UGC NET Music Syllabus in Hindi: जानिए यूजीसी नेट म्यूजिक के सिलेबस के बारे में

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UGC NET Music Syllabus in Hindi

यदि आप यूजीसी नेट म्यूजिक एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं तो आपको इसके सिलेबस के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। UGC NET म्यूजिक सिलेबस को 10 यूनिट्स में बांटा गया है। इस सिलेबस में से पहले चार यूनिट सभी म्यूजिक स्टूडेंट्स के लिए आवश्यक हैं। ये यूनिट्स बुनियादी अवधारणाओं और सिद्धांतों को कवर करती हैं जो विभिन्न संगीत शैलियों में महत्वपूर्ण हैं। शेष यूनिट्स संगीत के विशिष्ट क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जिससे छात्रों को अपने चुने हुए क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने का मौका मिलता है। कैंडिडेट्स के लिए सिलेबस को पूरी तरह से समझने और उसके अनुसार तैयारी करने के लिए प्रत्येक यूनिट का ध्यानपूर्वक अध्ययन करना महत्वपूर्ण है। UGC NET Music Syllabus in Hindi के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

यूजीसी नेट म्यूजिक एग्जाम क्या है?

यूजीसी नेट म्यूजिक एग्जाम एनटीए द्वारा आयोजित एक एग्जाम है। जिसका उद्देश्य भारतीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में संगीत और संबंधित विषयों में सहायक प्रोफेसर की भूमिका और/या जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) के लिए पात्रता निर्धारित करना है। एग्जाम में म्यूजिक के विभिन्न पहलुओं, जैसे इसके सिद्धांत, इतिहास, सांस्कृतिक महत्व और व्यावहारिक अनुप्रयोगों के बारे में उम्मीदवारों के ज्ञान और समझ का आकलन किया जाता है। इसमें आम तौर पर बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ) होते हैं और इसका उद्देश्य संगीत के क्षेत्र में उम्मीदवारों की दक्षता और विशेषज्ञता का मूल्यांकन करना होता है। भारत में विश्वविद्यालय स्तर पर संगीत में शिक्षण या शोध में करियर बनाने के लिए यूजीसी नेट म्यूजिक एग्जाम क्लियर करना आवश्यक है।

यूजीसी नेट म्यूजिक का सम्पूर्ण सिलेबस

यूजीसी नेट म्यूजिक का सम्पूर्ण सिलेबस नीचे दिया गया है:

  • यूनिट 1,2,3,4 संगीत की सभी विधाओं के लिए समान है। 
  • यूनिट 5 से 10 संगीत की विशिष्ट विधाओं के लिए अलग अलग है। 

यूनिट 1: परिभाषिक शब्दावली

  • संगीत, नादः सघन एवं अनाहत नादः श्रुति एवं इसकी पांच जातियां, सप्त वैदिक स्वर, गंधर्व में सुसंगत सप्त स्वर, शुद्ध एवं अनाहत नादः, वादी-संबदी डायनी-विवादी सप्तक, आरोह, अवरोह, पकड़/विशेष, पूर्वांग-उत्तरांग, औदव-षादव-सम्पूर्ण, वर्ण, अलंकार अल्प, तान, गमक, अल्पत्व-बहुत्व, ग्रह, अंश, न्यास, अपन्यास, अविर्भाव, तिरोभाव, गीतः गंधर्व, गण; मार्ग संगीत, देशी संगीत, कुतप, वृंद, वाग्गेयकार, मेल, थाट, राग, उपांग, भाषांग, मीड, खटका, मुर्की, सुत, गत, जोड़, झाला, पकड़, बाज, हरमनी और मेलोडी, ताल, लय और विभिन्न लयकारियाँ, हिंदुस्तानी संगीत में प्रचलित तालें, सप्त ताल एवं 35 ताल, ताल दश प्राण, यति, सीमा, मात्रा, विभाग, ताली, खाली, कहा, पेशकार, उठान, गत, परण, रेला, सिद्धांत, चक्रदार, गग्गी, लड़की, मार्ग -देशी ताल, आवर्तन, सम, विषम, अतीत, अनागत, दस विद् गमक, पंच दश गमक, कट्पयदी योजना, 12 चक्रों के नाम, बारह स्वरस्थान, नेरवल, संगति, मुद्रा, षडंग, अल्पना, तनम्, काकु, अकारमात्रिक स्वर लिपियाँ।

यूनिट: 2 लोक संगीत 

  1. भारतीय लोक गीतों की उत्पत्ति, विकास एवं वर्गीकरण
  2. लोक संगीत की विशेषताएँ
  3. लोक संगीत एवं लोक वाद्यों का विस्तृत अध्ययन तथा विभिन्न प्रांतों के लोक कलाकार
  4. लोक-संगीत में प्रयुक्त राग एवं ताल
  5. भारत में लोक मेला एवं लोक उत्सव

यूनिट 3: रस एवं सौन्दर्य

  1. रस, भारत एवं अन्य विद्वानों के अनुसार रस सिद्धांत
  2. रस-निष्पत्ति एवं भारतीय शास्त्रीय संगीत में इसका अयोग
  3. भाव और रस
  4. स्वर, लय, ताल, छन्द और शब्द रचना से रस का सम्बन्ध
  5. भारतीय एवं पाश्चात्य दार्शनिक के अनुसार सौन्दर्य
  6. वात्स्ययान द्वारा निर्दिष्ठ चौसठ कलाओं का सामान्य ज्ञान
  7. राग-रागिनी चित्रण एवं राग-ध्यान का सामान्य इतिहास
  8. ललित कलाओं का अन्रर्सम्बन्ध

यूनिट 4: शोध-प्रविधि, संशिक्षा, अंतसंबंधात्मक पहलु एवं आधुनिक तकनीक

  • शोध प्रविधि एवं संशिक्षा शोध का क्षेत्र, पूर्व अध्ययन की समीक्षा, उपयुक्त शोध-शीर्षक एवं शोध-समस्या का चयन, संगीत में शोध की प्रविधि, शोध-संक्षिप्तिका तैयार करना, सामग्री-संकलन एवं इसके सूत्र, सामग्री- संकलन का विश्लेषण, शोध परियोजना की रपट लिखना, शोध परियोजना का अनुक्रमण, सन्दर्भ सूची एवं ग्रन्थ सूची इत्यादि
  • शोध की दिशाएँ एवं इसके अन्तर्संबंधात्मक पहलु संगीत और साहित्य, संगीत चिकित्सा, दर्शन शाख, मनोविज्ञान, भौतिक विज्ञान, गणित, अर्थशास्त्र, सामाजिक विज्ञान, धर्म और संस्कृति
  • आधुनिक तकनीक : इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कम्प्यूटर, इन्टरनेट इत्यादि
  • स्वातंत्र्योत्तर-काल में भारतीय संगीत में नयी प्रवृत्तियाँ

हिंदुस्तानी संगीत (गायन, वादन एवम संगीत शास्त्र)

यूनिट 5: प्रयोगात्मक शास्त्र

  • संगीत की उत्पत्ति का विस्तृत अध्ययन: भारतीय एवं पाश्चात्य सप्तकः ग्राम, मूर्च्छता एवं चतुर्भुज का विस्तृत अध्ययनः जाति-लक्षण, जाति-भेद, राग की परिकल्पना, राग-लक्षण; रागों का बांसुरी 
  • ग्राम राग देशी राग
  • मेल राग बांसुरी
  • थाट-राग बांसुरी
  • शुद्ध, छायालगा एवं अन्य राग बांसुरी 
  • राग-रागिनी बांसुरी, तथा
  • रागांग लता; रागों का साम्य सिद्धांतः प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिक कालीन श्रुतियों पर शुद्ध-विकृत स्वरों की उत्पत्तिः प्रचलित रागों एवं तालों का विस्तृत अध्ययनः हिंदुस्तानी (पलुष्कर एवं भाटखंडे) एवं अभिलेख स्वर लिपि पद्धतियाँ, पाश्चात्य स्वर लिपि पद्धतियाँ, गायकों के गुण-अवगुण; कर्नाटक एवं भारतीय स्वरों तथा तालों का तुलनात्मक अध्ययन; प्रतिष्ठित भारतीय रागों के कर्नाटकी नाम; विभिन्न लयात्मक (डुगुन, तिगुन, चौगुन, स्टाटे, कुआड़ एवं विज्द) का ज्ञानः।

यूनिट 6: भारतीय संगीत का इतिहास, भारतीय संगीत के शास्त्रज्ञों का योगदान एवं उनकी शास्त्र-परम्परा

  • वैदिक काल से आधुनिक काल तक हिन्दुस्तानी संगीत के ऐतिहसिक विकास का अध्ययनः प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिककालीन शास्त्रज्ञों भरत, नारद, मतंग, सोमेश्वरदेव, जगदेकमल्ल, नान्यदेव, शांरगदेव, पार्श्वदेव, सुधाकलश, महाराणा कुम्भा, रामामात्य, दामोदर पंडित, पंडित अहोबल, श्रीनिवास, हृदयनारायणदेव, व्यंकटमखी, पं. विष्णु दिगम्बर पलुष्कर, पं. विष्णु नारायण भातखण्डे, पं. ओंकार नाथ ठाकुर, आचार्य वृहस्पति, ठाकुर जयदेव सिंह, शरच्चन्द्रश्रीधर परांजपे, भगवत शरण शर्मा, डॉ प्रेमलता शर्मा, डॉ सुभद्रा चौधरी,
  • प्रो. आर सी मेहता, प्रो. प्रदीप कुमार दीक्षित।
  • प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिककालीन ग्रंथों नाट्य शाख, नारदीय शिक्षा, संगीत मकरन्द, वृहद्देशी, मानसोल्लास, संगीत चूड़ामाणि, भरत भाष्य, संगीत रत्वाकार, संगीत समयसार, संगीतोपनिषत्सारोद्धार, संगीतराज, स्वरमेल कलानिधि, संगीत दर्पण, संगीत पारिजात, राग तत्त्व विबोध, हृदयकौतुक, हृदयप्रकाश, चतुर्दण्डीप्रकाशिका, प्रणव भारती इत्यादि का अध्ययन।
  • भारतीय संगीत के क्षेत्र में पाश्चात्य शास्त्रज्ञों कैप्टन एन. विलयर्ड, विलियम जॉन्स, कैप्टन सी.आर.डे, ई. क्लेमेन्टस, फॉक्स स्ट्रेंग्वेज, एच. ए. पोप्ले एवं एलेन डेनेल्यू का योगदान।

यूनिट 7: गेय विधाएँ एवं उनका क्रमिक विकास

  • प्रबन्ध, ध्रुपद, धमार, सादरा, ख्याल, तराना, त्रिवट, चतुरंग, सरगम गीत, लक्षण गीत, रागमाला इत्यादि।
  • ठुमरी, दादरा, टप्पा, होरी, चैती, कजरी इत्यादि। सुगम संगीत: गीत, गजल, भजन इत्यादि।
  • फिरोजखानी गत, मसीतखानी गत, रज़ाखानी गत, जफ़रखानी गत एवं इसके प्रकार।
  • जाति, जावली, कृति, तिल्लाना, रागम्, तनम्, पल्लवी।
  • गायन एवं वादन की उपर्युक्त विधाओं की उत्पत्ति, विकास एवं प्रस्तुति का अध्ययन।
  • उपर्युक्त गायन-वादन विधाओं के प्रमुख कलाकार।

यूनिट 8: भारतीय संगीत वाद्य एवं इसका वर्गीकरण

  • प्राचीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक काल में भारतीय संगीत वाद्यों का वर्गीकरण
  • प्राचीन काल में वीणा के विभिन्न प्रकार
  • वाद्यों के प्रकार जैसे सितार, सरोद, वायलिन, दिलरुबा, इसराज, संतूर, तानपुरा, सुरबहार, गिटार घन जलतरंग, घटम्, मुरचंग (मोरसिंग), चिपली, मंजीरा, झांझ, करताल
  • सुषिर बाँसुरी एवं इसके प्रकार, शहनाई, नागस्वरम्, हारमोनियम
  • अवनद्ध पखावज, तबला, मूंदगम्, कंजीरा, खोल, चंग, नक्कारा, डफ, हुड़का, डोलक। हिन्दुस्तानी संगीत में प्रयुक्त होने वाले वाद्यों की उत्पत्ति, विकास, वादन-तकनीक तथा इसके सुप्रसिद्ध कलाकार

यूनिट 9: संगीत में रचनाकार एवं मंच प्रदर्शक/कलाकार

  • तानसेन, हरिदास, गोपाल नायक, सदारंग, पं. बालकृष्ण बुआ इचलकरंजीकर, पं. विष्णु दिग़म्बर पलुष्कर, पं. विष्णु नारायण भातखण्डे, उस्ताद फैयाज खाँ, उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ, उस्ताद निसार हुसैन खाँ, उस्ताद अमीर खाँ, पं. ओंकार नाथ ठाकुर, पं. विनायक राव पटवर्धन, पं. नारायण राव व्यास, पं. सी आर व्यास, कृष्ण राव शंकर पंडित, मल्लिकार्जुन मंसूर, श्रीमती गंगूबाई हंगल, केसर बाई केरकर, उ. अब्दुल करीम खाँ, हीरा बाई बड़ोदेकर, सुहासिनी कोरेटकर, पं. बड़े रामदास, सिद्धेश्वरी देवी, बेगम अख्तर, शोभा गुर्दु, गिरिजा देवी, सविता देवी, मोधूबाई कुर्डीकर, किशोरी अमोणकर, कुमार गन्धर्व, पं. जसराज, पं. बलवन्त राय भट्ट, पं. रामाश्रय झा।
  • असद अली खाँ, पं. लाल मणि मिश्र, अन्नपूर्णा देवी, निखिल बनर्जी, उ. अब्दुल हलीम जाफर खाँ, अली अकबर खाँ, शरण रानी, अमजद अली खाँ, अन्नत लाल, पन्ना लाल घोष, विजय राघव राव, रघुनाथ सेठ, हरि प्रसाद चौरसिया, अहमद पान थिरकवा, पं. सामता प्रसाद, पं. किशन महाराज, कुदऊ सिंह, पागलदास, बृज भूषण
  • काबरा, विश्व मोहन भट्ट, शिव कुमार शर्मा, भजन सोपोरी, वी.जी. जोग, एन. राजम्, एम. एस. गोपाल कृष्णन, अप्पा जलगाँवकर, महमूद धौलपुरी।
  • पुरंदर दास, श्यामाशास्त्री, मुत्तस्वामी प्रशिक्षक, त्यागराज, स्वाति तिरुनाल। बाख, विथोवेन, मोजार्ट, येहुदी मेन्यूहिन, जुबिन मेटा।
  • ‘भारतरत्न’ से विभूषित कलाकार मंगेशकर एवं पं. भीमसेन जोशी। एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी, पं. रविशंकर, उस्ताद बिस्मिल्ला खान, लता
  • फिल्मों में भारतीय शास्त्रीय संगीतज्ञों का योगदान।

यूनिट: 10 हिन्दुस्तानी संगीत में घराना, संस्थागत शिक्षण एवं सम्मेलन

  • हिन्दुस्तानी संगीत में घराना की उत्पत्ति एवं विकास
  • संस्थागत शिक्षण-पद्धति एवं हिन्दुस्तानी संगीत में इसका योगदान ध्रुपद की चार बानियाँ एवं हिन्दुस्तानी संगीत में इसका महत्त्व
  • ध्रुपद, ख्याल एवं वादन के घरानों का अध्ययन
  • विभिन्न घरानों की विशेषताएँ एवं उसके प्रमुख कलाकार
  • ठुमरी का पूरब एवं पंजाब अंग
  • भारत के प्रमुख शास्त्रीय संगीत सम्मेलन
  • संगीत के क्षेत्र में प्रमुख राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान
  • भारत में हिन्दुस्तानी संगीत के प्रमुख शिक्षण संस्थान, अकादमियाँ, प्रसार भारती, गीत एवं नाटक प्रभाग तथा
  • फिल्मों का योगदान

कर्नाटक संगीत

यूनिट 5: अनुप्रयुक्तसिद्धांत

  • सप्तक (भारतीय और पश्चिमी) शुद्ध तथा विकृत स्वर, प्राचीन, मध्य तथा आधुनिक काल में श्रुति, ग्राम का विवरणात्मक अध्ययन, मूर्छणा जातिः प्राचीन काल में जाति लक्षण; राग की संकल्पना प्राचीन से आधुनिक काल तक, राग का वर्गीकरण, राग लक्षण लोकप्रिय रागों के, मेल जन्य प्रणाली, कटपयादि और भूत सांख्य, जन्यराग वर्गीकरण, प्राचीन-पालइ-पान प्रणाली, 22 श्रुतियां और उनका स्वरों एवं रागों में वितरण। सूलादि सप्त ताल, 35 तालों की योजना, तालदश प्राण, मार्ग और देसी ताल, तिरपुगड़, षडंग और षोडष्गं के ताल, हिन्दुस्तानी संगीत के महत्त्पूर्ण (राग और ताल)। हिन्दुस्तानी, कर्नाटक और पश्चिमी संगीत में स्वर लिपि प्रणाली (स्टाफ स्वर लिपि)। कण्ठ साधना, वृंदवादन तथा ध्वनिक शास्त्र।

यूनिट: 6 संगीत का ऐतिहासिक परिप्रक्ष्य विद्वानों और संगीतज्ञयों का योगदान, संगीत शास्त्र

  • सोमेश्वर मानसोल्लास, नारदा की नारदीय शिक्षा, संगीत मकरन्द, भरत मुनि, नाट्य शास्त्र, दत्तिला, दत्तिलम, मंतग बृददेसी, पार्श्व देव संगीत समय सार, सांरग देव संगीत रत्नाकर, सिम्हभूपाला, नन्यदेव – भारत भाष्यम्, लोचनाकवि राग तरंगिनी, जगदेकमल्ल संगीत चूड़ामणिः विद्यारण्य संगीत सार, रायमत्य – स्वरमेल कलानिधि, कालिंदी, राणा कुंभ – संगीत राजा, सोमनाथ राग विबोध, अहोबला संगीत परिजात, गोविन्द दीक्षित – संगीत सुधा नादमुनी पंडितर स्वर प्रस्तार संगृह वेंकारामखी चतुदण्डी प्रकाशिका, तुलजा संगीत सारामृत, गोविन्दाचार्य संग्रह चूडामणि, सुब्बाराम दीक्षितर संगीत सम्प्रदाय प्रदर्शिनी अब्राहम पण्डितर-करूणामृदा सागारम, कृष्ण पिशारोटी संगीत चंद्रिका में आए सांगीतिक अवधारणाओं के संदर्भ, एवं तेलगु, आटूर, टैमिल, मलयालय, कन्नडा में प्रमुख ग्रन्थ। शिल्पपत्तीकरम, संगम पुस्तकों, पार चमारवू, ताल समुद्रम्, महाभारत चूडामणि
  • संगीतज्ञ
  • वी.एन भातखंडे, बी.डी. पलुस्कर, प्रजनानंद, बी.सी. देवा, प्रेमलता शर्मा, एस सीता, राघवन, सत्यनारायणा, टी.एस पार्थसारथी- एन रामनाथन, एसए के दुर्गा, बी.सी.देव, साम्बमूर्ती, बालान्त्रपु रजनी कान्त राऊ, आर.सी. मेहतो और उनके कृतियाँ
  • आर.सी. मेहता, बाला न्तरप्पु रजनी कान्त राव और उनकी कृतियाँ
  • भारतीय संगीत को पश्चिमी विद्वानों की देन; कर्ट सैक्स, एन. ए. विलयरड, विलियम जोनस, सी.आर.डे. ई. क्लीमेट्स, फॉक्स स्ट्रैडांबेड़ा, एच.ए. पोप्ले और अलेन डेनिलो।

यूनिट 7: प्रबन्ध की विधाएँ और उनका क्रमिक विकास

  • प्रबंध का उषा और विकास, गीतम्, स्वर जाति, जाति स्वरम्, तन वर्णम्, पद वर्णम्, कीर्तन, कृति, पद्म, ज्वाली, तिल्लन; राग, तनम् पल्लवी, निर्वल, काल्पनिक स्वर, तेबारम्, दिव्य प्रबंधम्, तिरप्पुगज़, थाया, राग अमीरा, विरुतम्, दण्डकम्, केशिका, लोक, दारू, अष्टपदी, तर्गम्, थाइरोवायमोखी, त्रिअप्पाबाय, छिन्द, तिरुवासगम, समूह कृतियाँ।
  • गेय नाटक – नृत्य नाटक
  • हिन्दुस्तानी सांगीतिक विधाएँ ध्रुपद, धमार, ख्याल, तराना, त्रिवट, चतुरंग, ठुमरी, टप्पा, वृंदगान

यूनिट8: भारत के संगीत वाद्य

  • संगीत वाद्यों के वर्गीकरण संबंधी भारतीय अवधारणा।
  • शास्त्रीय, शास्त्रीय विकास और वाद्य को बजाने की तकनीक, वीणा, तम्बूरा, बायलन, चित्रवीणा, वायोला, मेडोलिन, बांसुरी, नादस्वरम पंचमुखा वाद्य, मृदंगम्, तविल, कंजीरा, दप्पू, चंदा, मदादलम्, तिमिला, जलतरंग, धतम, मोरसिंग, चांदनी , जलरा, करतला तथा अन्य ताल वाद्य
  • संक्षिप्त विवेचन सितार, सारंगी, सरोद, शहनाई, तबला, पखावज, प्यानों, गिटार, क्लैरनट

यूनिट 9: संगीत वागयकार / कलाकारों (भारतीय और पाश्चात्य) का योगदान

  • तेवारम, अलवर, जयदेव, दस कूटा, पुरंदरदास, तलपक्कम् अन्नमाचार्य, भद्रचलराम दास, लंकागिरीनाथ, मुत्तुतांडवर, नंदनमुधपिल्लेय, न्याराचल कविराय, संगीता मममूर्ति-श्यामा शास्त्री, त्याग राजा, मनुस्वामी दीक्षितार, स्वाति तिरुनाल, गोपाल कृष्ण, भारती, नानौर चतुष्ट, पट्टनमसुब्रमण्यम आयर और त्रयी स्वरोच्चार के बाद होने वाले अन्य स्वरोच्चार।
  • अरियाकुड़ी रामानुज आयंगर, मूसीरी सुब्रामन्यम्, जी.एन. बालासुब्रामन्यम, महाराजपुरम विश्वनाथ आयर, समनगुड़ी थी विश्वनाथ आयर, छंबई वैद्यनाथ भागवतार, के.वी. नारायण स्वामी, एम.डी. रामनाथन, आर के श्रीकंठन्, एम. बाल मुरली कृष्ण, एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी, डी. के पट्टमल, एम. एल बसन्तकुमारी, वृंदा, मुक्ता और अन्य प्रमुख गायक।
  • कराइकुड़ी, करै कुडी संभा शिव अय्यर, वीणा धन्नामल्ल, एस. बालाचन्द्र, मैसुर दोराई स्वामी अय्यर, चित्ती बाबू, लालगुडी जयरामन
  • मैसूर चौडिया, द्वारम बैंकटा स्वामी नायडू, टी.एन. कृष्णन, एम.एस.सी. गोपाल कृष्णन, टी. आर महालिगम, एन. रमानी, शेख चिन्ना मौलाना, अम्बलपुजाभाई, नामगिरि पेट्टै कृष्णन, पलाधात मनिय्यर, पलनी सुत्रामनियम और अन्य वीणा, बायलन, बांसुरी, नास्वरम, मृदंगम, घटम, कांजीरा के प्रमुख कलाकार हैं।

यूनिट 10: प्रमुख बाणियाँ, संगीत प्रशिक्षण, शिक्षा और प्रचार-प्रसार

  • गुरूकुल सम्प्रदाय के गुण और सीमाएं, विश्वविद्यालयों में संस्थागत प्रशिक्षण और शिक्षण प्रणाली। नादस्वम् बाणी, तंजावुर शैली मृदंग बानी तंजावुर पुदुककोटाई, पालककाडु घन्नमाल स्कूल की बानियां।
  • अरियाकुडी बानी, मूसीरी, जी.एन.बी, महाराजापुरम्, छंबाई और सेम्मनगुडी संगीत त्रिमूर्ति की शैली, और उनके रागों का विश्लेषण, विभिन्न सांगीतिक रूपों के साथ बंदिशें। संगीत अकादमियों द्वारा संगीत का प्रसार, प्रसार भारती, सौंग एण्ड ड्रामा डिविजन, फिल्म,
  • संगीतोत्सव तिरूवाययारू, छंबाई, मेलादूर इत्यादि। कर्नाटक संगीत पर अन्य संगीत प्रणालियों का प्रभाव-हिन्दुस्तानी और पाश्चान्य
  • भारतीय संगीत के राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान

अवनद्ध वाद्य

यूनिट 5: प्रयोगात्मक शास्त्र-ताल एवं अवनद्ध वाद्य

  • तबला एवं पखावज वाद्यों पर बजने वाले वर्ण, उनकी वादन विधि एवं वर्ण संयोग से बनने वाले शब्द समूहों का विस्तृत अध्ययन। ताल के सभी दश प्राणों का विस्तृत विवेचन। मार्ग एवं देशी ताल पद्धतियों का विस्तृत अध्ययन। कर्नाटक ताल पद्धति का सामान्य ज्ञान। उत्तर भारतीय ताल पद्धति का विस्तृत ज्ञान तथा उत्तर भारतीय संगीत में प्रयुक्त तालों की जानकारी। रबीन्द्र संगीत में प्रयुक्त होने वाले तालों का संक्षिप्त अध्ययन।
  • लय और लयकारी का विस्तृत अध्ययन। हिन्दुस्तानी एवं कर्नाटक तालांकन पद्धतियों का विस्तृत ज्ञान। स्टाफ नोटेशन पद्धति का सामान्य ज्ञान
  • शास्त्रीय, उपशास्त्रीय, वाद्य संगीत एवं कथक नृत्य के साथ तबला संगति। विभिन्न मात्राओं में तिहाइयाँ बनाने का ज्ञान। तिहाईयों का विस्तृत अध्ययन तिहाइयां। साधारण, फर्माइशी एवं कमाली चक्रदारों का गणितीय विवेचन। चक्रदार परनों के अंतर का ज्ञान। ताल और छन्द का अंतःसम्बन्ध। दमदार, बेदम, नौहक्का, चक्रदार चक्रदार-गत, चक्रदार टुकड़ा एवं
  • आचार्य बृहस्पति द्वारा दिये गये बत्तीस तिहाइयों के चक्र का ज्ञान।

यूनिट 6: भारतीय संगीत इतिहास, ग्रंथ एवं संगीत-विद्वानों का योगदान

  • भरत, शारंगदेव, मंतग, पार्श्वदेव, नान्यदेव, रामामात्य, सोमन, दामोदर पंडित, अहोबल, वेंकटमखी, वि.ना. भातखंडे, वि.दि. पलुस्कर, पुण्डरीक विट्ठल, सुभद्रा चौधरी, निखिल घोष, मधुकर गणेश गोडबोले, स्वामी कुदादास, पुरूषोत्तमदास पखावजी, ब्रैचन्द्रवाद्रव, भगवत शरण शर्मा, प्रो. डेप्पर कुमार सक्सैना, डॉ. अबान मिस्त्री, डॉ. योगमाया शुक्ला, अरविंद मुलगांवकर, नागालैंड कुमार सेन, छोटेलाल मिश्रा।
  • ग्रंथ नाट्यशास्त्र, संगीत रत्नाकर, बृहददेशी, संगीत समय सार संगीत, राज, अष्टादशातताल लक्षणम्, भारतीय संगीत वाद्य, तबले का उद्दुम, विकास एवं वादन शैली, भारतीय तालों का शास्त्रीय विवेचन, पखावज एवं तालिकाओं के घर एवं वादन कला एवं, तालकोश तबला वादन कला एवं शास्त्र, ‘तबला’, भारतीय तालों में अनेकता में एकता, सौंदर्यशास्त्र ऑफ तबला। तबला पुराण, ताल वाद्य परिचय, तबला गाइगीशा, लय ताल विचार मठ, तबला वादन में निहित सौंदर्य, सोलो तबला वादन ऑफ नॉर्थ इंडिया, तबला ऑफ नासिक, ताल वाद्य शास्त्र, भारतीय में ताल संगीत, छंद एवं स्वरूप।

यूनिट 7: अवनद्ध वाद्यों में प्रयुक्त होने वाली रचनाओं का विस्तृत अध्ययन

  • बंदिश की परिभाषा बंदिशे, (विस्तारशील एवं अविस्तारशील बंदिशें), बंदिशों का सौन्दर्य, प्रस्तुतिकरण की विशेषता।
  • ठेका, पेशकार, कायदा, कायदे के प्रस्तार एवं पल्टे, बाट, रेला, रौ, टुकड़ा, मुखड़ा, गत एवं उसके विभिन्न प्रकार रंगरेला, फ़र्द, परन, तिहाईयां और उनके प्रकार, विभिन्न घरानों की गतें और उनके कायदे, लग्गी-लड़ी।
  • शास्त्रीय, उपशास्त्रीय गायन एवं वाद्यों में प्रचलित रचनाओं का अध्ययन ख़्याल, ममीतखानी गत, रजाखानी गत, ठुमरी, दादरा, टप्पा, कजरी, चैती, ध्रुपद, धमार, सादरा, झूला, भजन, ग़ज़ल, गीत।
  • कथक नृत्य की रचनाओं का सामान्य ज्ञान आमद, परन, ततकार, तोडा, स्तुतिपरन।

यूनिट 8: भारतीय संगीत वाद्यों का वर्गीकरण, प्राचीन काल से वर्तमान तक के वाद्यों की जानकारी

  • भरत, शारंगदेव तथा डॉ. लालमणि मिश्र के विवेचन के आधार पर भारतीय संगीत वाद्यों का वर्गीकरण।
  • उत्पत्ति, विकास, बनावट एवं वादन तकनीक के आधार पर निम्नलिखित वाद्यों का विस्तृत अध्ययन 
  • अ) तत् वाद्य वीणा, विचित्र वीणा, नारदीय वीणा, सरस्वती वीणा, रुद्ध वीणा, सितार, सरोद, सारंगी, वायलिन, दिलरुबा, इसराज, संतूर, सुरबहार, तानपुरा, गिटार, एकतारा, दोतारा।
  • आ) सुषिर वाद्य – बांसुरी (फ्लूट), शहनाई, नागस्वरम्, क्लेरोनेट, अलगोजा, सुन्दरी, मागुटी।
  • इ) अवनद्ध वाद्य – पणव, पटह, मृदंग, पखावज, तबला, मंदृगम्, तविल, खंजरी, खोल, चंदा, चंग, उपंग, डफ, नक्कारा, होल, ढोलक, संबल, ढोलकी, नाल, हुड़का, पुंग।
  • ई) घन वाद्य जलतरंग, नलतरंग, घाटम, मोरसिंगा, चिपली, जालरा, करताल, झांझ, मंजीरा।
  • पाश्चात्य संगीत में प्रचलित लोक प्रिय अवनद्ध वाद्य एवं घनवाद्य कीटलड्रम, नेयरड्रम, बासड्रम, टेनरड्रम तथा अन्य प्रमुख वाद्य।

यूनिट 9: कलाकार तथा रचनाकार (अवनद्ध वाद्यों के विशेष संदर्भ में)

  • तबला- नत्थू खां, मोदू खां, बख्शू खां, आबिद हुसैन खां, हाजी विलायत अली, सलारी खां, चूडिया इमाम बख्श, राम सहाय, मुनीर खां, हबीबुद्दीन खां, अहमदजान थिरकवा, अमीर हुसैन, जहाँगीर खां, शेख दाउद, बड़े मुन्ने खां, करामतुल्ला खां, अल्लारखा खां, ज्ञान प्रकाश घोष, निखिल घोष, गामा महाराज, किशन महाराज, कण्ठे महाराज, सामता प्रसाद (गुदई महाराज), अनोखे लाल मित्रा, भाई गायतोण्डे, पंढरीनाथ नागेशकर, सुरेश तलवलकर, हशमत अली खां, ज़ाकिर हुसैन एवं समकालीन तबला पखावज विद्वान तथा गुरू।
  • पखावज – कुदउसिंह, जोधसिंह, नाना पानसे, अयोध्या प्रसाद, पागल दास, छत्रपति सिंह, अर्जुन शेजवाल,
  • माधवराव अलकूटकर, सखाराम।
  • नक्कारा बादक – दिलावर खान, अत्तन खान।
  • ढोलक वादक – बफाती खान, गुलाम जाफ़र
  • ढोलकी वादक – विजय चौहान
  • कर्नाटक संगीत – गायक एवं वादक
  • भारत रत्न सुब्बलक्ष्मी, एस. बालचन्दर, बालमुरली कृष्णन, लालगुड़ी जयरामन, टी. एन. कृष्णन, पालघाट रघु, पालघाट मणिअय्यर, उमयालपुरम शिवरामन, यू. श्रीनिवासन, विक्कू विनायक राम, हरि शकंर।
  • उत्तर भारतीय गायक एवं वादक
  • अल्लाउद्दीन खां, विलायत खां, रविशंकर, अब्दुल हलीम जाफ़र, बलराम पाठक, निखिल बनर्जी, हाफ़िज अली खां, अली अकबर खां, आमजद अली खां, बी.जी.जोग, डी. के. दातार, एन. राजम्, हरी प्रसाद चौरसिया, पन्नालाल घोष, बिस्मिल्ला खां, अली हुसैन, सिध्धराम जाधव, कृष्णराव शंकर पंडित, मोगूबाई कुर्डीकर, केसर बाई केरकर, मल्लिकार्जुन मंसुर, अब्दुल करीम खां, फैयाज खां, भीमसेन जोशी, गंगूबाई हंगल, मालिनी राजुरकर, किशोरी अमोनकर, जसराज, कुमार गंधर्व, अमीर खां।
  • नृत्यकार – अच्छन महाराज, लच्छु महाराज, सितारा देवी, गोपी कृष्ण, बिरजू महाराज, दुर्गालाल, यामिनी कृष्ण मूर्ति, संयुक्त पाणिग्रही
  • संगीत, नृत्य, लोक संगीत एवं लोक नृत्यों में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कलाकार अवनद्ध वाद्यों के विशेष संदर्भ में।

यूनिट 10: अवनद्ध वाद्यों के घरानों का विस्तृत अध्ययन तथा संगीत की संस्थागत शिक्षण प्रणाली 

  • बाज और घराना की परिभाषा तबला तथा पखावज के घरानों की उत्पत्ति तथा विकास क्रम दिल्ली घराना, अजराड़ा घरना, लखनऊ घराना, फर्रुखाबाद घराना, बनारस घराना, पंजाब घराना, नाना पानसे घराना, कुदउसिंह घराना।
  • विभिन्न घरानों की वादन तकनीक। घरानों के आधार पर पेशकार, कायदा, रेला, गत, टुकड़ा, परन, तिहाई, चक्रदार तथा लग्गी-लड़ी इन रचनाओं की मुख्य विशेषताएं।
  • शास्त्रीय संगीत, उपशास्त्रीय, सुगम तथा फिल्मी संगीत में तबला एवं पखावज वाद्यों का महत्व एवं उपयोगिता।
  • संगीत के प्रचार प्रसार में संलग्न विश्वविद्यालय, अकादमी तथा अन्य संस्थाएं नामचीन प्राध्यापक, गुरू, शिक्षाविद तथा प्रशासक।

रबीन्द्र संगीत

यूनिट 5: रबीन्द्र संगीत

  • दिन भर की राग-रागनियों का ज्ञान, ताल का ज्ञान, कीर्त्तन का ज्ञान तथा बाउल और बंगाल के अन्य लोक गीतों का ज्ञान, बरखा-बसन्त के राग रागनियों, चयिनत प्रादेशिक गीतों, वेदों और उपनिषदों के उन चुने हुए गीतों का ज्ञान जिन्हें टैगोर प्रायः गाया करते थे। रबीन्द्रनाथ टैगोर ने विशेष रूप से तालों का बनाया यथा झंमक (5) मात्रा), सष्ठि (6 मात्रा), रूपकडा (8 मात्रा), नमताल (9 मात्रा), एकादशी (11) मात्रा), नमपंचताल (18 मात्रा), मूल-गान और भंग गान। टैगोर का ब्रह्म संगीत। टैगोर के काव्य गीत (काव्य गीत) टैगोर द्वारा भजनों की टैगोर द्वारा बनाई गई बेद गान और देश भक्ति के गीत। अकार मात्रिक स्वर लिपि प्रणाली।

यूनिट 6: संगीत का ऐतिहासिक परिक्ष्य

  • टैगोर की भारत और भारत से बाहर के प्रसिद्ध व्यक्ति तत्त्वों के साथ वार्तालाप। टैगोर संगीत के संबंध में पश्चिमी विद्धानों का मत। संगीत चिंता टैगोर लिखित पुस्तक का सम्पूर्ण अध्ययन। टैगोर पर यूरोपियन संगीत का समग्र प्रभाव। यूरोपियन संगीत का प्रभाव और प्रदेशिक सुर / गीत और सांगीतिक संरचनाओं के टैगोर रचित गीत संग्रहों का इतिहास। भारतीय शास्त्रीय संगीत, विशेषतया ध्रुपद पर जोर देते हुए का मूलभूत ज्ञान तथा पश्चिमी ख्याल, टप्पा, थांगडी की भारतीय तथा यूरोपीयन स्वर लिपि और ताल का ज्ञान।

यूनिट 7:  गेय विधाएं और उनका क्रमिक विकास

  • रबीन्द्र संगीत की मुख्य विधाएं।
  • गीताजंलि एक पाठ्य अध्ययन। टैग का जीवन व्रत। टैग के जीवन पर्यंत गीताजंलि युग तक के संगीतकार। गीताजंलि के बाद 1941 तक के संगीतकार (द्वितीय भाग)। वर्षा-मंगल, और शरदोत्सव आदि। रवीन्द्र संगीत के माध्यम से रवीन्द्रनाथ टैगोर का सौंदर्य बोधात्मक उपागम। टैगोर का संगीत संबंधी दर्शन; साहित्य पथ, साहित्य, साहित्य स्वरूप। टैगोर के प्रारंभिक दिनों में उनके संगीत की प्रति दृष्टि। टैगोर के निबन्धों, कविताओं इत्यादि के अभिव्यक्त उनकी सांगीतिक दर्शन। राग का ज्ञान, बंगला गीतों का ज्ञान: रवींद्रनाथ टैगोर युग से पूर्व और उसके बाद के रवींद्रनाथ टैगोर परिवार के अलावा अन्य विभिन्न रचनाकारों के ब्रह्म गीत और देश के गीत वेद गान, माधव शब्द, उपासना गान, टैगोर घर का संगीत हास्य गान।

यूनिट 8: भारत के संगीत वाद्य

  • रबीन्द्र संगीत में प्रयुक्त होने वाले वाद्य यथा एस एज, गिटार, की-बोर्ड, सितार, तानपुरा, हारमोनियम, सरोद, वायलिन, मंदीरा, आर्गन-पियानो, बांसुरी और इसके विविध रूप, परवावडा, तबला, श्री खोले, डोल, मूंदगम, जलतरंग इत्यादि।
  • रबीन्द्र संगीत: लय और ताल में प्रयोग, विभिन्न तालों और लय का अनुप्रयोग। सुरनतर, छंददानतर

यूनिट 9: विद्वानों उपस्थापनाकर्त्ता और उनकी पाठगत परम्पराओं का योगदान।

  • टैगौर के गीत नाट्य और नृत्य नाट्य यानी वाल्मिकी प्रतिभा, कालमृगया, मायार बजाया, चित्रागंदा, चांडालिका, क्षमा, टेसेरडेस, शमामोचन आदि और अन्य नाटक जो कई श्रोताओं से मिले हैं यथा प्रायश्चित, विसर्जन, मुक्त धारा, अचलायतन, राजा, रक्तकरबी, फल्गुनी, बसंत, शीशुतीर्थ, ऋणशोधन, राजाओ रानी, प्रकृति का प्रतिशोध, तापति इत्यादी।
  • (टैगोर की सम्पूर्ण नाटक रचनावली और गीतावितान (भाग 1, 2 और 3)) स्वरवितान (स्वरलिपि सम्बन्धी पुस्तकें) 1-66 तथा अन्य। मानुसिंह पदावली, ऋतु नाट्य। टैगोर के गीतो का पौराणिक कथाओं का इतिहास।
  • विद्वानों / उपस्थापना कर्ताओं / संगीतकारों का योगदान प्रतिमा देवी, सुबिनय राय, नीलिमा सेन, इंदिरा देवी चौधरी रानी, माया सेन, सुचित्रा मित्रा, कणिका बदोपाध्याय, शान्तिदेव घोष, ज्योतिर इंद्र नाथ टैगोर, देवेन्द्र नाथ टैगोर, शैलेजा एंजन मजुमदार, अनादि दस्तीदार, कांजली चरण सेन, अभिया ठाकुर, भीमराव शास्त्री, असेस बन्धोपाध्याय, गिरिजा शंकर चक्रवर्ती, रमेश चन्द्र बन्धोपाध्याय, राजेश्वरी दत्ता, संखा घोष, सुधीर चक्रवत्ती इत्त्यादि।

यूनिट: 10 घराना और संगीत की संस्थागत प्रणाली

  • टैगोर की सांगीतिक सृजनात्मकता का समग्र सर्वेक्षण, टैगोर के संगीतिक संघटनों के स्वर और लयों के प्रकार, जिसमें उनका अपना प्रयोतिक अंतर भी शामिल है। टैगोर के सांगीतिक संघटनों की अवधियां और चरण
  • (कृपया काल-क्रम बनाए रखें)। रबीन्द्र संगीत पर हिन्दुस्तानी, कर्नाटक और पश्चिमी संगीत का प्रभाव, रबीन्द्र संगीत पर हिन्दुस्तानी, कर्नाटक और पश्चिमी संगीत का प्रभाव, रबीन्द्र संगीत को प्रभावित करने वाला संघटन। फिल्मों में प्रयुक्त टैगोर के गाने। टैगोर के गाने टप्पा, ठुमरी, तराना और मूल गानों सहित भजनों से ली गई धुन ।
  • टैगोर के परिवार का सांस्कृतिक वातावरण (पाथूरिया घाटा और जोरसंक, कोलकाता) टैगोर संगीत विषयगत अंतर (पूजा, प्रेम, स्वदेश, प्रकृति, विचित्र, अनुष्ठानिक), रबीन्द्र संगीत के त्योहार गीत। हिन्दुस्तानी गानों का ज्ञान और गानों के संबंध में टैगोर का मत।
  • भारत और बांग्लदेश के राष्ट्रगान। शास्त्रीय धुन पर आधारित रबीन्द्र संगीत।

यूजीसी नेट म्यूजिक सिलेबस इन हिंदी PDF

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यूजीसी नेट म्यूजिक एग्जाम के लिए एग्जाम पैटर्न

यूजीसी नेट म्यूजिक एग्जाम के लिए एग्जाम पैटर्न नीचे दिया गया है:

यूजीसी नेट सोशल वर्क एग्जाम पैटर्न 
टाइप्स ऑफ क्वेश्चंसमल्टीपल चॉइस क्वेश्चंस 
नंबर्स ऑफ पेपर्सयूजीसी नेट पेपर 1: जनरलयूजीसी नेट पेपर 2: म्यूजिक सब्जेक्ट्स 
टोटल मार्क्सपेपर 1: 100पेपर 2: 200
नंबर ऑफ़ क्वेश्चंस पेपर 1: 50पेपर 2: 100
ड्यूरेशन3 घंटे
नेगेटिव मार्किंग नहीं 

यूजीसी नेट म्यूजिक एग्जाम के लिए योग्यता

यूजीसी नेट म्यूजिक एग्जाम के लिए योग्यता नीचे दी गई है:

  • शैक्षिक योग्यता: उम्मीदवार के पास म्यूजिक/डांस/ड्रामा/थिएटर/आर्ट्स में स्नातकोत्तर डिग्री होनी चाहिए। जनरल कैटेगरी के लिए न्यूनतम अंक 55% और एससी, एसटी, ओबीसी, पीडब्ल्यूडी के लिए 50% होने चाहिए।
  • आयु सीमा: जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) के लिए, अधिकतम आयु सीमा 30 वर्ष है। असिस्टेंट प्रोफेसरशिप के लिए कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं है।
  • प्रयासों की संख्या: जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) और असिस्टेंट प्रोफेसरशिप (एपी) दोनों के लिए प्रयासों की संख्या पर कोई सीमा नहीं है।
  • राष्ट्रीयता: उम्मीदवार भारतीय नागरिक होने चाहिए।

यूजीसी नेट म्यूजिक एग्जाम की तैयारी के लिए टिप्स

यूजीसी नेट म्यूजिक एग्जाम की तैयारी के लिए टिप्स नीचे दी गई है:

  • सिलेबस को जानें: यूजीसी नेट के सिलेबस को समझें। इससे आपको परीक्षा के लिए कवर किए जाने वाले विषयों के बारे में स्पष्ट जानकारी मिलेगी। 
  • नियमित रूप से रिवीजन करें: मुख्य अवधारणाओं और विषयों की अपनी समझ को मजबूत करने के लिए नियमित रिवीजन के लिए समय निकालें। रिवीजन में सहायता के लिए संक्षिप्त नोट्स या फ्लैशकार्ड बनाएं।
  • गाइडेंस लें: यदि आवश्यक हो, तो UGC NET की तैयारी में विशेषज्ञता रखने वाले अनुभवी शिक्षकों, सलाहकारों या कोचिंग संस्थानों से मार्गदर्शन लें।
  • एक स्टडी प्लान बनाएं: एक स्टडी प्लान डेवलप करें जो प्रत्येक विषय को अच्छी तरह से कवर करने के लिए पर्याप्त समय आवंटित करता है। सिलेबस के सभी सेक्शंस के लिए अपने अध्ययन के समय को संतुलित करना सुनिश्चित करें।
  • रिकमेंडेड बुक्स और स्टडी मैटेरियल प्राप्त करें: प्रत्येक विषय का गहराई से अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञों द्वारा रिकमेंडेड बुक्स, रिफ्रेंस बुक और स्टडी मैटेरियल का उपयोग करें।
  • पिछले साल के पेपर हल करें: एग्जाम पैटर्न, प्रश्न प्रकार और समय प्रबंधन को समझने के लिए पिछले वर्षों के यूजीसी नेट सोशल वर्क पेपर हल करने की प्रैक्टिस करें। यह आपको महत्वपूर्ण विषयों और फोकस क्षेत्रों की पहचान करने में भी मदद करेगा।
  • मॉक टेस्ट लें: अपनी तैयारी के स्तर का आकलन करने और कमजोर क्षेत्रों की पहचान करने के लिए नियमित रूप से मॉक टेस्ट लें। अपने प्रदर्शन का एनालिसिस करें और अपनी गति और सटीकता में सुधार करने पर काम करें।
  • स्वस्थ और सकारात्मक रहें: नियमित व्यायाम, उचित पोषण और पर्याप्त आराम के साथ एक स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखें। अपनी तैयारी की यात्रा के दौरान सकारात्मक, आत्मविश्वासी और प्रेरित रहें।

FAQs

यूजीसी नेट म्यूजिक एग्जाम के लिए कौन पात्र है?

यूजीसी नेट संगीत के माध्यम से लेक्चररशिप या जेआरएफ के लिए पात्र होने के लिए, उम्मीदवार के पास डांस/म्यूजिक/ड्रामा/थिएटर/आर्ट्स में न्यूनतम 55% अंकों (एससी/एसटी/ओबीसी/पीडब्ल्यूडी के लिए 50%) के साथ मास्टर्स डिग्री होनी चाहिए।

क्या यूजीसी नेट पेपर 1 का पाठ्यक्रम है?

पेपर 1 के लिए यूजीसी नेट पाठ्यक्रम में निम्नलिखित विषय शामिल हैं – टीचिंग एप्टिट्यूड, रिसर्च एप्टिट्यूड, मैथमेटिकल रीजनिंग, डाटा इंटरप्रिटेशन, कंप्रीजेंशन, कम्यूनिकेशन, आदि।

यूजीसी नेट म्यूजिक एक वर्ष में कितनी बार होती है?

यूजीसी नेट म्यूजिक एग्जाम वर्ष में दो बार आयोजित होता है।

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