ढोल के अंदर पोल मुहावरे का अर्थ (Dhol Ke Andar Pol Muhavare Ka Arth) बाहर से दिखावा कुछ और भीतर से गुण कुछ भी नहीं। जब कोई चीज या व्यक्ति बाहर से बेहतर दिखाई देता है, लेकिन अंदर से उसकी वास्तविकता कुछ और ही होती है, तो ऐसी स्थिति को हम कहते हैं ढोल के अंदर पोल। इस ब्लाॅग में आप मुहावरे का अर्थ, वाक्यों में प्रयोग और इसके भाव के बारे में जानेंगे।
मुहावरे किसे कहते हैं?
किसी विशेष शब्द के अर्थ को आम जन की भाषा में समझाने के लिए जिस वाक्यांश का प्रयोग किया जाता है उसे ‘मुहावरा’ कहते हैं। इसमें वाक्यांश का सीधा-सीधा अर्थ न लेकर बात को घुमा फिराकर कहा जाता है। इसमें भाषा को थोड़ा मजाकिया, प्रभावशाली और संक्षिप्त रूप में कहा जाता है।
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ढोल के अंदर पोल मुहावरे का अर्थ क्या है?
ढोल के अंदर पोल मुहावरे का हिंदी अर्थ (Dhol Ke Andar Pol Muhavare Ka Arth) ‘बाहर से दिखावा कुछ और भीतर से गुण कुछ भी नहीं’ होता है।
ढोल के अंदर पोल मुहावरे का वाक्यों में प्रयोग
ढोल के अंदर पोल मुहावरे का वाक्यों में प्रयोग (Dhol Ke Andar Pol Muhavare Ka Arth) इस प्रकार है –
- बड़ी-बड़ी कंपनियों के विज्ञापन दिखने में तो आकर्षक होते हैं, लेकिन जब उन कंपनियों के काम करने के तरीके जगजाहिर हुए, वैसे ही वो ढोल के अंदर पोल जैसे निकले।
- टीम में होने वाले नए बदलाव हुए शुरुआत में तो सब कुछ ठीक लगे, लेकिन धीरे-धीरे ढोल के अंदर पोल का पता चलने लगा।
- कई लोग दिखावा बहुत करते हैं, लेकिन बाद में पता चलता है कि ऐसे लोग ढोल के अंदर पोल के समान ही थे।
- टीम के लिए मुकेश की बनाई गई योजना सुनने में तो बहुत अच्छी थी, लेकिन योजना को लागू करने पर ढोल के अंदर पोल साफ-साफ दिखाई देने लगी।
- देवांग की बड़ी-बड़ी बातें सुनने में तो अच्छी लगती हैं, लेकिन असल में ये ढोल के अंदर पोल जैसी हैं।
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आशा है कि आपको ढोल के अंदर पोल मुहावरे का अर्थ (Dhol Ke Andar Pol Muhavare Ka Arth) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। हिंदी मुहावरों के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।