मतिराम हिंदी साहित्य के रीतिकाल की रीतिबद्ध काव्यधारा के प्रमुख कवि थे। रीतिबद्ध कवियों को ‘आचार्य कवि’ भी कहा जाता है, क्योंकि इन्होंने संस्कृत काव्यशास्त्र से काव्य के लक्षण तो लिए, परंतु उदाहरण स्वरूप अपनी मौलिक रचनाएं प्रस्तुत कीं। मतिराम ने भी अपनी रचनाओं के माध्यम से हिंदी साहित्य को अनेक अनुपम काव्य कृतियाँ दीं। अपने जीवनकाल में वे कई राजाओं के आश्रय में रहे और उन्हें साहित्यिक योगदान के लिए सम्मान एवं ख्याति प्राप्त हुई। उनके आश्रयदाताओं में बूंदी नरेश भावसिंह और कुमायूं नरेश ज्ञानचंद प्रमुख माने जाते हैं।
‘ललित ललाम’, ‘रसराज’, ‘साहित्यसार’, ‘लक्षण शृंगार’ और ‘मतिराम सतसई’ उनकी प्रमुख रचनाएं हैं। इनमें ‘ललित ललाम’ काव्य ग्रंथ उनकी प्रसिद्धि का प्रमुख आधार माना जाता है। इस लेख में मतिराम के जीवन परिचय और उनकी प्रमुख रचनाओं का विवरण दिया गया है।
| नाम | मतिराम |
| जन्म | संवत 1774 |
| पेशा | कवि |
| भाषा | ब्रज |
| विधाएँ | पद्य |
| मुख्य रचनाएँ | ‘ललित ललाम’, ‘रसराज’, ‘साहित्यसार’, ‘लक्षणशृंगार’ और ‘मतिराम सतसई’ |
| आश्रयदाता | बूंदीनरेश भावसिंह व कुमायूं नरेश ज्ञानचंद |
| साहित्यकाल | रीतिकाल (रीतिबद्ध) |
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मतिराम का जन्म
अन्य प्राचीन कवियों की भांति कवि मतिराम का कोई प्रमाणिक जीवनवृत्त अब तक उपलब्ध नहीं है। उनके जीवन और रचनाओं को लेकर आलोचकों एवं इतिहासकारों के बीच मतभेद पाया जाता है। ‘मिश्र बंधु विनोद’ के अनुसार उनका जन्म संवत 1774 के आसपास उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद स्थित तिकवाँपुर नामक ग्राम में हुआ था। उन्हें ‘रत्नाकर त्रिपाठी’ का पुत्र और प्रसिद्ध कवि ‘भूषण’ का सहोदर भाई माना जाता है।
दूसरी ओर, डॉ. भगीरथ मिश्र हिंदी साहित्य कोश में दो अलग-अलग मतिराम नामक कवियों का उल्लेख करते हैं। प्रथम मतिराम उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के तिकवाँपुर गाँव के निवासी तथा रीतिकालीन कवि चिंतामणि और भूषण के सगे भाई माने जाते हैं। दूसरी ओर, दूसरे मतिराम का उल्लेख केवल ‘वृत्त-कौमुदी’ ग्रंथ के आधार पर मिलता है।
मतिराम किस नरेश के दरबारी कवि थे?
मतिराम अपने जीवनकाल में कई आश्रयदाताओं के पास रहे और उन्हें विशेष सम्मान प्राप्त हुआ। उनका अधिकांश समय बूंदी नरेश भावसिंह के दरबार में व्यतीत हुआ। अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘ललित ललाम’ में उन्होंने बूंदी के राजाओं की वीरता का वर्णन किया है। इसके अलावा बादशाह जहांगीर और कुमाऊँ नरेश ज्ञानचंद भी उनके प्रमुख आश्रयदाता थे।
मतिराम की रचनाएं
आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी साहित्य के इतिहास में मतिराम के जिन ग्रंथों का उल्लेख किया है, उनमें ‘ललित ललाम’, ‘रसराज’, ‘साहित्यसार’, ‘फूलमंजरी’, ‘लक्षण मंजरी’ और ‘मतिराम सतसई’ प्रमुख हैं। ये ग्रंथ अधिकांशतः भारतीय काव्यशास्त्र परंपरा से प्रेरणा लेकर रचित हैं। नीचे उनकी प्रमुख प्रामाणिक रचनाओं का विवरण दिया गया है:-
काव्य-ग्रंथ
- ललित ललाम
- रसराज
- साहित्यसार
- फूलमंजरी
- लक्षण मंजरी
- मतिराम सतसई
- अलंकार पंचाशिका
- वृत-कौमुदी
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मतिराम की काव्यगत विशेषताएँ
मतिराम ब्रजभाषा के प्रमुख कवि थे। उनके काव्य में शृंगार और वीर रस का संतुलित रूप दिखाई देता है, जिससे वे जीवन के ‘भोग’ और ‘कर्म’ दोनों पक्षों को सुंदर ढंग से प्रस्तुत करते हैं। वे अपने समय के विशिष्ट कवियों में गिने जाते हैं, क्योंकि उनकी रचनाओं में कला की खूबियां स्पष्ट दिखाई देती हैं। भावों का वर्णन वे सरल रेखाओं के माध्यम से करते हैं, जबकि वस्तुओं का चित्रण करते समय वे रेखाओं और रंगों दोनों का उपयोग करते हैं।
FAQs
संवत 1774 के आसपास मतिराम का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के तिकवांपुर गांव में हुआ था।
मतिराम हिंदी साहित्य के रीतिकाल में ‘रीतिबद्ध’ काव्य धारा के श्रेष्ठ कवि थे।
मतिराम मुख्यतः ‘बूंदीनरेश भावसिंह’ के दरबारी कवि थे।
‘रसराज’ रीतिबद्ध कवि मतिराम का लोकप्रिय काव्य ग्रंथ है।
आशा है कि आपको कवि मतिराम का जीवन परिचय पर आधारित हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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