Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay: जयशंकर प्रसाद आधुनिक हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार एवं निबंधकार हैं। इसके साथ ही वह हिंदी साहित्य के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उन्होंने अपनी अनुपम कृतियों के माध्यम से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है। प्रसाद जी की प्रमुख रचनाएँ हैं – स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त, अजातशत्रु, ध्रुवस्वामिनी (नाटक); कंकाल, तितली, इरावती-अपूर्ण (उपन्यास), आंधी, छाया, इंद्रजाल, प्रतिध्वनि और आकाशदीप (कहानी-संग्रह), काव्य और कला तथा अन्य निबंध (निबंध संग्रह) व झरना, लहर, कामायनी, कानन कुसुम, आंसू और प्रेमपथिक (कविताएँ)।
बता दें कि जयशंकर प्रसाद की अनेक रचनाओं को स्कूल के साथ ही बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं।
इसके साथ ही UGC/NET और UPSC परीक्षा में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब इस ब्लॉग में समादृत कवि-कथाकार और नाटककार जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय (Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | जयशंकर प्रसाद (Jaishankar Prasad) |
जन्म | 30 जनवरी, 1889 |
जन्म स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
शिक्षा | आठवीं कक्षा |
कार्यक्षेत्र | उपन्यासकार, नाटककार, कवि व निबंधकार |
विधाएँ | कविता, नाटक, उपन्यास, कहानी तथा निबंध |
भाषा | हिंदी |
साहित्यकाल | आधुनिक काल (छायावादी युग) |
पिता का नाम | बाबू देवकी प्रसाद |
माता का नाम | मुन्नी देवी |
पत्नी का नाम | कमला देवी |
संतान | रत्नशंकर प्रसाद |
स्मृति | महाकवि जयशंकर प्रसाद फ़ाउंडेशन (Mahakavi Jai Shankar Prasad Foundation) |
मृत्यु | 15 नवंबर, 1937 वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
जीवनकाल | 48 वर्ष |
This Blog Includes:
- वाराणसी में हुआ था जन्म – Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay
- आठवीं कक्षा के बाद स्वाध्याय किया अध्ययन
- Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay : जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक परिचय
- जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं – Jaishankar Prasad ki Rachnaye
- जयशंकर प्रसाद की कहानियां – Jaishankar Prasad Ki Kahaniya
- जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी गई कविताएं
- जयशंकर प्रसाद की साहित्यिक विशेषताएं
- जयशंकर प्रसाद की भाषा शैली
- जयशंकर प्रसाद के लेखन का दूरगामी प्रभाव
- जयशंकर प्रसाद को कौनसा पुरस्कार मिला था?
- Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay से संबंधित कक्षा 10 के प्रश्न उत्तर
- जयशंकर प्रसाद से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
- FAQs
वाराणसी में हुआ था जन्म – Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay
जयशंकर प्रसाद जी का जन्म 30 जनवरी, 1889 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में प्रसिद्ध और समृद्ध सुँघनी साहू परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम बाबू देवकी प्रसाद और माता का नाम मुन्नी देवी था। शिवरत्न साहु इनके पितामह थे। प्रसाद जी के ज्येष्ठ भाई का नाम शम्भुरत्न था। वहीं प्रसाद जी अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे होने के कारण सभी के प्रिय थे।
Source – Lokmat News
आठवीं कक्षा के बाद स्वाध्याय किया अध्ययन
जयशंकर प्रसाद की आरंभिक शिक्षा घर पर हुई थी। इसके बाद वह अल्प समय के लिए वाराणसी के प्रतिष्ठित क्वींस कॉलेज में पढ़ने के लिए गए। किंतु पारिवारिक स्थितियां अनुकूल न होने के कारण आठवीं के आगे औपचारिक शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाए। लेकिन स्वाध्याय द्वारा उन्होंने संस्कृत, पाली, अंग्रेजी, उर्दू और अन्य भाषाओं तथा साहित्य का गहन अध्ययन किया। इसके साथ ही वेद, उपनिषद, इतिहास, धर्मशास्त्र और पुराण का अध्ययन करते हुए उन्होंने संस्कृत और हिंदी भाषा पर अपना अधिकार बनाया। बताया जाता है कि घर में साहित्यिक माहौल होने के कारण प्रसाद जी ने केवल नौ वर्ष की अल्प आयु में ‘कलाधर’ नाम से ब्रजभाषा में एक पद की रचना की थी।
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Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay : जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक परिचय
जयशंकर प्रसाद जी के आरंभिक जीवन से ही उनका प्रेम और रुझान हिन्दी साहित्य की ओर दिखता है। उन्होंने मात्र 9 वर्ष की उम्र में अपने गुरु को “रसमय सिद्ध” सवैया लिख कर दिया था जिनका नाम था ‘कलाधर’ था। पहले उनके बड़े भाई शंभू रत्न चाहते थे कि ये अपने पैतृक व्यवसाय को संभाले लेकिन काव्य रचना की तरफ उनकी प्रेम देखते हुए उन्होंने जयशंकर प्रसाद जी को पूरी छूट दे दी। अपने बड़े भाई की सहमति और उनके आशीर्वाद के साथ वे पूरी तन्मयता के साथ हिन्दी साहित्य लेखन और काव्य रचना के क्षेत्र में लग गए।
जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं – Jaishankar Prasad ki Rachnaye
जयशंकर प्रसाद एक कवि होने के साथ-साथ सफल गद्यकार भी थे। प्रसाद जी ने हिंदी साहित्य के छायावादी युग में नाटक, कहानी, उपन्यास, कविता और निबंध आदि विधाओं में अपनी लेखनी चलाकर सर्वश्रेष्ठ रचनाओं का सृजन किया हैं। प्रसाद जी द्वारा रचित ‘कामायनी’ (1936) आधुनिक हिंदी साहित्य की श्रेष्ठतम काव्य कृति मानी जाती है। यहाँ जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय (Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
काव्य रचनाएँ
रचना काल | काव्य रचना |
1914 | प्रेमपथिक |
1927 | झरना |
1928 | करुणालय |
1928 | महाराणा का महत्त्व |
1928 | चित्राधार |
1929 | कानन कुसुम |
1933 | आँसू |
1935 | लहर |
1936 | कामायनी |
उपन्यास
- कंकाल
- तितली
- इरावती (अपूर्ण)
नाटक
- सज्जन
- कल्याणी-परिणय
- प्रायश्चित्त
- राज्यश्री
- विशाख
- अज्ञातशत्रु
- जनमेजय का नागयज्ञ
- कामना
- स्कंदगुप्त
- एक घूँट
- चंद्रगुप्त
- ध्रुवस्वामिनी।
कहानी-संग्रह
- छाया
- प्रतिध्वनि
- आकाशदीप
- आंधी
- इंद्रजाल।
निबंध
- काव्य और कला तथा अन्य निबंध।
जयशंकर प्रसाद की कहानियां – Jaishankar Prasad Ki Kahaniya
जयशंकर प्रसाद जी ने कई सर्वश्रेष्ठ कहानियां लिखीं हैं। आकाशदीप, पाप की पराजय, इंद्रजाल, करुणा की विजय और हिमालय का पथिक उनकी प्रमुख कहानियां हैं। यहां जयशंकर प्रसाद (Jaishankar Prasad Ki Lokpriya Kahaniyan) की कुछ प्रमुख कहानियों के बारे में बताया गया हैं:-
अघोरी का मोह | ग्राम | ग्राम गीत |
कला | पुरस्कार | गुलाम |
बेड़ी | प्रसाद | चूड़ीवाला |
करुणा की विजय | आकाशदीप | गुंडा |
इंद्रजाल | भिखारिन | चंदा |
रमला | पाप की पराजय | प्रलय |
अपराधी | जहाँआरा | देवदासी |
रसिया बालम | प्रतिध्वनि | नूरी |
वैरागी | प्रतिमा | बिसाती |
व्रत-भंग | हिमालय का पथिक | पत्थर की पुकार |
रूप की छाया | ममता | बिसाती |
सिकंदर की शपथ | स्वर्ग के खंडहर में | पंचायत |
जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी गई कविताएं
जयशंकर प्रसाद जी (Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay) ने कई अनुपम कविताओं का सृजन किया है। यहाँ उनकी कुछ प्रमुख कविताओं के बारे में बताया जा रहा रहा है, जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-
- पेशोला की प्रतिध्वनि
- शेरसिंह का शस्त्र समर्पण
- अंतरिक्ष में अभी सो रही है
- मधुर माधवी संध्या में
- ओ री मानस की गहराई
- निधरक तूने ठुकराया तब
- अरे!आ गई है भूली-सी
- शशि-सी वह सुन्दर रूप विभा
- अरे कहीं देखा है तुमने
- काली आँखों का अंधकार
- चिर तृषित कंठ से तृप्त-विधुर
- जगती की मंगलमयी उषा बन
- अपलक जगती हो एक रात
- वसुधा के अंचल पर
- जग की सजल कालिमा रजनी
- मेरी आँखों की पुतली में
- कितने दिन जीवन जल-निधि में
- कोमल कुसुमों की मधुर रात
- अब जागो जीवन के प्रभात
- तुम्हारी आँखों का बचपन
- आह रे,वह अधीर यौवन
- आँखों से अलख जगाने को
- उस दिन जब जीवन के पथ में
- हे सागर संगम अरुण नील
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जयशंकर प्रसाद की साहित्यिक विशेषताएं
बचपन से ही प्रसाद जी की रुचि साहित्य की ओर थी। ‘इन्दु’ नामक मासिक पत्रिका का इन्होंने संपादन किया। साहित्य जगत में इन्हें वहीं से पहचान मिली। प्रेम समर्पण कर्तव्य एवं बलिदान की भावना से ओतप्रोत उनकी कहानियों पाठक को अभिभूत कर देती है। वह हिंदी साहित्य को अपनी साधना समझते थे। महाकवि जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य में योगदान देने वाले सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में से एक थे। उन्होंने हिंदी साहित्य में अपना बहुत योगदान दिया। उन्होंने अपनी कहानियों,नाटक तथा कविताओं के जरिए हिंदी साहित्य में अपना माधुर्य बिखेरा। राजनीतिक संघर्ष तथा संकट की स्थिति में राजपुरुष का व्यवहार उन्होंने बड़ी गहराई से समझा और लिखा। आधुनिक उपन्यास के क्षेत्र में जयशंकर प्रसाद जी ने यथार्थ और आदर्शवादी रचनाकारों का सूत्रपात किया।
जयशंकर प्रसाद की भाषा शैली
हिंदी साहित्य के विख्यात रचनाकारों में से एक जयशंकर प्रसाद जी ने अपने काव्य लेखन की शुरुआत ब्रजभाषा से की थी। लेकिन धीरे -धीरे वे खड़ी बोली की तरफ भी आते गए और उनको यह भाषा शैली पसंद आती गई। इनकी रचनाओं में मुख्य रूप से भावनात्मक , विचारात्मक , इतिवृत्तात्मक और चित्रात्मक भाषा शैली का प्रयोग देखने को मिलता है । इनकी शैली अत्यंत मीठी और सरल भाषा में थी जिनको कोई भी आसानी से पढ़ और समझ सकता था।
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जयशंकर प्रसाद के लेखन का दूरगामी प्रभाव
हिन्दी काव्य में एक तरह से छायावाद की स्थापना का श्रेय जयशंकर प्रसाद को जाता है। इनके द्वारा रचित खड़ी बोली के काव्य में न केवल कमनीय माधुर्य की रससिद्ध धारा प्रवाहित हुई, बल्कि जीवन के सूक्ष्म एवं व्यापक आयामों के चित्रण की शक्ति भी संचित हुई और ‘कामायनी’ तक पहुँचकर वह काव्य प्रेरक शक्तिकाव्य के रूप में भी प्रतिष्ठित हो गया। जयशंकर प्रसाद के बाद के कई प्रगतिशील एवं नई कविता दोनों धाराओं के प्रमुख आलोचकों ने उनकी लेखनी को खूब सराहा है। इनकी वजह से ही बाद में खड़ी बोली हिन्दी काव्य की निर्विवाद सिद्ध भाषा बन गयी।
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जयशंकर प्रसाद को कौनसा पुरस्कार मिला था?
जयशंकर प्रसाद को ‘कामायनी’ की रचना के लिए ‘मंगलाप्रसाद पारितोषिक‘ प्राप्त हुआ था।
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Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay से संबंधित कक्षा 10 के प्रश्न उत्तर
Jaishankar Prasad ka jivan parichay से संबंधित क्षितिज- पाठ 6 कक्षा 10 के लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर नीचे दिए गए हैं-
1. जयशंकर प्रसाद का जन्म हुआ था?
(क) 1880 ई.
(ख) 1889 ई.
(ग) 1888 ई.
(घ) 1890 ई.
उत्तर- (ख) 1889 ई.
2. जयशंकर प्रसाद द्वारा संपादित पत्रिका का नाम क्या था?
(क) प्रभा
(ख) माधुरी
(ग) सरस्वती
(घ) इन्दु
उत्तर- (घ) इन्दु
3. जयशंकर प्रसाद के किन्हीं तीन काव्य संग्रहों के नाम बताइए?
उत्तर- लहर झरना कामायनी
4. ईश्वर की प्रशंसा का राग कौन गा रहा है?“
उत्तर-तरंगमालाएँ ईश्वर की प्रशंसा का राग गा रही हैं।
5. मनुष्य के मनोरथ कब पूर्ण होते हैं?
उत्तर-ईश्वर की दया होने पर मनुष्य के मनोरथ पूर्ण होते हैं।
6. अंशुमाली का क्या अर्थ है?
उत्तर-अंशुमाली का तात्पर्य सूर्य से है।
जयशंकर प्रसाद से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
महान लेखक और कवि जयशंकर प्रसाद का जन्म सन् 1889 ई. में हुआ तथा मृत्यु सन् 1037 ई. में हुई। बहुमुखी प्रतिभा के धनी जयशंकर प्रसाद का जन्म वाराणसी के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। बचपन में ही पिता के निधन से पारिवारिक उत्तरदायित्व का बोझ इनके कधों पर आ गया।
इरावती (उपन्यास) जयशंकर प्रसाद का अपूर्ण उपन्यास जिसका प्रकाशन उनकी मृत्यु के बाद 1940 ई. में हुआ। दो उपन्यासों में प्रसाद ने वर्तमान समाज को अंकित किया है पर इरावती में वे पुन: अतीत की ओर लौट गये थे।
जयशंकर प्रसाद जी को ‘कामायनी’ काव्य रचना के लिए ‘मंगलाप्रसाद पारितोषिक सम्मान’ प्राप्त हुआ था।
कामायनी महाकाव्य कवि प्रसाद जी की अक्षय कीर्ति का स्तम्भ है। भाषा, शैली और विषय–तीनों ही की दृष्टि से यह विश्व साहित्य का अद्वितीय ग्रन्थ है।
जयशंकर प्रसाद जी को कविता, नाटक, कहानी, उपन्यास यानी रचना की सभी विधाओं में महारत हासिल थी। उनकी कामायनी, आंसू, कानन-कुसुम, प्रेम पथिक, झरना और लहर कुछ प्रमुख कृतियां है। जयशंकर प्रसाद के पिता वाराणसी के अत्यन्त प्रतिष्ठित नागरिक थे और उन्हें एक विशेष प्रकार की सुरती (तंबाकू) बनाने के कारण ‘सुंघनी साहु’ के नाम से जाना जाता था
उनके ज्येष्ठ भ्राता का नाम शम्भू रत्न था।
गुंडा जयशंकर प्रसाद जी की रचना है।
झरना जयशंकर प्रसाद जी की रचना है।
जयशंकर प्रसाद का पहला नाटक राजश्री था।
जयशंकर प्रसाद का अंतिम काव्य ‘कामायनी’ था।
‘आँसू’ को ‘हिन्दी का मेघदूत’ कहा जाता है। प्रसाद को ‘प्रेम और सौंदर्य का कवि’ कहा जाता है।
आंसू का प्रकाशन वर्ष 1925 था।
जब कोई कवि किसी अवसर के अनुसार उसी समय कविता बनाकर सुनाएं उसे आशुकवि कहते हैं।
कवि जयशंकर प्रसाद आत्मकथा लिखने से बचना चाहते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि उनका जीवन साधारण-सा है। उसमें कुछ भी ऐसा नहीं जिससे लोगों को किसी प्रकार की प्रसन्नता प्राप्त हो सके। उनका जीवन अभावों से भरा हुआ था जिन्हें वह औरों के साथ बांटना नहीं चाहते थे।
जयशंकर प्रसाद की मृत्यु 15 नवंबर 1937 को हुई थी।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ महाकवि जयशंकर का जीवन परिचय (Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
FAQs
जयशंकर प्रसाद की मुख्य भाषा हिंदी हैं।
जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी 1889 को हुआ था।
जयशंकर प्रसाद की सर्वश्रेष्ठ रचना ‘कामायनी’ है।
जयशंकर प्रसाद के पिता का नाम बाबू देवकी प्रसाद था।
जयशंकर प्रसाद का जन्म वाराणसी में हुआ था।
आशा है कि आपको सुप्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय (Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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मुझे भी अपनी रचना पत्रिका में प्रकाशित करानी है मुझे कौन सी पत्रिका सबसे अच्छी रहेगी प्लीज सर मुझे कोई कांटेक्ट नंबर दो
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हैलो आरके निशाद, उड़ान पत्रिका व अन्य पत्रिकाओं के लिए अपनी रचनाएं भेज सकते हैं।
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मुझे भी अपनी रचना पत्रिका में प्रकाशित करानी है मुझे कौन सी पत्रिका सबसे अच्छी रहेगी प्लीज सर मुझे कोई कांटेक्ट नंबर दो
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