क्या आप सोच रहे हैं Mahakavya Mein Kaun Sa Samas Hai? तो आपको बता दें कि महाकाव्य में कर्मधारय समास होता है। यह जानने से पहले कि कर्मधारय समास क्या होता है, यह जानते हैं कि समास किसे कहते हैं? अलग अर्थ रखने वाले दो शब्दों या पदों (पूर्वपद तथा उत्तरपद) के मेल से बना तीसरा नया शब्द या पद समास या समस्त पद कहलाता है। महाकाव्य में कौन सा समास है तो आप जान गए हैं, अब इस ब्लॉग में जानेंगे महाकाव्य का समास विग्रह, कर्मधारय समास क्या होता है और साथ ही कर्मधारय समास के कुछ अन्य उदाहरण।
Mahakavya Mein Kaun Sa Samas Hai?
महाकाव्य में कर्मधारय समास होता है और इसका अर्थ महान है जो काव्य होता है।
कर्मधारय समास क्या होता है?
कर्मधारय समास के दोनों पदों के बीच दो तरह के संबंध हो सकते हैं-विशेषण-विशेष्य तथा उपमेय-उपमान। वस्तुतः उपमान भी उपमेय की विशेषता बताने का ही कार्य करता है। विशेषण-विशेष्य संबंध वाले कर्मधारय समास इस प्रकार हैं:
विशेषण | विशेष्य | समस्तपद | विग्रह |
नील | गाय | नीलगाय | नीली है जो गाय |
महा | आत्मा | महात्मा | महान है जो आत्मा |
भला | मानस | भलामानस | भला है जो मानस |
महा | देव | महादेव | महान है जो देव |
पर | नारी | परनारी | पराई है जो नारी |
उत्तम | पुरुष | पुरुषोत्तम | उत्तम है जो पुरुष। |
महाकाव्य शब्द का समास विग्रह
महाकाव्य दो शब्दों का जोड़ है और इसका समास विग्रह होता है- महान है जो काव्य।
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उम्मीद है कि Mahakavya Mein Kaun Sa Samas Hai आपको समझ आया होगा। यदि आप समास के अन्य प्रश्नों से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ना चाहते हैं तो Leverage Edu के साथ बने रहें।