हम जब भी राष्ट्र शब्द सुनते, लिखते या पढ़ते हैं, तो हमारे जहन में जो छवि बनती है वो एक ऐसे राष्ट्र की बनती है, जिसने हमें वसुधैव कुटुंबकम की परिभाषा के माध्यम से हर शरणार्थी को सम्मान से देखना सिखाया है। ऐसा राष्ट्र जिसने हमें सामान अधिकार देकर वीरों की भातिं जीवन जीना सिखाया। वह राष्ट्र कोई और नहीं बल्कि अपनी मातृभूमि-अपना “भारत” राष्ट्र ही है। राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण लिखकर या पढ़कर आप भारत की अखंडता का संकल्प ले सकते हैं।
राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण का यह ब्लॉग आपको समझायेगा कि आखिर क्यों हमें राष्ट्रवादी होने की आवश्यकता है, कि आखिर क्यों हमें यह अंतर समझने की आवश्यकता है कि भारत केवल एक देश नहीं, बल्कि एक जीवंत राष्ट्र है। इस ब्लॉग के माध्यम से आप आज जानेंगे कि अपनी मातृभूमि, अपनी मातृभाषा और अपनी स्वतंत्रता को बचाये रखने के लिए, खुद के भविष्य को संरक्षित रखने के लिए राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता क्यों है?
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राष्ट्र का सही अर्थ क्या है?
यूँ तो राष्ट्र शब्द को परिभाषित करने के लिए लोगों ने अपनी बौद्धिक क्षमता के आधार पर, अनेकों कथन कहे या अनेकों प्रकार से इसको परिभाषित किया। लेकिन यदि हम इस शब्द का अर्थ समझने का प्रयास करे तो यह कुछ ऐसा होगा कि चेतना को प्राप्त करने की वह यात्रा, जो खुद में संभावनाओं के साथ सम्मान के भाव लेकर लोगों को प्रेरित करती हो, वही यात्रा राष्ट्र कहलाती है। राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण एक अद्भुत तरीका है, जिसके माध्यम से समाज में एकता की भावना को बढ़ावा मिलता है।
दूसरे शब्दों में कहा जाए तो राष्ट्र की परिभाषा, प्राचीन भाषा संस्कृत के शब्दों से श्रृंगारित होती है, जो कि वेदों में भी विद्यमान है। राष्ट्र की परिभाषा ऋग्वेद में कुछ इस प्रकार है:
आ राष्ट्रे राजन्यः शूर इषव्योऽतिव्याधी महारथो जायताम्
अर्थात् हमारे राष्ट्र में क्षत्रिय, वीर, धनुषधारी, लक्ष्यवेधी और महारथी हों।
अथर्ववेद में भी राष्ट्र के प्रति लिखी गयी पंक्तियाँ निम्नलिखित है, जिनका अर्थ धन-धान्य दुग्ध आदि से संवर्धन प्राप्ति की कामना के रूप में है; अभिवर्धताम् पयसाभि राष्ट्रेण वर्धताम्।
वैदिक साहित्य में राष्ट्र से संबंधित शब्दों का अत्यधिक प्रयोग किया गया है जैसे: साम्राज्य, स्वराज्य, राज्य, महाराज्य आदि।
कोई भी देश एक राष्ट्र तभी हो सकता है जब उसमें देशवासियों को भी आत्मसात करने की शक्ति हो यानि कि राष्ट्र वही है जहाँ अनेक मत, पंथ, भाषा या भेषभूषाएं भिन्न ही क्यों न हो पर भौगोलिक दृष्टि और सांस्कृतिक दृष्टि से धर्म और संस्कृति एक ही हो और जनता या प्रजा पूरी ईमानदारी से अपने राष्ट्र धर्म का पालन करती हो, आसान भाषा में राष्ट्रहित सर्वोपरि होना चाहिए।
यह आवश्यक नहीं कि राष्ट्र निर्माण के लिए किन्हीं विशेष तत्वों का प्रावधान हो “सामान धर्म, जाति, भाषा, संस्कृति के लोगों में एकता के साथ रहने की ललक होनी चाहिए। यह लालसा किसी सत्ता को पाने की नहीं बल्कि राष्ट्र का संरक्षण करने की होनी चाहिए।” राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण के माध्यम से समाज को एकता के साथ रहने का मंत्र देना चाहिए।
राष्ट्रीय एकता क्या है?
राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण के अनुसार किसी भूमि के एक खंड को आप राष्ट्र नहीं कह सकते हैं, बल्कि राष्ट्र के लिए उस भूभाग पर रह रहे लोगों का धर्म और संस्कृति एक ही होती है, फिर चाहे मत, पंथ या जाति भिन्न ही क्यों न हो। आपके मन में अगला सवाल यही होगा कि आखिर धर्म से राष्ट्र का क्या सम्बन्ध, तो आपको जान लेना चाहिए कि धर्म वही है, जो आपको कर्मो की और ले जाता हो और कर्मों का पालन करना सिखाता हो। धर्म वह पथ है जिसपर चलकर आप यश और कीर्ति कमाते है, इसीलिए राष्ट्र की उन्नति के लिए हम सभी को राष्ट्रीय धर्म का पालन करना चाहिए। राष्ट्र धर्म को आसान भाषा में राष्ट्रीय एकता के माध्यम से समझा जा सकता है।
राष्ट्रीय एकता का अर्थ यही है कि जहाँ पूजा पद्धतियां, रीति-रिवाज़, मत, पंथ या जाति अलग होने के बावजूद भी लोगों में राष्ट्र धर्म की भावना सर्वोपरि हो और खुद से पहले राष्ट्रहित सर्वोपरि हो। इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान सभा के सदस्यों ने संविधान लिखते समय भारत को एक पंथ निरपेक्ष देश लिखा था क्योंकि यहाँ का धर्म सनातन है, शास्वत है। भारत की महान सनातन परंपरा का एक ही मंत्र “सर्वे भवन्तु सुखिनः” और एक ही अटल लक्ष्य “वसुधैव कुटुंबकम” है।
कोई भी देश उन्नति करके समृद्धशाली राष्ट्र तभी बनता है, जब उसमें रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति का संकल्प “राष्ट्रहित सर्वोपरि” हो। कभी भी किसी भी बाहरी ताकत की कुदृष्टि हमारी मातृभूमि की ओर न पड़े, इसके लिए राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना अनिवार्य हो जाता है।
राष्ट्रीय एकता दिवस कब मनाया जाता है?
भारत की आजादी के समय अंग्रेजों ने भारतीय रियासतों के सामने 3 शर्तें राखी थीं, जिसमें पहली भारत में विलय, दूसरी पाकिस्तान में विलय या तीसरी स्वतंत्र रहने की थी। इन्हीं शर्तों को देखकर पाकिस्तान ने कई रियासतों को अपने पक्ष में करने की नाकामयाब कोशिश प्रारंभ की। यह देखकर भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के विचारों से प्रेरित होकर 565 रियासतों ने भारतीय एकता के पक्ष में आने का प्रण किया। राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण आपको निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से बताएगा कि राष्ट्रीय एकता दिवस कब और क्यों बनाया जाता है;
- राष्ट्रीय एकता दिवस भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री अथवा गृहमंत्री लोहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जन्म जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, क्योंकि उन्होंने 562 रियासतों को भारत में विलय करा कर, भारत को अखंड बनाया था।
- भारत ने 2014 में प्रथम बार राष्ट्रीय एकता दिवस को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया था, इस दिन बड़े स्तर पर “रन फॉर यूनिटी” जैसी मैराथन रेस का आयोजन किया जाता है, जिसमें भारत का हर नागरिक हिस्सा लेता है।
- पिछले वर्ष भारत ने 147 वां राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया।
- भारत के हर नागरिक को सामान मौलिक अधिकार मिले और सभी राष्ट्रीय अखंडता के लिए एकता से रहें, तांकि फिर कोई हमारी मातृभूमि पर अपनी कुदृष्टि न डाल सके। इसके लिए वर्ष 2014 में, भारत सरकार ने लोहपुरुष को सम्मानित स्थान देते हुए हर वर्ष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जन्मजयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया।
राष्ट्रीय एकता पर भाषण कैसे लिखें?
राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण के लिए कुछ भी कहने या लिखने के लिए आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि यह संवेदनशील विषय है जो देश की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा अथवा उसे प्रभावित करता है। राष्ट्रीय एकता पर भाषण लिखने के लिए आपको उचित शब्दावली का प्रयोग करना होता है, सही जानकारी लिखनी होती है जिसके तथ्य सत्य हो। निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखकर आप आसानी से राष्ट्रीय एकता पर भाषण लिख सकते है;
- संबोधन का सही तरीका सबसे पहले आदरपूर्वक शब्दों से किया जाता है; जैसे मेरे प्यारे देशवासियों, मेरे देश का भविष्य युवा साथियों, मातृभूमि के वीर सपूतों, वीरों की धरा पर रहने वालो, वीरांगनाओं की संतानों, नौजवान साथियों, माताओं और बहनों इत्यादि।
- फिर अपने राष्ट्र के इतिहास पर प्रकाश डाला जाता है कि कैसे मानवता के पक्ष में या लोकहित के कार्यों में, हमारा राष्ट्र सदैव आगे रहा, अतीत में हमारे राष्ट्र के साथ क्या कुछ घटित हुआ क्योंकि बिना अपनी जड़ों से जुड़े, बिना अपने इतिहास पर गौरव किये आप आत्मनिर्भर भविष्य का निर्माण नहीं कर सकते है।
- फिर आप अपने राष्ट्र की वर्तमान दशा और दिशा के बारें में लिख सकते हैं, जिसमें ध्यान रहे कि आपको सकारात्मकता को प्राथमिकता देनी है। इसका कारण यह है कि भाषण जितना सकारात्मकता से भरपूर रहेगा, आप उतने ही लोगों तक अपने विचारों को आसानी से पहुँचा पाएंगे।
- फिर आप अपने दूरगामी दृष्टिकोण को भाषण में लिख सकते हैं, क्योंकि बिना इसके आप भाषण का उद्देश्य स्पष्ट नहीं कर सकते हैं। जितना आप अपने दूरगामी सोच का परिचय पूरी सकारत्मकता के साथ देंगे, उतना ही आप अपने भाषण को सार्थक बना पायेंगे और उतना ही आप ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपने शब्दों द्वारा पहुँच पायेंगे।
- याद रहे भाषण के अंत में आपके राष्ट्र का जयगान, जयघोष या जयकारा होना जरूरी है। इसका कारण यह है कि इससे आपकी सोच सकारात्मक होगी। यह आपकी बातों को गंभीर और आपके कर्तव्यों को दूरगामी बनाएगा। साथ ही राष्ट्र का जयघोष ही जन-जन में राष्ट्रीय भावना को जागृत करता है।
राष्ट्रीय एकता पर भाषण क्यों जरूरी है?
राष्ट्रीय एकता पर भाषण क्यों आवश्यक है, क्योंकि बिना राष्ट्र की खुशहाली के आप खुश नहीं हो सकते है। राष्ट्रीय एकता इसलिए भी आवश्यक है कि राष्ट्र को फिर से तोड़ने की साजिश करने वालों से राष्ट्र को सुरक्षित किया जा सके। यह आवश्यक है क्योंकि हर मत, पंथ या जाति से ऊपर उठकर हमारी प्राथमिकता राष्ट्र के प्रति सर्वोपरि होनी चाहिए। राष्ट्रहित सर्वोपरि की भावना ही हमें विश्व का नेतृत्व करने के लिए सक्षम बनाती है।
राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता
राष्ट्र एक जीवंत आत्मा की तरह होता है, राष्ट्र केवल एक भूभाग नहीं बल्कि यह यहाँ रहने वाले लोगों की संस्कृति, सभ्यता और यहाँ के विचारों का एक मिश्रण होता है। यह मिश्रण ही राष्ट्र के प्रति सम्मान और हम में राष्ट्रहित सर्वोपरि की भावना को जागृत करता है।
राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण एक ऐसा माध्यम है, जो राष्ट्र को एकजुट करने के लिए, राष्ट्र के लोगों को एकतासूत्र में बांधने का काम करता है। राष्ट्र की संस्कृति, संस्कारों, स्वतंत्रता और धर्म के संरक्षण के लिए राष्ट्र के लोगों में एकता का होना आवश्यक है। यही बात लोहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी जानते थे, इसीलिए उन्होंने सदैव भारत राष्ट्र के लोगों को एकता से रहने का मंत्र दिया।
राष्ट्रीय एकता पर निबंध
राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण के माध्यम से आप राष्ट्रीय एकता पर निबंध भी लिखना सीख सकते हैं, जिसको कि लिखने का फॉर्मेट कुछ इस प्रकार है कि आपको पहले निबंध के संकेत बिंदु लिखने होते है। इसके बाद आपको इसकी प्रस्तावना लिखनी होती है, फिर आपको विषय से मेल खाती कुछ हेडिंग्स लिखनी होती हैं। इसके अंत में एक आपको एक सकारात्मक सन्देश के साथ निबंध का निष्कर्ष लिखना होता है, उदाहरण स्वरुप आप नीचे दिए निबंध को पढ़ सकते है;
शीर्षक: राष्ट्रीय एकता
संकेत बिंदु: प्रस्तावना, राष्ट्रीय एकता का अर्थ, राष्ट्रीय एकता का महत्व, एकता में अनेकता भारत की विशेषता, राष्ट्रीय एकता दिवस, निष्कर्ष।
प्रस्तावना: भारत एक ऐसा राष्ट्र रहा जिसको सनातन राष्ट्र कहा जाता रहा, क्योंकि यहाँ की संस्कृति, यहाँ के वेदों में भारत को राष्ट्र कहा गया है। सनातन का अर्थ है जो शास्वत है, जो सत्य है, जिसका न कोई आदि है और न कोई अंत। यहाँ की संस्कृति ने हर जीवप्राणी को अपना बंधु, अपना परिजन और सम्पूर्ण विश्व को अपना कुटुंब माना। यहाँ की मानव कल्याणकरी संस्कृति और धर्म को क्षति पहुंचाने के लिए समय-समय पर क्रूरता के उपासको ने असंख्य आक्रमण करे। इसी के चलते फूट डालो और राज करो की नीति को अपनाया, लेकिन आजादी मिलने के बाद भारत ने खुद को अभिभाजित बनाया, जिसका श्रेय इतिहास ने लौहपुरुष पटेल जी जैसे राष्ट्रवादी नेताओं को दिया जो कि सही भी था।
राष्ट्रीय एकता का अर्थ: जब एक राष्ट्र और उसमें रह रहे लोगों का संकल्प अविभाजित होना बन जाता है अथवा जब हर मत, पंथ या जाति का व्यक्ति सारे रीति रिवाज़ों से परे आकर खुद की पहचान को राष्ट्र की पहचान बताता है, तो वह भाव एक ऐसी शक्ति को जन्म देता है, जो कि राष्ट्रीय एकता कहलाती है।
राष्ट्रीय एकता का महत्व: एक राष्ट्र में रहने के नाते आपका पहला लक्ष्य अपने राष्ट्र को नयी ऊंचाई पर ले जाने के साथ-साथ, अपने राष्ट्र की अखंडता और सम्प्रभुता की रक्षा करने का भी होना चाहिए। इसका कारण यह है कि जब आप संगठित रहते हैं, तो इस एकता से आपके शत्रुओं में भी भय की स्तिथि उत्पन्न होती है।
एकता में अनेकता भारत की विशेषता: भारत एक मात्र ऐसा राष्ट्र है, जहाँ पग-पग पर भाषाएं, वेशभूषायें, मत, पंथ के विचार बदलते है। इतनी विविधता के बाद भी जो नहीं बदलता, वो है यहाँ के नागरिकों में राष्ट्रहित सर्वोपरि की भावना। यही भावना राष्ट्र में रहने वाले हर नागरिक को यहाँ की पुण्य भूमि की रक्षा करने के लिए समर्पित होना सिखाती है। इतने सारे मत-पंथ होने के बाद भी यहाँ सबकी केवल एक ही पहचान है, वो है “भारतीय” और इसी कारण एकता में अनेकता भारत की विशेषता है।
राष्ट्रीय एकता दिवस: अंग्रेजों के भारत से जाने के बाद अंग्रेजों का लक्ष्य था भारत को फर से खंडित कर देना, इसी कारण मोहमद अली जिन्ना जैसे विभाजनकारियों के कारण भारत में बंटवारा हुआ। यही नहीं अंग्रेज चाहते थे कि भारत कभी एकता सूत्र में न बंध पाए क्योंकि भारत ने इतिहास में भी सदैव विश्व का नेतृत्व ही किया है। इसी कारण भारत को एक राष्ट्र का संदेश देने वाले लौहपुरुष सरदार पटेल जी ने, 562 रियासतों का भारत में विलय कराया और भारत को एक राष्ट्र बनाया। इसीलिए 2014 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (भारत सरकार) ने 31 अक्टूबर को उनकी जन्म-जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।
निष्कर्ष: इस निबंध का उद्देश्य आने वाली पीढ़ियों को यह बताना है कि एकता सूत्र से रहकर हम सभी स्वयं की स्वतंत्रता, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं। यह निबंध आज की पीढ़ी को हमारे गौरवमयी इतिहास, भारतीय राष्ट्रीयता की अपार भावना और अपने राष्ट्रीय के प्रति सम्मान के लिए राष्ट्रीय एकता के महत्व को समझाएगा।
किन मौकों पर राष्ट्रीय एकता पर बोला जा सकता है?
राष्ट्रीय एकता पर भाषण यूँ तो आप कभी भी खुद को या खुद से जुड़े लोगों को प्रेरणा देने के लिए, दें सकते है क्योंकि प्रेरणा के लिए जीवंत राष्ट्र से बड़ा कोई स्त्रोत नहीं हो सकता है। इन्हीं कारणों को देखकर भारत सरकार ने आत्म निर्भर भारत, आज़ादी का अमृत महोत्सव अथवा हर घर तिरंगा जैसी मुहीम को चलाया। कुछ विशेष दिन भी हैं जिनमें यदि आप राष्ट्रीय एकता पर भाषण देते, लिखते या पढ़ते है तो आप इसका व्यापक रूप देखते हैं, जो कि निम्नलिखित है।
- स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्रा दिवस, संविधान दिवस पर आप राष्ट्रीय एकता पर भाषण दे सकते है।
- भारतीय सेना दिवस, शौर्य दिवस, या अन्य किसी राष्ट्र दिवस पर आप राष्ट्रीय एकता पर भाषण दे सकते है।
- किसी भी प्रतियोगता में जहाँ आप अपनी लेखनी से बदलाव लाना चाहे वहां भी आप राष्ट्रीय एकता पर भाषण लिख व दे सकते है क्योंकि भाषणों का आधार भाषाएं होती है।
FAQs
राष्ट्र कोई एक भूमि का टुकड़ा न होकर उसमें रह रहे लोगों की संस्कृति, संस्कारों, विचारों, अभिव्यक्ति और सामान धर्म का मिश्रण होता है।
राष्ट्रीय दिवस वर्ष 2014 से प्रत्येक वर्ष 31 अक्टूबर को लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जन्मजयंती के शुभ अवसर पर मनाया जाता है।
राष्ट्र के प्रति सम्मान के भाव को बढ़ाने के लिए, राष्ट्र को अपने गौरवमयी इतिहास पर गर्व महसूस करने के लिए और राष्ट्र के युवाओं में राष्ट्रहित सर्वोपरि की भावना का संचार करने के लिए राष्ट्रीय एकता पर भाषणलिखे, पढ़े और सुने जाने चाहिए।
राष्ट्रीय पर्वों पर या इतिहासिक घटनाओं पर राष्ट्रीय एकता पर भाषणदिया व लिखा जाना अधिक सफल माना जा सकता है क्योंकि इन समय पर देश देशभक्ति के रंगों में होता है।
आशा है कि आपको राष्ट्रीय एकता पर भाषण का यह ब्लॉग जानकारी से भरपूर लगा होगा, ऐसे ही जानकारी से भरपूर अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu से जुड़े रहे।