Nirmala Putul Ka Jivan Parichay : निर्मला पुतुल संथाली और हिंदी भाषा की सुप्रसिद्ध कवयित्री, लेखिका एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह लगभग दो दशकों से अधिक समय से आदिवासी महिलाओं के विस्थापन, पलायन, लैंगिक भेदभाव, मानवाधिकार जैसे विषयों पर व्यक्तिगत, सामूहिक और संस्थागत स्तर पर सक्रिय रही हैं। वहीं उनकी कविताओं में आदिवासी समुदाय की संस्कृति का सौंदर्यपूर्ण चित्रण साफ नजर आता है। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं- ‘नगाड़े की तरह बजते शब्द’, ‘अपने घर की तलाश में’ और ‘बेघर सपने’ (काव्य-संग्रह)।
निर्मला पुतुल जी को साहित्य में अपना उल्लेखनीय योगदान देने के लिए साहित्य अकादमी, नई दिल्ली द्वारा ‘साहित्य समान’ (2001), झारखंड सरकार द्वारा ‘राजकीय समान’ (2006), ‘मुकुटबिहारी सरोज स्मृति सम्मान’– ग्वालियर (2006) व ‘बनारसीप्रसाद भोजपुरी समान’ (2007) आदि से सम्मानित किया जा चुका हैं। बता दें कि उनकी कविताएं भारत के विभिन्न स्कूलों की पाठ्य-पुस्तकों में शामिल की गई हैं। इसके साथ ही विभिन्न विश्वविद्यालयों में उनकी कविताओं पर शोध-प्रबंध लिखे गए हैं। जबकि बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं।
आइए अब इस लेख में सुपरिचित कवयित्री निर्मला पुतुल का जीवन परिचय (Nirmala Putul Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | निर्मला पुतुल (Nirmala Putul) |
जन्म | 6 मार्च, 1972 |
जन्म स्थान | दुमका जिला, झारखंड |
पिता का नाम | सिरील मुरमू |
माता का नाम | कामिनी हांसदा |
शिक्षा | बी.ए. (राजनीतिशास्त्र), नसिंग में डिप्लोमा। |
कार्य-क्षेत्र | लेखन एवं सामाजिक एवं शैक्षणिक कार्यों को समर्पित। |
भाषा | संथाली और हिंदी |
मुख्य रचनाएँ | ‘नगाड़े की तरह बजते शब्द’, ‘अपने घर की तलाश में’ व ‘बेघर सपने’ (काव्य-संग्रह)। |
पुरस्कार एवं सम्मान | साहित्य समान, झारखंड सरकार द्वारा राजकीय समान, राष्ट्रीय युवा पुरस्कार व बनारसीप्रसाद भोजपुरी समान आदि। |
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झारखंड के दुमका जिले में हुआ था जन्म – Nirmala Putul Ka Jivan Parichay
प्रसिद्ध कवयित्री निर्मला पुतुल का जन्म 6 मार्च, 1972 को झारखंड राज्य के दुमका जिले में एक आदिवासी परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम स्वर्गीय सिरील मुरमू तथा माता का नाम कामिनी हांसदा हैं। बताया जाता है कि उनका आरंभिक जीवन बहुत संघर्षमय रहा था। उनके घर में पिता और चाचा दोनों ही शिक्षक थे जिस वजह से घर में शिक्षा का माहौल शुरू से ही था। किंतु प्रतिकूल आर्थिक स्थिति के कारण उनका नियमित अध्ययन बाधित होता रहा।
राजनीतिशास्त्र में किया बी.ए.
निर्मला पुतुल ने आर्थिक कष्टों से मुक्ति और आजीविका हेतु नर्सिंग में डिप्लोमा किया था। नर्सिंग की शिक्षा के दौरान उनका परिचय बाहर की दुनिया से भी हुआ। जिससे वह अपने परिवेश की वास्तविक स्थिति को समझने में सफल हो सकीं। बाद में उन्होंने ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय’ (IGNOU) से राजनीतिशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
निर्मला पुतुल साहित्यिक परिचय
निर्मला पुतुल ने अपनी कविताओं में आदिवासी समाज की विसंगतियों को तल्लीनता से उकेरा है, उत्पीड़न, सामाजिक कुरीतियां, पुरुष वर्चस्व, लैंगिक भेदभाव, विस्थापन और पर्यावरण की हानि आदि वे स्थितियां हैं जो उनकी कविताओं के केंद्र में हैं। वे आदिवासी जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं से, कलात्मकता के साथ हमारा परिचय कराती हैं। बता दें कि उन्होंने कविता-लेखन की शुरुआत अपनी मातृभाषा संथाली में की थी। लेकिन बाद में वह हिंदी में भी लिखने लगी।
निर्मला पुतुल (Nirmala Putul) साहित्य सृजन के साथ ही आदिवासी महिलाओं के समग्र उत्थान के विकास के कार्यों में भी जुटी हुई हैं। महिला शिक्षा, आदिवासी एवं साहित्य से जुड़े कार्यक्रम और सम्मेलनों में उन्हें मुख्य रूप से आमंत्रित किया जाता है। बता दें कि उनके जीवन पर आधारित फिल्म ‘बुरू-गारा’ (Buru Gaara) को वर्ष 2010 में सामाजिक मुद्दों पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए ‘राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार’ मिला था।
निर्मला पुतुल की रचनाएँ – Nirmala Putul Ki Rachnaye
निर्मला पुतुल की कविताओं में आदिवासी समाज का सजीव चित्रण देखने को मिलता हैं। वहीं उनकी कविताओं का अनेक भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ हैं। यहाँ निर्मला पुतुल का जीवन परिचय के साथ ही उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में बताया गया है:-
कविता-संग्रह
कविता-संग्रह | प्रकाशन |
अपने घर की तलाश में | वर्ष 2004 |
नगाड़े की तरह बजते शब्द | वर्ष 2005 |
बेघर सपने | वर्ष 2014 |
पुरस्कार एवं सम्मान
निर्मला पुतुल (Nirmala Putul Ka Jivan Parichay) को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं :-
- साहित्य अकादमी नई दिल्ली द्वारा साहित्य समान – वर्ष 2001
- झारखंड सरकार द्वारा राजकीय समान – वर्ष 2006
- मुकुटबिहारी सरोज स्मृति सम्मान, ग्वालियर – वर्ष 2006
- भारत आदिवासी सम्मान, मिजोरम सरकार – वर्ष 2006
- विनोबा भावे सम्मान-नागरी लिपि परिषद, दिल्ली – वर्ष 2006
- बनारसीप्रसाद भोजपुरी समान, बिहार – वर्ष 2007
- शिला सिद्धांतकर स्मृति समान, नई दिल्ली – वर्ष 2008
- राष्ट्रीय युवा पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद् कोलकाता – वर्ष 2009
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ सुपरिचित कवयित्री निर्मला पुतुल का जीवन परिचय (Nirmala Putul Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
निर्मला पुतुल का जन्म 6 मार्च, 1972 को झारखंड राज्य के दुमका जिले में हुआ था।
निर्मला पुतुल की माता का नाम कामिनी हांसदा और पिता का नाम सिरील मुरमू था।
नगाड़े की तरह बजते शब्द, अपने घर की तलाश में और बेघर सपने उनके प्रमुख काव्य-संग्रह हैं।
अपने घर की तलाश में, निर्मला पुतुल का बहुचर्चित काव्य-संग्रह है।
आशा है कि आपको सुपरिचित कवयित्री निर्मला पुतुल का जीवन परिचय (Nirmala Putul Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।