“इंकलाब ज़िंदाबाद” का अर्थ है “क्रांति अमर रहे।” यह एक नारा है जो आमतौर पर राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन की मांग के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह नारा ज़ुल्म और अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाता है, और एक बेहतर कल की उम्मीद का प्रतीक है। भगत सिंह और इंकलाब ज़िंदाबाद का नारा एक दूसरे से अविभाज्य रूप से जुड़े हुए हैं। भगत सिंह ने अपने जीवन और कार्यों के माध्यम से इंकलाब ज़िंदाबाद के नारे को एक शक्तिशाली प्रतीक बना दिया। भगत सिंह ने भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए क्रांतिकारी आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया। उन्होंने ज़ुल्म और अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए इंकलाब ज़िंदाबाद के नारे का इस्तेमाल किया। इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें और जानें इंकलाब जिंदाबाद शायरी के बारे में विस्तार से।
इंकलाब जिंदाबाद शायरी
इंकलाब जिंदाबाद की भावना और उत्साह को शायरी के माध्यम से व्यक्त करना गर्मी और प्रेरणा भरा होता है। यह शब्द भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बहुत महत्वपूर्ण थे और आज भी वे एक महत्वपूर्ण भाग हैं भारतीय जीवन में।
ये कुछ शायरी हैं जो इंकलाब के जज्बे को दर्शाती हैं। इन शायरी में ज़ुल्म और अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाई गई है, और इंकलाब के लिए लोगों के जूनून को दिखाया गया है। ये इंकलाब जिंदाबाद शायरी हमें प्रेरित करती हैं कि हम भी इंकलाब के लिए लड़ें और एक बेहतर कल का निर्माण करें।
इंकलाब जिंदाबाद,
यह गूंज उठी है,
आज फिर से,
देश के हर कोने में।
ज़ुल्म और अन्याय के खिलाफ,
आज फिर से,
लोगों ने उठ खड़ा किया है,
इंकलाब का नारा।
नहीं डरेंगे हम,
फांसी या गोली से,
हम करेंगे इंकलाब,
चाहे कुछ भी हो जाए।
इंकलाब की आग,
दिल में धधक रही है,
हम सब एक हैं,
इंकलाब के लिए।
अमीर और गरीब,
जाति और धर्म,
सबके बीच में,
बराबरी कायम करेंगे।
सभी एक साथ मिलकर
इंकलाब ज़िंदाबाद का जयगान करेंगे।
यह नारा है, नई सुबह का,
यह नारा है, एक बेहतर कल का।
हमारी आवाज़ सुनो, इंकलाब जिंदाबाद कहो,
दिल से जुदा नहीं, वतन से मोहब्बत कहो।
तिरंगा लहराने का सपना हमारा,
इंकलाब जिंदाबाद, यह जोश हमारा।
सपनों को अपनी आँखों में सजाओ,
इंकलाब के लिए आगे बढ़ जाओ।
हर इंसान को आज़ादी का अहसास दिलाओ,
इंकलाब जिंदाबाद का नारा चारों ओर गाओ।
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इंकलाब शायरी
इंकलाब शायरी कुछ इस प्रकार हैं, जिनका मकसद आपको क्रांति की असली परिभाषा बताना है। इंकलाब शायरी कुछ इस प्रकार हैं;
हम अम्न चाहते हैं मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़
गर जंग लाज़मी है तो फिर जंग ही सही
– साहिर लुधियानवी
हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे
जो दिल पे गुज़रती है रक़म करते रहेंगे
– फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
कुछ उसूलों का नशा था कुछ मुक़द्दस ख़्वाब थे
हर ज़माने में शहादत के यही अस्बाब थे
– हसन नईम
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए
– दुष्यंत कुमार
कोई तो सूद चुकाए कोई तो ज़िम्मा ले
उस इंक़लाब का जो आज तक उधार सा है
– कैफ़ी आज़मी
देख रफ़्तार-ए-इंक़लाब ‘फ़िराक़’
कितनी आहिस्ता और कितनी तेज़
– फ़िराक़ गोरखपुरी
ये कह रही है इशारों में गर्दिश-ए-गर्दूं
कि जल्द हम कोई सख़्त इंक़लाब देखेंगे
– अहमक़ फफूँदवी
इंक़लाब-ए-सुब्ह की कुछ कम नहीं ये भी दलील
पत्थरों को दे रहे हैं आइने खुल कर जवाब
– हनीफ़ साजिद
ऐ इंक़लाब-ए-नौ तिरी रफ़्तार देख कर
ख़ुद हम भी सोचते हैं कि अब तक कहाँ रहे
– शौकत परदेसी
इन्क़िलाबात-ए-दहर की बुनियाद
हक़ जो हक़दार तक नहीं पहुँचा
– साहिर लुधियानवी
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FAQs
भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी थे। वह अहिंसा के प्रति अपने सख्त निष्ठा और अपनी जान की क़ुर्बानी के लिए प्रसिद्ध हैं।
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के बंदे नगर गाँव में हुआ था।
भगत सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नाकोदर, पंजाब के स्कूलों से प्राप्त की और फिर वे दयाल सिंह कॉलेज, लाहौर में गए, जहाँ से उन्होंने आर्ट्स की पढ़ाई की।
फांसी के लिए तय वक्त से 12 घंटे पहले ही 23 मार्च 1931 को शाम 7 बजकर 33 मिनट पर भगत, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दे दी गई।
आशा है कि इस ब्लाॅग इंकलाब जिंदाबाद शायरी में आपको भगत सिंह के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।