श्रीमद्भगवत गीता एक ऐसा ग्रंथ है जो मानव को कर्म करना सिखाता है, जो मनुष्य को धर्म की सही परिभाषा समझाता है। यह एक ऐसा पवित्र ग्रंथ है, जो आपको मोक्ष मार्ग तक ले जाता है। यूँ तो भगवत गीता सनातन हिन्दू वैदिक धरम का आधार है, परंतु आज मानव कल्याण के लिए इस पवित्र ग्रंथ के ज्ञान को दिल खोल कर अपनाने की आवश्यकता है क्योंकि यही सनातन है, और यही शाश्वत है। Bhagavad Gita Quotes in Hindi के माध्यम से आप इस पवित्र ज्ञान पर आधारित कोट्स को पढ़ेंगे। यही कोट्स आपको तनाव से मुक्त रहने का सबसे अच्छा तरीका बताएंगे।
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छात्रों के लिए Bhagavad Gita Quotes in Hindi
श्रीमद्भगवत एक मात्र ऐसा ग्रंथ है, जो छात्रों को भी पग-पग पर प्रेरित करता है और जीवन की समस्याओं का साहस से सामना करने योग्य बनाता है। Bhagavad Gita Quotes in Hindi के माध्यम से आप उन कोट्स को पढ़ पाएंगे, जो विद्यार्थी जीवन में आपको सद्मार्ग दिखाएंगे। ऐसे कुछ प्रेरक कोट्स निम्नलिखित हैं-
“कर्म ज्ञान से अज्ञात मानव, कोई महामानव नहीं केवल अज्ञानी है।”
“मोह बंधन ही मानव को पथ से भटकाते हैं, सफलता के लिए सद्मार्ग पर चलना अनिवार्य है।”
“योगियों की भांति ही ध्यान केंद्रित करना सीखें, जहाँ स्वार्थ का कोई स्थान न हो।”
“मनुष्य जैसा लेता है आहार, वैसे ही बन जाते हैं उसके विचार।”
“सफलता उसी व्यक्ति को मिलती हैं, जिसका स्वयं की इन्द्रियों पर बस हो।”
“यदि परिस्थितियां आपके हक़ में नहीं है, तो विश्वास कीजिए कुछ बेहतर आपकी तलाश में है।”
“हर प्राणी के जीवन में परीक्षा का समय आता है, इसका अर्थ यह नहीं कि निराश हुआ जाए।”
“दूसरे की कामयाबी से जलना क्यों है, आपका परिश्रम ही आपको सफल बनाता है।”
“जीत हो या हार दोनों का सम्मान करना सीखें, क्योंकि दोनों में ही ईश्वर की इच्छा होती है।”
“”मन की परेशानी या समय की हैरानी का एक ही हल है कि आप अपने सवालों के जवाबों के पीछे ऐसे पड़ जाए, जैसे आप एक हठयोगी हो।”
Bhagavad Gita Quotes in Hindi अर्थ के साथ
Bhagavad Gita Quotes in Hindi के माध्यम से आप श्रीमदभगवत गीता के अनमोल ज्ञान को भावार्थ सहित पढ़ सकते हैं, साथ ही आप इस अमूल्य ज्ञान को अपने जीवन में अपनाकर जीवन को सफल बना सकते हैं। नीचे दिए गए कोट्स में आपको महाभारत युद्ध के दौरान पवित्र गीता ज्ञान और उन अनमोल क्षणों के बारे में पता लगेगा, जिन क्षणों में स्वयं नारायण की वाणी गीता का अनमोल ज्ञान बनी।
धृतराष्ट्र उवाच
धृतराष्ट्र बोलेः हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में एकत्रित, युद्ध की इच्छावाले मेरे पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया? (जिस भूमि से धर्म ज्ञान का प्रचार होता है, वो भूमि ही धर्मभूमि कहलाती है।)
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय।
अर्जुन उवाच
अर्जुन बोलेः हे कृष्ण! युद्धक्षेत्र में डटे हुए अपने स्वजनों को देखकर शरीर का हर अंग शिथिल हुए जा रहा हैं और मुख सूखा जा रहा है। (स्वजनों को युद्ध क्षेत्र में देखकर अर्जुन मोह बंधनों में फसने लगे)
दृष्ट्वेमं स्वजनं कृष्ण युयुत्सुं समुपस्थितम्
सीदन्ति मम गात्राणि मुखं च परिशुष्यति।
वेपथुश्च शरीरे मे रोमहर्षश्च जायते।
न कांक्षे विजयं कृष्ण न च राज्यं सुखानि च।
हे कृष्ण! ऐसी विजय की लालसा क्या रखनी जिसमें स्वजनों से ही युद्ध लड़ना पड़े। हे गोविन्द ! हमें ऐसे राज्य या ऐसे जीवन से क्या ही लाभ मिलेगा? (बंधनों के फंदे में फसकर अर्जुन जब कर्मों पर ही प्रश्न उठाने लगते हैं।)
किं नो राज्येन गोविन्द किं भोगैर्जीवितेन वा।
निहत्य धार्तराष्ट्रान्नः का प्रीतिः स्याज्जनार्दन।
हे जनार्दन! धृतराष्ट्र के पुत्रों को मारकर हमें क्या ही प्रसन्नता होगी? ऐसे पापियों को मारकर तो हमें केवल पाप ही लगेगा। (जब अर्जुन अपने धर्म को धारण करने में संकोच करने लगे।)
पापमेवाश्रयेदस्मान् हत्वैतानाततायिनः।
कुलक्षये प्रणश्यन्ति कुलधर्माः सनातनाः।
अपने ही कुल के नाश से सनातन कुलधर्म नष्ट हो जाते हैं, कुलधर्म के नाश हो जाने पर सम्पूर्ण कुल में केवल पाप ही फैलता है।
धर्मे नष्टे कुलं कृत्स्नमधर्मोऽभिभवत्युत।
संकरो नरकायैव कुलघ्नानां कुलस्य च।
वर्णसंकर कुलघातियों को और कुल को नरक में ले जाने के लिए ही होता है, लुप्त हुई पिण्ड अर्थात् श्राद्ध और तर्पण से वंचित इनके पितर लोग भी अधोगति को प्राप्त होते हैं।
पतन्ति पितरो ह्येषां लुप्तपिण्डोदकक्रियाः।
दोषैरेतैः कुलघ्नानां वर्णसंकरकारकैः।
इन वर्णसंकरकारक दोषों से, कुलघातियों द्वारा सनातन कुल, धर्म और जाति धर्म नष्ट हो जाते हैं।
उत्साद्यन्ते जातिधर्माः कुलधर्माश्च शाश्वताः।
उत्सन्कुलधर्माणां मनुष्याणां जनार्दन।
हे जनार्दन! जिनका कुलधर्म नष्ट हो गया है, ऐसे मनुष्यों का अनिश्चित काल तक नरक में वास होता है, ऐसा हम सुनते आये हैं।
नरकेऽनियतं वासो भवतीत्यनुशुश्रुम।
श्रीभगवानुवाच
श्री भगवान बोलेः हे अर्जुन! तुझे इस असमय में यह मोह किस हेतु से प्राप्त हो रहा है? क्योंकि यह श्रेष्ठ पुरुषों का आचरण नहीं, न ही यह आचरण स्वर्ग को देने वाला है और न ही कीर्ति कमाने वाला है। इसीलिए हे अर्जुन! नपुंसकता को मत प्राप्त हो, तुझमें यह उचित नहीं जान पड़ती। हे पार्थ! हृदय की तुच्छ दुर्बलता को त्यागकर युद्ध के लिए खड़ा हो जा।
कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम्।
अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यमकीर्तिकरमर्जुन।
क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते।
क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्तवोत्तिष्ठ परंतप।
दिल को छू जाने वाले Bhagavad Gita Quotes in Hindi
Bhagavad Gita Quotes in Hindi के माध्यम से आप दिल को छू जाने वाले उन कोट्स को पढ़ पाएंगे, जो जटिल से जटिल परिस्थिति में आपको साहस से काम लेना सिखाते हैं, यह कुछ इस प्रकार हैं-
“मन को जीतने वाला व्यक्ति ही परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं।”
“शांत मन से ही लक्ष्य की प्राप्ति की जाती है, मन की अशांति से मानव का पतन होता है।”
“निस्वार्थ भाव से की गई सेवा या दान ही सात्विक गुण का आधार होता है, सात्विकता से ही संसार को ऊर्जा प्राप्त करता है।”
“क्रोध, लालच और वासना यही नर्क के द्वार हैं क्योंकि यह मानव के पतन का मुख्य कारण होते हैं।”
“ईश्वर का रूप केवल उतना ही नहीं जितना हम और आप समझते हैं, सृष्टि के हर कण में परमात्मा की उपस्थिति होती है।”
“सृष्टि के हर कण का एक विशेष गुण होता है, जिसका आधार स्वयं श्री हरि नारायण होते हैं।”
“अति से ज्यादा खाना खाने वाला मानव आलस के रथ का सारथी बनता है, एक योगी की यही पहचान होती है कि वह कम खाते हैं और हरि की महिमा गाते हैं।”
“श्रीकृष्ण ही तमस हैं और वही ज्ञान का प्रकाश हैं, नारायण ही सृष्टि सारी-श्री हरि ही आशाओं का आकाश हैं।”
“स्वर्ग और नर्क कर्म के तराजू पर समान रूप से तुलते हैं, इन्हीं के आधार पर आत्मा की गति होती है।”
“चंचल मन की इच्छाओं का त्याग करने वाले व्यक्ति ही परमात्मा के हृदय में वास करते हैं।”
श्रीमद्भगवत गीता का सार Bhagavad Gita Quotes in Hindi
श्रीमद्भगवत गीता एक मात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसमें मानव के मन के प्रश्नों के उत्तर स्वयं नारायण की वाणी से उत्पन्न हो रहें हैं। श्रीमद्भागवत गीता के सार को आप नीचे दिए गए कोट्स के माध्यम से आसानी से समझ सकते हैं-
“संशय से बाहर निकलकर कर्म को पहचानने वाला व्यक्ति ही सर्वश्रेष्ठ कहलाता है।”
“योगियों की यही पहचान होती है कि उनकी इंद्रियां उनके अधीन होती हैं।”
“भयमुक्त होता है वह प्राणी जो परमात्मा की इच्छा को अपने लिए आदेश मानकर चलता है।”
“चिंताओं की चिता को दाग वहीं प्राणी देता है, जो पूर्णतः मन भाव से स्थिर हो जाता है।”
“सच्ची श्रृद्धा और परमात्मा के प्रति समर्पण तब ही सफल माना जाता है, जब उसमें कोई शंका न हो।”
“जीवन में अपने पथ से भटकने वाला व्यक्ति कभी भी परमात्मा की प्राप्ति नहीं कर सकता, फिर चाहे वह कितना भी कुछ क्यों न कर ले।”
“भय के होने पर मन की स्थिति भयानक हो जाती है, वीर वही है जो कर्मज्ञान का अनुसरण करता हो।”
“सृष्टि में हर जीव के हृदय में नारायण का ही वास है, मनुष्य को चाहिए कि वह अपने भीतर के नारायण का स्वरूप जाने।”
“जब कभी भी सृष्टि पापियों के पाप से आतंकित होती है, तब नारायण इस धरती पर धर्म बचाने, सृष्टि की संस्कृति, ज्ञान और मानवता के संरक्षण के लिए अवतार लेते हैं।”
“परमात्मा की लीलाओं को जिसने शून्य होकर जान लिया, उसने जीवन के अनन्त ज्ञान की प्राप्ति कर ली।”
“राजसी, तामसी और सात्विक के आधार पर ही मानव के गुण, प्रकृति और व्यवहार का निर्धारण होता है।”
“जीवन का एक ही सार होता है “श्रीमद्भागवत गीता”, यही सार यदि जीवन का आधार बन जाए तो जीवन सफल बन जाता है।”
आशा करते हैं कि आपको Bhagavad Gita Quotes in Hindi में आपको जीवन के अनमोल ज्ञान के बारे में पता चलेगा, साथ ही इसमें आपको इसमें आपके सवालों के सही जवाब मिलेंगे। उम्मीद है कि यह ब्लॉग इंट्रस्टिंग लगा होगा, साथ ही यह ब्लॉग आपको पसंद भी आया होगा। इसी प्रकार के अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।