स्वर संधि: परिभाषा, प्रकार, नियम और उदाहरण

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स्वर संधि

संधि, हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण विषयों में से एक है। इसका शाब्दिक अर्थ है- मेल। यानी दो वर्णों के परस्पर मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे संधि कहा जाता है। संधि में पहले शब्द के अंतिम वर्ण या ध्वनि और दूसरे शब्द के प्रथम वर्ण या ध्वनि का मेल होने पर एक अलग स्वर बनता है। इसी प्रकार इस लेख में हम आपको स्वर संधि के बारे में विस्तार से बताएंगे, जिसमें आपको स्वर संधि की परिभाषा, नियम, प्रकार और उदाहरण बताये जाएंगे।

जैसे-

  • हिम + आलय = हिमालय
  • विद्या + आलय = विद्यालय
  • सत् + आनन्द = सदानन्द

हिमालय दो शब्द हिम और आलय से मिलकर बना है। पहला शब्द हिम का अंतिम वर्ण ‘म‘ है और ‘म‘ वर्ण (म् + अ) से मिलकर बना है इसलिए हिम का अंतिम वर्ण ‘अ‘ है दूसरा शब्द (आलय) का पहला वर्ण ‘आ‘ है । जब अ + आ मिलता तो ‘आ‘ बनता है और ‘आ‘ की मात्रा लगती है इसलिए हिम्(अ) + (आ)लय = हिमालय

स्वर संधि क्या है?

जब स्वर के साथ स्वर का मेल होता है यानी दो स्वरों के मिलने पर जो परिवर्तन होता है वह स्वर संधि कहलाता है। हिंदी भाषा में मूल रूप से 11 स्वर होते हैं, बाकी के अक्षर व्यंजन के होते हैं। जब दो स्वर मिलते हैं जब उसमें से जो तीसरा स्वर बनता है वह स्वर संधि कहलाता है।

उदाहरण: विद्या+आलय -विद्यालय

Source: Digi Nurture

स्वर संधि के प्रकार

स्वर संधि के पांच प्रकार होते हैं

  • दीर्घ संधि
  • गुण संधि
  • वृद्धि संधि
  • यण संधि
  • अयादि संधि

दीर्घ संधि

दीर्घ संधि में दो स्वर्ण या सजातीय स्वरों के बीच संधि होकर उनके दीर्घ रूप हो जाते है। अर्थात दो स्वर्ण स्वर मिलकर दीर्घ हो जाते हैं।

इस संधि के चार रूप होते है-

  • जब अ,आ के साथ अ,आ हो तो “आ” बनता है
  • जब इ,ई के साथ इ,ई हो तो “ई” बनता है
  • जब उ,ऊ के साथ उ,ऊ हो तो “ऊ”बनता है
  • ऋ के साथ ऋ/ ऋ हो तो “ऋ” बनता है

उदाहरण

  • पुस्तक +आलय = पुस्तकालय
  • विद्या+अर्थी = विद्यार्थी
  • भानु+उदय = भानूदय
  • महा + आत्मा = महात्मा
  • दया + आनंद = दयानंद
  • पितृ +ऋण = पितृण
  • धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
  • परम + अर्थ = परमार्थ
  • रत्न + आकर = रत्नाकर
  • सीमा + अंत = सीमांत

गुण संधि

यदि ‘अ’ या ‘आ’ के साथ इ/ई  आए तो ‘ए’ ; ऊ/ऊ आए तो ‘ओ’ और ‘ऋ’ आए तो ‘अर’ बनता है। इस प्रकार से बनने वाले शब्दों को गुण संधि कहा जाता है।

  • जब अ,आ के साथ इ, ई हो तो “ए” बनता है
  • जब अ,आ के साथ उ,ऊ हो तो “ओ” बनता है
  • जब अ,आ के साथ ऋ हो तो” अर” बनता है

उदाहरण

  • नर+ इंद्र = नरेंद्र
  • हेमा + इन्द्र = हेमेन्द्र
  • नर + ईश = नरेश
  • महा + ईश्वर = महैश्वर्य
  • ज्ञान+उपदेश = ज्ञानोपदेश
  • जल + ऊर्मि = जलोर्मि
  • महा + उदय = महोदय
  • दया + ऊर्मि = दयोर्मि
  • देव+ऋषि = देवर्षि
  • महा + ऋषि = महर्षि

वृद्धि संधि

यदि ‘अ’/ ‘आ’ के साथ ए/ ऐ आये तो ‘ऐ’ और ओ/ औ आये तो औ बन जाता है। इस प्रकार बनने वाले शब्दों को वृद्धि संधि कहा जाता है।

  • जब अ,आ के साथ ए,ऐ हो तो “ऐ” बनता है।
  • जब अ,आ के साथ ओ,औ हो तो ” औ” बनता है।

उदाहरण

  • मत+एकता = मतैकता
  • सदा+एव = सदैव
  • महा+ओज = महौज
  • एक + एक = एकैक
  • वन + ओषधि = वनौषधि
  • महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
  • महा + ओजस्वी = महौजस्वी
  • परम + औषध = परमौषध
  • तत + एव = ततैव
  • महा+औदार्य = महौदार्य

यण संधि

यदि इ/ई, उ/ऊ और ऋ के बाद भिन्न स्वर आए तो इ/ई का ‘य’ उ/ऊ का ‘व’ और ऋ का ‘र’ हो जाता है।

  • जब इ,ई के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ” य” बन जाता है
  • जब उ,ऊ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो” व” बन जाता है
  • जब ऋ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो” र ” बन जाता है

उदाहरण

  • इती+ आदि = इत्यादि
  • अनु+अय = अनवय
  • सु+ आगत = स्वागत
  • अनु + एषण = अन्वेषण
  • अधि + अयन = अध्ययन
  • अनु + इत = अन्वित
  • प्रति + एक = प्रत्येक
  • अति + आवश्यक = अत्यावश्यक
  • अति + अंत = अत्यंत
  • प्रति + अक्ष = प्रत्यक्ष

अयादि संधि

यदि ए, ऐ, ओ और औ के बाद भिन्न स्वर आये तो ‘ए’ का अय ‘ऐ’ का आय, ‘ओ’ का अव और ‘औ’ का आव हो जाता है। अय, आय, अव और आव के य और व आगे वाले भिन्न स्वर से मिल जाते है |

  • जब ए,ऐ,ओ,औ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ” ए- अय “, ” ऐ- आय”, “ओ- अव ” , “औ- आव”  मैं हो जाता है
  • य, वह से पहले व्यंजन पर अ,आ की मात्रा हो तो वह अयादि संधि हो सकती है परंतु अगर कोई विच्छेद ना निकलता हो तो के + बाद आने वाले भाग को वैसा ही लिखना होगा अयादि संधि कहलाता है।

उदाहरण

  • ने+अन = नयन
  • नौ+ इक = नाविक
  • भो+अन = भवन
  • नौ + इक = नाविक
  • पो + इत्र = पवित्र
  • चे + अन = चयन
  • पो + अन = पवन
  • शो+ अ = शव
  • विधै+ अक = विधायक
  • विने + अ = विनय

FAQs

चित्रोपम का संधि विच्छेद क्या है ?

चित्रोपम का संधि विच्छेद है चित्र + उपम।

संधि कितने प्रकार की होती है?

संधि के तीन प्रकार होते हैं
1. स्वर संधि
2. व्यंजन संधि
3. विसर्ग संधि

स्वर संधि के कितने भेद होते है?

स्वर संधि के पांच प्रकार होते हैं
1. दीर्घ संधि
2. गुण संधि
3. वृद्धि संधि
4. गुण संधि
5. अयादि संधि

मनोनुकूल का संधि विच्छेद क्या है?

मनोनुकूल का संधि विच्छेद है मनः + अनुकूल 

आशा करते हैं कि आपको इस ब्लॉग से आपको स्वर संधि के बारे में जानकारी प्राप्त हुई होगी। संधि से जुड़े हुए अन्य महत्वपूर्ण और रोचक ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।

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