सुप्रसिद्ध कथाकार ज्ञानरंजन का जीवन परिचय और साहित्यिक योगदान

1 minute read
ज्ञानरंजन का जीवन परिचय

ज्ञानरंजन आधुनिक हिंदी साहित्य में सातवें दशक के प्रमुख कथाकारों में गिने जाते हैं। हिंदी कहानी विधा में वह एक ऐसा प्रतिष्ठित नाम हैं, जिनका उल्लेख किए बिना कथा-साहित्य की चर्चा अधूरी मानी जाती है। उन्होंने हिंदी साहित्य की अनेक विधाओं में रचनाएँ की हैं। उनकी कई रचनाओं का अनुवाद भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेज़ी, पोलिश, रूसी, जापानी, फ़ारसी और जर्मन भाषाओं में भी हो चुका है।

ज्ञानरंजन ने साहित्य में अपनी अनुपम रचनाओं के साथ-साथ लगभग 35 वर्षों तक लोकप्रिय साहित्यिक पत्रिका ‘पहल’ का संपादन भी किया। हिंदी कथा-साहित्य में उनके विशिष्ट योगदान के लिए उन्हें ‘साहित्य भूषण सम्मान’, ‘सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड’, ‘मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’, ‘शिखर सम्मान’ आदि अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इस लेख में ज्ञानरंजन का जीवन परिचय और उनकी प्रमुख साहित्यिक रचनाओं की जानकारी दी गई है।

नाम ज्ञानरंजन
जन्म 21 नवंबर, 1936 
जन्म स्थान अकोला, महाराष्ट्र 
पिता का नांम श्री रामनाथ सुमन 
पत्नी का नाम श्रीमती सुनयना 
शिक्षा ‘डॉक्टर ऑफ़ लिटरेचर’ (जबलपुर विश्वविद्यालय)
पेशा लेखक, अध्यापक, संपादक 
विधाएँ कहानी, रेखाचित्र 
साहित्य काल साठोत्तरी काल 
कहानी-संग्रह फेंस के इधर और उधर, यात्रा, क्षणजीवी, सपना नहीं। 
रेखाचित्र ‘कबाड़खाना’ 
संपादन ‘पहल’ 
पुरस्कार ‘सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड’, प्रतिभा सम्मान’, ‘मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’ व ‘शिखर सम्मान’ आदि। 

महाराष्ट्र के अकोला में हुआ था जन्म

आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित लेखक ज्ञानरंजन का जन्म 21 नवंबर, 1936 को अकोला, महाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिता श्री रामनाथ सुमन एक प्रख्यात लेखक, आलोचक और कवि थे, जो गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित थे। ज्ञानरंजन का जन्म भले ही अकोला में हुआ था, लेकिन उनका बचपन महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में बीता।

ज्ञानरंजन की शिक्षा

चूंकि ज्ञानरंजन का बचपन भारत के विभिन्न राज्यों में बीता, इसलिए उनकी प्राथमिक शिक्षा कहां से हुई, इस संबंध में कोई ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। किंतु उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त की, जहां से उन्होंने बी.ए. और एम.ए. की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वर्ष 2013 में जबलपुर विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें मानद ‘डॉक्टर ऑफ़ लिटरेचर’ (D.Litt.) की उपाधि प्रदान की गई।

विस्तृत रहा कार्य क्षेत्र 

ज्ञानरंजन हिंदी साहित्य जगत में एक प्रतिष्ठित नाम हैं, जिनका कार्यक्षेत्र अत्यंत विस्तृत रहा है। वे जबलपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध जी. एस. कॉलेज (गवर्नमेंट साइंस कॉलेज), जबलपुर में हिंदी के प्रोफ़ेसर रहे और 34 वर्षों की सेवा के उपरांत वर्ष 1996 में सेवानिवृत्त हुए। इसके साथ ही उन्होंने हिंदी कथा-साहित्य में अनेक महत्वपूर्ण रचनाओं के सृजन के साथ-साथ लगभग 35 वर्षों तक लोकप्रिय साहित्यिक पत्रिका ‘पहल’ का संपादन किया।

वैवाहिक जीवन 

ज्ञानरंजन ने सुनयना जी से प्रेम विवाह किया था, जो अत्यंत सादगीपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। इस दंपति के तीन बच्चे हुए; एक बड़ा बेटा ‘पाशा’ और दो बेटियां, जिनके बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है।

ज्ञानरंजन का साहित्यिक रचनाएँ 

ज्ञानरंजन साठोत्तरी हिंदी कहानी के प्रमुख कथाकारों में गिने जाते हैं। उनका नाम आते ही एक ऐसे कहानीकार की छवि उभरती है, जिसने बहुत कम लेखन के माध्यम से साहित्य जगत में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। उनकी बहुचर्चित कहानी ‘पिता’ और रेखाचित्र ‘कबाड़खाना’ को हिंदी साहित्य में ‘मील का पत्थर’ माना जाता है। यहां उनकी संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं की सूची दी गई है:-

कहानी-संग्रह 

  • फेंस के इधर और उधर 
  • क्षणजीवी 
  • यात्रा 
  • सपना नहीं 
  • प्रतिनिधि कहानियाँ 

रेखाचित्र 

  • कबाड़खाना – वर्ष 1997 

संस्मरण 

  • तारा मंडल के नीचे एक आवारागर्द 

संपादन 

  • पहल – वर्ष 1968 

पुरस्कार एवं सम्मान 

ज्ञानरंजन को आधुनिक हिंदी कथा-साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान के लिए सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई प्रतिष्ठित पुरस्कार एवं सम्मान प्रदान किए गए हैं, जिनकी सूची इस प्रकार है:-

  • सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड
  • साहित्य भूषण सम्मान
  • सुभद्रा कुमारी चौहान – (मध्य प्रदेश साहित्य परिषद द्वारा सम्मानित)
  • शिखर सम्मान – (मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा सम्मानित)
  • मैथिलीशरण गुप्त सम्मान
  • प्रतिभा सम्मान – (भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता द्वारा सम्मानित) 
  • अनिल कुमार पुरस्कार
  • शमशेर सम्मान
  • ज्ञानगरिमा मानद अलंकरण – (भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा सम्मानित) 

FAQs

ज्ञानरंजन का जन्म कहाँ हुआ था?

ज्ञानरंजन का जन्म 21 नवंबर, 1936 को अकोला, महाराष्ट्र में हुआ था। 

कबाड़खाना, रेखाचित्र के रचनाकार का नाम क्या है?

यह ज्ञानरंजन का बहुचर्चित रेखाचित्र है जिसका प्रकाशन वर्ष 1997 में हुआ था। 

ज्ञानरंजन हिंदी साहित्य जगत में किस काल के रचनाकर माने जाते हैं?

वे आधुनिक हिंदी साहित्य में साठोत्तरी काल के प्रमुख रचनाकार माने जाते हैं। 

‘फेंस के इधर और उधर’ कहानी-संग्रह के लेखक कौन है?

यह ज्ञानरंजन का लोकप्रिय कहानी-संग्रह माना जाता है।  

आशा है कि आपको लोकप्रिय कथाकार ज्ञानरंजन का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*