भारत की प्राचीन संस्कृति और शिक्षा प्रणाली अत्यंत गौरवपूर्ण रही हैं। यहां समय समय पर अनेक ऋषि, मुनि, संत, विचारक और दार्शनिक हुए हैं। जिन्होंने अपने ज्ञान के माध्यम से अनेकों ग्रन्थों और रचनाओं का निर्माण किया हैं। वेद और उपनिषद विश्व के प्राचीनतम ग्रन्थों में से एक माने जाते हैं, जिनसे यह ज्ञात होता है कि प्राचीन समय में भी भारत में ज्ञान का प्रचार-प्रसार बहुत था। गुरुकुल उस समय अध्ययन का मुख्य केंद माने जाते थे। जिसने समय के साथ विधालय और कॉलेज का रूप ले लिया। मध्य भारत के इतिहास में भी नालंदा, तक्षशिला, जगद्दल जैसे बहुत से महाविधालय हुआ करते थे जो हायर एजुकेशन का प्रमुख केंद माने जाते थे। जहां विदेश से भी स्टूडेंट्स शिक्षा ग्रहण करने आते थे।
समय के साथ-साथ भारत की शिक्षा प्रणाली में भी परिवर्तन होते रहे हैं। उस समय भारत भी अनेको रियासतों में बटा हुआ था। जिसके कारण भारत में जिसकी भी सत्ता होती वह शासन व्यवस्था और शिक्षा प्रणाली को अपने नियमों के अनुसार चलाता। भारत में जब मुगलों का शासन का अंत हुआ उसके बाद सन 1830 में ब्रिटिश लोगों ने भारत को अपने अधीन बना लिया और करीब 117 वर्षों तक भारत पर शासन किया। ब्रिटिश काल में भी भारत की शिक्षा प्रणाली में बहुत बदलाव आए। लॉर्ड मैकाले को आधुनिक शिक्षा का जनक माना जाता है। इस ब्लॉग में हम आधुनिक शिक्षा के बारे में विस्तार से जानेंगे।
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आधुनिक शिक्षा क्या है?
भारत में आधुनिक शिक्षा की यात्रा बहुत से कालों के तहत विकसित हुई है, जिसमें प्राचीन काल, मध्यकाल, कोलोनियल पीरियड और भारत की आजादी के बाद से लेकर आज तक भी हायर एजुकेशन का विकास जारी है।
आधुनिक शिक्षा में सामान्य तौर पर व्यावसायिक, तकनीकी शिक्षा और स्किल्स डेवलपेंट शिक्षा आदि को शामिल किया गया है जो किसी भी विधार्थी को अपनी माध्यमिक शिक्षा के बाद दी जाती है। इस प्रकार की शिक्षा यूनिवर्सिटीज, वोकेशनल कॉलेजो और टेक्नोलॉजी इंस्टिटूशन जैसी संस्थाओं द्वारा प्रदान की जाती है। हायर एजुकेशन से सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, मोरल और स्पिरिचुअल विषयों को समझने में सहायक होती है। जिससे एक स्टूडेंट को सभी प्रमुख क्षेत्रों का ज्ञान प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त हायर एजुकेशन से स्टूडेंट्स को सभी विषयों की नॉलेज के साथ साथ व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा भी दी जाती है जिससे वह देश की प्रगति में योगदान कर सकें।
आधुनिक शिक्षा का अर्थ जानिए
आधुनिक शिक्षा में रिसर्च को बढ़ावा देकर देश में शिक्षा, विज्ञान, आर्ट्स, कृषि, टेक्नोलॉजी और चिकित्सा जैसे प्रमुख सेक्टरों में स्किल्ड पर्सनालिटी का निर्माण करना है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जावहार लाल नेहरू ने आधुनिक शिक्षा के महत्त्व को बताते हुए कहा था कि “विश्वविधालय की जिम्मेदारी मानवता, सहनशीलता, तर्क, विचारों के विकास तथा सत्य की खोज करना है।” उच्च शिक्षा सामाजिक, आर्थिक क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रदान की जाती है।
आधुनिक शिक्षा की विशेषताएं क्या-क्या हैं?
वर्तमान शिक्षा प्रणाली का रूप परंपरागत शिक्षा प्रणाली की प्रवृति और उद्देश्यों से काफी बदल गया है। आधुनिक शिक्षा की प्रकृति को इसकी कुछ प्रमुख विशेषताओं के आधार पर समझा जा सकता है, जैसे-
- भारत में आधुनिक शिक्षा प्रणाली की शुरुआत ब्रिटिश उपनिवेशवादियों द्वारा वर्ष 1830 में लाई गई थी। जिसमें शिक्षा के लिए इंग्लिश भाषा को प्रधानता दी गई। लॉर्ड थॉमस मैकाले ने ही भारत भारत की शिक्षा नीतियों में बहुत से मुख्य बदलाव किए थे इसलिए उन्हें ही आधुनिक शिक्षा का जनक माना जाता हैं।
- अगर हम बात करें ब्रिटिश काल की शिक्षा नीति की को उसमें पहली बार क्लास रूम के माध्यम से शिक्षा की शुरुआत की। जिसमें सबसे ज्यादा मैथ्स, साइंस, और टेक्नोलॉजी जैसे विषयों को प्रथमिकता दी गई और फिलॉसफी, मेटाफिजिक्स, एथिक्स और मॉरल वैल्यूज जैसे विषयों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया।
- भारत की आजादी के बाद 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए बुनियादी शिक्षा अनिवार्य का दी गई और पुरे देश में स्कूल, कॉलेजो का निर्माण किया गया।
- 21वीं सदी में भारत की आधुनिक युग की शिक्षा प्रणाली ऑनलाइन शिक्षा से लेकर स्किल डेवलपमेंट कोर्सेज, डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म, ग्रेडिंग सिस्टम के साथ-साथ कक्षाओं में एजुकेशन टेक्नोलॉजी के उपयोग और एक नई एजुकेशन पॉलिसी की शुरुआत के साथ शिक्षा के लिए एक लिए नई-नई योजनाओं का गठन किया गया है।
आधुनिक शिक्षा नीति क्या है?
भारत की शिक्षा नीतियों में भी समय समय पर बहुत से बदलाव देखे गए हैं। जहां वर्ष 1947 के बाद सरकार द्वारा बहुत सी ऐसी नीतियां बनाई गई जिनके कारण शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति हुई। जिसके कारण वर्तमान में अपनी आधुनिक शिक्षा प्रणाली और हर क्षेत्र में निरंतर हो विकास के कारण भारत विकासशील देश से विकसित देश के मार्ग पर तेजी से बढ़ रहा हैं।
जब भारत को वर्ष 1947 में स्वतंत्रता मिली जिसके एक वर्ष के बाद सन 1948 में देश का पहले एजुकेशन कमीशन (Education Commission) की स्थापना की गई। जिसके पहले अध्यक्ष डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी थे। इस कमीशन को बनाने का मुख्य उद्देश्य भारत की हायर एजुकेशन कैसी होनी चाहिए कि दिशा बनाने के लिए ही इस कमीशन का गठन किया गया था। जिसे ‘यूनिवर्सिटी एजुकेशन कमीशन’ के नाम से जाना जाता हैं। ऐसे ही भारत में शिक्षा की नीतियों के लिए बहुत से आयोग का गठन किया गया जो इस प्रकार हैं:
- यूनिवर्सिटी एजुकेशन कमीशन (1948)
- सेकेंडरी एजुकेशन कमीशन (1952)
- कोठारी कमीशन (1964-1966)
- नेशनल पॉलिसी एजुकेशन (1968)
- ड्राफ्ट नेशनल पॉलिसी एजुकेशन (1979)
- नेशनल पॉलिसी एजुकेशन (1986)
- नेशनल पॉलिसी एजुकेशन (1992)
- सर्व शिक्षा अभियान (2000)
- राइट टू एजुकेशन एक्ट (2009)
- नेशनल पॉलिसी एजुकेशन (2020)
आधुनिक शिक्षा पद्धति
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 77 के खंड 3 के तहत मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD) की स्थापना की गई थी। जिसका वर्ष 2020 में नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय रख दिया गया। जिसमें मंत्रालय के कार्यों को उपयोगी बनाने के लिए स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग एवं उच्चतर शिक्षा विभाग (Department of Higher Education) की स्थापना की गई। पॉलिसी और प्लानिंग लेवल पर उच्चतर शिक्षा विभाग ही भारत में उच्चतर शिक्षा के लिए आधारभूत संरचना उपलब्ध कराता है। आधुनिक शिक्षा पद्धति की संरचना को इन प्रमुख बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता हैं-
हायर एजुकेशन की संरचना
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC)
- अन्तर विश्वविद्यालय केंद्र (IUC)
- विश्वविद्यालय स्तर की संस्थाएं
- केंद्रीय विश्वविद्यालय
- राज्य विश्वविद्यालय
- सैम विश्वविद्यालय
- निजी विश्वविद्यालय
- भारतीय विश्वविद्यालय
- राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (National Assessment and Accreditation Council)
आधुनिक शिक्षा के लाभ क्या हैं?
भारत में आधुनिक शिक्षा के आने से शिक्षा के क्षेत्र में बहुत प्रगति हुई हैं, आधुनिक शिक्षा के कुछ प्रमुख लाभों को नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं-
- आधुनिक शिक्षा में छात्रों को बहुत तेजी से सीखने में सक्षम बनाने के लिए बहुत से उपयोगी माध्यमों का निर्माण किया गया है। जिसमें स्मार्ट क्लासरूम, अनुभवी शिक्षक, टेक्नोलॉजी, खेल और साइंस जैसे विषयों को प्राथमिकता दी गई हैं।
- आधुनिक शिक्षा में छात्रों को उच्च गुणवत्ता के साथ साथ शारीरिक गतिविधियों में भी विशेष ध्यान दिया जाता है क्योंकि शिक्षा के साथ शारीरिक स्वास्थ्य का भी बहुत महत्व हैं। जिसके लिए स्कूलों और विश्वविद्यालयों में बहुत से खेलों का प्रशिक्षण और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों का आयोजन किया जाने लगा।
- शिक्षा के साथ ही अब विधार्थी को करिकुलर एक्टिविटी भी कराई जाती है जिसमें एथलेटिक्स, सांस्कृतिक कार्यक्रम, लाइब्रेरी से जुड़ी एक्टिविटीज, लैब एक्टिविटीज, क्लास-रूम एक्टिविटीज, रचनात्मक कला, मैडिटेशन, नाटक और पेंटिंग जैसी गतिविधियां शामिल हैं। इससे छात्रों को शिक्षा के साथ अन्य क्षेत्रों की भी शिक्षा मिलती हैं जो उन्हें अपने भविष्य में बहुत उपयोगी सिद्ध होती हैं।
- आधुनिक शिक्षा में स्क्रीनिंग कक्षाएं और व्याख्यान शामिल हैं जो विशिष्ट समय पर निर्धारित होती है, इससे छात्रों को समयनिष्ठ और सुसंगत बनाने में मदद मिलती है। साथ ही अब शिक्षा के लिए कुछ वर्षों से ऑनलाइन क्लास का भी सहारा लिया जा रहा है जिससे कोई भी छात्र या ज्ञान अर्जित करने वाला व्यक्ति कही से भी ऑनलाइन मोड से अपनी पढ़ाई कर सकता हैं।
आधुनिक शिक्षा से संबंधित प्रमुख संस्थाएं एवं एजेंसी कौन-कौन सी हैं?
आधुनिक शिक्षा से संबंधित कुछ प्रमुख संस्थाएं एवं एजेंसियां इस प्रकार हैं:
- बार काउंसिल ऑफ इंडिया (The Bar Council of India)- इसकी स्थापना पालियामेंट द्वारा एडवोकेट्स एक्ट 1961 के तहत की गई थी। यह भारत में लॉ कैंडिडेट्स के रेगुलटिवे यूनिट है साथ ही यह कैंडिडेट्स को लाइसेंस भी जारी करता है।
- मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (Medical Council of India)- इस काउंसिल की स्थापना वर्ष 1993 में की गई थी। यह मेडिकल की शिक्षा, स्टूडेंट्स डॉक्टरों और संस्थाओं आदि के संदर्भ में गाइडलाइन्स देने के साथ कंट्रोलर व ट्रिब्यूनल के रूप में कार्य करता है।
- उच्च शिक्षा वित्त पोषण एजेंसी (Higher Education Financing Agency)- इंडियन हायर एजुकेशन इंस्टीटूशन्स जैसे IIT, NIT और IIM आदि के लिए अनुसंधान केन्द्रित मूलभूत ढांचे के विकास एवं आवश्यक फाइनेंसियल सर्विस देने के लिए उच्च शिक्षा वित्त पोषण एजेंसी की स्थापना की गई थी।
- राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (National Testing Agency)- इसकी स्थापना इंडियन सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी का गठन किया गया था। यह शीर्ष स्वायत्त परीक्षा संगठन संस्था है। जो इंडियन हायर एजुकेशन इंस्टीटूशन्स के लिए साल में दो बार ऑनलाइन मोड से एंट्रेंस एग्जाम कंडक्ट करता है।
FAQs
लोगों को अपना जीवन जीने में और अपने जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए शिक्षा की काफी जरूरत है। शिक्षा जीवन को बेहतर बनाने वाली संभावनाओं तक पहुँचती है। आज सिर्फ ज्ञान प्राप्त करना ही काफी नहीं, औद्योगिकरण के युग में विषय संबंधी ज्ञान के प्रयोग के अलावा स्किल्स और व्यहवारिक ज्ञान पर भी अधिक बल दिया जाता है,जिसे व्यावहारिक ज्ञान कहा गया है।
आधुनिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का विस्तार करना, नये ज्ञान के लिए इच्छा जागृत करना, व्यवसायिक शिक्षा के लिए प्रोत्साहन देना, सामाजिक एवं राष्ट्रीय एकता का विकास करना और देश का आधुनिकीकरण हैं।
आधुनिक शिक्षा में व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा को प्रमुख विशेषता दी जाती है साथ ही स्किल्स डेवलपमेंट जैसे कोर्सेज से भी छात्रों को अलग अलग क्षेत्रों से संबंधित स्किल्स की ट्रेनिंग दी जाती हैं।
नई शिक्षा नीति का मसौदा इसरो प्रमुख रह चुके “डॉ० के० कस्तूरीरंगन” की अध्यक्षता में तैयार किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी मिलने पर इसे लागू कर दिया गया है।
भारत में 11 नवंबर का दिन विशेष है। शिक्षा के क्षेत्र में योगदान को देखते हुए हर साल भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री ‘मौलाना अबुल कलाम आज़ाद’ के जन्मदिन 11 नवंबर की स्मृति में ही ‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ मनाया जाता है।
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