क्या आप सोच रहे हैं Nishachar Mein Kaun Sa Samas Hai? तो आपको बता दें कि निशाचर में बहुव्रीहि समास है। यह जानने से पहले कि बहुव्रीहि समास क्या होता है, यह जानते हैं कि समास किसे कहते हैं? अलग अर्थ रखने वाले दो शब्दों या पदों (पूर्वपद तथा उत्तरपद) के मेल से बना तीसरा नया शब्द या पद समास या समस्त पद कहलाता है तथा वह प्रक्रिया जिसके द्वारा ‘समस्त पद’ बनता है, समास-प्रक्रिया कही जाती है। Nishachar Mein Kaun Sa Samas Hai यह तो आप जान गए हैं, आप इस ब्लॉग में आगे जानेंगे निशाचर का समास विग्रह, निशाचर में बहुव्रीहि समास क्यों है, बहुव्रीहि समास क्या होता है और साथ ही वहुव्रीहि समास के कुछ अन्य उदाहरण।
Nishachar Mein Kaun Sa Samas Hai?
निशाचर में बहुव्रीहि समास है।
बहुब्रीहि समास क्या होता है?
बहुव्रीहि समास में न तो पूर्वपद प्रधान होता है और न ही उत्तरपद। बल्कि इसके दोनों पद परस्पर मिलकर किसी तीसरे बाहरी पद के बारे में कुछ कहते हैं और यह तीसरा पद ही ‘प्रधान’ हाता है। उदाहरण के लिए, त्रिलोचन यह शब्द ‘त्रि’ तथा ‘लोचन’ दो पदों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है-तीन नेत्र। यदि इसका विग्रह किया जाए -तीन हैं नेत्र जिसके अर्थात महादेव तो यह उदाहरण बहुव्रीहि समास का होगा, क्योंकि इस विग्रह में ‘त्रि’ तथा ‘लोचन’ दोनों पद मिलकर तीसरे पद ‘महादेव’ की विशेषता बता रहे हैं।
उदाहरण
समस्तपद | विग्रह | प्रधान पद |
अंशुमाली | अंशु (किरणें) हैं मालाएँ जिसकी | सूर्य |
चारपाई | चार हैं पाए जिसके | पलंग |
तिरंगा | तीन रंग हैं जिसके | भारतीय राष्ट्रध्वज |
विषधर | विष को धारण किया है जिसने | शिव |
षडानन | षट् (छह) हैं आनन (मुख) जिसके | कार्तिकेय |
चक्रधर | चक्र धारण किया है जिसने | विष्णु |
गजानन | गज के समान आनन है जिसका | गणेश |
घनश्याम | घन के समान श्याम (काले) हैं जो | कृष्ण |
मेघनाद | मेघ के समान करता है नाद जो | रावण-पुत्र इंद्रजीत |
विषधर | विष को धारण करता है जो | सर्प |
चतुरानन | विष को धारण करता है जो | ब्रह्मा |
गिरिधर | गिरि को धारण किया है जिसने | श्री कृष्ण |
सुलोचना | सुंदर लोचन हैं जिसके | विशेष स्त्री |
निशाचर शब्द का समास विग्रह
निशाचर का समास विग्रह निशा में विचरण करने वाला अर्थात राक्षस है और यह शब्द बहुव्रीहि समास है।
द्विगु और कर्मधारय समास में अंतर
द्विगु समास तथा कर्मधारय समास में सबसे बड़ा अंतर यही है कि द्विगु समास का पूर्वपद संख्यावाची विशेषण होता है जबकि कर्मधारय समास का पूर्वपद विशेषण हो सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि द्विगु समास का उत्तरपद किसी समूह का बोध कराता है। यदि विग्रह करते समय उत्तरपद के साथ समूह या समाहार शब्द का प्रयोग नहीं किया गया हो तो पूर्वपद संख्यावाची होते हुए भी यह कर्मधारय समास कहलाएगा।
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FAQs
चौराहा में द्विगु समास होता है।
पंचवटी में द्विगु समास होता है।
तिरंगा में द्विगु समास है।
उम्मीद है कि Nishachar Mein Kaun Sa Samas Hai आपको समझ आया होगा। यदि आप समास के अन्य प्रश्नों से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ना चाहते हैं तो Leverage Edu के साथ बने रहें।