बच्चों के लिए खाद्य सुरक्षा पर निबंध

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खाद्य सुरक्षा पर निबंध

खाद्य सुरक्षा को समझने से छात्रों को संतुलित आहार और पोषक तत्वों के महत्व के बारे में जानने में मदद मिलती है। खाद्य सुरक्षा का ज्ञान पौष्टिक भोजन की उपलब्धता और पहुँच के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देता है। छात्र सीखते हैं कि खाद्य सुरक्षा आर्थिक स्थिरता और विकास को कैसे प्रभावित करती है, क्योंकि अच्छी तरह से खिलाई गई आबादी अधिक उत्पादक होती है और आर्थिक विकास में योगदान देती है। इसलिए कई बार छात्रों को खाद्य सुरक्षा पर निबंध लिखने को दिया जाता है। इस ब्लॉग में खाद्य सुरक्षा पर निबंध 100, 200 और 500 शब्दों में दिए गए हैं। 

खाद्य सुरक्षा पर 100 शब्दों निबंध

देश में खाद्य सुरक्षा यह सुनिश्चित करती है कि बुनियादी पोषण की कमी वाले लोगों को पर्याप्त भोजन मिले। भारत कृषि प्रधान देश होने के बावजूद खाद्य सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट है कि भारत में लगभग 195 मिलियन कुपोषित लोग हैं जो दुनिया की कुपोषित आबादी का एक चौथाई हिस्सा हैं। इसके अलावा लगभग 43% भारतीय बच्चे दीर्घकालिक कुपोषण से पीड़ित हैं। खाद्य सुरक्षा सूचकांक में भारत 125 देशों में से 111वें स्थान पर है। भारत कैलोरी सेवन के लिए पोषण संबंधी मानकों को पूरा करता है लेकिन यह गुणवत्ता वाले प्रोटीन की खपत में पीछे रह जाता है। इस कारण से आवश्यक सेवन का केवल 20% ही प्राप्त करता है। इस समस्या का समाधान करने के लिए, भारत को प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को अधिक सुलभ और किफ़ायती बनाने की आवश्यकता है। आधुनिक पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों का उपयोग करना महत्त्वपूर्ण हैं। जिस खाद्यान्न के लिए अतिरिक्त भूमि और पानी की अधिक जरूरत नहीं होती है वे लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। इन क्षेत्रों में सुधार करने से भारत को 100% खाद्य सुरक्षा बनाने में मदद मिलेगी।

खाद्य सुरक्षा पर 200 शब्दों निबंध

भारत में हुए आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार भारत को आपूर्ति बाधाओं, पानी की कमी, छोटे भू-स्वामित्व, कम प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद और अपर्याप्त सिंचाई जैसी चुनौतियों के कारण खाद्य सुरक्षा में सुधार के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए। खाद्य सुरक्षा के मामले में लोग सक्रिय और स्वस्थ जीवन के लिए अपनी आहार संबंधी ज़रूरतों और प्राथमिकताओं को पूरा कर सकें। लोगों के लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन लगातार उपलब्ध होना चाहिए। इसमें स्थानीय उत्पादन, स्टॉक और व्यापार या सहायता के माध्यम से खाद्य प्राप्त करना शामिल है। 

खाद्य सुरक्षा के लिए लोगों को नियमित रूप से विभिन्न माध्यमों जैसे खरीद, घरेलू उत्पादन, वस्तु विनिमय, उपहार, उधार या खाद्य सहायता के माध्यम से पर्याप्त भोजन प्राप्त करना चाहिए। उपयोग किए जाने वाले भोजन का स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव होना चाहिए। इसके लिए उचित खाना पकाना, भंडारण, स्वच्छता संबंधी व्यवहार और पर्याप्त पानी और स्वच्छता की आवश्यकता होती है। खाद्य सुरक्षा पर ध्यान से देश के कृषि क्षेत्र को बढ़ावा मिलता है। इसके साथ देश की खाद्य की कीमतें भी स्थिर होती है। इससे आर्थिक विकास, रोजगार पैदा करने और गरीबी में कमी को बढ़ावा मिलता है। लोगों के लिए व्यापार के अवसरों का विस्तार होता है। खाद्य सुरक्षा बेहतर स्थिति में होने पर हमारे बेहतर स्वास्थ्य को भी बढ़ावा मिलता है। 

भारत की खाद्य सुरक्षा संबंधी चिंताएँ ब्रिटिश शासन के दौरान 1943 के बंगाल अकाल से जुड़ी हैं। उस अकाल में लाखों लोग भुखमरी से मारे गए थे। स्वतंत्रता के बाद, औद्योगिकीकरण पर प्रारंभिक ध्यान, सूखे और अमेरिकी खाद्य सहायता पर निर्भरता ने भारत की खाद्य सुरक्षा कमजोरियों को उजागर किया। 1960 के दशक के अंत और 1970 के दशक की शुरुआत में हरित क्रांति ने भारत में खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ावा दिया। 1970 और 1980 के दशक के दौरान श्वेत क्रांति ने दूध उत्पादन में सुधार किया। 

खाद्य सुरक्षा पर 500 शब्दों निबंध

खाद्य सुरक्षा पर 500 शब्दों निबंध नीचे दिया गया है:

प्रस्तावना

खाद्य सुरक्षा मानव कल्याण के लिए सर्वाधिक आवश्यक है। यह स्वस्थ जीवन के लिए पर्याप्त सुरक्षित और पौष्टिक भोजन तक पहुँच प्रदान करती है। भारत को अपनी बड़ी और विविध आबादी के साथ इस लक्ष्य को प्राप्त करने में कई चुनौतियों का सामना करता है। खाद्य सुरक्षा पर किसी भी देश की सफल नीतियां होना आवश्यक है। इससे प्रत्येक परिस्थिति को संभालने में सहायता मिलती है। खाद्य सुरक्षा किसी भी देश की आपातकालीन स्थिति में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कोरोना महामारी के समय देश में लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा की गंभीर समस्या हो गई थी। 

खाद्य सुरक्षा क्या है?

खाद्य सुरक्षा का अर्थ है की देश के सभी व्यक्तियों के पास स्वस्थ जीवन के लिए अपनी आहार संबंधी आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त सुरक्षित और पौष्टिक भोजन तक भौतिक और आर्थिक दोनों तरह से पहुँच हो। खाद्य सुरक्षा में चार मुख्य पहलू भोजन की उपलब्धता, पहुँच उपयोग और स्थिरता हैं। उपलब्धता का मतलब है कि बाजार में भोजन लगातार उपलब्ध है। पहुँच से अर्थ है को लोगों के पास इसे प्राप्त करने की क्षमता होनी चाहिए। उपयोग का अर्थ प्रयोग में लिए गए भोजन का पोषण मूल्य और सुरक्षा दोनों से है। अंत में स्थिरता में किसी भी स्थिति में भोजन तक लगातार पहुँच शामिल है। ये आयाम सामूहिक रूप से सुनिश्चित करते हैं कि व्यक्ति पर्याप्त भोजन के सेवन के माध्यम से सक्रिय और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियाँ

खाद्य सुरक्षा को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो इसकी प्राप्ति को प्रभावित करती हैं:

  • जलवायु परिवर्तन: बढ़ते तापमान और वर्षा के पैटर्न में बदलाव से खेती बाधित होती है। इसका असर फसलों, पशुधन, वानिकी, मत्स्य पालन और जलीय कृषि पर पड़ता है। इससे आय में कमी, आजीविका, व्यापार में व्यवधान और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं।
  • दूरस्थ क्षेत्रों तक सीमित पहुंच: दुर्गम इलाकों में रहने वाले आदिवासी समुदाय खेती में मुश्किलों से जूझते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हे आर्थिक पिछड़ापन होता है।
  • ग्रामीण से शहरी प्रवास: प्रवास से शहरी विकास होता है, जिससे बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं, आवास और खाद्य सुरक्षा पर असर होता है।
  • अधिक जनसंख्या और गरीबी: जनसंख्या वृद्धि, गरीबी, शिक्षा की कमी और लैंगिक असमानता खाद्य असुरक्षा को बढ़ाती है।
  • अपर्याप्त वितरण: सार्वजनिक वितरण प्रणाली खाद्य पदार्थों को कुशलतापूर्वक वितरित करने में विफल रहती है, जिसके कारण मनमाने मानदंडों के कारण योग्य लाभार्थी वंचित रह जाते हैं।
  • जैव ईंधन: जैव ईंधन उत्पादन के विस्तार से खाद्य फसलों के लिए उपलब्ध भूमि कम हो जाती है।
  • संघर्ष: किसी विपरीत परिस्थिति में भोजन को हथियार बनाया जा सकता है। दुश्मन आपूर्ति काट देते हैं या फसलें नष्ट कर देते हैं।
  • प्रभावी नीतियों का अभाव: व्यापक खाद्य और पोषण नीतियों और मंत्रालयों के बीच अंतर का होना। क्षेत्रीय समन्वय की अनुपस्थिति प्रगति में बाधा डालती है।
  • भ्रष्टाचार: अनाज को खुले बाजारों में भेजना, राशन की दुकानों पर खराब गुणवत्ता वाला अनाज बेचना और दुकानों का अनियमित रूप से खुलना खाद्य असुरक्षा में योगदान देता है।

भारत में खाद्य सुरक्षा नीतियाँ

भारत में खाद्य सुरक्षा में सुधार के उद्देश्य से हाल ही में सरकार द्वारा लाई गति नीतियां नीचे दी गई हैं:

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन: यह मिशन 2007 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य विभिन्न फसलों का उत्पादन बढ़ाना है और मिट्टी की उर्वरता और खेत-स्तरीय अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाना है।
  • राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई): यह योजना 2007 में शुरू की गई थी। यह राज्यों को कृषि और संबद्ध क्षेत्र विकास गतिविधियों को चुनने का अधिकार देती है। इसका नाम बदलकर आरकेवीवाई-रफ़्तार कर दिया गया है, यह खेती को आर्थिक रूप से कुशल बनाने पर केंद्रित है।
  • तिलहन, दलहन, पाम ऑयल और मक्का पर एकीकृत योजनाएँ (आईएसओपीओएम): इस योजना का उद्देश्य इन फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देना है। 
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: यह योजना भारत में किसानों को फसल बीमा प्रदान करती है।
  • ई-मार्केटप्लेस (ईएनएएम): यह योजना लोगों को राष्ट्रीय व्यापार पोर्टल के माध्यम से थोक उपज बाजारों को जोड़ती है।
  • सिंचाई और मृदा/जल संचयन कार्यक्रम: इसका उद्देश्य सकल सिंचित क्षेत्र को बढ़ाना है।
  • पोषण कार्यक्रम: इस योजना में मध्याह्न भोजन, आंगनवाड़ी प्रणाली और सब्सिडी वाले अनाज का वितरण शामिल होता है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013: यह योजना भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से पात्र आबादी को सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्रदान करती है। इसमें राशन कार्ड जारी करने के लिए घर की मुखिया सबसे बड़ी महिला होती है।

भारत में खाद्य सुरक्षा सूचकांक

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक (SFSI) 2022-2023 जारी किया गया है। यह बताता है कि भारतीय राज्य खाद्य सुरक्षा को कितनी अच्छी तरह सुनिश्चित करते हैं। इस सूचकांक में पिछले वर्ष की तुलना में किसी राज्य की प्रगति को मापने के लिए ‘SFSI रैंक में सुधार’ नामक एक नया पैरामीटर जोड़ा गया था। हाल के सूचकांक ने एक चिंताजनक खुलासा किया था। पिछले पाँच वर्षों में, महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात और आंध्र प्रदेश सहित 20 बड़े भारतीय राज्यों में से 19 ने 2019 की तुलना में अपने SFSI स्कोर में गिरावट दिखाई है। नए पैरामीटर को जोड़ने के बाद 20 में से 15 राज्यों ने 2019 की तुलना में 2022-2023 में कम SFSI स्कोर दर्ज किए। गिरावट का एक प्रमुख क्षेत्र ‘खाद्य परीक्षण अवसंरचना’ था। यह प्रत्येक राज्य में परीक्षण सुविधाओं और प्रशिक्षित कर्मियों की उपलब्धता को मापता है। इस पैरामीटर के लिए औसत स्कोर में गिरावट आई है, जो 2019 में 20 में से 13 से घटकर 2022-2023 में 17 में से 7 हो गया है। इस पैरामीटर में गुजरात और केरल शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य रहे हैं। इसमें आंध्र प्रदेश का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है। ये परिणाम भारतीय राज्यों में खाद्य सुरक्षा उपायों में महत्वपूर्ण सुधार की आवश्यकता को उजागर करते हैं। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा जारी राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक यहां से डाउनलोड करें।

उपसंहार 

भारत में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अच्छी नीतियों की आवश्यकता है। इन नीतियों की सहायता से खाद्य उपलब्धता, पहुँच, उपयोग और स्थिरता को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों से निपटा जा सकता है। देश में नीतियों में समय साथ प्रगति हुई है, लेकिन लोगों की आर्थिक स्थिति और जलवायु परिवर्तन खाद्य सुरक्षा में बाधा डालते हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए नीति निर्माताओं का समर्थन, कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक निवेश, पर्यावरण के अनुसार कार्य करना महत्वपूर्ण हैं। सरकार और लोगों के निरंतर प्रयासों से भारत एक ऐसा भविष्य प्राप्त कर सकता है जहाँ सभी के पास पर्याप्त भोजन उपलब्ध हो।

FAQs

खाद्य सुरक्षा का उद्देश्य क्या है?

खाद्य सुरक्षा का उद्देश्य हर व्यक्ति को हर समय भौतिक और आर्थिक रूप से आवश्यक भोजन उपलब्ध कराना है।

हमें खाद्य सुरक्षा की आवश्यकता क्यों है? 

खाद्य सुरक्षा की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि जब देश राष्ट्रीय आपदाओं या भूकंप, सूखा, बाढ़, फसल विफलता आदि जैसी आपदाओं का सामना करता है तो समाज का गरीब वर्ग गरीबी रेखा से ऊपर के लोगों की तुलना में अधिक असुरक्षित होता है।

खाद्य सुरक्षा के तीन स्तंभ क्या हैं?

खाद्य सुरक्षा के लिए सबसे प्रमुख स्तंभ उपलब्धता, उपयोग और स्थिरता है।

भारत में खाद्य सुरक्षा की कमी कैसे है?

2023 में, ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने भारत को 125 देशों में से 111वें स्थान पर रखा। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भारत में लगभग 195 मिलियन कुपोषित लोग हैं जो दुनिया की कुपोषित आबादी का एक चौथाई हिस्सा हैं। इसके अलावा, भारत में लगभग 43% बच्चे लंबे समय से कुपोषित हैं।

उम्मीद है आपको खाद्य सुरक्षा पर निबंध के संदर्भ में हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। इसी तरह के निबंध लेखन से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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