भारत का इतिहास कई हज़ार वर्ष पुराना है। यहाँ प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक भारत तक तमाम राजवंशो ने शासन किया हैं। जिनमें से प्रमुख राजवंश थे- हर्यक वंश, नंद राजवंश, पांड्य राजवंश, गुप्त वंश, चोल राजवंश, मराठा साम्राज्य आदि। इन्हीं में से एक मध्यकालीन भारत का राजवंश “ गुलाम वंश ” भी था, जिसकी सम्पूर्ण जानकारी हम इस ब्लॉग के माध्यम से प्राप्त करेंगे। इस ब्लॉग में हम आपको गुलाम वंश का इतिहास और उससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में बताएंगे।
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गुलाम वंश का इतिहास
गुलाम वंश मध्यकालीन भारत का एक राजवंश था, जिसने 1206 से 1290 तक शासन किया था। यह वंश भारत का पहला मुस्लिम साम्राज्य था, जिसकी स्थापना ‘सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक’ ने की थी। कुतुबुद्दीन ऐबक एक तुर्क शासक थे जिन्होंने दिल्ली की सत्ता पर 1206 से 1210 तक शासन किया था।
गुलाम वंश की शुरुआत सन 1206 में ‘मोहम्मद गौरी’ की मृत्यु के बाद हुई। उस समय कुतुबुद्दीन ऐबक मोहम्मद गौरी के सबसे सक्षम गुलामों में से एक हुआ करते थे। इसी कारण उनकी मृत्यु के बाद उनका सिंहासन ऐबक ने संभाला और यहीं से ‘गुलाम वंश’ की स्थापना शुरू हुई। ऐबक में एक महान शासक होने के सभी गुण थे। लेकिन उनका शासनकाल केवल 4 वर्ष तक ही रहा। 1210 मे घोड़े से गिरने के कारण उनकी मौत हो गई लेकिन अपनी मृत्यु से पहले वह अपने वंश की नींव मजबूत कर गए। ऐबक की मृत्यु के बाद उनके पुत्र ‘आरामशाह’ को सुल्तान बनाया गया और इस तरह 1206 ई० से 1290 ई० के बीच इस वंश में कई शासकों ने भारत पर शासन किया।
जानें क्यों रखा गया इस वंश का नाम “गुलाम वंश”
इस वंश का नाम भी अपने आप में एक इतिहास है। इस वंश को गुलाम वंश इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस वंश के ज्यादातर शासक “गुलाम” अर्थात “दास” हुआ करते थे। यहाँ तक कि इस वंश के स्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक भी मुहम्मद गोरी के गुलाम थे। जिसके कारण ही इस वंश का नाम ‘गुलाम वंश’ पड़ा। हालांकि इस वंश को ‘मामलूक वंश’ या ‘दास वंश’ के नाम से भी जाना जाता था।
ग़ुलाम वंश के शासक एवं उनकी उपलब्धियां
ग़ुलाम वंश के शासक निम्नलिखित है
- कुतुब-उद-दीन ऐबक (1206-1210)
- आरामशाह (1210-1211)
- शम्सुद्दीन इल्तुतमिश (1211-1236)
- रुक्नुद्दीन फिरोजशाह (1236)
- रजिया सुल्तान (1236-1240)
- मुईज़ुद्दीन बहरामशाह (1240-1242)
- अलाउद्दीन मसूदशाह (1242-1246)
- नासिरुद्दीन महमूद शाह (1246-1265)
- गयासुद्दीन बलबन (1265-1287)
- अज़ुद्दीन कैकुबाद (1287-1290)
- क़ैयूमर्स (1290)
कुतुबुद्दीन ऐबक (1206 – 1210)
मुहम्मद गौरी के साम्राज्य में सबसे सक्षम गुलामों में से एक ‘कुतबुद्दीन ऐबक’ मूल रूप से तुर्किस्तान का निवासी था। मुहम्मद गौरी की मृत्यु के बाद ऐबक के पास उत्तर भारत के क्षेत्रों का नियंत्रण आ गया और वह दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक भी बन गया। ऐबक के नियंत्रण में उत्तरी भारत का सियालकोट, लाहौर, अजमेर, झाँसी, दिल्ली, मेरठ, कोल (अलीगढ), कन्नौज, बनारस, बिहार, तथा लखनौती क्षेत्र शमिल था। अपने शासनकाल के दौरान ऐबक को अनेक चुनौतियां और सफलताएं मिली।
उन्होंने दिल्ली में ‘कुव्वत-उल-इस्लाम’ नामक मस्जिद, अजमेर में ‘अढ़ाई दिन का झोम्पड़ा’ नामक मस्जिद का निर्माण करवाया। इसके साथ ही उन्होंने ‘सूफी संत ख्वाज़ा कुतबुद्दीन बख्तियार काकी’ के सम्मान में दिल्ली में प्रसिद्ध ‘कुतुबमीनार’ का भी निर्माण करवाया था। ऐसे में उनकी कुशाग्र बुद्धि, व्यवहार एवं सैनिक कुशलता के कारण उन्हें ‘लाख बख्श’ की उपाधि दी गयी। बता दें कि 1210 ईसवी में लाहौर में पोलो खेलते हुए घोड़े से गिर जाने के कारण उनकी मृत्यु हो गयी थी।
शम्सुद्दीन इल्तुतमिश (1211 – 1236 ई)
ऐबक की मृत्यु के बाद आरामशाह ने दिल्ली सल्तनत पर राज किया। परन्तु उसका कार्यकाल सिर्फ 8 महीने तक ही था। शम्सुद्दीन इल्तुतमिश ने आरामशाह की हत्या करवाकर सन 1211 में दिल्ली पर शासन किया। इल्तुतमिश ने विषम परिस्थितियों में भी अपनी योग्यता, दूरदर्शिता और प्रतिभा के बल पर अपने साम्राज्य को मजबूत किया और 26 वर्षो तक शासन किया। ऐसे में उसे दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक भी कहा जाता था।
रज़िया सुल्तान (1236- 1240 ई)
शम्सुद्दीन इल्तुतमिश के बाद रुक्नुद्दीन फिरोजशाह को गद्दी पर बिठाया गया लेकिन उनके राजभार मे विफल देख ‘रज़िया सुल्तान’ को शासक बनाया गया। रज़िया सुल्तान इल्तुतमिश की पुत्री थी और दिल्ली सल्तनत की एकमात्र महिला शासिका थी। अपनी बहादुरी के लिए प्रसिद्ध रजिया बेगम का शासनकाल 4 वर्ष तक रहा। अपने शासकाल के दौरान उन्होंने पर्दा प्रथा त्याग कर पुरुषों की तरह काबा तथा टोपी पहनने का रिवाज शुरू कर दिया था। महिला होने के बाद भी उनका नजरिया सुल्तानों जैसा था, जो उनको बाकी सब से अलग बनाता था। 13 अक्टूबर 1240 ईसवी में डाकुओं के एक समूह ने मिलकर रजिया सुल्तान की हत्या कर दी थी।
अन्य शासक
रज़िया बेगम की मौत के बाद इल्तुतमिश वंश के अन्य कई शासकों ने भारत पर शासन किया, लेकिन वह इतने कुशल नहीं थे इसलिए उनका शासन अधिक समय तक नहीं चल सका। रज़िया बेगम के बाद इल्तुतमिश का तीसरा पुत्र बहरामशाह शासक बना, उसके बाद मसूदशाह शासक बना, वह रुकनुद्दीन का पुत्र था, मसूदशाह के बाद नासिरुद्दीन महमूद को शासक बनाया गया।
गयासुद्दीन बलबन (1265 – 1287 ई)
गयासुद्दीन बलबन, शम्सुद्दीन इल्तुतमिश का गुलाम था। सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद की मृत्यु के बाद गयासुद्दीन बलबन को सुल्तान बनाया गया। सुल्तान बनने के बाद उसने ईरानी राजत्व को बढ़ावा दिया और अनेक ईरानी परम्पराओं को अपनाया। बलबन गुलाम वंश का सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक बन गया था क्योंकि उसने अपने शासनकाल में सुल्तान के पद की गरिमा को पुनर्जीवित किया, अपनी सेना को शक्तिशाली बनाया। उस समय उन्होंने मंगोलों के आक्रमण से अपने साम्राज्य की रक्षा भी की लेकिन मंगोलों को रोकने के प्रयास में 1287 ई में उनकी मृत्यु हो गयी।
उनकी मृत्यु के बाद ‘कैकुबाद’ को सुल्तान नियुक्त किया गया। कैकुबाद ने 1287 से 1290 ई तक शासन किया और इसके बाद ‘शमसुद्दीन क्यूमर्श’ ने कुछ समय तक शासन किया, जो इस राजवंश का अंतिम शासक था। शमसुद्दीन क्यूमर्श के बारे में इतिहास में ज्यादा विवरण नही मिलता है।
गुलाम वंश का अंत
गुलाम वंश, दिल्ली सल्तनत काल में शासन करने वाला पहला वंश था जिसने 84 वर्षों तक दिल्ली की सत्ता पर शासन किया। इस वंश के पहले शासक कुतुबुद्दीन ऐबक थे, जिसके बाद कई उत्तराधिकारी आये और इस वंश का विस्तार किया लेकिन 1290 में जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने समसुद्दीन क्यूमर्श की हत्या कर दी और इस तरह ‘गुलाम वंश’ समाप्त हो गया, और इसके स्थान पर ‘खिलजी वंश’ आया, जो दिल्ली सल्तनत का ‘दूसरा राजवंश’ बना।
FAQs
कुतुबुद्दीन ऐबक को गुलाम वंश का संस्थापक माना जाता है।
1206 ईस्वी में महमूद गौरी की मृत्यु के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली की सत्ता पर राज किया। इसी के साथ भारत में गुलाम वंश की स्थापना हुई।
प्राचीन काल में भारत पर कई वंशों ने राज किया, जिनमें से प्रमुख वंश थे – हर्यक वंश, नंद राजवंश, मौर्य राजवंश, पांड्य राजवंश, गुप्त वंश, कुषाण वंश, चोल राजवंश, पल्लव राजवंश, चालुक्य राजवंश आदि।
गुलाम वंश को मामलूक वंश अथवा दास वंश के नाम से भी जाना जाता है।
मुइज़-उद-दीन मुहम्मद कैकाबाद गुलाम वंश का अंतिम शासक था।
गुलाम वंश की स्थापना का श्रेय कुतुबुद्दीन ऐबक को जाता है। गुलाम वंश, जिसे मामलुक वंश के नाम से भी जाना जाता है, भारत में दिल्ली सल्तनत पर शासन करने वाला पहला मुस्लिम राजवंश था।
आशा है आपको गुलाम वंश के बारे में बहुत सी जानकारी मिल गयी होगी। ऐसे ही इतिहास से संबंधित अन्य ब्लॉग्स को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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Wonderful 👍👍👍❤️ sweet and short, गागर में सागर article
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