Pandit Dindayal Upadhyay Ka Jivan Parichay : पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय जनसंघ के सह-संस्थापक एवं महान राजनेता थे। वह आधुनिक भारत के एक ऐसे अनूठे चेहरे थे जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन देश सेवा के लिए समर्पित कर दिया था। एक प्रखर विचारक और उत्कृष्ट संगठनकर्ता होने के साथ ही वह पत्रकार और लेखक भी थे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने लखनऊ में ‘राष्ट्र धर्म प्रकाशन’ नामक संस्थान की स्थापना की थी और यहां से “राष्ट्र धर्म” नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया था। वहीं एक लेखक के रूप में ‘एकात्म मानववाद’ (Integral Humanism), ‘दो योजनाएँ’, ‘सम्राट चंद्रगुप्त’ और ‘जगद्गुरु शंकराचार्य’ उनके द्वारा लिखित प्रमुख पुस्तकें हैं। इस वर्ष 25 सितंबर, 2024 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 108वीं जयंती (Pandit Dindayal Upadhyay Jayanti 2024) मनाई जाएगी।
आइए अब महान राजनेता और भारतीय जनसंघ के सह-संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन परिचय (Pandit Dindayal Upadhyay Ka Jivan Parichay) और उनके कार्यों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मूल नाम | पंडित दीनदयाल उपाध्याय (Pandit Deendayal Upadhyaya) |
उपनाम | दीना |
जन्म | 25 सितंबर, 1916 |
जन्म स्थान | नगला चंद्रभान गांव, मथुरा, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | भगवती प्रसाद उपाध्याय |
माता का नाम | रामप्यारी |
शिक्षा | एम.ए. (अपूर्ण) |
पेशा | राजनेता, पत्रकार, लेखक |
सह-संस्थापक | भारतीय जनसंघ (वर्तमान भारतीय जनता पार्टी- बीजेपी) |
संपादन | “राष्ट्र धर्म” मासिक पत्रिका |
पुस्तकें | एकात्म मानववाद’ (Integral Humanism), ‘दो योजनाएँ’, ‘सम्राट चंद्रगुप्त’ व ‘जगद्गुरु शंकराचार्य’ आदि। |
मृत्यु | 11 फरवरी, 1968 मुगलसराय, उत्तर प्रदेश |
This Blog Includes:
- उत्तर प्रदेश की ब्रजभूमि मथुरा में हुआ था जन्म – Pandit Dindayal Upadhyay Ka Jivan Parichay
- एम.ए रह गई अधूरी
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में हुए शामिल
- भारतीय जनसंघ की स्थापना
- पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रमुख रचनाएँ – Pandit Dindayal Upadhyay Books in Hindi
- रेलयात्रा के दौरान हुई मृत्यु
- FAQs
- पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
उत्तर प्रदेश की ब्रजभूमि मथुरा में हुआ था जन्म – Pandit Dindayal Upadhyay Ka Jivan Parichay
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर, 1916 को उत्तर प्रदेश की ब्रजभूमि मथुरा में नगला चंद्रभान नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘भगवती प्रसाद उपाध्याय’ था जबकि माता का नाम ‘रामप्यारी’ था। बताया जाता है कि मात्र तीन वर्ष की अल्प आयु में उनके पिता का निधन हो गया था। इसके कुछ वर्ष बाद माता का भी क्षय रोग के कारण देहांत हो गया। वे सात वर्ष की बाल्यावस्था में अपने माता-पिता के प्यार से वंचित हो गए थे। फिर वर्ष 1934 में बीमारी के कारण उनके भाई ‘शिवदयाल’ की भी असामयिक मृत्यु हो गयी।
एम.ए रह गई अधूरी
पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा वर्तमान राजस्थान के सीकर में प्राप्त की। पढ़ाई में उत्कृष्ट होने के कारण उन्हें सीकर के तत्कालीन नेरश ने एक स्वर्ण पदक, किताबों के लिए 250 रूपये और दस रूपये की मासिक छात्रवृति से पुरस्कृत किया था। उन्होंने अपनी इंटरमीडिएट की परीक्षा पिलानी में विशेष योग्यता के साथ उत्तीर्ण की थी। इसके पश्चात् वह बी.ए की शिक्षा ग्रहण करने के लिए कानपुर आ गए जहाँ उन्होंने वर्ष 1939 में ‘विक्रमजीत सिंह सनातन धर्म कॉलेज’ में दाखिला लिया और प्रथम श्रेणी से बीए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसी दौरान वह अपने एक मित्र ‘बलवंत महाशब्दे’ की प्रेरणा से सन 1937 में ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ (आरएसएस) में शामिल हो गए।
फिर पंडित दीनदयाल उपाध्याय एमए. की पढ़ाई के लिए आगरा आ गए और ‘डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय’ में दाखिला ले लिया। आगरा में अपनी शिक्षा के दौरान उनका परिचय महान समाजसेवी और राजनीतिज्ञ ‘नानाजी देशमुख’ (Nanaji Deshmukh) से हुआ। किंतु इस कालावधि के बीच उनकी बहन ‘रमादेवी’ गंभीर रूप से बीमार पड़ गईं और इलाज के दौरान उनकी आगरा में मृत्यु हो गई। बहन की मृत्यु से उनके जीवन में गहरा आघात लगा। जिसके कारण वह अपनी एम.ए की परीक्षा नहीं दे पाए और उन्हें मिलने वाली छात्रवृति भी समाप्त हो गई।
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में हुए शामिल
इसके उपरांत पंडित दीनदयाल उपाध्याय बी.टी. का कार्स करने के लिए इलाहाबाद (अब प्रयागराज) आ गए। किंतु इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में अपनी सेवाएं जारी रखी। वहीं बी.टी. का कार्स पूर्ण होने के बाद वह पूर्णकालिक रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। वर्ष 1955 में वह आरएसएस के उत्तर प्रदेश के प्रांत प्रचारक बन गए। इसके कुछ समय बाद पंडित जी ने लखनऊ में राष्ट्र धर्म प्रकाशन नामक संस्थान की स्थापना की और यहां से “राष्ट्र धर्म” नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन आरंभ किया। बाद में उन्होंने ‘पांचजन्य’ साप्ताहिक तथा ‘स्वदेश’ दैनिक की भी शुरुआत की।
भारतीय जनसंघ की स्थापना
वर्ष 1950 में जब केंद्र सरकार में पूर्व मंत्री ‘डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी’ ने प्रधानमंत्री ‘जवाहरलाल नेहरू’ के मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दिया और देश में एक वैकल्पिक राजनीतिक मंच के सृजन के लिए ‘माधव सदाशिव गोलवालकर’ से सहायता मांगी। तब 21 सितंबर 1951 को उत्तर प्रदेश में एक नए राजनीतिक दल ‘भारतीय जनसंघ’ की स्थापना हुई। इस पार्टी को बनाने में पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ श्यामा प्रसाद जी उनकी बुद्धिमत्ता और विचारधारा से इतने प्रभावित थे, कि उन्होंने उनके लिए कहां की ‘अगर मेरे पास दो दीनदयाल होते, तो मैं भारत के राजनीतिक चेहरे को बदल देता ”
सर्वप्रथम ‘डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी’ ने वर्ष 1951 में भारतीय जनसंघ के प्रथम अखिल भारतीय सम्मेलन की अध्यक्षता की। इसके बाद वर्ष 1968 में पंडित जी ने भारतीय जनसंघ की अध्यक्षता संभाली। इस महत्त्वपूर्ण ज़िम्मेदारी को संभालने के बाद पंडित जी जनसंघ का संदेश लेकर दक्षिण भारत भी गए।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रमुख रचनाएँ – Pandit Dindayal Upadhyay Books in Hindi
यहाँ पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन परिचय (Pandit Dindayal Upadhyay Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनके द्वारा लिखी कुछ प्रमुख पुस्तकों के बारे में बताया गया है :-
- एकात्म मानववाद – (Integral Humanism)
- दो योजनाएँ
- सम्राट चन्द्रगुप्त
- जगद्गुरु शंकराचार्य
- राष्ट्र चिन्तन : यह पुस्तक दीनदयाल उपाध्याय द्वारा दिए गए भाषणों का संग्रह है।
- Life in Out line
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रेलयात्रा के दौरान हुई मृत्यु
पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मुगलसराय रेलवे स्टेशन (अब पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन) पर संदिग्ध परिस्थितियों में 11 फरवरी, 1968 को मृत्यु हुई थी। किंतु अपने कार्यों और जनसेवा के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। भारतीय डाक विभाग ने उनके सम्मान में कई स्मृति डाक टिकट जारी की हैं।
FAQs
पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय जनसंघ के सह-संस्थापक एवं महान राजनेता थे।
उनका जन्म 25 सितंबर, 1916 को उत्तर प्रदेश की ब्रजभूमि मथुरा में नगला चंद्रभान नामक गांव में हुआ था।
उनकी माता का नाम ‘रामप्यारी’ था जबकि पिता का नाम ‘भगवती प्रसाद उपाध्याय’ था।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन का पुराना नाम मुगलसराय रेलवे स्टेशन था।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर संदिग्ध परिस्थितियों में 11 फरवरी, 1968 को मृत्यु हुई थी।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ भारतीय जनसंघ के सह-संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन परिचय (Pandit Dindayal Upadhyay Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं –
आशा है कि आपको महान राजनेता एवं प्रखर विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन परिचय (Pandit Dindayal Upadhyay Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।