रतापगढ़ तथा पूर्व में कोटा व झालावाड़ क्षेत्रों में पायी जाती है। 
  • इस मिट्टी में नमी को रोकने का ख़ास गुण विद्यमान होता है। 
  • काली मिट्टी राजस्थान की सबसे उपजाऊ मृदा है। 
  • काली मिट्टी नकदी की फसल के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। 

लेटेराइट मिट्टी 

  • इस प्रकार की मिट्टी बाँसवाड़ा, प्रतापगढ़ व कुशलगढ़ के कुछ क्षेत्रों में देखने को मिलती है।
  • इस मिट्टी में चूना, नाइट्रेट व ह्यूमरस की मात्रा मिली होती है। 

जलोढ़ मिट्टी 

  • यह मिट्टी राजस्थान के पूर्वी भाग में मुख्यतः पायी जाती है। इसके अलावा यह उत्तरी राजस्थान के कुछ भागों में भी पाई जाती है।  
  • इस मिट्टी में नाइट्रोजन की थोड़ी मात्रा भी मिली होती है।  
  • लोहा, चूना, पोटाश और फॉस्फोरस पदार्थ इस मिट्टी में मुख्य रूप से पाए जाते हैं।  
  • राजस्थान के अलवर, भरतपुर, जयपुर, सवाई माधोपुर और गंगानगर जिले में यह मिट्टी मुख्य रूप से पाई जाती है। 

आशा है कि आपको राजस्थान की मिट्टियाँ, इस विषय के बारे में जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए बने रहिये Leverage Edu के साथ।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*