Biography of Mirza Ghalib in Hindi: उर्दू और फ़ारसी भाषा के महान शायर ‘मिर्ज़ा असदउल्लाह बेग ख़ान’ जिन्हें हम ‘मिर्ज़ा ग़ालिब’ के नाम से जानते हैं। वह अपनी सदाबहार शायरी के लिए भारत के साथ ही पूरी दुनिया में विख्यात हैं। शायद आप जानते ही होंगे कि मिर्ज़ा गालिब ‘बहादुर शाह ज़फर द्वितीय’ के दरबार के महत्त्वपूर्ण कवियों में से एक थे। उन्होंने ही मिर्ज़ा ग़ालिब को ‘मिर्ज़ा नौशा’ की उपाधि से नवाजा था जिसके बाद ग़ालिब के नाम के साथ हमेशा के लिए ‘मिर्ज़ा’ शब्द जुड़ गया।
बता दें कि मिर्ज़ा ग़ालिब की काव्य रचनाओं को विद्यालय के साथ ही बीए और एमए के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं बहुत से शोधार्थियों ने मिर्ज़ा ग़ालिब के साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में उर्दू विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी मिर्ज़ा ग़ालिब का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
आइए अब हम उर्दू के महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब का जीवन परिचय (Biography of Mirza Ghalib in Hindi) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मूल नाम | मिर्ज़ा असदउल्लाह बेग ख़ान |
उपनाम | ‘ग़ालिब’ (Mirza Ghalib) |
जन्म | 27 दिसंबर, 1797 |
जन्म स्थान | आगरा, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | मिर्ज़ा अबदुल्लाह बेग़ खान |
माता का नाम | इज्जत उत निसा बेगम |
पत्नी का नाम | उमराव बेगम |
पेशा | शायर, शिक्षक |
गुरु | बहादुर शाह ज़फर द्वितीय (शिष्य) |
उपाधि | ‘दबीर-उल-मुल्क’, ‘नज़्म-उद-दौला’ व ‘मिर्ज़ा नोशा’ |
निधन | 15 फरवरी, 1869 |
This Blog Includes:
- आगरा में हुआ था जन्म – Mirza Ghalib in Hindi
- 11 साल की उम्र में लिखी पहली शायरी
- बालयवस्था में हुआ विवाह
- ‘बहादुर शाह ज़फर द्वितीय’ के रहे शिक्षक
- जब नाम के साथ जुड़ गया ‘मिर्ज़ा’
- दिल्ली में हुआ निधन
- ग़ालिब मेमोरियल
- मिर्ज़ा ग़ालिब के 10 मशहूर शेर – Mirza Ghalib Shayari in Hindi
- पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
- FAQs
आगरा में हुआ था जन्म – Mirza Ghalib in Hindi
उर्दू अदब के महान शायर ‘मिर्ज़ा असदउल्लाह बेग ख़ान’ यानी ‘मिर्ज़ा ग़ालिब’ का जन्म 27 दिसंबर, 1797 को उत्तर प्रदेश के आगरा में तुर्की वंश के एक अभिजात परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘मिर्ज़ा अबदुल्लाह बेग़ खान’ और माता का नाम ‘इज्जत उत निसा बेगम’ था। बताया जाता है कि जब ग़ालिब मात्र 5 वर्ष के थे उस दौरान उनके पिता का निधन हो गया जिसके बाद उनका पालन पोषण उनके चाचा ‘मिर्ज़ा नसरूल्लाह बेग खान’ ने किया। किंतु उनका भी कुछ वर्ष बाद देहांत हो गया। फिर वह अपने ननिहाल आ गए और इस तरह उनका शुरूआती जीवन संघर्षमय रहा।
11 साल की उम्र में लिखी पहली शायरी
मिर्ज़ा ग़ालिब की प्रारंभिक शिक्षा उनके ननिहाल में ही हुई। उनकी मातृभाषा उर्दू थीं लेकिन तुर्की और फारसी भाषा में भी उन्हें महारत हासिल थी। माना जाता है कि महज 11 वर्ष की आयु में मिर्ज़ा ग़ालिब ने अपनी पहली शायरी लिखी थीं। बताया जाता है कि ग़ालिब ने अरबी, दर्शन और तर्कशास्त्र का भी अध्ययन किया था।
बालयवस्था में हुआ विवाह
13 वर्ष की बाल्यावस्था में मिर्ज़ा ग़ालिब का विवाह नवाब ईलाही बख्श की बेटी ‘उमराव बेगम’ से हुआ था। विवाह के पश्चात ग़ालिब दिल्ली आ गए और यहीं अपना जीवन बिताया। बता दें कि ग़ालिब को 7 संतानों का पिता बनने का अवसर प्राप्त हुआ था किंतु उनकी कोई भी संतान अधिक समय तक जीवित नहीं सकी। ग़ालिब ने इस दुःख का जिक्र अपनी कई रचनाओं में भी किया है।
‘बहादुर शाह ज़फर द्वितीय’ के रहे शिक्षक
मिर्ज़ा गालिब ‘बहादुर शाह ज़फर द्वितीय’ के दरबार के महत्त्वपूर्ण कवियों में से एक थे। वहीं खुद भी शायरी का शौक रखने वाले बहादुर शाह ज़फर द्वितीय ने काव्य सीखने के उद्देश्य से वर्ष 1854 में मिर्ज़ा ग़ालिब को अपना शिक्षक नियुक्त किया था। इसके बाद वह बादशाह के पुत्र ‘फखरूदीन मिर्ज़ा’ के भी शिक्षक रहे। शिक्षण के साथ ही ग़ालिब ने मुग़ल दरबार में शाही इतिहासविद के रूप में भी कार्य किया था।
जब नाम के साथ जुड़ गया ‘मिर्ज़ा’
‘बहादुर शाह ज़फर द्वितीय’ ने अपने शासनकाल में मिर्ज़ा ग़ालिब को “दबीर-उल-मुल्क” (Dabeer-ul-Mulk) और “नज्म-उद-दौला” (Najm-ud-Daulah) के शाही खिताब से नवाजा था। वहीं बाद में उन्हें “मिर्ज़ा नौशा” की उपाधि से सम्मानित किया गया जिसके बाद से ग़ालिब के नाम के आगे ‘मिर्ज़ा’ शब्द जुड़ गया।
दिल्ली में हुआ निधन
विश्व में मिर्ज़ा ग़ालिब को उर्दू और फारसी के महान शायर के रूप में जाना जाता है। जिन्होंने अपनी शायरी और अंदाज-ए-बयान से सभी के दिल में अपनी एक खास जगह बनाई थी। उर्दू अदब को रौशन करने वाले मिर्ज़ा ग़ालिब का 15 फरवरी, 1869 को दिल्ली में निधन हो गया।
ग़ालिब मेमोरियल
बता दें कि आगरा में ग़ालिब के जन्मस्थान को इंद्रभान गर्ल्स इंटर कॉलेज (Indrabhan Girl’s Inter College) में बदल दिया गया है। वहीं जिस कमरे में ग़ालिब का जन्म हुआ था उस स्थान को वर्तमान में सुरक्षित रखा गया है। इसके साथ ही सरकार ने दिल्ली के चांदनी चौक के बल्लीमारान इलाके के कासिम जान गली में स्थित गालिब के घर को ‘ग़ालिब मेमोरियल’ (Mirza Ghalib Memorial) में तब्दील कर दिया गया है। जहाँ आज भी दुनियाभर से साहित्य प्रेमी उनके घर और उनकी विरासत को देखने के लिए आते हैं।
मिर्ज़ा ग़ालिब के 10 मशहूर शेर – Mirza Ghalib Shayari in Hindi
यहाँ रेख़्ता के मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब का जीवन परिचय (Biography of Mirza Ghalib in Hindi) के साथ ही उनके कुछ लोकप्रिय शेरों (Mirza Ghalib Shayari in Hindi) के बारे में भी बताया जा रहा है। जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
– मिर्ज़ा ग़ालिब
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता
– मिर्ज़ा ग़ालिब
रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो ‘ग़ालिब’
कहते हैं अगले ज़माने में कोई ‘मीर’ भी था
– मिर्ज़ा ग़ालिब
हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे
कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और
– मिर्ज़ा ग़ालिब
मौत का एक दिन मुअय्यन है
नींद क्यूँ रात भर नहीं आती
– मिर्ज़ा ग़ालिब
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ
रोएँगे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यूँ
– मिर्ज़ा ग़ालिब
ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह
कोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता
– मिर्ज़ा ग़ालिब
पूछते हैं वो कि ‘ग़ालिब’ कौन है
कोई बतलाओ कि हम बतलाएँ क्या
– मिर्ज़ा ग़ालिब
रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं
– मिर्ज़ा ग़ालिब
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
– मिर्ज़ा ग़ालिब
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ रेख़्ता के महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब का जीवन परिचय (Biography of Mirza Ghalib in Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
उनका मूल नाम ‘मिर्ज़ा असदउल्लाह बेग ख़ान’ था।
मिर्ज़ा ग़ालिब’ का जन्म 27 दिसंबर, 1797 को उत्तर प्रदेश के आगरा में तुर्की वंश के एक अभिजात परिवार में हुआ था।
मिर्ज़ा ग़ालिब ‘बहादुर शाह ज़फर द्वितीय’ के गुरु थे।
मिर्ज़ा ग़ालिब की पत्नी का नाम ‘उमराव बेगम’ था।
मिर्ज़ा ग़ालिब का निधन 15 फरवरी, 1869 को दिल्ली में हुआ था।
आशा है कि आपको रेख़्ता के महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब का जीवन परिचय (Biography of Mirza Ghalib in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।