हिंदी-उर्दू के प्रख्यात कवि-गद्यकार निदा फ़ाज़ली का जीवन परिचय और साहित्यिक योगदान

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Nida Fazli Biography in Hindi

निदा फ़ाज़ली उर्दू और हिंदी के प्रसिद्ध शायर, गीतकार, संवाद लेखक और पत्रकार थे। वे उर्दू की साठोत्तरी पीढ़ी के प्रख्यात कवि माने जाते हैं। क्या आप जानते हैं कि उनकी कविताओं का पहला संकलन ‘लफ़्ज़ों का पुल’ प्रकाशित होते ही उन्हें भारत और पाकिस्तान में जो ख्याति मिली, वह विरले ही किसी कवि को प्राप्त होती है। साहित्य सृजन के साथ-साथ उन्होंने हिंदी सिनेमा को कई सदाबहार गीत भी दिए हैं। वहीं, साहित्य और कला में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें ‘पद्म श्री’ (2013), ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ (1998) और ‘राष्ट्रीय सद्भाव पुरस्कार’ सहित कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया है। इस लेख में निदा फ़ाज़ली का जीवन परिचय एवं उनकी प्रमुख रचनाओं की जानकारी दी गई है।

मूल नाम मुक़तदा हसन फ़ाज़ली
उपनाम ‘निदा’
जन्म 12 अक्टूबर, 1938
जन्म स्थान दिल्ली 
शिक्षा एम.ए (विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन)
पिता का नाम मुर्तज़ा हसन बैदी 
माता का नाम जमील फातिमा 
पत्नी का नाम मालती जोशी फ़ाज़ली
संतान तहरीर (पुत्री) 
कार्य क्षेत्र उर्दू शायर, गीतकार
भाषा उर्दू, हिंदी 
मुख्य रचनाएँ ‘लफ़्ज़ों का पुल’, ‘आँख और ख़्वाब के दरमियान’, ‘शहर तू मेरे साथ चल’ (काव्य-संग्रह) ‘खोया हुआ सा कुछ’ (शायरी-संग्रह) आदि। 
पुरस्कार एवं सम्मान पद्म श्री (2013), साहित्य अकादमी पुरस्कार (1998) व ‘राष्ट्रीय सद्भाव पुरस्कार’ आदि 
निधन 08 फरवरी, 2016 मुंबई  
जीवनकाल 77 वर्ष 

दिल्ली में हुआ था जन्म

निदा फ़ाज़ली का जन्म 12 अक्टूबर, 1938 को दिल्ली के एक कश्मीरी परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम ‘मुर्तज़ा हसन बैदी’ जबकि माता का नाम ‘जमील फातिमा’ था। निदा फ़ाज़ली का मूल नाम ‘मुक़तदा हसन फ़ाज़ली’ था लेकिन बाद में वह ‘निदा फ़ाज़ली’ के रूप में प्रसिद्ध हुए। बताया जाता है कि उनका बचपन और जवानी ग्वालियर शहर में बीता। वहीं उनकी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर में हुई और ‘विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन’ से उन्होंने बी.ए. और एम.ए. तक शिक्षा प्राप्त की। 

देश-विभाजन के समय उनके पिता ने पाकिस्तान जाने का फैसला किया। किंतु निदा फ़ाज़ली भारत को छोड़कर पाकिस्तान नहीं गए बल्कि देश को अपनी रचनात्मक प्रतिभा से समृद्ध किया। हालांकि उनका शुरूआती जीवन संघर्षमय रहा लेकिन उन्होंने अपना समय अध्ययन और शायरी में बिताया। 

बंबई में मिली नई पहचान 

वर्ष 1964 के आसपास उन्होंने आजीविका हेतु बंबई (अब मुंबई) का रूख किया। किंतु शुरुआत में उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा। मुंबई के प्रारंभिक दिनों में निदा फ़ाज़ली ने ‘धर्मयुग’ (पत्रिका) और ‘ब्लिट्ज़’ अख़बार में काम किया। इस दौरान साहित्य जगत में भी वह धीरे-धीरे प्रसिद्ध होने लगे। उन्होंने मुशायरों में भी बेहद लोकप्रियता हासिल की। हालांकि मुंबई आने से पहले ही वह अपने प्रथम काव्य-संग्रह ‘लफ़्ज़ों का पुल’ की कई कविताएं और गीत लिख चुके थे। किंतु उनकी प्रथम पुस्तक वर्ष 1971 में प्रकाशित हुई और पाठकों द्वारा बहुत पसंद की गईं। 

वैवाहिक जीवन 

निदा फ़ाज़ली का विवाह जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियों में इशरत नाम की एक टीचर से हुआ था लेकिन निबाह नहीं हो सका। फिर लगभग 50 वर्ष की आयु में उनका दूसरा विवाह मालती जोशी से हुआ। दोनों की एक बेटी है। 

फिल्मी दुनिया का सफर 

बताया जाता है कि फ़िल्मी दुनिया से निदा फ़ाज़ली का संबंध उस वक़्त शुरू हुआ जब फ़िल्म निर्देशक कमाल अमरोही ने अपनी फ़िल्म रज़ीया सुलतान के लिए उनसे दो गीत लिखवाए। इनके लिखे गीत काफ़ी लोकप्रिय भी हुए। इसके बाद उनका फिल्मी दुनिया का सफर शुरू हुआ। उन्होंने ‘तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल है’, ‘कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता’ और ‘होश वालों को ख़बर क्या’ जैसे पचासों चर्चित गाने हिंदी फिल्मों के लिए लिखे थे।

निदा फ़ाज़ली की प्रमुख रचनाएँ

निदा फ़ाज़ली ने एक शायर और गद्यकार के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाई हैं। उनकी साहित्यिक रचनाओं के विभिन्न भारतीय भाषाओं के साथ विदेशी भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं। नीचे उनकी समग्र साहित्यिक कृतियों की सूची दी गई है:-

काव्य-संग्रह 

  • लफ़्ज़ों का पुल
  • आँख और ख़्वाब के दरमियान 
  • शहर तू मेरे साथ चल 
  • ज़िंदगी की तरफ़ 

उपन्यास 

  • दीवारों के बीच 
  • दीवारों के बाहर 

ग़ज़ल-संग्रह 

  • रौशनी के फूल 
  • आँखों भर आकाश 
  • दाग़ देहलवी ग़ज़ल का एक स्कूल 
  • तमाशा मेरे आगे 
  • उजला-उजला पूरा चाँद 
  • खोया हुआ सा कुछ 
  • आदमी की तरफ 
  • जाँनिसार अख़्तर एक जवान मौत 
  • बशीर बद्र नई ग़ज़ल का एक नाम 

रेखाचित्र

  • चेहरे 
  • मुलाकातें 

पुरस्कार एवं सम्मान 

निदा फ़ाज़ली को हिंदी-उर्दू साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है, जैसे:-

  • पद्म श्री – वर्ष 2013 
  • निदा फ़ाज़ली को शायरी की किताब ‘खोया हुआ सा कुछ’ के लिए वर्ष 1998 में प्रतिष्ठित ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। 
  • सांप्रदायिक सद्भाव पर लेखन के लिए निदा फ़ाज़ली को ‘राष्ट्रीय सद्भाव पुरस्कार’ से भी नवाजा गया था।

दिल का दौरा पड़ने से हुआ निधन 

निदा फ़ाज़ली का निधन 8 फरवरी 2016 को दिल का दौरा पड़ने से हुआ था, लेकिन अपनी रचनाओं के कारण वे आज भी साहित्य जगत में स्मरण किए जाते हैं।

FAQs

लेखक निदा फ़ाज़ली का वास्तविक नाम क्या था?

उनका मूल नाम ‘मुक़तदा हसन फ़ाज़ली’ था। 

निदा फ़ाज़ली का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

निदा फ़ाज़ली का जन्म दिल्ली में 12 अक्टूबर 1938 को एक कश्मीरी परिवार में हुआ था।

निदा फ़ाज़ली के माता-पिता का क्या नाम था?

उनकी माता का नाम ‘जमील फातिमा’ और पिता का नाम ‘मुर्तज़ा हसन बैदी’ था। 

निदा फ़ाज़ली को साहित्य अकादमी पुरस्कार कब मिला था?

वर्ष 1998 में उन्हें शायरी की किताब ‘खोया हुआ सा कुछ’ के लिए ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। 

निदा फ़ाज़ली की मृत्यु कब हुई थी?

उनका निधन 8 फरवरी, 2016 को 77 वर्ष की आयु में हुआ था। 

आशा है कि आपको हिंदी-उर्दू कविता के सेतु निदा फ़ाज़ली का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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