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उत्तर – गोपियाँ श्रीकृष्ण के पुनः लौटने की आशा पर विरह के कष्ट को सहन कर रही थीं। उन्होंने कृष्ण-मिलन को ही अपने जीवन का मूल उद्देश्य बना लिया था। वे प्रत्येक दिन इस विश्वास के साथ व्यतीत कर रही थीं कि एक दिन श्रीकृष्ण अवश्य लौटेंगे। इसी आशा और प्रतीक्षा ने उन्हें वियोग की पीड़ा सहने की शक्ति दी।
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