यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने स्टूडेंट्स के लिए बड़ा फैसला किया है। काॅलेज और यूनिवर्सिटीज के लिए आदेश जारी कर UGC ने कहा कि डिग्री और सर्टिफिकेट्स पर स्टूडेंट्स का आधार नंबर प्रिंट करने से बचें, इससे स्टूडेंट्स का निजी डाटाबेस सार्वजनिक नहीं होगा। इसको लेकर सचिव प्रो. मनिष जोशी ने यूनिवर्सिटीज को लेटर लिखा है।
UGC की ओर से ऑफिशियल वेबसाइट ugc.gov.in पर एक नोटिस जारी किया गया है। कमीशन की ओर से कहा गया कि कुछ राज्य सरकारें यूनिवर्सिटीज की ओर से दिए गए प्रोविजनल डिग्री और अन्य सर्टिफिकेट पर स्टूडेंट्स का आधार नंबर लिखने पर विचार कर रहे हैं, इससे उनका डाटाबेस सार्वजनिक हो सकता है, इसलिए सभी यूनिवर्सिटीज को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) की ओर से जारी नियमों का पालन करना चाहिए।
UGC ने विनियम, 2016 के विनियम 6 के उप-विनियम (3) को लेकर बताया है कि इसमें प्रावधान है कि आधार नंबर रखने वाला कोई भी इंस्टिट्यूट इसे सार्वजनिक नहीं कर सकेगा। इसके अलावा किसी भी डेटाबेस या रिकॉर्ड को सार्वजनिक नहीं कर सकेगा।
फीस वापसी के नियमों का पालन करने के लिए कहा
इसके अलावा UGC ने फीस वापसी नियमों को याद दिलाया है और कहा कि यदि कोई यूनिवर्सिटी, काॅलेज और हायर एजुकेशनल इंस्टिट्यूट UGC के फीस वापसी के नियमों का पालन नहीं करता है तो उसकी मान्यता रद हो सकती है। कमीशन ने सभी यूनिवर्सिटीज और राज्यों को इस संबंध में लेटर लिखकर 2018 के फीस वापसी के नियमों का पालन करने का आदेश दिया है।
UGC के बारे में
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) 28 दिसंबर, 1953 को अस्तित्व में आया और विश्वविद्यालय में शिक्षा, परीक्षा और अनुसंधान के रेगुलेशंस के समन्वय और रखरखाव के लिए 1956 में संसद के एक अधिनियम द्वारा भारत सरकार की काॅंस्टिट्यूशनल बाॅडी बन गया। यह यूनिवर्सिटी और काॅलेजों को ग्रांट देता है।
इसी और अन्य प्रकार की Leverage Edu न्यूज़ अपडेट्स के साथ बने रहिए।