उर्दू के विख्यात शायर फिराक गोरखपुरी का जीवन परिचय – Firaq Gorakhpuri Ka Jivan Parichay

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Firaq Gorakhpuri Ka Jivan Parichay

Firaq Gorakhpuri Ka Jivan Parichay: “एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं” पंक्तियों के रचियता फिराक गोरखपुरी आधुनिक उर्दू गज़ल के रौशन सितारा माने जाते हैं। वहीं, फिराक गोरखपुरी को उर्दू अदब की महानतम शख़्सियतों में शुमार किया जाता है। बता दें कि वर्ष 1960 में उन्हें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, वर्ष 1968 में  शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में ‘पद्मभूषण’ और वर्ष 1969 में ‘गुल-ए-नगमा’ के लिए ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से नवाजा गया था। इस वर्ष फिराक गोरखपुरी की 42वीं पुण्यतिथि मनाई जाएगी। आइए अब हम उर्दू अदब के विख्यात शायर फिराक गोरखपुरी का जीवन परिचय (Firaq Gorakhpuri Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

मूल नाम रघुपति सहाय
उपनाम फिराक गोरखपुरी (Firaq Gorakhpuri)
जन्म 28 अगस्त, 1896
जन्म स्थान गोरखपुर जिला, उत्तर प्रदेश
पिता का नाम मुंशी गोरखप्रसाद ‘इबरत’
पत्नी का नाम किशोरी देवी
शिक्षा बी. ए. (इलाहाबाद विश्वविद्यालय), एम.ए (आगरा विश्वविद्यालय)
पेशा शायर, प्रोफेसर 
भाषा उर्दू, हिंदी व अंग्रेजी 
विधाएँ गजल, कविता, समालोचना 
कृतियां‘गुल-ए-नगमा’, ‘नग्म-ए-साज’, ‘शोअला व साज’, ‘नकूश’, ‘हज़ार दास्तान’ आदि। 
पुरस्कार एवं सम्मान ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ज्ञानपीठ पुरस्कार, पद्मभूषण, ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ आदि।  
निधन 03 मार्च 1982, दिल्ली 

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हुआ था जन्म 

उर्दू अदब के विख्यात शायर फिराक गोरखपुरी का जन्म 28 अगस्त, 1896 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हुआ था। बता दें कि उनका मूल नाम ‘रघुपति सहाय’ था लेकिन अदब की दुनिया में वह अपने तख़ल्लुस ‘फिराक’ से मशहूर हुए। उनके पिता का नाम मुंशी गोरखप्रसाद ‘इबरत’ था जो उस समय के प्रसिद्ध वकील और शायर थे। 

यह भी पढ़ें: पढ़िए फिराक गोरखपुरी की कविता, जो आपका परिचय साहित्य के सौंदर्य से करवाएंगी

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से किया बीए 

फिराक गोरखपुरी ने उर्दू व फारसी की शिक्षा घर में ही प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने गर्वनमेंट जुबली कॉलेज गोरखपुर से मैट्रिक की परीक्षा पास की। बता दें कि स्कूली शिक्षा के दौरान ही उनका साहित्य के क्षेत्र में पर्दापण हो गया था। इसी बीच उनका विवाह 18 वर्ष की आयु में ‘किशोरी देवी’ से हुआ। वहीं उन्होंने अपनी पहली गजल वर्ष 1916 में 20 वर्ष की आयु में लिखी थी। फिर उन्होंने वर्ष 1917 में ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय’ से बीए का इम्तिहान पास किया। 

देश की सियासत में हुए शामिल 

वर्ष 1919 में फिराक गोरखपुरी सिविल सर्विस के लिए चुने गए लेकिन कुछ समय में नौकरी को छोड़कर ‘महात्मा गांधी’ के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए। बता दें कि वर्ष 1920 में ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ आंदोलन के लिए उन्हें डेढ़ साल कारावास में भी रहना पड़ा। 

इसके बाद वर्ष 1922 में जेल से रिहा होने के बाद ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू’ ने उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस के ऑफिस में अवर सचिव का पद दिला दिया। किंतु नेहरू के यूरोप चले जाने के बाद उन्होंने अवर सचिव के पद को छोड़ दिया और अध्यापन को ही अपना पेशा बना लिया। 

अंग्रेज़ी के प्रोफेसर रहे

वर्ष 1930 में फिराक गोरखपुरी ने ‘आगरा विश्वविद्यालय’ से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए की डिग्री हासिल की और ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय’ में अंग्रजी के प्रोफेसर नियुक्त हुए और वर्ष 1959 में रिटायर हुए। उन्होंने कुछ समय तक ‘ऑल इंडिया रेडियो’ में प्रोड्यूसर एमेरिटस के पद पर भी कार्य किया था। 

चुनाव में करना पड़ा हार का सामना 

बता दें कि फिराक गोरखपुरी की राजनीति और चुनाव में कोई रूचि नहीं थी। लेकिन उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी ‘प्रोफ़ेसर शिब्बन लाल सक्सेना’ के आग्रह पर गोरखपुर जिला उत्तर से चुनाव लड़ा। लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा और उनकी जमानत भी जब्त हो गई। 

फिराक गोरखपुरी की कृतियाँ 

फिराक गोरखपुरी (Firaq Gorakhpuri Ka Jivan Parichay) ने उर्दू अदब में कई अनुपम काव्य-कृतियों का सृजन किया हैं। यहाँ उनकी संपूर्ण काव्य कृतियों के बारे में बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-

काव्य-रचनाएँ

  • गुल-ए-नगमा, 
  • बज्म-ए-जिंदगी 
  • रंगे शायरी
  • मशअल
  • रूह-ए-कायनात
  • नग्मा-ए-साज
  • गजलिस्तान 
  • शेरिस्तान
  • शबनमिस्तान 
  • रूप
  • धरती की करवट 
  • गुलबाग
  • रम्ज व कायनात 
  • चिरागा
  • शोअला व साज 
  • हजार दास्तान
  • हिंडोला
  • जुगनू
  • नकूश 
  • आधी रात 
  • परछाइया और ताराना-ए-इश्क 
  • सत्यम शिवम सुंदरम

पुरस्कार एवं सम्मान 

फिराक गोरखपुरी (Firaq Gorakhpuri Ka Jivan Parichay) को उर्दू अदब में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-

  • वर्ष 1960 में फिराक गोरखपुरी को ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। 
  • वर्ष 1968 में साहित्य व शिक्षा के क्षेत्र में उन्हें भारत सरकार द्वारा ‘पद्मभूषण’ सम्मान से अलंकृत किया गया। 
  • वर्ष 1968 में उन्हें ‘सोवियत लैंड नेहरू सम्मान’ दिया गया।
  • वर्ष 1969 में उन्हें साहित्य के सर्वोच्च सम्मान ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से नवाजा गया। 
  • वर्ष 1981 में उनको ‘ग़ालिब अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। 
  • बता दें कि वह वर्ष 1970 में साहित्य अकादमी के सदस्य भी नामित हुए थे। 

ह्रदय गति रुक जाने से हुआ निधन 

कई दशकों तक उर्दू साहित्य को अपनी अनुपम कृतियों से रौशन करने वाले फिराक गोरखपुरी का 3 मार्च 1982 को ह्रदय गति रुक जाने से निधन हो गया। लेकिन अपनी लोकप्रिय शायरियों के लिए वह आज भी लोगों के दिलों में राज करते हैं। 

फिराक गोरखपुरी के जीवन पर लिखी का चुकी कई पुस्तके 

क्या आप जानते हैं कि फिराक गोरखपुरी के जीवन पर कई किताबें लिखी जा चुकी हैं। इनमें ‘रमेश चंद्र द्विवेदी’ की पुस्तक ‘मैंने फिराक को देखा है’ और ‘फिराक साहब’ शामिल है। इसके अलावा सूचना व जनसंपर्क विभाग उत्तर प्रदेश की ओर से ‘फिराक सदी की आवाज’ नाम से पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ उर्दू के विख्यात शायर फिराक गोरखपुरी का जीवन परिचय (Firaq Gorakhpuri Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश

FAQs 

फिराक गोरखपुरी का जन्म कहाँ हुआ था?

फिराक गोरखपुरी का जन्म 28 अगस्त, 1896 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हुआ था। 

फिराक गोरखपुरी का मूल नाम क्या था?

उनका मूल नाम ‘रघुपति सहाय’ था। 

फिराक गोरखपुरी पिता का क्या नाम था?

उनके पिता का नाम मुंशी गोरखप्रसाद ‘इबरत’ था

किस काव्य-रचना के लिए फिराक गोरखपुरी को ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ दिया गया था?

बता दें कि ‘गुल-ए-नगमा’ रचना के लिए फिराक गोरखपुरी को ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। 

फिराक गोरखपुरी का निधन कब हुआ था?

फिराक गोरखपुरी का 3 मार्च 1982 को 85 वर्ष की आयु में निधन हुआ था। 

आशा है कि आपको उर्दू के विख्यात शायर फिराक गोरखपुरी का जीवन परिचय (Firaq Gorakhpuri Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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