Speech on Guru Teg Bahadur in Hindi 2024 : गुरु तेग बहादुर सिखों के नौवें गुरु थे। उन्होंने वर्ष 1665 से लेकर 1675 तक सिख धर्म का नेतृत्व किया था। गुरु तेग बहादुर गुरु हरगोबिंद जी के यहां वर्ष 1621 में अमृतसर में जन्मे थे। गुरु तेग बहादुर बचपन से ही साहसी व्यक्ति थे। उन्होंने सार्वभौमिक भाईचारे और धार्मिक स्वतंत्रता का संदेश दिया। उन्होंने धर्म, मातृभूमि और लोगों के अधिकारों के लिए सब कुछ बलिदान कर दिया। कई बार छात्रों को गुरु तेग बहादुर पर भाषण तैयार करने के लिए दिया जाता है, इसलिए इस ब्लाॅग में Speech on Guru Teg Bahadur in Hindi 2024 के बारे में बताया गया है।
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गुरु तेग बहादुर पर 100 शब्दों में भाषण
100 शब्दों में गुरु तेग बहादुर पर भाषण (Speech on Guru Teg Bahadur in Hindi) इस प्रकार है:
आप सभी को सुप्रभात, आज मुझे नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर जी के बारे में बात करने का सम्मान मिला है। गुरु तेग बहादुर का जन्म 1621 में पंजाब के अमृतसर में हुआ था। गुरु तेग बहादुर को बहादुरी, त्याग और करुणा का प्रतीक माना जाता है। गुरु जी धार्मिक स्वतंत्रता और न्याय के लिए मुगलों के खिलाफ लड़े थे। उन्होंने अपने धर्म को न छोड़ने और अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दे दिया। 24 नवंबर को हर साल गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस मनाया जाता है। हम सभी को गुरु तेग बहादुर के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए- धन्यवाद।
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गुरु तेग बहादुर पर 200 शब्दों में भाषण
200 शब्दों में गुरु तेग बहादुर पर भाषण इस प्रकार है:
आदरणीय प्रधानाचार्य, शिक्षकगण और मेरे प्यारे दोस्तों आप सभी को सुप्रभात। आज मुझे सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर जी के बारे में बात करने का सौभाग्य मिला है। सिख और हिंदू समुदाय में उनका जीवन साहस, करुणा और बलिदान का प्रतीक माना जाता है। गुरु तेग बहादुर का जन्म 1 अप्रैल 1621 को अमृतसर में हुआ था। गुरु तेग बहादुर ने अपने पिता, गुरु हरगोबिंद सिंह से बहादुरी और आध्यात्मिकता के मूल्यों को सीखते हुए बड़े हुए थे। वर्ष 1664 में गुरु हर कृष्ण साहिब का निधन हो गया था। उसके बाद में गुरु तेग बहादुर सिखों के नौवें गुरु बने थे। गुरु तेग बहादुर ने अपनी शिक्षा हिंदी, संस्कृत, गुरुमुखी में प्राप्त की थी।
गुरु तेग बहादुर जी को अन्याय के खिलाफ उनके निडर रुख के लिए याद किया जाता है। क्रूर शासक औरंगजेब ने लोगों को अपना धर्म त्यागने और इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर किया गया था। उस समय कश्मीरी पंडितों ने गुरु तेग बहादुर से मदद मांगी थी। गुरु तेग बहादुर ने बिना किसी झिझक के कश्मीरी हिंदुओं की सहायता की। गुरु तेग बहादुर को बंदी बना लिया गया था। बाद में उन्हें दिल्ली में 1675 में फांसी दे दी गई थी। उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपन बलिदान दे दिया था। हम सभी को उनकी निस्वार्थता से प्रेरित होकर और उनके धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। आप सभी का धन्यवाद।
गुरु तेग बहादुर पर 400 शब्दों में भाषण (Speech on Guru Teg Bahadur in Hindi)
400 शब्दों में गुरु तेग बहादुर पर भाषण इस प्रकार है:
स्पीच की शुरुआत में
आदरणीय वरिष्ठजन, शिक्षकगण और मेरे सभी मित्रों को मेरा नमस्कार। आज मुझे सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर जी के बारे में बात करने का सौभाग्य मिला है। गुरु तेग बहादुर के जीवन और शिक्षाओं ने लाखों लोगों को प्रेरित किया है। गुरु तेग बहादुर एक आध्यात्मिक नेता होने के साथ एक महान योद्धा और आत्म-बलिदान के प्रतीक भी थे।
स्पीच में क्या बोलें?
गुरु तेग बहादुर सिखों के साथ हिंदुओं के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत रहे हैं। हर साल 1 अप्रैल को उनकी जयंती मनाई जाती है। उनके अमर बलिदान के कारण 24 नवंबर को गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस मनाया जाता है। गुरु तेग बहादुर नौवें सिख गुरु थे। गुरु तेग बहादुर का जन्म अमृतसर शहर में 1 अप्रैल 1621 में हुआ था। 13 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने पिता के साथ करतारपुर की लड़ाई में भाग लिया था। करतारपुर की लड़ाई में विजयी प्राप्त करने के बाद में उनके पिता ने उनका नाम तेग बहादुर रख दिया था।
गुरु तेग बहादुर के पिता गुरु हरगोविंद सिंह का निधन 1664 में हो गया था। पिता के निधन के बाद में गुरु तेग बहादुर को नौवें गुरु बने थे। गुरु तेग बहादुर ने लोगों की निस्वार्थ रहने और लोगों की सेवा करने का संदेश दिया था। गुरु तेग बहादुर दिल्ली की यात्रा और औरंगज़ेब को चुनौती भी दी थी और उन्होंने धर्म परिवर्तन से इनकार कर दिया था। उन्हें मुगलों के द्वारा बंदी बना लिया गया था। 11 नवंबर 1675 के दिन गुरु तेग बहादुर दिल्ली में चांदनी चौक में फांसी पर चढ़ा दिया गया था। गुरु तेग बहादुर के इस अमर बलिदान ने सदियों से लोगों को प्रेरणा दी है।
स्पीच के अंत में
गुरु तेग बहादुर का जीवन हमें दूसरों के प्रति दयालु और सम्मानपूर्ण होना सिखाता है। उनका जीवन हमें याद दिलाता है कि सच्ची ताकत न्याय और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े होने में निहित है। हमें गुरू तेग बहादुर से प्रेरित होकर जीवन में लोगों के प्रति दया और करुणा रखनी चाहिए और उनके बलिदान का सम्मान करें। गुरु तेग बहादुर जी पर मेरे इस भाषण को सुनने के लिए आप सभी का धन्यवाद।
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गुरु तेग बहादुर पर भाषण (Speech on Guru Teg Bahadur in Hindi) तैयार करने के टिप्स
गुरु तेग बहादुर पर भाषण तैयार करने के टिप्स नीचे दिए गए हैं:
- गुरु तेग बहादुर पर भाषण तैयार करने के लिए आप गुरु तेग बहादुर जी के जीवन, शिक्षाओं और महत्वपूर्ण घटनाओं पर जानकारी प्राप्त करें।
- अपने भाषण की संरचना को व्यवस्थित करें। शुरुआत में सभी लोगों का अभिवादन करें और विषय का संक्षिप्त परिचय दें।
- स्पीच की शुरुआत के बार आप गुरु तेग बहादुर के जन्म, पालन-पोषण और पारिवारिक पृष्ठभूमि पर बात कर सकते हैं।
- गुरु तेग बहादुर पर भाषण मे उनके द्वारा दिए गए योगदान, बलिदान और विरासत पर बात कर सकते हैं।
- आज उनकी शिक्षाओं पर प्रकाश डालें और लोगों को प्रेरित करने वाले संदेश के साथ समाप्त करें।
- अपने भाषण में नर्म शब्दों का प्रयोग करें और कठिन शब्दों के उपयोग से बचें।
- अपने भाषण को तैयार करने के बाद एक बार उसे बोलकर अभ्यास जरूर करें।
गुरु तेग बहादुर से जुड़े रोचक तथ्य
गुरु तेग बहादुर से जुड़े रोचक तथ्य निम्न प्रकार से हैं:
- गुरु तेग बहादुर जी का जन्म 1 अप्रैल 1621 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था।
- गुरु तेग बहादुर छठे सिख गुरु गुरु हरगोबिंद जी और माता नानकी जी के सबसे छोटे पुत्र थे।
- उनका जन्म का नाम त्याग मल था, जिसका अर्थ है त्याग का स्वामी।
- उन्हें एक योद्धा के रूप में प्रशिक्षित किया गया था और उन्होंने कम उम्र में ही आध्यात्मिक शिक्षाएँ भी सीखीं थी।
- गुरु जी ने गुरु के रूप में पहचाने जाने से पहले बाबा बकाला में प्रार्थना और ध्यान में कई साल बिताए।
- उन्होंने 115 भजन रचे, जिन्हें बाद में सिखों के पवित्र धर्मग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल किया गया था।
- गुरु जी स्थान पर उन्हें शहीद किया गया था। वह स्थान अब दिल्ली के चांदनी चौक में गुरुद्वारा सीस गंज साहिब है।
- धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उनके बलिदान ने उन्हें हिंद दी चादर की उपाधि दिलाई थी
FAQs
तेग बहादुर को भारत के दिल्ली में छठे मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर मार दिया गया था। दिल्ली में सिख पवित्र परिसर गुरुद्वारा सीस गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब गुरु तेग बहादुर की फांसी और दाह संस्कार के स्थानों को चिह्नित करते हैं। उनकी शहादत का दिन (शहीदी दिवस) भारत में हर साल 24 नवंबर को मनाया जाता है।
एक महावाक्य अनुसार गुरुजी का बलिदान न केवल धर्म पालन के लिए नहीं अपितु समस्त मानवीय सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए बलिदान दिया था। धर्म उनके लिए सांस्कृतिक मूल्यों और जीवन विधान का नाम था।
गुरु तेग बहादुर का जीवन और शिक्षाएं आज भी सिख समुदाय के लिए धार्मिक सद्भाव के उनके आदर्शों को जारी रखने के लिए प्रेरणा हैं।
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