ईद मुसलमानों का एक बहुत ही खास और खुशी से भरा त्योहार है। इसे पूरे देश में लोग मिलजुल कर, प्यार और भाईचारे के साथ मनाते हैं। रमज़ान के महीने में रोज़े रखने और इबादत करने के बाद जब ईद का चाँद दिखता है, तभी ईद-उल-फ़ित्र मनाई जाती है। इस दिन लोग नई कपड़े पहनते हैं, नमाज़ पढ़ते हैं, एक-दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद देते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं। स्कूलों में अक्सर छात्रों को ईद पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए यहाँ आपको ऐसे कुछ आसान निबंध के नमूने मिलेंगे, जिनकी मदद से आप अपना निबंध आसानी से लिख सकते हैं।
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ईद पर 100 शब्दों में निबंध
ईद-उल-फ़ित्र मुसलमानों का एक अहम धार्मिक त्योहार है, जिसे रमज़ान के पूरे महीने रोज़ा रखने और इबादत करने के बाद मनाया जाता है। चाँद दिखने पर अगले दिन ईद की नमाज़ अदा की जाती है। यह त्योहार पैगंबर मुहम्मद की शिक्षा के अनुसार खुशी, शुक्र और भलाई का प्रतीक है। ईद की पहली नमाज़ मदीना में पढ़ी गई थी। इस दिन लोग साफ और नए कपड़े पहनते हैं, फितरा या ज़कात देकर गरीबों की मदद करते हैं, रिश्तेदारों और दोस्तों से मुलाकात करते हैं और मिठाइयाँ बाँटकर खुशी साझा करते हैं। यह त्योहार समाज में एकता, प्रेम और भाईचारा बढ़ाने का संदेश देता है।
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ईद पर 200 शब्दों में निबंध
ईद-उल-फ़ित्र मुस्लिम समुदाय का एक महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार है, जिसे रमज़ान के पूरे महीने रोज़ा रखने, इबादत करने और नेकी के काम करने के बाद मनाया जाता है। यह त्योहार चाँद दिखने के साथ शुरू होता है और इस्लामी कैलेंडर के दसवें महीने शव्वाल की पहली तारीख को मनाया जाता है। ईद के दिन सुबह खास नमाज़ अदा की जाती है। नमाज़ से पहले फ़ित्रा देना आवश्यक माना जाता है, ताकि समाज के गरीब और जरूरतमंद लोग भी खुशी के साथ यह त्योहार मना सकें।
इस अवसर पर लोग नए और साफ कपड़े पहनते हैं, घरों की सफाई करते हैं और सुबह-सुबह रिश्तेदारों व पड़ोसियों से मिलकर “ईद मुबारक” कहते हैं। कई परिवार अपने बुज़ुर्गों और गुजर चुके प्रियजनों को याद करते हैं, पर यह हर जगह की परंपरा नहीं है। ईद के दिन घरों में खासतौर पर मीठे पकवान बनाए जाते हैं जिनमें सेवइयां सबसे लोकप्रिय हैं। बच्चे ईद का इंतज़ार ईदी पाने के लिए भी करते हैं, जो उन्हें बड़ों से उपहार स्वरूप मिलती है।
ईद-उल-फ़ित्र का मुख्य संदेश प्रेम, भाईचारा, समानता और उदारता है। यह हमें सिखाती है कि समाज में रहने वाले हर व्यक्ति के प्रति सम्मान और दया भाव रखना चाहिए। जरूरतमंदों की मदद करना, रिश्तों को मजबूत रखना और एक-दूसरे की खुशी में शामिल होना इस त्योहार की मूल आत्मा है।
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ईद पर 500 शब्दों में निबंध
ईद-उल-फ़ित्र मुसलमानों का एक बेहद महत्वपूर्ण और खुशी से भरा त्योहार है, जो रमज़ान के पूरे महीने की इबादत, सब्र, रोज़ा और नेकियों के बाद मनाया जाता है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार यह शव्वाल की पहली तारीख को आता है और इसके आने से पहले ही लोगों में उत्साह बढ़ने लगता है। रमज़ान के दौरान रोज़ा रखकर इंसान अपने दिल, नज़र और व्यवहार को बेहतर बनाने की कोशिश करता है, इसलिए ईद का दिन उन कोशिशों का प्रतीक माना जाता है। जैसे-जैसे रमज़ान अपने अंत की तरफ बढ़ता है, लोग घरों की सफाई करते हैं, नए कपड़े खरीदते हैं और अपने परिवार के लिए ज़रूरी चीज़ें लेते हैं। कई बाज़ार रातों तक खुले रहते हैं क्योंकि आखिरी दिनों में चाँद का इंतज़ार सबसे ज्यादा होता है। चाँद दिखाई देते ही बच्चे, बड़े और बुज़ुर्ग सब खुशी से झूम उठते हैं और अगले दिन ईद मनाने की तैयारी में लग जाते हैं। इतिहास के अनुसार ईद की पहली नमाज़ मदीना में अदा की गई थी और पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने बताया था कि यह दिन आपसी मेल-मिलाप, दया, उदारता और सामाजिक एकता का दिन है, इसलिए मुसलमानों को चाहिए कि वे इस अवसर पर ख़ुशी बाँटें और किसी को अकेला महसूस न होने दें। ईद की सुबह लोग जल्दी उठकर नहाते हैं, साफ़ और बेहतर कपड़े पहनते हैं और खुशबू लगाते हैं। इसके बाद वे मस्जिदों और ईदगाहों में जाकर विशेष नमाज़ अदा करते हैं, जहाँ बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होकर समुदाय की एकता का सुंदर दृश्य पेश करते हैं। कई देश और समाज ऐसे भी हैं जहाँ महिलाएँ भी बड़े उत्साह से ईदगाह जाती हैं, जबकि कुछ क्षेत्रों में वे घर पर नमाज़ पढ़ती हैं—यह पूरी तरह सांस्कृतिक और पारिवारिक परंपराओं पर आधारित होता है। ईद की नमाज़ से पहले फ़ित्रा देना आवश्यक माना गया है, ताकि गरीब और ज़रूरतमंद लोग भी त्योहार की खुशी में शरीक हो सकें। यह दान सिर्फ आर्थिक मदद नहीं बल्कि समानता और इंसानियत का प्रतीक है। नमाज़ के बाद लोग एक-दूसरे को गले लगाकर “ईद मुबारक” कहते हैं और घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। शीर-खुरमा और सेवइयाँ लगभग हर जगह की ईद की पहचान हैं, जबकि कई परिवार अपने स्वाद और संस्कृति के अनुसार बिरयानी, कबाब, पुलाव या अन्य पकवान भी बनाते हैं। बच्चे सबसे ज़्यादा ईदी मिलने का इंतज़ार करते हैं, जो उन्हें बड़ों की तरफ से प्यार और दुआ के रूप में मिलती है। ईद केवल खाने-पीने या मिलने-जुलने का नाम नहीं है, बल्कि यह रिश्तों को मज़बूत करने, नाराज़गियाँ दूर करने और दिलों में मोहब्बत पैदा करने का दिन है। कई लोग अपने बुज़ुर्गों से मिलते हैं, बीमारों का हाल पूछते हैं और दूरी वाले रिश्तेदारों से संपर्क करते हैं ताकि किसी को अपनापन कम न लगे। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि रमज़ान में सीखी गई अच्छाइयों, जैसे सब्र, सच्चाई, दया और सेवा को पूरे साल अपनाए रखना चाहिए। ईद का असली पैग़ाम यही है कि ख़ुशियाँ तभी बढ़ती हैं जब उन्हें बाँटा जाए, और समाज तभी खूबसूरत बनता है जब हर व्यक्ति दूसरे की भलाई का ख्याल रखे।
FAQs
ईद-उल-फितर रमजान के महीने के पूर्ण होने की खुशी में, अल्लाह का शुक्र अदा करने और आपसी भाईचारे को बढ़ाने के लिए मनाई जाती है।
ईद नमाज अदा करके, एक-दूसरे को गले लगाकर, मिठाइयां बांटकर और जरूरतमंदों को दान देकर खुशीपूर्वक मनाई जाती है।
ईद की नमाज का महत्व इस्लामिक एकता, आभार प्रकट करने और सामाजिक सौहार्द को बढ़ाने में है।
उम्मीद है कि ईद पर निबंध के सैंपल आपको पसंद आए होंगे। अन्य निबंध के लेख पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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