चंद्रयान-3 और सूर्य की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अब शुक्र ग्रह की स्टडी करने की योजना बना रहा है। भारतीय स्पेस एजेंसी के अध्यक्ष सोमनाथ ने कहा है कि शुक्र के लिए एक मिशन पहले से ही कॉन्फ़िगर किया गया है और इसके लिए पेलोड पहले ही बन चुके हैं।
उन्होंने कहा कि शुक्र के लिए एक मिशन पहले से ही स्वीकृत है। उन्होंने इसे दिलचस्प ग्रह बताते हुए कहा कि शुक्र के अध्ययन से अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कई सवालों के जवाब मिल सकते हैं। इस ग्रह का वातावरण बहुत घना है। वायुमंडलीय दबाव भी पृथ्वी से 100 गुना ज्यादा है और यह एसिड से भरा है।
आप इसकी सतह में प्रवेश नहीं कर सकते। आप नहीं जानते कि इसकी सतह कैसी है, यह ठोस है भी की नहीं। हम यह सब समझने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? पृथ्वी एक दिन शुक्र हो सकती है। मुझे नहीं पता, हो सकता है कि 10,000 साल बाद हम (पृथ्वी) अपनी विशेषताओं को बदल दें।
सौर मंडल में पृथ्वी का निकटतम पड़ोसी है शुक्र
शुक्र, सूर्य से दूसरा ग्रह, सौर मंडल में पृथ्वी का निकटतम पड़ोसी है। यह आकार और घनत्व में समानता के कारण इसे पृथ्वी के जुड़वां के रूप में भी जाना जाता है। जापान के अकात्सुकी वीनस क्लाइमेट ऑर्बिटर ने भी ग्रह पर एक मिशन को अंजाम दिया, जो 2016 से परिक्रमा कर रहा है।
चंद्रयान-3 की पूर्ण सफलता के बाद इस वर्ष 02 सितंबर को ISRO ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए पहला अंतरिक्ष मिशन, आदित्य एल1 को लॉन्च किया। आदित्य-एल1 पहला भारतीय अंतरिक्ष-आधारित ऑब्जर्वेटरी है जो पहले सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा से सूर्य का स्टडी करता है, जोकि पृथ्वी से करीब 1.5 मिलियन किमी दूर स्थित है।
उम्मीद है कि इस ब्लाॅग में आपको ISRO Jald Hi Karega Venus Mission Launch की पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य आदित्य एल-1 से संबंधित ब्लाॅग्स और लेटेस्ट अपडेट्स के बारे में पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।