कवि नंददास 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध के प्रतिष्ठित कवियों में से एक थे। वे गोस्वामी विट्ठलदास के शिष्य और अष्टछाप के प्रमुख कवियों में सम्मिलित थे। कृष्ण काव्य परंपरा में वे सूरदास और परमानंददास के बाद तीसरे महत्वपूर्ण भक्त कवि माने जाते हैं। उन्होंने ब्रजभाषा के साहित्यिक गौरव को स्थायित्व प्रदान किया। वे भक्तिरस के पूर्ण मर्मज्ञ और ज्ञानी थे। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं- सुदामा चरित, रुक्मिणी मंगल, रास पंचाध्यायी, गोवर्धन लीला तथा नंददास पदावली आदि।
आपको बता दें कि कवि नंददास की काव्य रचनाओं को विद्यालयों के साथ ही बी.ए. और एम.ए. के पाठ्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता है। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। अनेक शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। साथ ही, UGC-NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों के लिए भी कवि नंददास का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन अत्यंत आवश्यक माना जाता है।
| नाम | नंददास |
| जन्म | संवत 1570 (1513 ई.) विक्रमी |
| जन्म स्थान | रामपुर गांव, सोरों, उत्तर प्रदेश |
| पिता का नाम | जीवाराम |
| गुरु का नाम | गोस्वामी विट्ठलदास |
| भाषा | ब्रजभाषा व संस्कृत |
| प्रसिद्धि | अष्टछाप के कवि |
| विधा | काव्य |
| मुख्य रचनाएँ | ‘सुदामा चरित’, ‘रुक्मणी मंगल’,’रास पंचाध्यायी’, ‘गोवर्धन लीला’ और ‘नंददास पदावली’ आदि। |
| देहावसान | संवत 1640 (1583 ई.) विक्रमी |
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उत्तर प्रदेश के सोरों के पास हुआ था जन्म
अष्टछाप के एक प्रमुख कवि होने के बावजूद, कवि नंददास का प्रामाणिक जीवन-वृत्त अभी तक पूर्णतः प्रकाश में नहीं आ सका है। विद्वानों और इतिहासकारों के अनुसार, उनका जन्म संवत् 1570 (1513 ई.) में उत्तर प्रदेश के कासगंज ज़िले में गंगा नदी के निकट स्थित एक प्राचीन तीर्थस्थल सोरों से लगभग तीन किलोमीटर दूर बसे ‘रामपुर’ नामक गाँव में हुआ था।
उनके पिता का नाम जीवाराम था। कुछ विद्वानों ने नंददास को गोस्वामी तुलसीदास का छोटा भाई माना है, यद्यपि इस तथ्य की ऐतिहासिक पुष्टि नहीं हो सकी है। उनका काल मुगल सम्राट अकबर तथा तुलसीदास के समकालीन माना जाता है।
अष्टछाप के कवि
कवि नंददास ने अपनी काव्य रचनाओं में वल्लभाचार्य के पुत्र गोस्वामी विट्ठलदास का सादर उल्लेख किया है। माना जाता है कि उन्होंने श्री विट्ठलदास से शिक्षा ग्रहण की थी। वहीं, उनके गुरु विट्ठलनाथ द्वारा स्थापित ‘अष्टछाप’ कृष्ण काव्यधारा के आठ कवियों का समूह है, जिसका मूल संबंध आचार्य वल्लभाचार्य द्वारा प्रतिपादित पुष्टिमार्गीय संप्रदाय से है।
अष्टछाप के आठ कवियों में से चार आचार्य वल्लभाचार्य के शिष्य हैं, जबकि चार गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य। वल्लभाचार्य के शिष्य हैं सूरदास, परमानंददास, कुंबनदास और कृष्णदास, जबकि विट्ठलनाथ के शिष्यों में नंददास, चतुर्भुजदास, गोविंदस्वामी तथा छीतस्वामी शामिल हैं। वस्तुतः विट्ठलनाथ ने भगवान श्रीनाथ के अष्ट शृंगार की परंपरा आरंभ की थी। बता दें कि अष्टछाप के कवियों में महाकवि सूरदास का विशेष और महत्वपूर्ण स्थान है।
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नंददास की प्रमुख रचनाएँ
नंददास ने कृष्ण काव्य परंपरा में कई अनुपम कृतियों का सृजन किया है। उनकी अधिकांश रचनाओं का आधार भगवान श्रीकृष्ण हैं। नंददास जी की रचनाओं में ‘पदावली’ और ‘भंवरगीत’ को सर्वोपरि स्थान प्राप्त है। ‘पदावली’ में मुख्यतः कृष्ण की बाल और किशोर लीलाओं का वर्णन मिलता है, जबकि ‘भंवरगीत’ का कृष्ण भक्ति साहित्य में विशिष्ट स्थान है। सूरदास के भ्रमरगीत के पश्चात इसे विशेष महत्व दिया जाता है। नंददास की प्रमुख रचनाओं की सूची नीचे दी गई है:-
पद्य-रचना
- रासपंचाध्यायी
- भागवत दशमस्कंध
- रुक्मिणीमंगल
- सिद्धांत पंचाध्यायी
- रूपमंजरी
- मानमंजरी
- विरहमंजरी
- श्यामसगाई
- भ्रमरगीत
- सुदामाचरित्र
- नामचिंतामणिमाला
- अनेकार्थनाममाला
- दानलीला
- मानलीला
- अनेकार्थमंजरी
- ज्ञानमंजरी
गद्य-रचना
- हितोपदेश
- नासिकेतपुराण
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नंददास की भाषा शैली
नंददास संस्कृत भाषा के विद्वान थे तथा ब्रजभाषा का भी उन्हें अच्छा ज्ञान था। उनके सौष्ठवपूर्ण शब्द-चयन और भाषिक सौंदर्य के कारण ही उनके बारे में यह प्रसिद्ध है- ‘और कवि गढ़िया, नंददास जड़िया’, यानी जहाँ अन्य कवि शब्दों को गढ़ते थे, वहीं नंददास उन्हें रत्नों की तरह जड़ते थे।
FAQs
अष्टछाप के कवि नंददास को जड़िया कवि भी कहा जाता है।
‘पदावली’, ‘भंवरगीत’ और ‘रासपंचाध्यायी’ नंददास की प्रमुख रचनाएँ हैं।
रासपंचाध्यायी’ के रचयिता कवि नंददास हैं।
अष्टछाप के आठ कवियों में चार वल्लभाचार्य के शिष्य थे, जबकि चार गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य थे।
‘सुदामा चरित’, ‘रुक्मणी मंगल’,’रास पंचाध्यायी’, ‘गोवर्धन लीला’ और ‘नंददास पदावली’ आदि उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
रूप मंजरी, कृष्णभक्त कवि नंददास की रचना है।
नंददास के गुरु गोस्वामी विट्ठलदास थे, जो वल्लभाचार्य के पुत्र थे।
आशा है कि आपको कृष्ण काव्य परंपरा के प्रमुख कवि नंददास का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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