मध्यकालीन भारत के इतिहास पर अगर प्रकाश डाला जाए तो आप इस कालखंड को सियासी उठा-पटक के कालखंड के रूप में पाएंगे, इसी कालखंड में भारत पर कई विदेशी आक्रांताओं ने हमले करके यहाँ अपने वंश की स्थापना की। मध्यकालीन युग में स्थापित हुए लोदी वंश का इतिहास आपको इस पोस्ट में पढ़ने को मिलेगा। मध्यकालीन भारत के इस कालखंड के दौरान भारत ने सत्ताओं के टकराव के बीच, मानवता और यहाँ की मूल सभ्यता के ऊपर आई अनेकों त्रासदियों को झेला है।
लोदी वंश के संस्थापक “बहलोल लोदी” का संबंध एक अफगानी कबीले से था, जिसने भारत आकर वर्ष 1451 में लोदी वंश की स्थापना की। 15 शताब्दी आते-आते अफगानियों ने अपना वर्चस्व बड़ा लिया, जिसके परिणाम स्वरुप लोदी वंश के संस्थापक बहलोल लोदी ने सैय्यद वंश को समाप्त करके अपने वंश की स्थापना की, इस सत्ता के हस्तानांतरण में बहलोल लोदी का कोई विरोध भी नहीं हुआ। इस पोस्ट में आप लोदी वंश के इतिहास के बारे में जानेंगे।
लोदी वंश के संस्थापक का नाम | बहलोल लोदी |
लोदी वंश की स्थापना किस वर्ष हुई? | वर्ष 1451 में |
लोदी वंश का शासन कब से कब तक रहा? | 1451-1526 ईस्वी तक |
लोदी वंश से पहले किस वंश का शासन था? | सैय्यद वंश |
लोदी वंश के संस्थापक की मृत्यु कब हुई? | वर्ष 1489 में |
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लोदी वंश का उदय
लोदी वंश का इतिहास अगर देखा जाए तो आपको ज्ञात होगा कि लोदी वंश के संस्थापक बहलोल लोदी ने, दिल्ली से तुर्क सत्ता को समाप्त किया और अपने वंश की स्थापना की। लोदी वंश को अफगानों की गिलजई कबीले की शाखा “शाहूखेल कुटुंब” से संबंधित माना जाता है। अफगानों ने अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल से ही अपना वर्चस्व स्थापित करना शुरू कर दिया था, जिसका परिणाम यह रहा कि मोहम्मद तुगलक के काल में, अफगानों की शक्ति सामंतों के रूप में बढ़ी। फिरोज तुगलक के समय अफगानों की नियुक्ति गवर्नरों के रूप में की जाने लगी थी।
इसके बाद देखा जा सकता है कि 15वीं शताब्दी आते-आते अफगान इतने शक्तिशाली हो गए कि सैय्यद वंश के शासनकाल में लगभग हर बड़े ओहदे पर इनका वर्चस्व स्थापित होने लगा। अफगानों की बढ़ती ताकत के कारण ही बहलोल लोदी के सत्ता पर काबिज़ होने पर उसका कोई विरोध नहीं हुआ और सैय्यद वंश के अंत के साथ लोदी वंश का उदय हुआ।
लोदी वंश के शासक
लोदी वंश का इतिहास इस वंश के मुख्य शासक को जाने बिना अधूरा है, जिसके लिए आपको इस महान वंश के मुख्य शासकों के बारे में नीचे दी गई टेबल में बताया जा रहा है। जो कि कुछ इस प्रकार है:-
शासक का नाम | शासन की अवधि |
बहलोल लोदी | 1451 से 1489 ई. |
सिकंदर लोदी | 1489 से 1517 ई. |
इब्राहिम लोदी | 1517 से 1526 ई. |
बहलोल लोदी (1451 से 1489 ई.)
लोदी वंश के संस्थापक बहलोल लोदी ने (1451 से 1489 ई) तक शासन किया। अपनी राजनीतिक इच्छाशक्ति के चलते बहलोल लोदी ने अपनी सीमाओं का भी समय के साथ विस्तार किया। उसने अपने सरदारों को संतुष्ट करने के लिए अनेक उपाय किए। वह अपने सरदारों को “मकसद-ए-अली” कहकर पुकारता था। परिणामस्वरूप बहलोल लोदी ने ग्वालियर, समथल, सकीट, मेवात पर विजय प्राप्त की। लोदी वंश के संस्थापक की मृत्यु 1489 ई. में हुई।
सिकंदर लोदी (1489 से 1517 ई.)
सिकंदर शाही बहलूल लोदी का पुत्र था, जिसने सिकंदर शाह की उपाधि लेकर अपनी सत्ता स्थापित की। सिकंदर लोदी ने 1489 से 1517 ई. तक शासन किया जिसमें उसने एक सुव्यवस्थित “जासूसी तंत्र” को भी स्थापित किया। इसके क्रूर शासनकाल में समानता न होने के कारण हिंदुओं पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए। “सिकंदर लोदी” को ही लोदी वंश का प्रसिद्ध शासक भी माना जाता है।
इब्राहिम लोदी (1517 से 1526 ई.)
सिकंदर लोदी के बाद सत्ता का उत्तराधिकारी “इब्राहीम लोदी” को बनाया गया, जिसने 1517 से 1526 ई. तक शासन किया। इब्राहिम लोदी एक जिद्दी और असहिष्णु व्यक्ति था, जिसमें अपने पिता की तरह एक शासक वाले अच्छे गुण नहीं थे। इसकी क्रूरता का पता इस बात से चलता है कि इब्राहिम लोदी ने अपने शासनकाल में अपने ही सरदारों को क्रूरतापूर्वक मौत के घात उतार दिया था। वहीं इसकी क्रूरता से इसका खुद का बेटा “दिलवर खाँ लोदी” भी नहीं बचा था। भारत पर आक्रमण करने वाले काबुल के शासक बाबर ने वर्ष 1526 ई. में पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हरा कर इस वंश का अंत किया था।
लोदी वंश के संस्थापक की विशेष उपलब्धियां
लोदी वंश के संस्थापक की विशेष उपलब्धियों को आप निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से जान सकते हैं:-
- बहलोल लोदी को ‘लोदी वंश’ के उदार और कुशल शासक के रूप में देखा जाता है, जिसने लगभग 38 वर्षों तक शासन किया था।
- बहलोल लोदी ने कृषि के विकास के लिए तालाबों-नहरों को भी बढ़ावा दिया था।
- दिल्ली सल्तनत के रूप में तुर्को की निरंकुशता का अंत करके बहलोल लोदी ने सामंतों को समान अधिकार दिए थे।
- अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंचने तक उसने अपने राज्य की सीमाओं का विस्तार पंजाब से बिहार तक किया था।
- मुद्रा व्यवस्था में अपना योगदान देते हुए बहलोल लोदी ने ¼ टंके के बराबर “बहलोली” नामक चांदी के सिक्कों को चलन में चलवाया था।
- बहलोली नामक चांदी का सिक्का विनिमय का माध्यम बनकर मुग़ल शासक अकबर के समय तक प्रचलन में था।
FAQs
लोदी वंश का संस्थापक बहलोल लोदी था।
सन 1451 में बहलोल लोदी गद्दी पर बैठा था।
लोदी वंश के शासक बहलोल लोदी, सिकंदर लोदी, इब्राहिम लोदी थे।
लोदी वंश का अंतिम शासक इब्राहिम लोदी था।
लोदी वंश का सबसे महान शासक सिकंदर लोदी था।
बाबर ने इब्राहीम को पानीपत की पहली लड़ाई में हरा दिया और इस तरह 1526 ई. में लोधी वंश के 75 वर्षों के शासन का अंत हो गया।
लोदी राजवंश की स्थापना 1451 में बहलोल लोधी ने की थी। लगातार उत्तराधिकार के युद्धों के साथ-साथ तैमूर के नियमित आक्रमणों के कारण खराब आर्थिक स्थिति और तेजी से खाली होते खजाने ने सैन्य क्षमताओं को कमजोर कर दिया और लोधी वंश को कमजोर कर दिया। यही लोदी वंश के पतन का मुख्य कारण था।
आशा है इस ब्लॉग से आपको लोदी वंश का इतिहास और इससे जुड़ी अहम घटनाओं के बारे में बहुत सी जानकारी प्राप्त हुई होगी। प्राचीन भारत के इतिहास से जुड़े हुए ऐसे ही अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।