Kaka Hathrasi Ka Jeevan Parichay : काका हाथरसी हिंदी के सुप्रसिद्ध हास्य कवि थे। एक जाने माने हास्य कवि के साथ-साथ वह एक बेहतरीन चित्रकार और संगीतकार भी थे। काका हाथरसी ने अपनी हास्य रचनाओं के माध्यम से अपनी जन्मभूमि ‘हाथरस’ का नाम भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में स्थापित किया था। उन्होंने वर्ष 1984 में बनी फिल्म ‘जमुना किनारे’ (Jamuna Kinare) का निर्देशन भी किया था। ‘जय बोलो बेईमान की’, ‘काका की चौपाल’, ‘काका के चुटकुले’, ‘काका की फुलझाड़ियाँ’ और ‘मीठी मीठी हंसाइयाँ’ काका हाथरसी की प्रमुख रचनाएं मानी जाती हैं। काका हाथरसी को हिंदी साहित्य में उनकी साहित्य-सेवा के लिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 1985 में ‘पद्म श्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
बता दें कि काका हाथरसी की रचनाओं को कई विद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी काका हाथरसी का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
आइए अब सुप्रसिद्ध हास्य कवि काका हाथरसी का जीवन परिचय (Kaka Hathrasi Ka Jeevan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मूल नाम | प्रभुलाल गर्ग (Prabhulal Garg) |
उपनाम | Kaka Hathrasi |
जन्म | 18 सितंबर 1906 |
जन्म स्थान | हाथरस जिला, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | शिवलाल गर्ग |
माता का नाम | बरफ़ी देवी |
पत्नी का नाम | रतन देवी |
पुत्र का नाम | मुकेश गर्ग, डॉ. लक्ष्मीनारायण गर्ग |
पेशा | हास्य कवि, लेखक |
विधा | काव्य एवं गद्य |
मुख्य रचनाएँ | ‘जय बोलो बेईमान की’, ‘काका की चौपाल’, ‘काका के चुटकुले’, ‘काका की फुलझाड़ियाँ’ व ‘मीठी मीठी हंसाइयाँ’ आदि। |
साहित्यकाल | आधुनिक काल |
पुरस्कार एवं सम्मान | ‘कला रत्न’ (1966), ‘पद्म श्री’ (1985), ‘आनरेरी सिटीजन’ (1989) |
निधन | 18 सितंबर, 1995 |
जीवनकाल | 89 वर्ष |
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उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुआ था जन्म – Kaka Hathrasi Ka Jeevan Parichay
हास्य सम्राट काका हाथरसी का जन्म 18 सितंबर, 1906 को उत्तर प्रदेश के हाथरस जनपद में हुआ था। बता दें कि उनका मूल नाम ‘प्रभुलाल गर्ग’ था लेकिन साहित्य जगत में वह अपने उपनाम ‘काका हाथरसी’ (Kaka Hathrasi) से विख्यात हुए। उनके पिता का नाम ‘शिवलाल गर्ग’ जबकि माता का नाम ‘बरफ़ी देवी’ था। बताया जाता है कि अल्प आयु में ही उनके पिता का प्लेग की बीमारी के कारण निधन हो गया था। इसके बाद उनका पालन-पोषण उनकी माता ने किया।
काका हाथरसी का जीवन संघर्षमय रहा था। किंतु उन्होंने अपना संघर्ष जारी रखते हुए छोटी-मोटी नौकरियों के साथ ही कविता रचना और संगीत शिक्षा का समंवय बनाए रखा।
जब ‘काका हाथरसी’ बन गया उपनाम
काका हाथरसी अपनी आत्मकथा ‘मेरा जीवन ए-वन’ (Mera Jeevan A-one) में बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही रंगमंच पर किरदार निभाने का बहुत शौक था। एक नाटक में वे काका बने थे। नाटक सफल होने के बाद लोग उन्हें काका कहकर बुलाने लगे तभी से वे काका के नाम से मशहूर हो गए। फिर मित्रों की सलाह पर उन्होंने उसमें ‘हाथरसी’ और जोड़ दिया और तब से ‘काका हाथरसी’ के नाम से कविताएं लिखने लगे।
काका हाथरसी की प्रमुख रचनाएँ – Kaka Hathrasi Ki Rachnaye
काका हाथरसी (Kaka Hathrasi Ka Jeevan Parichay) ने अपनी हास्य रचनाओं के माध्यम से लोगों का मनोरंजन करने के साथ ही समाज में पनपते दोष, कुरीतियों, भ्रष्टाचार और राजनीतिक कुशासन की ओर भी उनका ध्यान आकृष्ट करने का काम किया था। वहीं आज भी अनेक लेखक एवं व्यंग्य कवि उनकी रचनाओं की शैली अपनाकर लाखों श्रोताओं और पाठकों का मनोरंजन कर रहे हैं। यहॉँ काका हाथरसी की प्रमुख रचनाओं के बारे में बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
प्रमुख रचनाएँ
- जय बोलो बेईमान की
- काका की चौपाल
- काका के चुटकुले
- काका की फुलझाड़ियाँ
- मीठी मीठी हंसाइयाँ
- हास्य के गुब्बारे
- श्रेष्ठ हास्य-व्यंग्य एकांकी
- काका शतक
- काका की पाती
- काका के कारतूस
- काका काकी के लव लेटर्स
- काका तरंग
आत्मकथा
- मेरा जीवन ए-वन – (Mera Jeevan A-one)
यह भी पढ़ें – काका हाथरसी की कविताएं, जो व्यंगात्मक ढंग से समाज के हर पहलू को छुएंगी
पुरस्कार एवं सम्मान
काका हाथरसी (Kaka Hathrasi Ka Jeevan Parichay) को हिंदी साहित्य में उनकी साहित्य-सेवा के लिए सरकारी और ग़ैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं :-
- कला रत्न – वर्ष 1966
- पद्म श्री – वर्ष 1985
- आनरेरी सिटीजन सम्मान – वर्ष 1989
89 वर्ष की आयु में हुआ निधन
काका हाथरसी ने दशकों तक हिंदी साहित्य में हास्य-व्यंग्य रचनाओं का सृजन किया था। किंतु यह एक संयोग ही कहा जा सकता है कि उनके जन्मदिवस के दिन ही उनकी 18 सितंबर 1995 को 89 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई। लेकिन आज भी वह अपनी हास्य रचनाओं के लिए साहित्य जगत में विख्यात हैं।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ सुप्रसिद्ध हास्य कवि काका हाथरसी का जीवन परिचय (Kaka Hathrasi Ka Jeevan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
काका हाथरसी का असली नाम प्रभुलाल गर्ग था।
काका हाथरसी का जन्म 18 सितंबर, 1906 को उत्तर प्रदेश के हाथरस जनपद में हुआ था।
उनकी माता का नाम ‘बरफ़ी देवी’ था जबकि पिता का नाम ‘शिवलाल गर्ग’ था।
वर्ष 1985 में काका हाथरसी को भारत सरकार द्वारा ‘पद्म श्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
18 सितंबर, 1995 को 89 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ था।
आशा है कि आपको हास्य सम्राट काका हाथरसी का जीवन परिचय (Kaka Hathrasi Ka Jeevan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।