Asghar Wajahat Ka Jivan Parichay : असग़र वजाहत आधुनिक हिंदी साहित्य में ‘साठोत्तरी काल’ के सुप्रसिद्ध कथाकार-उपन्यासकार और नाटककार के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने आधुनिक हिंदी गद्य साहित्य की अनेक विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया हैं, जिनमें नाटक, उपन्यास, कहानी, नुक्कड़ नाटक, आलोचना, यात्रा-वृत्तांत, धारावाहिक लेखन, पटकथा लेखन व अनुवाद कार्य शामिल हैं। वहीं आधुनिक हिंदी गद्य साहित्य में अपना उल्लेखनीय योगदान देने के लिए असग़र वजाहत (Asghar Wajahat) जी को ‘संगीत नाटक अकादमी’, ‘हिंदी अकादमी कथा सम्मान’, ‘इंदु शर्मा कथा सम्मान’ व अन्य कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका हैं।
असग़र वजाहत जी की रचनाओं के अनेक भाषाओं में अनुवाद हो चुके हैं तथा उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी असग़र वजाहत का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
आइए अब इस लेख में सुप्रसिद्ध साहित्यकार असग़र वजाहत का जीवन परिचय (Asghar Wajahat Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मूल नाम | डॉ. सय्यद असग़र वजाहत |
विख्यात नाम | Asghar Wajahat |
जन्म | 5 जुलाई 1946 |
जन्म स्थान | फ़तेहपुर, उत्तर प्रदेश |
शिक्षा | पोस्ट डॉक्टोरल (JNU) |
पेशा | लेखक, अध्यापक, अनुवादक |
भाषा | हिंदी |
साहित्य काल | आधुनिक हिंदी |
विधाएँ | नाटक, उपन्यास, कहानी, नुक्कड़ नाटक, आलोचना व अनुवाद कार्य आदि। |
उपन्यास | सात आसमान, रात में जागने वाले, पहर दोपहर आदि। |
कहानी संग्रह | दिल्ली पहुँचना है, स्विमिंग पुल, आधी बानी आदि। |
नाटक | जिन लाहौर नईं वेख्या वो जन्म्या ई नईं, फिरंगी लौट आये, गोडसे@गांधी.कॉम, वीरगति, समिधा आदि। |
पुरस्कार एवं सम्मान | ‘संगीत नाटक अकादमी’, ‘हिंदी अकादमी कथा सम्मान’, ‘इंदु शर्मा कथा सम्मान’ आदि |
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असग़र वजाहत का प्रारंभिक जीवन – Asghar Wajahat Ka Jivan Parichay
सुप्रसिद्ध साहित्यकार ‘असग़र वजाहत’ (Asghar Wajahat) का जन्म 5 जुलाई 1946 में उत्तर प्रदेश के फ़तेहपुर में एक मध्यम स्तर के जंमीदार परिवार में हुआ था। एक संपन्न परिवार में जन्म होने के कारण उनका बचपन लाड-प्यार, अध्ययन और खेल-कूद में बीता। वहीं परंपरा के अनुसार उनकी शुरूआती पढ़ाई उर्दू, फारसी और अरबी में घर पर ही होती थी लेकिन उनके साथ ऐसा न हुआ और उन्हें सीधा स्कूल में भेजा गया।
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असग़र वजाहत की शिक्षा
असग़र वजाहत की प्रारंभिक व हाय स्कूल स्तर की परीक्षा फ़तेहपुर में ही हुई। इसके बाद उन्होंने उच्च माध्यमिक शिक्षा से लेकर पीएचडी स्तर की शिक्षा ‘अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय’ (AMU) से की तथा वर्ष 1980 से 1983 में ‘जवाहरलाल विश्वविद्यालय’ (JNU) से पोस्ट डॉक्टोरल की डिग्री प्राप्त की।
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विस्तृत रहा कार्यक्षेत्र
असग़र वजाहत (Asghar Wajahat) जी ने अपनी एम.ए की पढ़ाई के दौरान ही नौकरी की तलाश शुरू कर दी थी। वहीं अनेक प्रयासों के बाद उन्हें बंबई के अख़बार में नौकरी मिली और इसके बाद उन्होंने कुछ समय तक यूरोप में विशेष संवादाता के रूप में भी नौकरी की। इसके साथ ही उन्होंने ‘हंस’ जैसी प्रतिष्ठित पत्रिका के अलावा आकाशवाणी, दूरदर्शन के अतिरिक्त बीबीसी लंदन के लिए भी लेखन कार्य किया।
बता दें कि असग़र वजाहत लगभग तीन दशकों से ‘जामिया मिलिया इस्लामिया’, नई दिल्ली में हिंदी विभाग में अध्यापन कार्य कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कुछ समय तक यूरोपीय अध्ययन विभाग, ओत्वोश लोरांद विश्वविद्यालय, बुडापेस्ट, हंगरी में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में कार्य किया है।
विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य के साथ-साथ असग़र जी ने धारावाहिक व हिंदी फीचर फिल्मों में पटकथा लेखन में अपना विशेष योगदान दिया है। इसके साथ ही उन्होंने ए. जे. मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर के कार्यकारी निदेशक के रूप में भी काम किया है।
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असग़र वजाहत की साहित्यिक रचनाएँ
असग़र वजाहत जी ने आधुनिक हिंदी साहित्य में कई विधाओं में साहित्य का सृजन किया हैं, लेकिन उन्हें विशेष प्रसिद्धि नाटककार के रूप में मिली। वह भारत के कुछ जाने माने नाटककारों में से एक माने जाते हैं। वहीं उनका बहुचर्चित नाटक ‘जित लाहौर नईं वेख्या वो जन्म्या ई नईं’ हिंदी नाट्य साहित्य में ‘मील का पत्थर’ माना जाता है जिसने एक अलग विषय को नाटक के माध्यम से प्रस्तुत करके नाट्य क्षेत्र में एक नया मानक स्थापित किया है। आइए अब हम Asghar Wajahat जी की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं:-
उपन्यास
- सात आसमान
- रात में जागने वाले
- पहर दोपहर
- मन माटी
- कैसी आगी लगाई
- बरखा रचाई
- धरा अँकुराई
कहानी संग्रह
- मैं हिंदू हूँ
- दिल्ली पहुँचना है
- स्विमिंग पूल
- सब कहाँ कुछ
- डमोक्रेसिया
- भीड़तंत्र
- आधी बानी
नाटक
- जित लाहौर नईं वेख्या वो जन्म्या ई नईं
- अकी
- समिधा
- चहारदर
- फिरंगी लौट आये
- इन्ना की आवाज
- गोडसे@गांधी.कॉम
- महाबली
नुक्कड़ नाटक संग्रह
- सबसे सस्ता गोश्त – 1990
संस्मरण
- कथा से इतर
आख्यान
- बाकरगंज के सैयद
यात्रा संस्मरण
- रास्ते की तलाश में
- स्वर्ग में पाँच दिन
- चलते तो अच्छा था
- पाकिस्तान का मतलब क्या?
- अतीत का दरवाजा
निबंध
- ताकि देश में नमक रहे
- सफाई गंदा काम है
आलोचना पुस्तक
- हिंदी कहानी: पुनर्मूल्यांकन – 1979
- हिंदी उर्दू की प्रगतिशील कविता – 1981
पत्र
- इस पतझड़ में आना
अनुवाद कार्य
- आख़िर-ए- शब के हमसफ़र – लेखक: क़ुर्रतुलैन हैदर क़ुर्रतुलैन हैदर
- सिनेमा के बारे में – जावेद अख्तर, नसरीन मुन्नी कबीर
वृत चित्र लेखन
- गझल की कहानी
- खोया बचपन
- शंकर गुहा नेयोगी
- सरदार भगत पुराणसिंग
धारावाहिक लेखन
- बूंद बूंद
- सपने अपने-अपने
समीक्षा
- किल-ए मोहल्ला की झलकियाँ
- बज़्मे आख़िर
- दिल्ली का आख़िरी दीदार
- लालकिले की एक सलड
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पुरस्कार एवं सम्मान
असग़र वजाहत जी (Asghar Wajahat) को आधुनिक हिंदी साहित्य में विशेष योगदान देने के लिए कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है। क्या आप जानते हैं कि वर्ष 2007 में हिंदी पत्रिका ‘आउटलुक’ के एक सर्वेक्षण के अनुसार असग़र जी को हिंदी के दस श्रेष्ठ लेखकों में शुमार किया गया था। वहीं उनकी कई रचनाओं का कई विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका हैं जिनमें अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, इटेलियन, हंगेरियन, रूसी और फारसी प्रमुख हैं। असग़र वजाहत जी को मिले कुछ प्रमुख पुरस्कार इस प्रकार हैं:-
- संस्कृति सम्मान – 1978
- संगीत नाटक अकादमी
- सांप्रदायिक सद्भाव सम्मान
- कथा क्रम सम्मान
- वनमाली पुरस्कार – 2000
- उत्कृष्ट नाट्य लेखक पुरस्कार
- इंदु शर्मा कथा सम्मान
- साहित्यकार सम्मान – हिंदी अकादमी, दिल्ली
FAQs
असग़र वजाहत का 5 जुलाई 1946 में उत्तर प्रदेश के फ़तेहपुर में एक मध्यम स्तर के जंमीदार परिवार में हुआ था।
बता दें कि ‘जित लाहौर नईं वेख्या वो जन्म्या ई नईं’ असग़र वजाहत जी का बहुचर्चित नाटक है।
असग़र वजाहत आधुनिक हिंदी साहित्य में साठोत्तरी काल के बाद के मुख्य रचनाकार माने जाते हैं।
आशा है कि आपको समादृत साहित्यकार असग़र वजाहत का जीवन परिचय (Asghar Wajahat Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचयको पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।