प्रख्यात लेखक प्रह्लाद अग्रवाल का जीवन परिचय और कृतियाँ

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Prahlad Agarwal Biography in Hindi

प्रहलाद अग्रवाल हिंदी सिनेमा के संदर्भ में हिंदी माध्यम से स्तरीय एवं व्यवस्थित लेखन करने वालों में अग्रगण्य हैं। वे पिछले चार दशकों से हिंदी सिनेमा से संबंधित बहुआयामी लेखन कार्य कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, उनके द्वारा संपादित ‘प्रगतिशील वसुधा’ (पत्रिका) का सिनेमा विशेषांक ‘हिंदी सिनेमा: बीसवीं से इक्कीसवीं सदी तक’ हिंदी सिनेमा पर केंद्रित लेखन के क्षेत्र में एक मील का पत्थर माना जाता है। वे कई पुस्तकों के सहयोगी लेखक भी रहे हैं।

उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं – ‘हिंदी कहानी: सातवाँ दशक’ (आलोचना), ‘तानाशाह’ (उपन्यास), ‘राजकपूर: आधी हक़ीक़त आधा फ़साना’, ‘प्यासा: चिर अतृप्त गुरुदत्त’, तथा ‘कवि शैलेन्द्र: जिंदगी की जीत में यक़ीन’ (सिनेमा)। इस लेख में हम समादृत लेखक प्रह्लाद अग्रवाल का जीवन परिचय और उनकी प्रमुख साहित्यिक रचनाओं के बारे में जानेंगे।

नाम प्रह्लाद अग्रवाल
जन्म 20 मई, 1947
जन्म स्थान जबलपुर, मध्य प्रदेश 
शिक्षा एम.ए (हिंदी)
पेशा प्राध्यापक, लेखक 
भाषा हिंदी 
मुख्य रचनाएँ ‘हिंदी कहानी: सातवाँ दशक’ (आलोचना), ‘तानाशाह’ (उपन्यास) ‘राजकपूर: आधी हक़ीक़त आधा फ़साना’, ‘प्यासा: चिर अतृप्त गुरुदत्त’, ‘कवि शैलेन्द्र: जिंदगी की जीत में यक़ीन’ (सिनेमा) आदि। 
विषयआलोचना, सिनेमा-समीक्षा
संपादन ‘प्रगतिशील वसुधा’ पत्रिका 

मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में हुआ था जन्म

प्रह्लाद अग्रवाल का जन्म 20 मई, 1947 को मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में हुआ था। उन्होंने हिंदी विषय में एम.ए. तक की शिक्षा प्राप्त की है। कहा जाता है कि किशोरावस्था से ही उन्हें हिंदी फिल्मों के इतिहास, फिल्मकारों के जीवन और उनके अभिनय के बारे में विस्तार से जानने और चर्चा करने का शौक था। बाद में उन्होंने हिंदी सिनेमा को अपने विशेष अध्ययन और लेखन का केंद्रबिंदु बनाया।

महाविद्यालय में रहे प्राध्यापक 

प्रह्लाद अग्रवाल ने शिक्षा प्राप्ति के बाद जीविका के लिए विभिन्न कार्य किए। लेकिन बाद में वे सतना के शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक के पद पर नियुक्त हुए। लगभग 35 वर्षों तक अध्यापन के बाद, वर्तमान में वे सेवानिवृत्त हैं।

लेखन कार्य

प्रहलाद अग्रवाल की हिंदी सिनेमा, संगीत और साहित्य में गहरी रुचि रही है। वे फिल्म क्षेत्र से जुड़े व्यक्तित्वों और फिल्मों पर बहुत कुछ लिख चुके हैं। सिनेमा पर उनका पहला आलेख वर्ष 1978 में प्रकाशित हुआ था, जो दिग्गज फिल्म निर्देशक सुभाष घई की फिल्म ‘विश्वनाथ’ पर केंद्रित था। इस आलेख का शीर्षक था – ‘विश्वनाथ बाबू, आप मुक़द्दमा हार गए हैं’। बाद में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनके लेख नियमित रूप से प्रकाशित होते रहे।

इसके अतिरिक्त उन्होंने व्यवस्थित रूप से अनेक पुस्तकों का भी लेखन किया है। हिंदी सिनेमा के तीन दिग्गज निर्देशकों ‘गुरुदत्त’, ‘राजकपूर’ तथा ‘विमल राय’ पर केंद्रित तीन महत्वपूर्ण पुस्तकें भी उन्होंने लिखी हैं।

प्रह्लाद अग्रवाल की प्रमुख रचनाएं

प्रह्लाद अग्रवाल का कृतित्व बहुआयामी रहा है। उन्होंने मुख्यतः संगीत, साहित्य और सिनेमा पर लेखन कार्य किया है। नीचे उनकी समग्र साहित्यिक कृतियों की सूची दी जा रही है:-

उपन्यास 

  • तानाशाह

आलोचना

  • हिंदी कहानी : सातवाँ दशक

सिनेमा

  • राजकपूर : आधी हक़ीक़त आधा फ़साना
  • प्यासा : चिर अतृप्त गुरुदत्त
  • कवि शैलेन्द्र : जिंदगी की जीत में यक़ीन 
  • उत्ताल उमंग : सुभाष घई की फ़िल्मकला 
  • बाज़ार के बाजीगर : इक्कीसवीं सदी का सिनेमा 
  • ओ रे माँझी… : बिमलराय का सिनेमा 
  • जुग-जुग जिए मुन्नाभाई : छवियों का मायाजाल
  • रेशमी ख़्वाबों की धूप-छाँव : यश चोपड़ा का सिनेमा
  • महाबाज़ार के महानायक

FAQs

प्रह्लाद अग्रवाल का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

प्रह्लाद अग्रवाल का जन्म 20 मई, 1947 को मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में हुआ था। 

प्रह्लाद अग्रवाल किस पत्रिका के संपादक रहे है?

प्रह्लाद अग्रवाल ने ‘प्रगतिशील वसुधा’ (पत्रिका) के बहुचर्चित फ़िल्म विशेषांक ‘हिंदी सिनेमा : बीसवीं से इक्कीसवीं सदी तक’ का संपादन किया है।  

तानाशाह उपन्यास किसकी रचना है?

तानाशाह, प्रह्लाद अग्रवाल का बहुचर्चित उपन्यास है।

आशा है कि आपको प्रख्यात लेखक प्रह्लाद अग्रवाल का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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