इंसान का जूनून उसे एक नया लक्ष्य दे ही देता है। अब कोई करना कुछ और चाहता है लेकिन वह नाम किसी और चीज़ में कमाता है। हम में से कितने लोग होंगे जो अपने लक्ष्य को पा चुके होंगे या पाने के लिए मेहनत किए जा रहे हैं। अगर आपकी मेहनत भी रंग नहीं ला रही तो आप इस ब्लॉग में जानेंगे कि कैसे एक लड़के ने अपने जीवन में जिसे वह पाना चाहता था उसका लक्ष्य तो कुछ और निकला। तो चलिए, आपको बताते हैं MBA चायवाला की कहानी विस्तार से।
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दिलचस्प है MBA चायवाला की कहानी
प्रफुल बिल्लोरे उर्फ़ MBA चायवाला का जन्म मध्य प्रदेश के धार जिले में हुआ था 1997 में हुआ था। प्रफुल्ल बचपन से पढ़ने में बहुत होशियार थे। उनके माता-पिता को लगता था यह ज़रूर कुछ बड़ा करेंगे अपने जीवन में। सरकारी कॉलेज से उन्होंने अपने बीकॉम की और वह साथ-साथ एमबीए की तैयारी भी करने लगे थे। प्रफुल एमबीए करने के लिए अहमदाबाद आ गए, जहाँ वह एमबीए में एडमिशन पाने के लिए CAT exam की तैयारी कर रहे थे। तैयारी करने के लिए उन्होंने कठिन मेहनत की।
संघर्ष भी खूब किए
दो-ढाई वर्ष तक उन्होंने खूब जोर-शोर से एमबीए करने की कोशिश की लेकिन वह कामयाब न हो सके। प्राइवेट कॉलेज से उन्हें एमबीए इसलिए नहीं करना था क्योंकि उसकी फीस बहुत ज्यादा थी और बाद में उसकी रिटर्न ऑफ़ इन्वेस्टमेंट भी काम थी। इतने दिन ऐसे रहने पर उन्होंने अहमदाबाद में मैकडॉनल्ड में नौकरी कर ली। यहां प्रफुल्ल को 37 रुपए प्रति घंटे की दर से पैसे मिलते थे और वह दिन में करीब 12 घंटे काम करते थे। इस तरह MBA चायवाला उर्फ़ प्रफुल्ल ने मैकडॉनल्ड में 3-4 महीने तक काम किया।
अचानक कुछ अपना करने का आया ख्याल
प्रफुल जब जीवन को लेकर संशय में थे कि अब क्या करना है तो उन्हें आईडिया आया कि मैकडॉनल्ड जब बर्गर बेचकर दुनिया की सबसे बड़ी फ़ूड कंपनी बन सकता है तो मैं क्यों न अपना खुद का कुछ करूँ? उन्होंने ठानी कि चाय का ठेला शुरू करने की। उनका उनका तर्क यह था कि चाय ही पूरे भारत को जोड़ के रखती है, चाहे वह कोई चौराहा, सड़क, टपरी हो या कुछ और चाय ही सब को जोड़ के रखती है।
और बन गए MBA चायवाला
MBA चायवाला ने एक हॉस्पिटल के बगल में अपना ठेला लगाने के लिए उन्हें महीने के 10 हज़ार के हिसाब से पैसे चाहिए थे, उन्होंने अपने पिताजी से 8-10 हज़ार रूपये लिए और शुरू हो गए अहमदाबाद में अपना काम करने को। ठेला शुरू होते ही मानो लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा हो। देखते-देखते सैंकड़ो लोग आने लगे। यह सब देखते हुए प्रफुल ने अपने चाय के ठेले का नाम रख दिया “Mr. Billore A’ bad”। इसके बाद यह बना M.B.A. देखते ही देखते उन्होंने लोगों के हुजूम के साथ छोटे इवेंट्स शुरू कर दिए जैसे सोशल इवेंट्स, एन्त्रेप्रेंयूरिअल इवेंट्स आदि. उनका चाय का स्टाल धीरे-धीरे लोगों की एक पिकनिक स्पॉट बन गया था। बाद में उन्होंने वैलेंटाइन्स डे के दिन सिंगल्स के फ्री चाय का आईडिया दिया जो बहुत बड़ा हिट साबित हुआ उनके करियर के लिए।
करोड़ों का हुआ टर्नओवर
शुरू में उन्हें लगा था कि चाय के स्टाल का महीने का भाड़ा निकल भी पाएगा। लेकिन बाद में स्टाल ऐसा चला की प्रफुल के दिन फिर गए। एक छोटा सा स्टाल अब सालाना 3 करोड़ का टर्नओवर निकाल लेता है। वहीँ करीब 30 लोग उनके साथ काम करते हैं। इतना ही नहीं, प्रफुल को शादियों, पार्टियों से बड़े-बड़े आर्डर तो आते ही हैं साथ में MBA चायवाला सामाजिक कार्यों के लिए फंडरेजिंग भी करते हैं।
टॉप संस्थानों में देने जाते हैं लेक्चर
MBA चायवाला जब एमबीए की तैयारी करते वक़्त जिन संस्थानों में जाकर पढ़ाई करना प्रफुल्ल बिल्लोरे का सपना था। आज वही संस्थान प्रफुल्ल को अपने यहां बतौर मैनेजमेंट गुरू लेक्चर देने के लिए बुलाते हैं। प्रफुल्ल की लाइफ का मंत्र है कि ‘कोई भी काम छोटा बड़ा नहीं होता है और हर चीज से पैसा कमाया जा सकता है, बस आपको कमाने की कला आनी चाहिए’।
किसी की परवाह किए बिना पाया मुकाम
प्रफुल को पता था कि उनके माता-पिता उनके इस आईडिया को नहीं समझेंगे। वह गुस्से में थे। वे चाहते थे कि उन्हें डिग्री मिले। प्रफुल्ल ने उन्हें बताया कि वह अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो उनके माता-पिता ने कहा था कि यह उनके परिवार के लिए शर्म की बात है। यहां तक कि उनके दोस्तों ने भी उनका मजाक उड़ाया। लेकिन MBA चायवाला उर्फ़ प्रफुल्ल ने सभी को अनसुना कर आज जो मुकाम पाया है वह एक मिसाल है।
FAQs
MBA चायवाला की नेट वर्थ 2022 में लगभग INR 3 करोड़ है।
MBA चायवाला के मालिक का नाम प्रफुल्ल बिल्लोरे है।
MBA चायवाला की शुरुआत 2017 में हुई थी।
MBA चायवाला के इस ब्लॉग में आपने जाने की सफलता पाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है, उसके बाद सफलता आपके पीछे खुद आती है। इसी और अन्य तरह के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए आप Leverage Edu पर बने रहिए।