लेखिका Geetanjali Shree साहित्य जगत में एक प्रसिद्ध लघु कथाकार और उपन्यासकार मानी जाती है। वर्ष 2022 में उनके उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ़ सैण्ड’ (रेत समाधि) के लिए उन्हें इंटरनेशनल बुकर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। यह पहली बार था जब किसी भारतीय भाषा की रचना को यह अवॉर्ड मिला था। इसके साथ ही लेखिका गीतांजलि श्री की यह किताब किसी भी भारतीय भाषा में अवॉर्ड जीतने वाली पहली किताब बन गयी है। आपको यह जानकार भी हर्ष होगा कि हिंदी भाषा के इस उपन्यास को दुनिया की उन 13 किताबों में शुमार किया गया था जिसे बुकर प्राइज से नवाजा गया है।
आइए जानते है गीतांजलि श्री के बारे में
Geetanjali Shree का जन्म 12 जून 1957 को मैनपुरी, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके पिता ‘अनिरुद्ध पांडेय’ सिविल सर्विस में थे, इसलिए सर्विस के दौरन ट्रांसफर होने से उनके परिवार को उत्तर-प्रदेश के अलग-अलग शहरों में रहना पड़ता था। इसलिए उनकी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में हुई। बचपन में अंग्रेज़ी किताबों के अभाव के कारण उनकी दिलचस्पी हिंदी साहित्य की तरफ़ हुई और यहीं से उनका लेखिका बनने का सफर शुरू हुआ।
इसके बाद उन्होंने दिल्ली आकर दिल्ली विश्वविधालय के ‘लेडी श्रीराम कॉलेज’ से ग्रेजुएशन और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से इतिहास में ‘पोस्ट ग्रेजुएशन’ की डिग्री ली। महाराज सयाजीराव गायकवाड़ विश्वविद्यालय, वडोदरा से मुंशी प्रेमचंद और उत्तर भारत के औपनिवेशिक शिक्षित वर्ग विषय पर PhD की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद गीतांजलि श्री ने कुछ दिनों तक जामिया मिल्लिया इस्लामिया में अध्यापन के बाद सूरत के ‘सेंटर फॉर सोशल स्टडीज’ में ‘पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप रिसर्च’ के लिए गईं। वहीं रहते हुए उन्होंने शुरूआती कहानियाँ लिखनी शुरू की।
जब ‘रेत समाधि’ बुकर अवॉर्ड पाने वाली पहली पुस्तक बनी
भारतीय साहित्य जगत में ऐसे बहुत से महान और सुप्रसिद्ध साहित्यकार हुए है, जिन्होंने अपनी लेखनी और सहित्य के माध्यम से दुनिया में अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है। परंतु किसी भी लेखक या कवि को लेखन के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों में से एक हैं ‘बुकर अवॉर्ड’ नहीं मिला था। यह इंतिज़ार समाप्त हुआ वर्ष 2022 में जब लेखिका गीतांजलि श्री को उनके उपन्यास ‘रेत समाधि’ के अंग्रेज़ी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ़ सैंड’ के लिए ‘इंटरनेशनल बुकर अवॉर्ड’ विनर से सम्मानित किया गया। यह भारतीय साहित्य जगत में पहला मौक़ा था जब कोई हिंदी रचना बुकर के लिए पहले लॉन्गलिस्टेड, फिर शॉर्टलिस्टेड और बाद में बुकर से सम्मानित हुई हो। इस उपन्यास को अमेरिका की ट्रांसलेटर ‘डेज़ी रॉकवेल’ ने अंग्रेजी में ट्रांसलेट किया था।
गीतांजलि श्री की साहित्यक कृतियाँ
गीतांजलि श्री की पहली कहानी ‘बेलपत्र’ 1987 में प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘हंस’ में छपी थी। इसके बाद उनकी दो और कहानियाँ भी ‘हंस’ पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। इसके बाद वर्ष 2001 उनका पहला उपन्यास ‘माई’ आया जिसे ‘क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड’ के लिए चुना गया था। इसके कुछ बाद इनका उपन्यास ‘हमारा शहर उस बरस’ 1990 के दशक में प्रकाशित हुआ। उसके कुछ समय बाद ही ‘तिरोहित’ और ‘खाली जगह’ उपन्यास प्रकाशित हुए।
अब तक Geetanjali Shree के पाँच उपन्यास ‘माई`, ‘हमारा शहर उस बरस’, ‘तिरोहित’,’खाली जगह’ और ‘रेत-समाधि’ प्रकाशित हो चुके हैं। वहीं उनके पाँच कहानी संग्रह – ‘अनुगूंज’,’वैराग्य’,’मार्च, माँ और साकूरा’, ‘यहाँ हाथी रहते थे’ और ‘प्रतिनिधि कहानियां’ प्रकाशित हो चुकी हैं।
गीतांजलि श्री की साहित्यक उपलब्धियां
गीतांजलि श्री को अपने साहित्यिक जीवन में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें दिल्ली की हिंदी अकादमी ने उन्हें 2000-2001 के “साहित्यकार सम्मान” से सम्मानित किया है। वहीं उन्हें वर्ष 1994 में उन्हें अपने कहानी संग्रह ‘अनुगूँज’ के लिए यूनाइटेड किंगडम के ‘कथा सम्मान’ से सम्मानित किया गया। इसके आलावा उन्हें इंदु शर्मा कथा सम्मान, द्विजदेव सम्मान, जापान फाउंडेशन, चार्ल्स वॉलेस ट्रस्ट जैसे प्रतिष्ठित सम्मान के साथ ही भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और फ़ेलोशिप मिली है। वहीं वर्ष 2022 में उन्हें अपने उपन्यास ‘रेत समाधि’ के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उम्मीद है इस ब्लॉग से आपको Geetanjali Shree के बारे जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही प्रसिद्ध साहित्यकारों के बारे में ज्ञानवर्धक लेख पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।