बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ आधुनिक हिंदी साहित्य के द्विवेदीयुगीन कवि, गद्यकार और प्रख्यात पत्रकार थे। ‘नवीन’ जी ने साहित्य में अनुपम कृतियों का सृजन करने के साथ ही भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया, जिसके कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। उन्होंने ‘प्रताप’ और ‘प्रभा’ जैसे प्रतिष्ठित पत्रों का संपादन किया था। ‘अपलक’, ‘कुमकुम’, ‘क्वासि’, ‘रश्मिरेखा’, ‘विनोबा स्तवन’ और ‘उर्मिला’ उनके लोकप्रिय काव्य-संग्रह हैं। साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1960 में देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया था। इस लेख में बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ का जीवन परिचय और उनकी प्रमुख रचनाओं की जानकारी दी गई है।
| नाम | बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ |
| उपनाम | ‘नवीन’ |
| जन्म | 08 दिसंबर, 1897 |
| जन्म स्थान | शाजापुर जिला, मध्य प्रदेश |
| पिता का नाम | जमनादास शर्मा |
| माता का नाम | राधाबाई |
| शिक्षा | स्नातक |
| कार्य क्षेत्र | कवि, गद्यकार, राजनीतिज्ञ व पत्रकार |
| भाषा | ब्रजभाषा, खड़ीबोली, संस्कृत |
| विधा | कविता, गद्य साहित्य |
| मुख्य रचनाएँ | अपलक, कुमकुम, क्वासि, रश्मिरेखा, विनोबा स्तवन और उर्मिला आदि। |
| संपादन | प्रताप, प्रभा (पत्र) |
| पुरस्कार एवं सम्मान | ‘पद्म भूषण’ (1960) |
| निधन | 29 अप्रैल, 1960 |
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मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में हुआ था जन्म
हिंदी साहित्य में प्रगतिशील लेखन के मूर्धन्य कवि पंडित बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ का जन्म 8 दिसंबर, 1897 को मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में हुआ था। इनके पिता का नाम ‘जमनादास शर्मा’ और माता का नाम ‘राधाबाई’ था। वर्ष 1917 में स्कूली शिक्षा पूर्ण कर ‘नवीन’ जी गणेशशंकर विद्यार्थी के कानपुर आश्रम में रहकर स्नातक की पढ़ाई करने गए। वहीं अध्ययन काल में ही वे युगीन साहित्यिक वातावरण तथा राष्ट्रीय आंदोलन की गतिविधियों में सक्रिय रुचि लेने लगे। इसी दौरान वे ‘लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक’, ‘श्रीमती एनी बेसेंट’ और ‘गणेशशंकर विद्यार्थी’ के संपर्क में आए। साथ ही कांग्रेस के अधिवेशनों में भी उन्होंने विधिवत भाग लिया।
इसके साथ ही वे कानपुर से गणेशशंकर विद्यार्थी के संपादन में प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘प्रताप’ का नियमित अध्ययन भी करते थे। इस दौरान वे प्रतिष्ठित साहित्यकार ‘माखनलाल चतुर्वेदी’ और ‘मैथिलीशरण गुप्त’ के संपर्क में भी आए।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में लिया भाग
वर्ष 1920 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में जब संपूर्ण राष्ट्र में असहयोग आंदोलन आरंभ हुआ, तब बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ ने भी अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी और सक्रिय रूप से स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित हो गए। वर्ष 1921 से 1945 के बीच उन्हें छह बार जेल जाना पड़ा। यद्यपि वे जीवनपर्यंत राजनीति से जुड़े रहे, किंतु साहित्य-साधना भी निरंतर चलती रही।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उन्होंने 1952 से 1957 तक पहली लोकसभा में कानपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और 1957 से अपने निधन तक राज्यसभा के सदस्य रहे। वर्ष 1955 में उन्हें ‘राजभाषा आयोग’ का सदस्य भी नियुक्त किया गया था।
पत्रकारिता में दिया योगदान
माना जाता है कि वर्ष 1917 में गणेशशंकर विद्यार्थी के संपर्क में आने के पश्चात ही बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ की लेखन यात्रा ने एक व्यवस्थित रूप लिया। इस काल में उनकी संबद्धता विद्यार्थी जी द्वारा संपादित पत्र ‘प्रताप’ से हुई, जिससे उनका जुड़ाव जीवनपर्यंत बना रहा। वर्ष 1921 से 1923 तक उन्होंने हिंदी की राष्ट्रीय काव्य-धारा को पुष्ट करने वाली पत्रिका ‘प्रभा’ का संपादन किया।
वहीं, वर्ष 1931 में गणेशशंकर विद्यार्थी के निधन के पश्चात उन्होंने ‘प्रताप’ के प्रधान संपादक का उत्तरदायित्व संभाला। इन पत्रों में प्रकाशित उनकी संपादकीय टिप्पणियां अपनी निर्भीकता, स्पष्टता और ओजपूर्ण शैली के लिए आज भी स्मरणीय हैं।
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बालकृष्ण शर्मा नवीन की प्रमुख रचनाएँ
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ जी ने हिंदी साहित्य की अनेक विधाओं में लेखन कर उसे समृद्ध करने का कार्य किया। आधुनिक हिंदी कविता के विकास में उनका स्थान अविस्मरणीय है। उनकी कविताओं में भक्ति-भावना, राष्ट्र-प्रेम और विद्रोह का स्वर प्रमुखता से उभरता है। ‘नवीन’ जी ने ब्रजभाषा के प्रभाव से युक्त खड़ी बोली हिंदी में काव्य-रचना की है। नीचे उनकी समग्र साहित्यिक कृतियों की सूची दी गई है:-
काव्य-संग्रह
- कुमकुम
- अपलक
- रश्मिरेखा
- क्वासि
- विनोबा स्तवन
- उर्मिला
- हम विषपायी जन्म के
- प्राणार्पण
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‘पद्म भूषण’ से किया गया सम्मानित
साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार ने बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ जी को वर्ष 1960 में देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया था। वर्ष 1989 में भारतीय डाक विभाग ने उनके सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया था।
62 वर्ष की आयु में हुआ था निधन
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ जी का 29 अप्रैल 1960 को 62 वर्ष की आयु में निधन हुआ था, किंतु अपनी लोकप्रिय रचनाओं के लिए वे आज भी साहित्य-जगत में स्मरण किए जाते हैं।
FAQs
बालकृष्ण शर्मा नवीन का जन्म मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में 08 दिसंबर 1897 को हुआ था।
रश्मिरेखा, कवि बालकृष्ण शर्मा नवीन की रचना हैं।
उनका प्रथम काव्य संग्रह ‘कुंकुम’ है जिसका प्रकाशन वर्ष 1936 में हुआ था।
यह बालकृष्ण शर्मा नवीन का लोकप्रिय काव्य-संग्रह है।
बालकृष्ण शर्मा नवीन का 29 अप्रैल 1960 को 62 वर्ष की आयु में निधन हुआ था।
आशा है कि आपको इस लेख में साहित्य और पत्रकारिता के ध्वजवाहक बालकृष्ण शर्मा नवीन का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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