Chanakya: जानिए कौन थे आचार्य चाणक्य जिनके द्वारा कहीं गई बातें आज भी उदास मन में भर देगी उत्साह

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यूं तो आपने चाणक्य (Chanakya) की कई नीतियों के बारे में सुना और पढ़ा होगा और कई लोगों ने उन नीतियों से प्रेरणा भी ली होगी लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर कौन थे चाणक्य? जिन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में सफल होने के सूत्र बताए हैं। व्यक्ति अपने रिश्तों को कैसे सफल बनाए, संबंधियों के साथ कैसे मेलजोल से रहे। इन सभी के बारे में उन्होंने बताया हैं। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिनकी बुद्धिमत्ता और विवेकशीलता और कूटनीति की तुलना आज भी किसी से नहीं की जा सकती। तो चलिए जानते हैं आखिर कौन थे चाणक्य? और क्या था उनका इतिहास। 

कौन थे चाणक्य?

चाणक्य (Chanakya) एक शिक्षक, दार्शनिक, अर्थशास्त्री और राजनेता थे जिन्होंने भारतीय राजनीतिक ग्रंथ, ‘अर्थशास्त्र’ की रचना की थी। वह केवल देश में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में एक लोकप्रिय अर्थशास्त्री और कूटनीतिज्ञ के तौर पर जाने जाते हैं। इसके अलावा उन्होंने “मौर्य वंश” की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह अर्थशास्त्र, राजनीति, युद्ध रणनीतियों, ज्योतिष जैसे विभिन्न विषयों में गहन ज्ञान रखने वाले एक उच्च शिक्षित व्यक्ति थे जिन्होंने एक शिक्षक के रूप में अपनी आजीविका शुरू की और बाद में “सम्राट चंद्रगुप्त” के सलाहकार बन गए। 

“नंद वंश” का अंत कर चाणक्य ने चंद्रगुप्त को मौर्य वंश का सम्राट बनाया और उन्हें राज्य विस्तार करने में भी सहायता की। चन्द्रगुप्त की मृत्यु के बाद चाणक्य चंद्रगुप्त के पुत्र “बिन्दुसार” के भी सलाहकार बने। वह अपनी नीति के जरिए लोगों के जीवन में सफलता पाने और सही-गलत के भेद को समझने का तरीका बताते थे। उनकी नीतियों का संग्रह लोगों के बीच आज भी काफी प्रसिद्ध है जिसका पालन करके कई लोगों ने दुनिया में एक बड़ा मुकाम हासिल किया है। 

चाणक्य के जीवन की संक्षिप्त कहानी

प्राचीन भारतीय राजशास्त्रियों में से एक चाणक्य (Chanakya) को ‘कौटिल्य’ या ‘विष्णुगुप्त’ के नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म ईसा.पूर्व. 375 से ईसा.पूर्व. 225 के आसपास एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था लेकिन चाणक्य के जन्मस्थान को लेकर कुछ स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। कई इतिहासकारों के अनुसार आचार्य चाणक्य का जन्म भारत के बिहार प्रान्त में हुआ था, वहीं कुछ के मुताबिक नेपाल की तराई में एवं अन्य इतिहासकारों के मुतबिक मैसूर राज्य के श्रवणबेलगोला में। इनके पिता का नाम “चणक” और माता का नाम “चणेश्वरी” था। 

वहीं अगर बात उनकी शिक्षा की हो तो उन्होंने प्राचीन भारत के मुख्य शिक्षा केंद्र रहे ‘तक्षशिला’ में अध्ययन किया और इसी विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र की शिक्षा देने का कार्य भी किया। इसके बाद वह राजा “चंद्रगुप्त” के सलाहकार बन गए। मौर्य साम्राज्य के पहले राजा चंद्रगुप्त के सत्ता में आने में मदद करने का श्रेय भी “चाणक्य” को दिया जाता है। उन्होंने अपना पूरा जीवन मौर्य साम्राज्य की स्थापना करने और चंद्रगुप्त मौर्य और उनके उत्तराधिकारी राजा “बिंदुसार” की मदद करने के लिए समर्पित कर दिया था। 

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चन्द्रगुप्त मौर्य एवं मौर्य साम्राज्य का उदय

कठिन परीक्षा में विजय प्राप्त करने वाले चंद्रगुप्त पर आचार्य चाणक्य को बहुत गर्व था। चाणक्य ने उन्हें 7 वर्षों तक कठोर सैन्य प्रशिक्षण के बाद एक सक्षम योद्धा बन दिया था जो आगे चलकर भारत के सबसे महान शासकों में से एक माने गए। चन्द्रगुप्त ने अपने गुरु चाणक्य की मदद से एक नया साम्राज्य बनाया, राज्यचक्र के सिद्धान्तों को लागू किया, एक बड़ी सेना का निर्माण किया और अपने साम्राज्य की सीमाओं का विस्तार किया। इस तरह चन्द्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य बहुत ही विशाल बन गया जिसमें लगभग संपूर्ण उत्तरी और पूर्वी भारत के साथ साथ उत्तर में बलूचिस्तान, दक्षिण में मैसूर तथा दक्षिण-पश्चिम में सौराष्ट्र तक का विस्तृत भूप्रदेश सम्मिलित था। 

कैसे हुई थी महान आचार्य चाणक्य की मौत? 

भारतीय इतिहास में कई ऐसे रहस्य हैं जिनमें क्या सत्य है और क्या नहीं इसका अंदाजा लगाना काफी कठिन है। उन्हीं रहस्यों में चाणक्य (Chanakya) की मृत्यु भी शामिल है। इतिहासकारों के मुताबिक चाणक्य की मृत्यु ईसा पूर्व 283 में हुई थी, लेकिन उनकी मृत्यु कैसे हुई, यह आज भी एक रहस्य बना हुआ है। उनके मृत्यु के संबंध में हमें कई कहानियां सुनने को मिलती हैं। उन्हीं में से एक प्रचलित कहानी के अनुसार वह अपने जीवन के अंतिम समय में एक दिन अपने रथ पर सवार होकर मगध राज्य से दूर किसी जंगल में चले गए और उसके बाद वो कभी लौटे ही नहीं। 

चाणक्य की मौत से जुड़ी दूसरी कहानी में कहा जाता है कि मगध राज्य की महारानी द्वारा उन्हें जहर देकर मार दिया गया था। एक और कहानी ये भी है कि राजा बिंदुसार के मंत्री सुबंधु को चाणक्य (Chanakya) और बिंदुसार की करीबी पसंद नहीं थी। ऐसे में सुबंधु इन दोनों के बीच के रिश्ते को तोड़ना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने काफी षड्यंत्र रचे और आखिर में वह कामयाब भी रहे। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने आचार्य को जिंदा ही जला दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी। हालांकि इनमें से कौन सी कहानी सच है, इसकी अभी तक पुष्टि नहीं हो पायी है। 

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आचार्य चाणक्य के स्वर्णिम विचार

चाणक्य के विचार किसी उदास मन में उत्साह भरने के लिए पर्याप्त हैं। इस लेख में आचार्य चाणक्य के स्वर्णिम विचार दिए गए हैं जो कि निम्नलिखित है:- 

  1. उस व्यक्ति से दूर रहें जो आपके सामने मीठी बातें करता है लेकिन आपके पीठ पीछे आपको बर्बाद करने की कोशिश करता है, क्योंकि वह जहर से भरे घड़े के समान है जिसके ऊपर दूध होता है। 
  2. कांटों और दुष्ट लोगों से निपटने के दो तरीके हैं। एक उन्हें कुचल देना है और दूसरा उनसे दूर रहना है। 
  3. अपमानित होकर इस जीवन को सुरक्षित रखने से तो मर जाना ही अच्छा है। प्राणों की हानि क्षण भर का दु:ख देती है, परन्तु अपमान जीवन में प्रतिदिन दु:ख लाता है। 
  4. शिक्षक कभी साधारण नहीं होता। प्रलय और निर्माण उसकी गोद में पलते है। 
  5. शिक्षा ही सबसे अच्छी मित्र है और शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है। 
  6. एक मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी होती हैं, जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना। 
  7. भगवान मूर्तियों में मौजूद नहीं है। आपकी भावनाएं ही आपका भगवान हैं। आत्मा तुम्हारा मंदिर है। 
  8. किसी व्यक्ति का भविष्य उसकी वर्तमान परिस्थितियों के आधार पर मत आंकिए, क्योंकि समय में इतनी ताकत है कि वह काले कोयले को चमकदार हीरे में बदल सकता है। 
  9. इस पृथ्वी पर तीन रत्न हैं – अन्न, जल और प्रिय वचन। मूर्ख लोग चट्टानों के टुकड़ों को रत्न समझते हैं। 
  10. यदि आपको बुरे व्यक्ति और साँप के बीच चयन करना है, तो साँप को चुनें। क्योंकि सांप आपको केवल आत्मरक्षा में काटेगा, लेकिन एक दुष्ट व्यक्ति किसी भी कारण और किसी भी समय या हमेशा काटेगा।

FAQs 

चाणक्य के कड़वे वचन क्या हैं?

दूसरों की गलतियों से सीखें। आप उन सभी को स्वयं बनाने के लिए पर्याप्त समय तक जीवित नहीं रह सकते।

चाणक्य कौन थे?

चाणक्य एक शिक्षक, दार्शनिक, अर्थशास्त्री और राजनेता थे जिन्होंने भारतीय राजनीतिक ग्रंथ, ‘अर्थशास्त्र’ की रचना की थी। आचार्य चाणक्य को कौटिल्य नाम से भी जाना जाता है और वह चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे।

चाणक्य का सिद्धांत क्या है?

चाणक्य ने कहा था कि न्याय में देरी नहीं करनी चाहिए और मामलों की तुरंत सुनवाई करनी चाहिए। 

चाणक्य ने अपनी शिक्षा कहाँ प्राप्त की थी?

चाणक्य ने अपनी शिक्षा तक्षशिला (वर्तमान पाकिस्तान) में प्राप्त की थी। 

चाणक्य किसके गुरु थे ?

चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु थे।

आशा है कि आपको आचार्य चाणक्य (Chanakya) के बारे में सभी आवश्यक जानकारी मिल गयी होगी। ऐसे ही इतिहास से संबंधित अन्य ब्लॉग्स को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें। 

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