Gyan Ranjan Biography in Hindi: ज्ञानरंजन आधुनिक हिंदी साहित्य में सातवें दशक के प्रमुख कथाकार माने जाते हैं। वहीं हिंदी कहानी विधा में ज्ञानरंजन एक ऐसा प्रतिष्ठित नाम है जिनके बिना कथा साहित्य की चर्चा अधूरी मानी जाती है। ज्ञानरंजन ने हिंदी साहित्य में अनेक विधाओं में साहित्य का सृजन किया है। इसके साथ ही उनकी कई रचनाओं का भारतीय भाषाओं के साथ साथ अंग्रेज़ी, पोलिश, रशियन, जैपनीज, फ़ारसी और जर्मन भाषाओं में अनुवाद हो चुका हैं।
बता दें कि ज्ञानरंजन ने साहित्य में अनुपम रचनाओं के साथ ही लगभग 35 वर्षों तक लोकप्रिय साहित्यिक पत्रिका ‘पहल’ का संपादन किया है। ज्ञानरंजन को हिंदी कथा साहित्य में अपना विशेष योगदान देने के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका हैं, जिनमें ‘साहित्य भूषण सम्मान’, ‘सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड’, ‘मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’, ‘शिखर सम्मान’ आदि शमिल हैं।
ज्ञानरंजन कि कई रचनाएँ जिनमें ‘पिता’ (कहानी), ‘क्षणजीवी’, ‘यात्रा’ (कहानी संग्रह) व ‘कबाड़खाना’ (रेखाचित्र) आदि को स्कूल के साथ ही बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी ज्ञानरंजन का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
आइए अब सुप्रसिद्ध कथाकार ज्ञानरंजन का जीवन परिचय (Gyan Ranjan Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | ज्ञानरंजन (Gyan Ranjan) |
जन्म | 21 नवंबर, 1936 |
जन्म स्थान | अकोला, महाराष्ट्र |
पिता का नांम | श्री रामनाथ सुमन |
पत्नी का नाम | श्रीमती सुनयना |
शिक्षा | ‘डॉक्टर ऑफ़ लिटरेचर’ (जबलपुर विश्वविद्यालय) |
पेशा | लेखक, अध्यापक, संपादक |
विधाएँ | कहानी, रेखाचित्र |
साहित्य काल | साठोत्तरी काल |
कहानी-संग्रह | फेंस के इधर और उधर, यात्रा, क्षणजीवी, सपना नहीं। |
रेखाचित्र | ‘कबाड़खाना’ |
संपादन | ‘पहल’ |
पुरस्कार | ‘सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड’, प्रतिभा सम्मान’, ‘मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’ व ‘शिखर सम्मान’ आदि। |
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महाराष्ट्र के अकोला में हुआ था जन्म – Gyan Ranjan Ka Jivan Parichay
आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित लेखक ज्ञानरंजन का जन्म 21 नवंबर, 1936 को अकोला, महाराष्ट्र में हुआ था। इनके पिता का नाम ‘श्री रामनाथ सुमन’ था जो कि एक प्रख्यात लेखक, आलोचक व कवि के रूप में जाने जाते थे। इसके साथ ही वह गांधीवादी विचारधारा से अधिक प्रभावित थे। बता दें कि ज्ञानरंजन का जन्म अकोला में हुआ था लेकिन उनका बचपन महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों में बीता।
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ज्ञानरंजन की शिक्षा
भारत के अलग-अलग राज्यों में बचपन बीतने के कारण ज्ञानरंजन की प्राथमिक शिक्षा कहाँ से संपन्न हुई इसके कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलते। किंतु उनकी उच्च शिक्षा ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय’ से हुई जहाँ से उन्होंने बी.ए और एमए की डिग्री प्रदान की। इसके बाद उन्हें वर्ष 2013 में ‘जबलपुर विश्वविद्यालय’ द्वारा मानद ‘डॉक्टर ऑफ़ लिटरेचर’ की उपाधि प्रदान की गई।
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विस्तृत रहा कार्य क्षेत्र
ज्ञानरंजन हिंदी साहित्य जगत में एक मशहूर नाम है जिनका कार्य क्षेत्र बहुत ज्यादा विस्तृत रहा है। बता दें कि वह ‘जबलपुर विश्वविद्यालय’ से सम्बद्ध ‘जी. एस. कॉलेज’ में हिंदी के प्रोफ़ेसर रहे और चौंतीस वर्ष की सेवा के बाद वर्ष 1996 में सेवानिवृत्त हुए। इसके साथ ही उन्होंने हिंदी कथा साहित्य में कई अनुपम रचनाओं के निर्माण के साथ साथ लगभग 35 वर्षों तक लोकप्रिय साहित्यिक पत्रिका ‘पहल’ का संपादन कार्य किया।
वैवाहिक जीवन
ज्ञानरंजन (Gyan Ranjan) का ‘सुनयना’ जी से प्रेम विवाह हुआ था। यह विवाह अत्यंत साधारण तरीके से किया गया था। ज्ञानरंजन और सुनयना जी की तीन संतान हुई, जिनमें बड़ा बेटा ‘पाशा’ और दो पुत्रियां जिनके बारे में विस्तृत जानकारी नहीं मिलती है।
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ज्ञानरंजन का साहित्यिक रचनाएँ
ज्ञानरंजन (Gyan Ranjan) साठोत्तरी कहानी के प्रमुख रचनाकरों में से एक माने जाते हैं। वहीं उनका नाम आते ही हमारे सामने उस कहानीकार का अक्स उभर कर सामने आता है, जिसने बहुत कम लिखकर साहित्य जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई। उनकी बहुचर्चित कहानी ‘पिता’ और अनूठा रेखाचित्र ‘कबाड़खाना’ हिंदी साहित्य में ‘मील का पत्थर’ माना जाता है। आइए अब हम ज्ञानरंजन की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं, जो कि इस प्रकार हैं:-
कहानी-संग्रह
- फेंस के इधर और उधर
- क्षणजीवी
- यात्रा
- सपना नहीं
- प्रतिनिधि कहानियाँ
रेखाचित्र
- कबाड़खाना – वर्ष 1997
संस्मरण
- तारा मंडल के नीचे एक आवारागर्द
संपादन
- पहल – वर्ष 1968
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पुरस्कार एवं सम्मान
ज्ञानरंजन (Gyan Ranjan Biography in Hindi) को आधुनिक हिंदी कथा-साहित्य में विशेष योगदान देने के लिए कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड
- साहित्य भूषण सम्मान
- सुभद्रा कुमारी चौहान – (मध्य प्रदेश साहित्य परिषद द्वारा सम्मानित)
- शिखर सम्मान – (मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा सम्मानित)
- मैथिलीशरण गुप्त सम्मान
- प्रतिभा सम्मान – (भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता द्वारा सम्मानित)
- अनिल कुमार पुरस्कार
- शमशेर सम्मान
- ज्ञानगरिमा मानद अलंकरण – (भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा सम्मानित)
FAQs
ज्ञानरंजन का जन्म 21 नवंबर, 1936 को अकोला, महाराष्ट्र में हुआ था।
ज्ञानरंजन के पिता का नाम ‘श्री रामनाथ सुमन’ था जो कि एक प्रख्यात लेखक, आलोचक व कवि के रूप में जाने जाते थे।
यह ज्ञानरंजन का बहुचर्चित रेखाचित्र है जिसका प्रकाशन वर्ष 1997 में हुआ था।
बता दें कि ज्ञानरंजन आधुनिक हिंदी साहित्य में साठोत्तरी काल के प्रमुख रचनाकार माने जाते हैं।
यह ज्ञानरंजन का लोकप्रिय कहानी-संग्रह माना जाता है।
फेंस के इधर और उधर, अनुभव, अमरूद का पेड़ और पिता, ज्ञान रंजन की प्रसिद्ध कहानियाँ हैं।
पिता कहानी का प्रकाशन वर्ष 1965 में हुआ था।
आशा है कि आपको ज्ञानरंजन का जीवन परिचय (Gyan Ranjan Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचयको पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।