संधि, हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण विषयों में से एक है। इसका शाब्दिक अर्थ है- मेल। यानी दो वर्णों के परस्पर मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे संधि कहा जाता है और दो शब्दों के मेल से बने शब्द को पुनः अलग अलग करना संधि विच्छेद कहलाता है।
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Naresh ka Sandhi Viched क्या है?
इस लेख में हम जानेंगे कि नरेश का संधि विच्छेद क्या होगा। तो आईये आपको बताते हैं कि नरेश का संधि विच्छेद होगा ‘नर + ईश‘। नरेश शब्द में गुण स्वर संधि लागू होती है।
गुण संधि
यदि ‘अ’ या ‘आ’ के साथ इ/ई आए तो ‘ए’ ; ऊ/ऊ आए तो ‘ओ’ और ‘ऋ’ आए तो ‘अर’ बनता है। इस प्रकार से बनने वाले शब्दों को गुण संधि कहा जाता है।
इस संधि के 3 रूप होते हैं जो कि निम्नलिखित है-
- जब अ,आ के साथ इ, ई हो तो “ए” बनता है।
- जब अ,आ के साथ उ,ऊ हो तो “ओ” बनता है।
- जब अ,आ के साथ ऋ हो तो” अर” बनता है।
उदाहरण
- नर + इंद्र = नरेंद्र
- उप + ईक्षा = उपेक्षा
- महा + ईश = महेश
- ज्ञान + उदय = ज्ञानोदय
नरेश से बनने वाले शब्दों का वाक्य में प्रयोग
नरेश से बनने वाले शब्दों का वाक्य में प्रयोग निम्नलिखित है:
- आयोध्या के नरेश दशरथ के चार पुत्र थे।
- लंका का नरेश रावण था।
- नरेश का पर्यायवाची क्या है?
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आशा करते हैं कि इस ब्लॉग से आपको Naresh ka Sandhi Viched पता चल गया होगा। संधि से जुड़े हुए अन्य महत्वपूर्ण और रोचक ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।