इतिहास की दृष्टि से राजस्थान अत्यंत समृद्ध राज्य है। यह राज्य पृथ्वीराज चौहान, राणा कुंभा, राणा सांगा और राणा प्रताप जैसे प्रतापी राजाओं का जन्म स्थान है जिन्होंने अपने पराक्रम से राजस्थान व भारत को विदेशी आक्रान्ताओं से बचाने में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। इन्हीं वीर योद्धाओं में से एक थे “बप्पा रावल” (Bappa Rawal) जिनके डर से 400 वर्षों तक विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत आने की हिम्मत नहीं दिखाई। Bappa Rawal in Hindi के इस ब्लॉग में हम आपको बप्पा रावल की शौर्यगाथा को बताएंगे और साथ ही जानेंगे कि उनका इतिहास में क्या योगदान रहा है।
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बप्पा रावल का आरंभिक जीवन
बप्पा रावल के बारे में इतिहास में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। बहुत से इतिहासकारों ने अपनी किताबों में उनका थोड़ा बहुत वर्णन किया है जिससे यह पता चलता है कि बप्पा रावल को ‘कालाभोज’ के नाम से भी जाना जाता है। इतिहासकारों के मुताबिक उनका जन्म 713 ईस्वी में ईडर (उदयपुर) में हुआ था। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार बप्पा रावल (Bappa Rawal) का बचपन बहुत कठिनाइयों से भरा हुआ था। जब वह काफी छोटे थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। इतिहासकारों के मुताबिक उनके पिता की मृत्यु भीलों से संघर्ष के दौरान हुई थी।
बप्पा रावल का शासनकाल
बप्पा रावल (Bappa Rawal) को मेवाड़ के ‘गुहिल वंश’ का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। उन्होंने चित्तौड़ में मौर्य साम्राज्य का अंत करके गुहिल वंश की नींव रखी थी लेकिन वह राज्य को अपना नहीं मानते थे, बल्कि शिवजी के एक रूप ‘एकलिंग जी’ को ही उसका शासक मानते थे और खुद को उनका प्रतिनिधि। ऐसे में उन्होंने इसी तरह लगभग 20 वर्ष तक शासन किया। बप्पा रावल को मेवाड़ राजवंश के संस्थापक होने के साथ ही उन्हें ‘हिन्दुआ सूरज’ से भी जाना जाता था।
बप्पा रावल (Bappa Rawal) ने करीब 25 साल तक चित्तौड़ पर शासन किया और कश्मीर, कन्धार, ईराक, ईरान, तुरान जैसे राज्यों को पराजित किया। इतिहास में उल्लेखित है कि उनका पहला विवाह नागेन्द्र नगर की राजकुमारी से हुआ था। बप्पा रावल (Bappa Rawal) के समय के ऐतिहासिक प्रमाण बहुत कम मिलते हैं लेकिन एक बात स्पष्ट है कि उनके शासनकाल के दौरान उन्होंने विदेशी हमलावरों को कई बार ऐसी करारी शिकश्त दी कि अगले 400 वर्षों तक किसी भी मुस्लिम शासक की हिम्मत भारत की ओर आंख उठाकर देखने की नहीं हुई।
बप्पा रावल की मृत्यु
Bappa Rawal in Hindi के इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि बप्पा रावल की मृत्यु कब हुई। तो आपको बता देते हैं कि इस संबंध में भी इतिहास में कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिलती। कुछ इतिहासकारों के अनुसार ये माना जाता है कि सौ साल जीवित रहने के बाद बप्पा ने 810 ईस्वी में सन्यास ले लिया था और उसके बाद उनका देहांत मेवाड़ के ‘नागदा’ में हुआ। वहीं पर उनका समाधी स्थल भी बना हुआ है।
FAQs
इतिहासकारों के मुताबिक, बप्पा रावल की लगभग 100 पत्नियां थीं, जिनमें 35 मुस्लिम रानी थीं।
बप्पा रावल ही मेवाड़ के सबसे पहले राजा थे।
इतिहास में उल्लेखित है कि बप्पा रावल का जन्म 713-14 ई. में उदयपुर में हुआ था।
बप्पा रावल के बचपनका नाम राजकुमार कालाभोज था।
बप्पा रावल गहलौत राजपूत वंश के आठवें शासक थे लेकिन शासक बनने के बाद उन्होंने अपने वंश का नाम ग्रहण नहीं किया, बल्कि मेवाड़ वंश के नाम से नया राजवंश चलाया और चित्तौड़ को अपनी राजधानी बनाई।
आशा है कि आपको Bappa Rawal in Hindi के इस लेख से सभी आवश्यक जानकारी मिल गयी होगी। ऐसे ही इतिहास से संबंधित अन्य ब्लॉग्स को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।