Maharana Pratap Essay : महाराणा प्रताप पर आसान शब्दों में ऐसे लिखें निबंध

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Maharana Pratap Essay in Hindi

महाराणा प्रताप का जन्म 1540 में राजस्थान के मेवाड़ में हुआ था। राजपूत घराने में पैदा होने वाले महाराणा प्रताप को भारतीय इतिहास के सबसे महान और वीर शासकों में से एक माना जाता है। महाराणा प्रताप की वीरता के किस्से आज भारत के बच्चे-बच्चे की ज़ुबान पर रहते हैं। महान व्यक्तिव होने के कारण महाराणा प्रताप के बारे में स्कूल और कॉलेज की परीक्षाओं में निबंध लिखने के लिए पूछा है। यहाँ महाराणा प्रताप पर 100, 300 और 500 शब्दों में निबंध (Maharana Pratap Essay in Hindi) दिए गए हैं। 

महाराणा प्रताप का संक्षिप्त जीवन परिचय

महाराणा प्रताप को राजस्थान की शान कहा जाता है। उनकी वीरता के किस्से आज भी प्रसिद्ध हैं। महाराणा प्रताप का जन्म 16वीं शताब्दी में सन 1540 में राजस्थान के मेवाड़ में एक राजपूत राजपरिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम महाराजा प्रताप उदय सिंह द्वितीय और महारानी जयवंताबाई  था। 

महाराणा प्रताप के पास अकबर ने उसकी दासता स्वीकार करने के बदले में उन्हें उनका राज वापस करने का प्रस्ताव भेजा था लेकिन महाराणा प्रताप ने अकबर के सामने झुकने से मना कर दिया। राज पाठ छिन जाने के बाद महाराणा प्रताप ने अपने परिवार के साथ जंगल में रहकर अकबर के खिलाफ युद्ध जारी रखा। इसी प्रकार अपने राज्य के लिए संघर्ष करते हुए महाराणा प्रताप ने वर्ष 1597 में दुनिया को हमेशा के लिए छोड़ दिया।

महाराणा प्रताप के बारे में 100 शब्दों में निबंध 

यहाँ महाराणा प्रताप पर निबंध (Maharana Pratap Essay in Hindi) 100 शब्दों में दिया गया है :

महाराणा प्रताप को भारत ही नहीं वरन विश्व के सबसे महान योद्धाओं में से एक माना जाता है। उनका जन्म 16वीं शताब्दी के मध्य में वर्ष 1540 को 9 मई के दिन एक राजपूत राज घराने में हुआ था। उनके पिता का नाम महाराणा उदय प्रताप सिंह और उनकी माता का नाम महारानी सा जयवंताबाई था। वे मेवाड़ के शासक थे जिन्होंने अपने स्वाभिमान की खातिर अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। 

महाराणा प्रताप की वीरता और पराक्रम  

वर्ष 1576 में हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप ने अंग्रेजों से लोहा लिया था। 19 वर्षों तक अकबर से गुरिल्ला युद्ध लड़ा। इस दौरान के अपना राज पाठ छोड़कर जंगल में भी रहे। यहाँ तक कि उन्होंने घांस की बनी रोटी तक खाई थी लेकिन उन्होंने अपने स्वाभिमान को बचाए रखने के लिए अकबर एक सामने सिर नहीं झुकाया। महाराणा प्रताप के पास अकबर ने कई बार संधि प्रस्ताव का सन्देश भी भेजा लेकिन उन्होंने हर बार अकबर को निराश ही किया और उसके खिलाफ युद्ध जारी रखा। 

एक शासक के रूप में महाराणा प्रताप के द्वारा अपनी प्रजा के लिए किए गए कार्य  

एक शासक के रूप में महाराणा प्रताप ने अपनी प्रजा की भलाई के लिए अनेक कार्य किए थे। उन्होंने कुंभलगढ़ के किले का जीर्णोद्धार कराया था। उन्होंने जनजातीय समुदाय को पूरा सम्मान दिया और उनके साथ अपने सबंध मजबूत किए। उन्होंने प्रजा की भलाई के लिए अपने राज्य की कृषि व्यवस्था, व्यापार तंत्र और कला को विशेष रूप से प्रोत्साहन दिया था। 

अपने राज्य के लिए संघर्ष करते हुए और अपनी स्वाभिमान की रक्षा करते हुए 19 जनवरी 1597 के दिन राजस्थान के चावंड नामक स्थान पर महान शासक महाराणा प्रताप का निधन हो गया। 

महाराणा प्रताप के बारे में 300 शब्दों में निबंध 

यहाँ महाराणा प्रताप पर निबंध (Maharana Pratap Essay in Hindi) 300 शब्दों में दिया गया है :

महाराणा प्रताप आज भी वीरता और स्वाभिमान के प्रतीक माने जाते हैं। वे भारत के उन महान योद्धाओं में से एक हैं जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए सबकुछ दांव पर लगा दिया। महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के मेवाड़ में एक राजपूत शाही घराने में  हुआ था। उनके पिता का नाम राजा उदय प्रताप सिंह द्वितीय और माता का नाम महारानी जयवंताबाई था। 

महाराणा प्रताप ने अकबर से वर्ष 1576 में अकबर के खिलाफ हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा था। इस युद्ध में महाराणा प्रताप बुरी तरह से घायल हो गए थे। इतनी बुरी तरह से घायल होने के बावजूद वे अकबर के सैनकों के हाथ नहीं आए। वे जंगल में चले गए। वहां उन्होंने कंद मूल खाए। अपनी सेना को फिर से तैयार किया और वन से ही अकबर पर हमले करना जारी रखा। महाराणा प्रताप ने गुरिल्ला युद्ध नीति से अकबर के नाक में दम कर दिया था। अकबर को महाराणा प्रताप की वीरता को देखते हुए इतना तो समझ में आ गया था कि उनसे जीत पाना बहुत ही कठिन काम है। अत: महाराणा प्रताप के पास कई बार अकबर ने संधि प्रस्ताव भेजा लेकिन महाराणा प्रताप ने अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया।  

महाराणा प्रताप ने अपना सारा जीवन अपनी मातृभूमि की रक्षा करने और राजपूताना स्वाभिमान को उठाने में लगा दिया। उन्होंने अकबर से अनेक बार गुरिल्ला युद्ध किया लेकिंन अपने जीवन के अंतिम समय तक अकबर की गुलामी स्वीकार नहीं की। 19 जनवरी 1597 को इसी प्रकार संघर्ष करते हुए महाराणा प्रताप ने राजस्थान के चावंड नामक स्थान पर सदा के लिए आँखें मूँद लीं। अकबर भी महाराणा प्रताप की वीरता का लोहा मानता था और शत्रु होने के बावजूद एक योद्धा के रूप में उनका सम्मान करता था। कहा जाता है कि महाराणा प्रताप की मृत्यु का समाचार सुनकर अकबर की आँखों में भी आँसू आ गए थे। 

यह भी पढ़ें : जानिए भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप की कहानी

महाराणा प्रताप के बारे में 500 शब्दों में निबंध 

यहाँ महाराणा प्रताप पर निबंध (Maharana Pratap Essay in Hindi) 100 शब्दों में दिया गया है :

प्रस्तावना 

भारतीय इतिहास में वीरता और स्वाभिमान की अमर गाथाएं गढ़ने वाले अनेक वीर योद्धा हुए हैं। उनमें से महाराणा प्रताप एक थे। महाराणा प्रताप वे बहादुर योद्धा थे जिन्होंने अकबर के आगे कभी घुटने नहीं टेके। आज भी उन्हें स्वाभिमान, संकल्प और देशभक्ति का मजबूत स्तम्भ माना जाता है। महाराणा प्रताप वर्तमान पीढ़ी के साथ साथ आने वाली पीढ़ियों को भी देशभक्ति के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करने के किए प्रेरित करते रहेंगे। 

वीरता के अतुलनीय उदाहरण 

महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को सिसोदिया राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम महाराज उदय प्रताप सिंह और माता का नाम महारानी जयवंताबाई था। बचपन से महाराणा प्रताप काफी वीर और साहसी थे। वर्ष 1568 में अपने पिता के निधन के बाद उन्होंने सिंहासन संभाला। उस समय मुगल बादशाह अकबर राजपूताना के अधिकतर भाग पर कब्ज़ा कर चुका था। उसने मेवाड़ को भी जीतने का प्रयास किया किन्तु महाराणा प्रताप ने हार नहीं मानी।

हल्दीघाटी का युद्ध 

1579 में हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप और अकबर की सेनाओं के बीच एक भयानक युद्ध हुआ। इस युद्ध में महाराणा प्रताप ने अदम्य साहस वीरता का परिचय दिया। यद्यपि उन्हें इस युद्ध के बाद अपना राज पाठ छोड़कर जंगलों में जाना पड़ा लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी स्वाभिमान की रक्षा के लिए जंगलों में रहकर भी अकबर के खिलाफ जंग जारी रखी। 

गुरिल्ला युद्ध और कुशल नेतृत्व 

महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर से हारने के बाद भी हार नहीं मानी थी। उन्होंने जंगल में रहकर अपने परिवार के साथ कंद मूल खाकर गुज़ारा कर लिया लेकिन अकबर की दासता स्वीकार नहीं की। अकबर ने उनके पास कई बार संधि प्रस्ताव भी भेजा परन्तु उन्होंने हर बार उसे ठुकरा दिया। उन्होंने गुरिल्ला युद्ध नीति का प्रयोग कर मुगलों के खिलाफ संघर्ष जारी रखा। उन्होंने अरावली पहाड़ी के वनों में शरण ली और वहां से अक़बर के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध करना जारी रखा। उन्होंने अपनी कुशल रणनीति और युद्ध कौशल के बल पर कई युद्ध जीते और धीरे धीरे अपने राज्य का काफी बड़ा भू भाग अकबर से वापस ले लिया। महाराणा प्रताप वीरता और स्वाभिमान की अद्भुत मिसाल हैं। 

हार नहीं मानने की ज़िद 

हल्दीघाटी के युद्ध में हार के बाद महाराणा प्रताप ने अपने परिवार के साथ जंगल में शरण ली। वहां उन्होंने भूखे प्यासे रहकर समय व्यतीत किया। उन्होंने ऐसे हालातों में भी संघर्ष करना जारी रखा और अपने सैनिकों का मनोबल बढ़ाते रहे। उन्होंने होने सैनिकों को गुरिल्ला युद्ध की नीति सिखाई और अकबर से लोहा लिया। 

महाराणा प्रताप का संघर्ष और दृढ़ संकल्प उनकी वीरता का प्रमाण है। यह हमें सिखाता है कि चाहे परिस्थियाँ कितनी भी विपरीत क्यों न हों, हमें हार न नहीं माननी चाहिए। हमें अपने लक्ष्य के लिए कोशिश करते रहनी चाहिए और उसे प्राप्त करके ही रुकना चाहिए। 

उपसंहार 

महाराणा प्रताप एक महान युद्ध और कुशल शासक थे। उन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया और अनेक कठिनाइयों का सामना किया। इतनी तकलीफें और संघर्ष होने के बावजूद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। वे हमेशा अपने लोगों और अपनी मातृभूमि के सम्मान के लिए संघर्ष करते रहे। आज भी वे भारत के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और उनकी वीरता और स्वाभिमान के किस्से सदा आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति के लिए प्रेरित करती रहेंगी। 

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FAQs

महाराणा प्रताप कौन थे?

महाराणा प्रताप मेवाड़ के राजपूत राजा थे।  

महाराणा प्रताप की विशेषता क्या-क्या थी?

महाराणा प्रताप में बहुत सी विशेषताएं थीं। वे बेहद वीर और स्वाभिमानी थे। इसके अलावा उनकी कूटनीति और गुरिल्ला युद्ध क्षमता कमाल की थी। 

महाराणा प्रताप का वंश कौनसा था? 

महारणा प्रताप मेवाड़ में भिल्ल सिसोदिया राजवंश के राजा थे।

आशा करते हैं कि आपको Maharana Pratap Essay in Hindi का यह ब्लॉग अच्छा लगा होगा। निबंध के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।

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