सत्यमेव जयते (Satyamev Jayate) का नारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता मदन मोहन मालवीय जी ने दिया था। यह नारा संस्कृत भाषा का है और इसका अर्थ है “सत्य की ही विजय होती है”। यह नारा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समय प्रयोग में लिया गया था और इसे भारतीय संविधान की उद्देशिका में भी शामिल किया गया था।
“सत्यमेव जयते” को भारतीय संविधान के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया गया और यह भारतीय गणराज्य के आदर्शों को दर्शाता है। यह नारा भारतीय राजनीति, संस्कृति, और समाज में सत्य और ईमानदारी के महत्व को दर्शाता है। मदन मोहन मालवीय जी कांग्रेस के बड़े नेता शिक्षाविद् और स्वतंत्रता सेनानी थे, जोकि दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष भी चुने गए थे। मदन मोहन मालवीय का निधन 12 नवंबर, 1946 को हुआ था। मानवीय जी की भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका रही थी।
मदन मोहन मालवीय जी के बारे में
- मदन मोहन मालवीय जी को ‘महामना’ के नाम से भी लोग मानते हैं।
- मदन मोहन मालवीय जी को 24 दिसंबर 2014 को ‘भारत रत्न’ सम्मान दिया गया था।
- बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के पितामाह पंडित जी के नाम से पहचान जाता था।
- एशिया की सबसे बड़ी आवासीय विश्वविद्यालय बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की स्थापना वर्ष 1916 में मालवीय जी ने की थी।
- मालवीय जी 20 वर्ष तक बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में वाइस चांसलर का पद संभाला था।
- मदन मोहन मालवीय जी सन 1909 और 1918 में दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने थे।
- मदन मोहन मालवीय जी ने ‘सत्यमेव जयते’ नारे को लोकप्रिय बनाया था।
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सत्यमेव जयते कहां से लिया गया?
सत्यमेव जयते (Satyameva Jayate) जोकि भारत का एक ‘राष्ट्रीय आदर्श वाक्य’ माना जाता है, जिसका अर्थ है- “सत्य की ही जीत होती है। पंडित मदनमोहन मालवीय की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी राष्ट्रपटल पर ‘सत्यमेव जयते’ को लाने की। आपको बता दें की सत्यमेव जयते का सूत्रवाक्य मुण्डक-उपनिषद से लिया गया है।
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FAQs
भारत का राष्ट्रीय नारा सत्यमेव जयते है।
सत्यमेव जयते का असली नाम ‘मुंडका उपनिषद” है।
मदन मोहन मालवीय ने सत्यमेव जयते है।
भारत का राष्ट्रीय झंडा गीत वन्दे मातरम है।
वर्ष 2015 के लिए भारत रत्न पुरस्कार महान भारतीय मदन मोहन मालवीय मिला।
वनागरी लिपि में लिखा गया है।
12 नवम्बर, 1946 में मालवीय जी का देहांत हो गया था।
मदन मोहन मालवीय सत्यमेव जयते के संस्थापक थे।
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