Essay on Veer Kunwar Singh in Hindi: जानिए 100, 200 और 500 शब्दों में वीर कुंवर सिंह पर निबंध 

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Essay on Veer Kunwar Singh in Hindi

भारत की आजादी के लिए सैकड़ो वीरों और वीरांगनाओं ने अपने साहस का परचम लहराते हुए लड़ाई लड़ी। देश को अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरों से निकालने के इस संघर्ष में कई वीर शहीद भी हुए। कुछ वीरसपूतों के नाम तो हमें मुंह जुबानी याद हैं, लेकिन कुछ ऐसे वीर भी रहे हैं, जिनके बलिदान के बारे में बहुत कम ही लोगों को पता है। उन्हीं वीरों में से एक बाबु वीर कुंवर सिंह भी थे। जिनकी बहादुरी की कहानी आज हम इस लेख में बताने जा रहे हैं। इस लेख में कुंवर सिंह की वीरता की गाथा को निबंध के रूप में बताया गया है। इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें और जानें 100, 200 और 500 शब्दों में Essay on Veer Kunwar Singh in Hindi यानि वीर कुंवर सिंह पर निबंध।

वीर कुंवर सिंह पर निबंध 100 शब्दों में  

बाबु वीर कुंवर सिंह जगदीशपुर के राजपूत परिवार में जन्म लेने वाले एक महान योद्धा थे, जिन्होंने आज़ादी की पहली लड़ाई यानि की 1857 की क्रान्ति का नेतृत्व किया। उस समय कुंवर सिंह की उम्र 80 वर्ष थी, लेकिन अपनी बढ़ती उम्र की चिंता किये बिना ही वह उस समय ईस्ट इंडिया कम्पनी के विरुद्ध साहस के साथ विद्रोह का नेतृत्व कर रहे थे। 13 नवंबर 1777 को बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर गांव में जन्मे भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी वीर कुंवर सिंह ने इस क्रांति के दौरान अपनी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश सेना के कई कमांडरो को पराजित किया। 

Essay on Veer Kunwar Singh in Hindi

यह था 100 शब्दों में Essay on Veer Kunwar Singh in Hindi. 

200 शब्दों में Essay on Veer Kunwar Singh in Hindi  

200 शब्दों में Essay on Veer Kunwar Singh in Hindi कुछ इस प्रकार है –

साल 1777 और दिन था 13 नवंबर जब बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर गाँव में शूरवीर बाबू वीर कुंवर सिंह का जन्म हुआ था। उनके पिता साहबजादा सिंह राजा भोज के वंशजों में से एक थे। 1826 में पिता की मृत्यु के बाद कुंवर सिंह को जगदीशपुर का तालुकदार बनाया गया और इसके साथ साथ वह युद्ध शैली में भी बहुत कुशल हो गये और अपनी कुशलता का प्रयोग उन्होंने स्वतंत्रता की पहली लड़ाई 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ किया। उस समय वह अंग्रेजो के खिलाफ ऐसे लड़े जैसे 20 वर्ष के युवा हो लेकिन थे वह 80 वर्ष के। इस तरह 23 अप्रैल 1858 में कुँवर सिंह को विजयी प्राप्त हुई और अपने क्षेत्र भोजपुर को अंग्रेजो की चुंगल से मुक्त करवाया। यही वजह है हर साल 23 अप्रैल का दिन उनके विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है, लेकिन इस युद्ध में विजयी होने के तीन दिन बाद 26 अप्रैल 1858 को उनकी मृत्यु हो गई। कई इतिहासकारों का कहना है कि कुवर सिंह का व्यक्तिगत चरित्रअत्यंत पवित्र था। प्रजा में उनका बेहद आदर-सम्मान था।

वीर कुंवर सिंह पर निबंध 500 शब्दों में

500 शब्दों में Essay on Veer Kunwar Singh in Hindi कुछ इस प्रकार है –

प्रस्तावना

भारतीय देश कई क्रांतिकारों के कारनामों से भरा है जिन्होंने देश को नई दिशा दी थी। भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों को लगभग हर कोई जनता है लेकिन भारत के इतिहास में कुछ क्रान्तिकारी ऐसे भी थे जिन्हें कम ही लोग जानते हैं। बाबू वीर कुंवर सिंह उनमें से एक थे, जो 80 वर्ष की उम्र में भी भारत की आज़ादी के लिए अंग्रेजो से लड़े और जीत भी हासिल की। भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रान्तिकारी कुंवर सिंह ने 1857 में जगदीशपुर गाँव को अंग्रेजों के कब्जे से आजाद करवा कर वहां राष्ट्रीय ध्वज फहराया था।  

वीर कुंवर सिंह का जीवन परिचय

13 नवंबर, 1777 को बिहार राज्य के भोजपुर जिले में वीर कुंवर सिंह का जन्म हुआ था। कुंवर सिंह का जन्म एक राजपूत जमींदार परिवार में हुआ था। उनके पिता राजा शाहबजादा सिंह जगदीशपुर के जमींदार और योद्धा थे जो अपनी वीरता और साहस के लिए जाने जाते थे। राजा शाहबजादा सिंह के 4 पुत्र थे जो उन्हीं की तरह प्रसिद्ध योद्धा भी थे। उन पुत्रों में सबसे छोटे वीर कुंवर सिंह थे। योद्धा परिवार में जन्म होने के कारण कुंवर सिंह को भी कम उम्र से ही घुड़सवारी, तलवारबाजी और तीरंदाजी सहित युद्ध के विभिन्न पहलुओं की ट्रेनिंग दी गयी। इन सब के अलावा वीर कुंवर सिंह को कविता और संगीत में गहरी रुचि थी, जिसे उन्होंने जीवन भर जारी रखा।

1857 की क्रांति क्या थी

ब्रिटिश का अत्याचार बढ़ा और भारतीयों का आक्रोश जिसने 1857 ई. की क्रांति को हवा दी। 1857 की क्रांति ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को खत्म करने के लिए की गई थी। इस क्रांति के एक नहीं बल्कि कई कारण थे जिनमें राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक तथा धार्मिक, सैनिक एवं तात्कालिक कारण शामिल है। इस क्रांति के बाद देश में कई बदलाव आये जैसे भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त हो गया,  भारत के गवर्नर जनरल को वायसराय बना दिया गया, भारत में मुगल सत्ता का अंत हो गया आदि। यानी कि इस क्रांति ने अंग्रेजों को हिला कर रख दिया।

उपसंहार

1857 का यह विद्रोह भारत का एक महत्वपूर्ण विद्रोह था जिसे भारतीय स्वतंत्रता के पहले युद्ध के रूप में भी जाना जाता है और इसी युद्ध में वीर कुंवर सिंह एक प्रमुख नेता थे। वीर कुंवर सिंह ने इस दौरान बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके नेतृत्व और बहादुरी से आंदोलन में शामिल कई अन्य लोग भी प्रेरित हुए थे। जिस कारण ही ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के अंत हो सका। वीर कुंवर सिंह जैसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आज भी भारतीयों की पीढ़ियों को प्रेरित करते हैं।

वीर कुंवर सिंह पर कोट्स

वीर कुंवर सिंह पर निबंध जान लेने के बाद आइये जान लेते हैं कुछ वीर कुंवर सिंह पर कोट्स –

  • अस्सी वर्ष की आयु थी उनकी, और लहू राजपूताना था
    वो वीर कुवर सिंह थे, जिनको सबने फिर से भीष्म पितामह माना था।
  • इतिहास में गूंजता नाम है बाबु वीर कुँवर सिंह,
    शेर की दहाड़ थे बाबु वीर कुँवर सिंह,
    देश के वीर जवान थे बाबु वीर कुँवर सिंह,
    आज भी हर किसी के रोंगटे खड़े करदे ऐसे विचार के थे बाबु वीर कुँवर सिंह।।
  • गूंज रहा है दुनिया में जीत का नगाड़ा,
    चमक रहा है आसमान में भारत का सितारा,
    आजादी के लिए लड़ने वाले उन वीरों को नमन,
    जिनके कारण लहरा रह तिरंगा हमारा।
  • ना घर मेरा, ना शहर मेरा,
    ना ही बड़ा है नाम मेरा,
    मुझे तो इस बात का गर्व है,
    मै हिन्दुस्तान का हूँ और हिन्दुस्तान है मेरा।
  • शूरवीरों की तरह जंग लड़े वो,
    फिर खून खौल फौलाद हुआ।
    आखिरी दम तक मैदान में डटे रहे वो,
    तब ही तो हमारा देश आजाद हुआ ।।

वीर कुंवर सिंह से जुड़े कुछ तथ्य 

वीर कुंवर सिंह से जुड़े कुछ तथ्य इस प्रकार हैं –

वीर कुंवर सिंह पर निबंध
  • वीर कुंवर सिंह को उस समय में स्वतंत्रता संग्राम का बूढ़ा शेर कहा जाता था, क्योंकि 80 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने क्षेत्र शाहाबाद (अब उत्तर प्रदेश में) को अंग्रेजों के चुंगल से मुक्त कराया था। 
  • उन्हें साल 1857 के महासंग्राम का सबसे बड़ा योद्धा कहा जाता है।
  • वीर कुंवर सिंह मालवा के सुप्रसिद्ध शासक महाराजा भोज के वंशज थे।
  • अंग्रेजों का सामना करने के दौरान उनके हाथ में गोली लगी थी, जिसके बाद उन्होंने अपना हाथ खुद ही काट लिया था और डटकर अंग्रेजो का सामना करते रहे।
  • बिहार सरकार द्वारा हर साल 23 अप्रैल को वीर कुंवर सिंह के ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

FAQ 

वीर कुंवर सिंह का जन्म कब हुआ था?

वीर कुंवर सिंह का जन्म 13 नवंबर 1777 में हुआ था। 

वीर कुंवर सिंह के घोड़े का नाम क्या था?

वीर कुंवर सिंह के घोड़े का नाम ‘शुभ्रक’ था।

कुंवर सिंह ने आरा पर कब विजय प्राप्त की?

कुंवर सिंह ने 27 जुलाई 1857 को अंग्रेजो को हारकर, आरा पर विजय प्राप्त की। 

1857 के विद्रोह में कुंवर सिंह की क्या भूमिका थी?

वीर कुंवर सिंह (1857-58) के वीर नायकों में से एक थे। उन्होंने 1857 के विद्रोह के दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिकों का डटकर मुकाबला किया।

वीर कुंवर सिंह की मृत्यु कब हुई थी?

26 अप्रैल, 1858 को 80 वर्ष की आयु में वीर कुंवर सिंह का निधन हो गया।

आशा करते हैं कि आपको वीर कुंवर सिंह पर निबंध, Essay on Veer Kunwar Singh in Hindi के इस ब्लाॅग में वीर कुंवर सिंह के बारें में जानकारी मिल गयी होगी। इसी तरह के अन्य निबंध से सम्बंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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