दिल्ली हाई कोर्ट ने कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट- 2024 (CLAT) को न केवल अंग्रेजी बल्कि अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित करने की मांग वाली याचिका पर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज, बार काउंसिल ऑफ इंडिया और केंद्र के कंसोर्टियम से जवाब मांगा है।
चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने याचिका पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के माध्यम से राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के संघ, बार काउंसिल ऑफ इंडिया और केंद्र को नोटिस जारी किया और उन्हें चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा।
पीठ ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 18 मई को सूचीबद्ध किया है।
लॉ स्टूडेंट सुधांशु पाठक द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) में तर्क दिया गया है कि सीएलएटी (UG) परीक्षा “भेदभाव” करती है और उन छात्रों को “समान अवसर” प्रदान करने में विफल रहती है जिनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि क्षेत्रीय भाषाओं में निहित है।
याचिका में कहा गया है कि नई शिक्षा नीति, 2020 और बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 में स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होना आवश्यक है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि CLAT का एकमात्र माध्यम अंग्रेजी है- ( यूजी) छात्रों के एक बड़े हिस्से को अध्ययन के पाठ्यक्रम के रूप में कानून (5 वर्ष LLB) चुनने से वंचित कर रहा है, जिन्होंने अपनी क्षेत्रीय या मूल भाषाओं में अध्ययन किया है।
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