ग्वालियर का किला: जिसे कहा जाता है भारत का जिब्राल्टर  

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ग्वालियर का किला

ग्वालियर का किला भारत के सबसे पुराने किलों में से एक है। यह भारत का तीसरा सबसे पुराना किला है। यह लगभग 3 किलोमीटर में फैला हुआ है। इस किले का निर्माण सन 727 ईस्वी में सूर्यसेन नामक एक स्थानीय सरदार ने कराया। इस किले पर कई राजपूत राजाओं ने शासन किया। यह किला मध्य प्रदेश राज्य के ग्वालियर शहर में स्थित है। यहाँ ग्वालियर के किले के बारे में विस्तृत जानकारी दी जा रही है।  

किला ग्वालियर का किला 
स्थापना 727 ईस्वी 
निर्माता सूर्यसेन 
शहर ग्वालियर 
राज्य मध्य प्रदेश 
अंतिम राजवंश सिंधिया राजवंश 
अंतिम शासक जीवाजीराव 

ग्वालियर के किले का इतिहास 

ग्वालियर के किला की नींव सूरजसेन कच्छवाहा ने रखी जिसे बाद में मान सिंह तोमर ने किले का रूप दिया। इस किले पर कई राजपूत राजवंशों का शासन रहा है, किले की स्थापना के बाद लगभग 989 वर्षों तक यह पाल वंश के राजाओं द्वारा शासित रहा। इसके बाद प्रतिहार वंश ने शासन किया। इस किले पर 1023 में मोहम्मद ग़ज़नी ने हमला किया लेकिन वह हार गया। गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबुद्दीन इबक ने 12 वीं शताब्दी में किले पर विजय प्राप्त की, लेकिन 1211 ईस्वी में वह हार गया।  

इसके बाद 1231 में गुलाम वंश के शासक इल्तुतमिश ने इस पर कब्ज़ा कर लिया। बाद में उसे तोमर राजा देववरम ने हरा दिया और किले पर कब्ज़ा करने के बाद ग्वालियर शहर में तोमर वंश की स्थापना की। इसके बाद इस किले को बाबर ने अपने अधीन किया लेकिन उसके बाद शेर शाह सूरी ने उसे हराकर ग्वालियर किले को अपने नियंत्रण में ले लिया। 1736 से 1756 तक राजा महाराजा भीम सिंह राणा ने इस किले को अपने अधीन रखा उसके बाद 1779 और 1844 के बीच अंग्रजों और सिन्धिया वंश के मध्य किले पर शासन बदलता रहा और फिर 1844 में महाराजपुर की लड़ाई के बाद पूर्ण रूप से यह किला सिन्धिया वंश ने अपने अधिपत्य में ले लिया।  

ग्वालियर के किले की शिल्पकाल 

ग्वालियर का किला अपनी शिल्पकाल के कारण सदैव दर्शनीय स्थल रहा है। इस किले के अंदर बनी सुंदर मूर्तियां, दीवारों और स्तम्भों पर उकेरी गईं सुंदर कलाकृतियां पहली नज़र में ही देखने वालों का मन मोह लेती हैं। यहाँ ग्वालियर के किले की शिल्पकारी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताया जा रहा है : 

  • किले अंदर स्थित जैन धर्म की विशाल प्रतिमाओं को पत्थरों को काटकर बनाया गया है। इन दुर्लभ प्रतिमाओं में कई ऐसी प्रतिमाएं हैं, जो विश्व में कहीं भी देखने को नहीं मिलतीं। 
  • ग्वालियर के किले में स्थित मंदिर में रखी देवी देवताओं की मूर्तियों में उनके ध्यान रूप, अध्यात्म रूप और उनकी कायोत्सर्गा मुद्रा को भी दर्शाया गया है। 
  • इस किले के अंदर दुर्लभ जैन प्रतिमाएं मौजूद हैं, जो गोपाचल पर्वत के दोनों ओर बनाई गई हैं। ये मूर्तियां मध्यकालीन शिल्पकला का लाजवाब उदाहरण हैं।  

ग्वालियर के किले के दर्शनीय स्थल 

ग्वालियर के किले के अंदर बहुत से दर्शनीय स्थल मौजूद हैं। इन में से कई मंदिर और कई ऐतिहासिक स्थल हैं। यहाँ ग्वालियर के किले के दर्शनीय स्थलों के बारे में बताया जा रहा है : 

जौहर कुंड

जौहर कुंड राजपूत स्त्रियों की वीरता की कहानी बताता है। यह उनके बलिदान का प्रतीक है। सन 1232 में इल्तुतमिश ने राजा को हराकर ग्वालियर के किले पर कब्ज़ा कर लिया था। इसके बाद राजपूत स्त्रियों ने अपने सम्मान की रक्षा के लिए आग में कूदकर आत्मदाह कर लिया था।  

गुजरी महल 

गुजरी महल एक म्यूज़ियम है। इसे राजा मान सिंह ने अपनी रानी मृगनयनी के लिए बनवाया था। संग्रहालय में दुर्लभ कलाकृतियों में पहली और दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व की हिंदू और जैन मूर्तियां शामिल हैं: सालभंजिका लघु प्रतिमा, टेराकोटा आइटम और बाग गुफाओं में देखी गई भित्तिचित्रों की प्रतिकृतियां।

सास बहु का मंदिर (पद्मनाभ मंदिर) 

इस मंदिर का निर्माण 1093 ईस्वी में हुआ था। इस मंदिर में राजा और रानी की पूजा की जाती थी। इस कारण से इसे सास बहु का मंदिर कहा जाने लगा। इस मंदिर में बहुत सुंदर नक्काशी की गई है। 

जैन मंदिर 

ग्वालियर किले के अंदर जैन तीर्थंकरों को समर्पित ग्यारह जैन मंदिर हैं। दक्षिण की ओर के 21 मंदिरों को तीर्थंकरों की नक्काशी द्वारा पत्थर में तराशा गया है।

तेली का मंदिर 

ग्वालियर के किले में स्थित जैन के मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में प्रतिहार वंश के शासक मिहिर भोज ने कराया था। ये मंदिर भारतीय शैली में बनाया गया है। इसकी ऊंचाई 90 फ़ीट के आसपास है।  

ग्वालियर का किला भारत का जिब्राल्टर क्यों कहा जाता है?

ग्वालियर किले को भारत का जिब्राल्टर कहा गया है, क्योंकि इस किले को कई सीधी लड़ाई में जीता नहीं जा सका। जब भी इस किले पर किसी आक्रमणकारी का कब्जा हुआ तो उसकी वजह विश्वासघात या सालों की घेराबंदी के बाद किले पर काबिज राजसत्ता का मजबूरी में किया गया समर्पण ही रहा था।

FAQs 

ग्वालियर के अंतिम राजा कौन थे?

ग्वालियर के अंतिम राजा जीवाजीराव थे। 

ग्वालियर किले में कितने मंदिर हैं?

ग्वालियर के किले में कुल 32 मंदिर स्थित हैं। 

ग्वालियर के किले को भारत का जिब्राल्टर क्यों कहा जाता है?

ग्वालियर किले को पूर्व का जिब्राल्टर कहा गया है, क्योंकि इस किले को कई सीधी लड़ाई में जीता नहीं जा सका। जब भी इस किले पर किसी आक्रमणकारी का कब्जा हुआ तो उसकी वजह विश्वासघात या सालों की घेराबंदी के बाद किले पर काबिज राजसत्ता का मजबूरी में किया गया समर्पण ही रहा था।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में ग्वालियर का किला के बारे में जानने को मिल गया होगा। इसी प्रकार के अन्य दुर्ग और किलों का इतिहास पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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